महिला सशक्तिकरण पर निबंध (Women Empowerment Essay in Hindi)
‘महिला सशक्तिकरण’ के बारे में जानने से पहले हमें ये समझ लेना चाहिये कि हम ‘सशक्तिकरण’ से क्या समझते है। ‘सशक्तिकरण’ से तात्पर्य किसी व्यक्ति की उस क्षमता से है जिससे उसमें ये योग्यता आ जाती है जिसमें वो अपने जीवन से जुड़े सभी निर्णय स्वयं ले सके। महिला सशक्तिकरण में भी हम उसी क्षमता की बात कर रहे है जहाँ महिलाएँ परिवार और समाज के सभी बंधनों से मुक्त होकर अपने निर्णयों की निर्माता खुद हो।
महिला सशक्तिकरण पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Women Empowerment in Hindi, Mahila Sashaktikaran par Nibandh Hindi mein)
निबंध 1 (300 शब्द) – महिलाओं को सशक्त बनाना जरुरी क्यों है.
पंडित जवाहर लाल नेहरु द्वारा कहा गया मशहूर वाक्य “लोगों को जगाने के लिये”, महिलाओं का जागृत होना जरुरी है। एक बार जब वो अपना कदम उठा लेती है, परिवार आगे बढ़ता है, गाँव आगे बढ़ता है और राष्ट्र विकास की ओर उन्मुख होता है। भारत में, महिलाओं को सशक्त बनाने के लिये सबसे पहले समाज में उनके अधिकारों और मूल्यों को मारने वाले उन सभी राक्षसी सोच को मारना जरुरी है जैसे दहेज प्रथा, अशिक्षा, यौन हिंसा, असमानता, भ्रूण हत्या, महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा, बलात्कार, वैश्यावृति, मानव तस्करी और ऐसे ही दूसरे विषय।
महिला सशक्तिकरण जरुरी क्यों है
लैंगिक भेदभाव राष्ट्र में सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक अंतर ले आता है जो देश को पीछे की ओर ढ़केलता है। भारत के संविधान में उल्लिखित समानता के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए महिलाओं को सशक्त बनाना सबसे प्रभावशाली उपाय है इस तरह की बुराईयों को मिटाने के लिये। लैंगिक समानता को प्राथमिकता देने से पूरे भारत में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिला है। महिला सशक्तिकरण के उच्च लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये इसे हर एक परिवार में बचपन से प्रचारित व प्रसारितकरना चाहिये। ये जरुरी है कि महिलाएँ शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रुप से मजबूत हो।
लैंगिक समानता को प्राथमिकता देने से पूरे भारत में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिला है। महिला सशक्तिकरण के उच्च लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये इसे हर एक परिवार में बचपन से प्रचारित व प्रसारितकरना चाहिये। ये जरुरी है कि महिलाएँ शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रुप से मजबूत हो। चूंकि एक बेहतर शिक्षा की शुरुआत बचपन से घर पर हो सकती है, महिलाओं के उत्थान के लिये एक स्वस्थ परिवार की जरुरत है जो राष्ट्र के सर्वांगीण विकास के लिये आवश्यक है। आज भी कई पिछड़े क्षेत्रों में माता-पिता की अशिक्षा, असुरक्षा और गरीबी की वजह से कम उम्र में विवाह और बच्चे पैदा करने का चलन है। महिलाओं को मजबूत बनाने के लिये महिलाओं के खिलाफ होने वाले दुर्व्यवहार, लैंगिक भेदभाव, सामाजिक अलगाव तथा हिंसा आदि को रोकने के लिये सरकार कई सारे कदम उठा रही है।
महिलाओं की समस्याओं का उचित समाधान करने के लिये महिला आरक्षण बिल-108वाँ संविधान संशोधन का पास होना बहुत जरुरी है ये संसद में महिलाओं की 33% हिस्सेदारी को सुनिश्चित करता है। दूसरे क्षेत्रों में भी महिलाओं को सक्रिय रुप से भागीदार बनाने के लिये कुछ प्रतिशत सीटों को आरक्षित किया गया है।
सरकार को महिलाओं के वास्तविक विकास के लिये पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों में जाना होगा और वहाँ की महिलाओं को सरकार की तरफ से मिलने वाली सुविधाओं और उनके अधिकारों से अवगत कराना होगा जिससे उनका भविष्य बेहतर हो सके। महिला सशक्तिकरण के सपने को सच करने के लिये लड़िकयों के महत्व और उनकी शिक्षा को प्रचारित करने की जरुरत है।
निबंध 2 (400 शब्द) – महिला सशक्तिकरण: लैंगिक समानता की ओर एक कदम
लैंगिक असमानता भारत में मुख्य सामाजिक मुद्दा है जिसमें महिलाएँ पुरुषवादी प्रभुत्व देश में पिछड़ती जा रही है। पुरुष और महिला को बराबरी पर लाने के लिये महिला सशक्तिकरण में तेजी लाने की जरुरत है। सभी क्षेत्रों में महिलाओं का उत्थान राष्ट्र की प्राथमिकता में शामिल होना चाहिये। महिला और पुरुष के बीच की असमानता कई समस्याओं को जन्म देती है जो राष्ट्र के विकास में बड़ी बाधा के रुप में सामने आ सकती है। ये महिलाओं का जन्मसिद्ध अधिकार है कि उन्हें समाज में पुरुषों के बराबर महत्व मिले। वास्तव में सशक्तिकरण को लाने के लिये महिलाओं को अपने अधिकारों से अवगत होना चाहिये। न केवल घरेलू और पारिवारिक जिम्मेदारियों बल्कि महिलाओं को हर क्षेत्रों में सक्रिय और सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिये। उन्हें अपने आस-पास और देश में होने वाली घटनाओं को भी जानना चाहिये।
महिला सशक्तिकरण में ये ताकत है कि वो समाज और देश में बहुत कुछ बदल सकें। वो समाज में किसी समस्या को पुरुषों से बेहतर ढ़ंग से निपट सकती है। वो देश और परिवार के लिये अधिक जनसंख्या के नुकसान को अच्छी तरह से समझ सकती है। अच्छे पारिवारिक योजना से वो देश और परिवार की आर्थिक स्थिति का प्रबंधन करने में पूरी तरह से सक्षम है। पुरुषों की अपेक्षा महिलाएँ किसी भी प्रभावकारी हिंसा को संभालने में सक्षम है चाहे वो पारिवारिक हो या सामाजिक।
महिला सशक्तिकरण के द्वारा ये संभव है कि एक मजबूत अर्थव्यवस्था के महिला-पुरुष समानता वाले वाले देश को पुरुषवादी प्रभाव वाले देश से बदला जा सकता है। महिला सशक्तिकरण की मदद से बिना अधिक प्रयास किये परिवार के हर सदस्य का विकास आसानी से हो सकता है। एक महिला परिवार में सभी चीजों के लिये बेहद जिम्मेदार मानी जाती है अत: वो सभी समस्याओं का समाधान अच्छी तरह से कर सकती है। महिलाओं के सशक्त होने से पूरा समाज अपने आप सशक्त हो जायेगा।
मनुष्य, आर्थिक या पर्यावरण से संबंधित कोई भी छोटी या बड़ी समस्या का बेहतर उपाय महिला सशक्तिकरण है। पिछले कुछ वर्षों में हमें महिला सशक्तिकरण का फायदा मिल रहा है। महिलाएँ अपने स्वास्थ्य, शिक्षा, नौकरी, तथा परिवार, देश और समाज के प्रति जिम्मेदारी को लेकर ज्यादा सचेत रहती है। वो हर क्षेत्र में प्रमुखता से भाग लेती है और अपनी रुचि प्रदर्शित करती है। अंतत: कई वर्षों के संघर्ष के बाद सही राह पर चलने के लिये उन्हें उनका अधिकार मिल रहा है।
निबंध 3 (500 शब्द): भारत में महिला सशक्तिकरण की जरुरत
महिला सशक्तिकरण क्या है ?
महिला सशक्तिकरण को बेहद आसान शब्दों में परिभाषित किया जा सकता है कि इससे महिलाएँ शक्तिशाली बनती है जिससे वो अपने जीवन से जुड़े हर फैसले स्वयं ले सकती है और परिवार और समाज में अच्छे से रह सकती है। समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिये उन्हें सक्षम बनाना महिला सशक्तिकरण है।
भारत में महिला सशक्तिकरण की क्यों जरुरत है ?
महिला सशक्तिकरण की जरुरत इसलिये पड़ी क्योंकि प्राचीन समय से भारत में लैंगिक असमानता थी और पुरुषप्रधान समाज था। महिलाओं को उनके अपने परिवार और समाज द्वार कई कारणों से दबाया गया तथा उनके साथ कई प्रकार की हिंसा हुई और परिवार और समाज में भेदभाव भी किया गया ऐसा केवल भारत में ही नहीं बल्कि दूसरे देशों में भी दिखाई पड़ता है। महिलाओं के लिये प्राचीन काल से समाज में चले आ रहे गलत और पुराने चलन को नये रिती-रिवाजों और परंपरा में ढ़ाल दिया गया था। भारतीय समाज में महिलाओं को सम्मान देने के लिये माँ, बहन, पुत्री, पत्नी के रुप में महिला देवियो को पूजने की परंपरा है लेकिन इसका ये कतई मतलब नहीं कि केवल महिलाओं को पूजने भर से देश के विकास की जरुरत पूरी हो जायेगी। आज जरुरत है कि देश की आधी आबादी यानि महिलाओं का हर क्षेत्र में सशक्तिकरण किया जाए जो देश के विकास का आधार बनेंगी।
भारत एक प्रसिद्ध देश है जिसने ‘विविधता में एकता’ के मुहावरे को साबित किया है, जहाँ भारतीय समाज में विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग रहते है। महिलाओं को हर धर्म में एक अलग स्थान दिया गया है जो लोगों की आँखों को ढ़के हुए बड़े पर्दे के रुप में और कई वर्षों से आदर्श के रुप में महिलाओं के खिलाफ कई सारे गलत कार्यों (शारीरिक और मानसिक) को जारी रखने में मदद कर रहा है। प्राचीन भारतीय समाज दूसरी भेदभावपूर्ण दस्तूरों के साथ सती प्रथा, नगर वधु व्यवस्था, दहेज प्रथा, यौन हिंसा, घरेलू हिंसा, गर्भ में बच्चियों की हत्या, पर्दा प्रथा, कार्य स्थल पर यौन शोषण, बाल मजदूरी, बाल विवाह तथा देवदासी प्रथा आदि परंपरा थी। इस तरह की कुप्रथा का कारण पितृसत्तामक समाज और पुरुष श्रेष्ठता मनोग्रन्थि है।
पुरुष पारिवारिक सदस्यों द्वारा सामाजिक राजनीतिक अधिकार (काम करने की आजादी, शिक्षा का अधिकार आदि) को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया। महिलाओं के खिलाफ कुछ बुरे चलन को खुले विचारों के लोगों और महान भारतीय लोगों द्वारा हटाया गया जिन्होंने महिलाओं के खिलाफ भेदभावपूर्ण कार्यों के लिये अपनी आवाज उठायी। राजा राम मोहन रॉय की लगातार कोशिशों की वजह से ही सती प्रथा को खत्म करने के लिये अंग्रेज मजबूर हुए। बाद में दूसरे भारतीय समाज सुधारकों (ईश्वर चंद्र विद्यासागर, आचार्य विनोभा भावे, स्वामी विवेकानंद आदि) ने भी महिला उत्थान के लिये अपनी आवाज उठायी और कड़ा संघर्ष किया। भारत में विधवाओं की स्थिति को सुधारने के लिये ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने अपने लगातार प्रयास से विधवा पुर्न विवाह अधिनियम 1856 की शुरुआत करवाई।
पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं के खिलाफ होने वाले लैंगिक असमानता और बुरी प्रथाओं को हटाने के लिये सरकार द्वारा कई सारे संवैधानिक और कानूनी अधिकार बनाए और लागू किये गये है। हालाँकि ऐसे बड़े विषय को सुलझाने के लिये महिलाओं सहित सभी का लगातार सहयोग की जरुरत है। आधुनिक समाज महिलाओं के अधिकार को लेकर ज्यादा जागरुक है जिसका परिणाम हुआ कि कई सारे स्वयं-सेवी समूह और एनजीओ आदि इस दिशा में कार्य कर रहे है। महिलाएँ ज्यादा खुले दिमाग की होती है और सभी आयामों में अपने अधिकारों को पाने के लिये सामाजिक बंधनों को तोड़ रही है। हालाँकि अपराध इसके साथ-साथ चल रहा है।
कानूनी अधिकार के साथ महिलाओं को सशक्त बनाने के लिये संसद द्वारा पास किये गये कुछ अधिनियम है – एक बराबर पारिश्रमिक एक्ट 1976, दहेज रोक अधिनियम 1961, अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम 1956, मेडिकल टर्म्नेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1987, बाल विवाह रोकथाम एक्ट 2006, लिंग परीक्षण तकनीक (नियंत्रक और गलत इस्तेमाल के रोकथाम) एक्ट 1994, कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन शोषण एक्ट 2013।
भारतीय समाज में सच में महिला सशक्तिकरण लाने के लिये महिलाओं के खिलाफ बुरी प्रथाओं के मुख्य कारणों को समझना और उन्हें हटाना होगा जो कि समाज की पितृसत्तामक और पुरुष प्रभाव युक्त व्यवस्था है। जरुरत है कि हम महिलाओं के खिलाफ पुरानी सोच को बदले और संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों में भी बदलाव लाये।
निबंध – 4 (600 शब्द): महिला सशक्तिकरण के मार्ग में आने वाली बाधाएं
आज के समय में महिला सशक्तिकरण एक चर्चा का विषय है, खासतौर से पिछड़े और प्रगतिशील देशों में क्योंकि उन्हें इस बात का काफी बाद में ज्ञान हुआ कि बिना महिलाओं तरक्की और सशक्तिकरण के देश की तरक्की संभव नही है। महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का अर्थ उनके आर्थिक फैसलों, आय, संपत्ति और दूसरे वस्तुओं की उपलब्धता से है, इन सुविधाओं को पाकर ही वह अपने सामाजिक स्तर को उंचा कर सकती है।
भारत में महिला सशक्तिकरण के मार्ग में आने वाली बाधाएं
1) सामाजिक मापदंड
पुरानी और रुढ़ीवादी विचारधाराओं के कारण भारत के कई सारे क्षेत्रों में महिलाओं के घर छोड़ने पर पाबंदी होती है। इस तरह के क्षेत्रों में महिलाओं को शिक्षा या फिर रोजगार के लिए घर से बाहर जाने के लिए आजादी नही होती है। इस तरह के वातावरण में रहने के कारण महिलाएं खुद को पुरुषों से कमतर समझने लगती है और अपने वर्तमान सामाजिक और आर्थिक दशा को बदलने में नाकाम साबित होती है।
2) कार्यक्षेत्र में शारीरिक शोषण
कार्यक्षेत्र में होने वाला शोषण भी महिला सशक्तिकरण में एक बड़ी बाधा है। नीजी क्षेत्र जैसे कि सेवा उद्योग, साफ्टवेयर उद्योग, शैक्षिक संस्थाएं और अस्पताल इस समस्या से सबसे ज्यादे प्रभावित होते है। यह समाज में पुरुष प्रधनता के वर्चस्व के कारण महिलाओं के लिए और भी समस्याएं उत्पन्न करता है। पिछले कुछ समय में कार्यक्षेत्रों में महिलाओं के साथ होने वाले उत्पीड़ने में काफी तेजी से वृद्धि हुई है और पिछले कुछ दशकों में लगभग 170 प्रतिशत वृद्धि देखने को मिली है।
3) लैंगिग भेदभाव
भारत में अभी भी कार्यस्थलों महिलाओं के साथ लैंगिग स्तर पर काफी भेदभाव किया जाता है। कई सारे क्षेत्रों में तो महिलाओं को शिक्षा और रोजगार के लिए बाहर जाने की भी इजाजत नही होती है। इसके साथ ही उन्हें आजादीपूर्वक कार्य करने या परिवार से जुड़े फैलसे लेने की भी आजादी नही होती है और उन्हें सदैव हर कार्य में पुरुषों के अपेक्षा कमतर ही माना जाता है। इस प्रकार के भेदभावों के कारण महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक दशा बिगड़ जाती है और इसके साथ ही यह महिला सशक्तिकरण के लक्ष्य को भी बुरे तरह से प्रभावित करता है।
4) भुगतान में असमानता
भारत में महिलाओं को अपने पुरुष समकक्षों के अपेक्षा कम भुगतान किया जाता है और असंगठित क्षेत्रो में यह समस्या और भी ज्यादे दयनीय है, खासतौर से दिहाड़ी मजदूरी वाले जगहों पर तो यह सबसे बदतर है। समान कार्य को समान समय तक करने के बावजूद भी महिलाओं को पुरुषों के अपेक्षा काफी कम भुगतान किया जाता है और इस तरह के कार्य महिलाओं और पुरुषों के मध्य के शक्ति असमानता को प्रदर्शित करते है। संगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं को अपने पुरुष समकक्षों के तरह समान अनुभव और योग्यता होने के बावजूद पुरुषों के अपेक्षा कम भुगतान किया जाता है।
महिलाओं में अशिक्षा और बीच में पढ़ाई छोड़ने जैसी समस्याएं भी महिला सशक्तिकरण में काफी बड़ी बाधाएं है। वैसे तो शहरी क्षेत्रों में लड़किया शिक्षा के मामले में लड़को के बराबर है पर ग्रामीण क्षेत्रों में इस मामले वह काफी पीछे हैं। भारत में महिला शिक्षा दर 64.6 प्रतिशत है जबकि पुरुषों की शिक्षा दर 80.9 प्रतिशत है। काफी सारी ग्रामीण लड़कियां जो स्कूल जाती भी हैं, उनकी पढ़ाई भी बीच में ही छूट जाती है और वह दसवीं कक्षा भी नही पास कर पाती है।
6) बाल विवाह
हालांकि पिछलें कुछ दशकों सरकार द्वारा लिए गये प्रभावी फैसलों द्वारा भारत में बाल विवाह जैसी कुरीति को काफी हद तक कम कर दिया गया है लेकिन 2018 में यूनिसेफ के एक रिपोर्ट द्वारा पता चलता है, कि भारत में अब भी हर वर्ष लगभग 15 लाख लड़कियों की शादी 18 वर्ष से पहले ही कर दी जाती है, जल्द शादी हो जाने के कारण महिलाओं का विकास रुक जाता है और वह शारीरिक तथा मानसिक रुप से व्यस्क नही हो पाती है।
7) महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराध
भारतीय महिलाओं के विरुद्ध कई सारे घरेलू हिंसाओं के साथ दहेज, हॉनर किलिंग और तस्करी जैसे गंभीर अपराध देखने को मिलते हैं। हालांकि यह काफी अजीब है कि शहरी क्षेत्रों की महिलाएं ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के अपेक्षा अपराधिक हमलों की अधिक शिकार होती हैं। यहां तक कि कामकाजी महिलाएं भी देर रात में अपनी सुरक्षा को देखते हुए सार्वजनिक परिवहन का उपयोग नही करती है। सही मायनों में महिला सशक्तिकरण की प्राप्ति तभी की जा सकती है जब महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके और पुरुषों के तरह वह भी बिना भय के स्वच्छंद रुप से कही भी आ जा सकें।
8) कन्या भ्रूणहत्या
कन्या भ्रूणहत्या या फिर लिंग के आधार पर गर्भपात भारत में महिला सशक्तिकरण के रास्तें में आने वाले सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है। कन्या भ्रूणहत्या का अर्थ लिंग के आधार पर होने वाली भ्रूण हत्या से है, जिसके अंतर्गत कन्या भ्रूण का पता चलने पर बिना माँ के सहमति के ही गर्भपात करा दिया जाता है। कन्या भ्रूण हत्या के कारण ही हरियाणा और जम्मू कश्मीर जैसे प्रदेशों में स्त्री और पुरुष लिंगानुपात में काफी ज्यादे अंतर आ गया है। हमारे महिला सशक्तिकरण के यह दावे तब तक नही पूरे होंगे जबतक हम कन्या भ्रूण हत्या के समस्या को मिटा नही पायेंगे।
भारत में महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार की भूमिका
भारत सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए कई सारी योजनाएं चलायी जाती है। महिला एंव बाल विकास कल्याण मंत्रालय और भारत सरकार द्वारा भारतीय महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कई सारी योजनाएं चलायी जा रही है। इन्हीं में से कुछ मुख्य योजनाओं के विषय में नीचे बताया गया है।
1) बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं योजना
2) महिला हेल्पलाइन योजना
3) उज्जवला योजना
4) सपोर्ट टू ट्रेनिंग एंड एम्प्लॉयमेंट प्रोग्राम फॉर वूमेन (स्टेप)
5) महिला शक्ति केंद्र
6) पंचायाती राज योजनाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण
जिस तरह से भारत सबसे तेजी आर्थिक तरक्की प्राप्त करने वाले देशों में शुमार हुआ है, उसे देखते हुए निकट भविष्य में भारत को महिला सशक्तिकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने पर भी ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। हमें महिला सशक्तिकरण के इस कार्य को समझने की आवश्यकता है क्योंकि इसी के द्वारा ही देश में लैंगिग समानता और आर्थिक तरक्की को प्राप्त किया जा सकता है।
संबंधित जानकारी:
महिला सशक्तिकरण पर स्लोगन
महिला सशक्तिकरण पर भाषण
FAQs: Frequently Asked Questions on Women Empowerment (महिला सशक्तिकरण पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
उत्तर- पारिवारिक और सामाजिक प्रतिबंध के बिना खुद का निर्णय लेना महिला सशक्तिकरण कहलाता है।
उत्तर- शिक्षा, महिला सशक्तिकरण का सबसे मुख्य स्रोत है।
उत्तर- डेनमार्क
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महिला सशक्तिकरण पर निबंध 500 शब्दों में | Essay on Women Empowerment in Hindi
- by Rohit Soni
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इस लेख में महिला सशक्तिकरण पर निबंध शेयर किया गया है। जो कि आपके परीक्षा के लिए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है। Essay on Women Empowerment in Hindi प्रतियोगी परीक्षाओं में लिखने के लिए आता है। इसलिए महिला सशक्तिकरण पर निबंध बहुत जरूरी है आपके लिए। इसके साथ ही देश की संमृद्धि के लिए भी महिला सशक्तिकरण अति आवश्यक है।
Table of Contents
महिला सशक्तिकरण पर निबंध 300 शब्दों में – Short Essay On Mahila Sashaktikaran in Hindi
महिला सशक्तिकरण क्या है.
महिला सशक्तिकरण से आशय यह है कि महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है। इससे महिलाएं शक्तिशाली बनती है। जिससे वह अपने जीवन से जुड़े सभी फैसले स्वयं ले सकती हैं, और परिवार व समाज में अच्छे से रह सकती हैं। पुरुषों की तरह ही समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिए उन्हें सक्षम बनाना ही महिला सशक्तिकरण कहलाता है।
महिला सशक्तिकरण जरुरी क्यों है?
महिला सशक्तिकरण आवश्यकता का मुख्य कारण महिलाओं की आर्थिक तथा सामाजिक स्थित में सुधार लाना है। क्योंकि आज भी भारत में पुरुष प्रधान समाज की व्यवस्था है जिसमें महिलाओं को पुरुषों की तुलना में बहुत कम महत्व दिया जाता है। उन्हें घर तक ही सीमित करके रखा जाता है। कम उम्र में विवाह और शिक्षा के अभाव से महिलाओं का विकाश नहीं हो पाता है। जिससे वे समाज में स्वयं को असुरक्षित और लाचार महसूस करती है। इसी वजह से महिलाओं का शोषण हो रहा है। महिला सशक्तिकरण जरूरी है, ताकि महिलाओं को भी रोजगार, शिक्षा , और आर्थिक तरक्की में बराबरी के मौके मिल सके, जिससे वह सामाजिक स्वतंत्रता और तरक्की प्राप्त कर सके। और महिलाएँ भी पुरुषों की तरह अपनी हर आकांक्षाओं को पूरा कर सके और स्वयं को सुरक्षित महसूस कर सकें।
जहाँ वैदिक काल में नारी को देवी का स्वरूप माना जाता था। वहीं वर्तमान के कुछ शतकों में समाज में नारी की स्थित बहुत ज्यादा दयनीय रही है। और महिलाओं को काफी प्रताड़ना झेलना पड़ा है। यहां तक की आज भी कई गांवों में कुरीतियों के चलते महिलाओं के केवल मनोरंजन समझा जाता है। और पुरुषों द्वारा उनके अधिकारों का हनन कर उनका शोषण किया जाता है। इसलिए आज वर्तमान के समय में महिला सशक्तिकरण एक अहम चर्चा का विषय बन चुका है। हालाँकि पिछले कुछ दशकों में सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया गया है। लेकिन अभी भी पिछड़े हुए गांवों में सरकार को पहुंचकर लोगों को महिला सशक्तिकरण के बारे में जागरूकता लाने के लिए ठोस कदम उठाने जरूरत है।
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महिला सशक्तिकरण पर निबंध 500 शब्दों में (Essay on Women Empowerment in Hindi)
महिला सशक्तिकरण में बहुत बड़ी ताकत है जिससे देश और समाज को सकारात्मक तरीके से बदला जा सकता है। महिलाओं को समाज में किसी समस्या को पुरुषों से बेहतर ढंग से निपटना आता है। सही मायने में किसी देश या समाज का तभी विकाश होता है जब वहां की नारी जाति को प्रतिष्ठा व सम्मान दिया जाता है।
महिला सशक्तिकरण का अर्थ – Meaning of women empowerment
नारी को सृजन की शक्ति माना जाता है। अर्थात स्त्री से ही मानव जाति का अस्तित्व संभव हुआ है। फिर भी वर्तमान युग में एक नारी इस पुरुष समाज में स्वयं को असुरक्षित और असहाय महसूस करती है। अतः महिला सशक्तिकरण का अर्थ महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है। ताकि उन्हें शिक्षा, रोजगार, आर्थिक विकाश के समान अधिकार मिल सके, जिससे वह सामाजिक व आर्थिक स्वतंत्रता और खुद को सुरक्षित प्राप्त कर सके।
महिला सशक्तिकरण का मुख्य उद्देश्य
महिला सशक्तिकरण का मुख्य उद्देश्य महिलाओं की प्रगति और उनमें आत्मविश्वास को बढ़ाना हैं। महिला सशक्तिकरण देश के विकास के लिए अति महत्वपूर्ण है। महिलाओं का सशक्तिकरण सबसे महत्वपूर्ण पहलू है क्योंकि वे सृजन कर्ता होती हैं। अगर उन्हें सशक्त कर दिया जाए, उन्हें शक्तिशाली बनाएं और प्रोत्साहित करें, तो इससे राष्ट्र का विकाश सुनिश्चित होता है। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना और उनके अधिकारों को उनसे अवगत कराना तथा सभी क्षेत्र में समानता प्रदान करना ही महिला सशक्तिकरण का प्रमुख उद्देश्य है।
महिला सशक्तिकरण में शिक्षा की भूमिका क्या है?
महिला सशक्तिकरण में शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान हैं। क्योंकि बिना शिक्षा के महिलाओं की प्रगति में सकारात्मक परिवर्तन सम्भव नही है। शिक्षा के माध्यम से महिलाओं में जागरूकता लाना आसान है और आयी भी है, वे अपने बारे में सोचने की क्षमता रखने लगी है, उन्होंने अब महसूस किया है कि घर से बाहर भी उनका जीवन है। महिलाओं में आत्मविश्वास का संचार हुआ तथा उनके व्यक्तित्व में निखार आया है। इसीलिए सरकार द्वारा बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओ योजना चलाई गई है। ताकि घर-घर बेटियों को शिक्षा दी जा सके।
महिला सशक्तिकरण के उपाय
महिला सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएं शासन की तरफ से चलाई गई हैं जिससे नारी जाति के उत्थान में मदद मिली है। और भारत में महिलाओं को एक अलग पहचान प्रदान करती है। महिला सशक्तिकरण के उपाय के लिए चल रही योजनाओं के नाम निम्नलिखित हैं –
- सुकन्या समृध्दि योजना
- बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं योजना
- प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना
- प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना
- प्रधानमंत्री महिला शक्ति केंद्र योजना
- वन स्टॉप सेंटर
- लाड़ली लक्ष्मी योजना
- फ्री सिलाई मशीन योजना
एक स्त्री पुरुष की जननी होकर भी एक पुरुष से कमजोर महसूस करती है। क्योंकि उसका पिछले कई सदियों से शोषण किया जा रहा है। जिस कारण से एक नारी अपनी शक्ति और अधिकारों को भूल चुकी है। और अपने साथ हो रहे दुराचार को बर्दाश्त करती चली आ रही है। परन्तु वर्तमान युग महिला का युग है। अब उन्हें अपने अधिकारों को प्राप्त करने से कोई नहीं रोक सकता है। इसके लिए कई महिला सशक्तिकरण के उपाय भी किए जा रहे है। किन्तु अभी भी कुछ आदिवासी पिछड़े गांवों में कई सारी कुरीतियां या शिक्षा की कमी के कारण महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित रखा गया है। अतः वहां तक पहुँच कर उन महिलाओं को भी महिला सशक्तिकरण के बारे में जागरूक करना होगा।
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महिला सशक्तिकरण पर निबंध 1000 शब्दों में (Mahila Sashaktikaran Essay in Hindi)
[ विस्तृत रूपरेखा – (1) प्रस्तावना, (2) महिलाओं का अतीत, (3) भारत में महिलाओं का सम्मान, (4) वर्तमान में महिलाओं के प्रति अनुदार व्यवहार, (5) महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता, (6) शासन तथा समाज का दायित्व, (7) नारी जागरण की आवश्यकता, (8) उपसंहार ।]
“अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी आंचल में है दूध और आंखों में पानी ।”
प्राचीन काल से ही महिलाओं के साथ बड़ा अन्याय होता आ रहा है। उन्हें शिक्षा और उनके अधिकारों से वंचित किया गया जिससे महिलाओं का जो सामाजिक और आर्थिक विकाश होना चाहिए वह नहीं हो सका। समाज में आज भी पुरुषों की तुलना में महिलाओं को कम आका जाता है। और वे ज्यादातर अपने जीवन-यापन के लिए पुरुषों पर ही निर्भर रह गयी जिससे उन्हें न चाहते हुए भी पुरुषों का अत्याचार सहना पड़ रहा है। इसलिए महिलाओं के आर्थिक व सामाजिक विकाश के लिए महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता है।
महिलाओं का अतीत
वैदिक काल में महिलाओं को गरिमामय स्थान प्राप्त था। उन्हें देवी, अर्द्धांगिनी, लक्ष्मी माना जाता था। स्मृति काल में भी ” यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता” यह सम्मानित स्थान प्रदान किया गया था। तथा पौराणिक काल में नारी को शक्ति का स्वरूप मानकर उसकी आराधना की जाती थी। परन्तु 11 वीं शताब्दी से 19 वीं शताब्दी के बीच भारत में महिलाओं की स्थिति बहुत ज्यादा दयनीय होती गई। यह महिलाओं के लिए अंधकार युग था। पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं को अपनी इच्छाओं के अनुसार उपयोग में लिए जाने तक ही सीमित रखा जाता था। विदेशी आक्रमण और शासकों की विलासिता पूर्ण प्रवृत्ति ने महिलाओं को उपभोग की वस्तु बना दिया था। और उसके कारण भारत के कुछ समुदायों में सती प्रथा, बाल विवाह और विधवा पुनर्विवाह पर रोक, अशिक्षा आदि सामाजिक कुरीतियां जिंदगी का एक हिस्सा बन चुकी थी।जिसने महिलाओं की स्थिति को बदतर बना दिया और उनके अधिकारों व स्वतंत्रता को उनसे छीन लिया।
भारत में महिलाओं का सम्मान
भारत में महिलाओं को सम्मान दिलाने के लिए सरकार द्वारा समय-समय पर योजनाएं निकाली गई हैं जिनका मुख्य उद्देश्य महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक रूप से मजबूत बनाना है। जिसका असर यह है कि आज महिलाएं भी पुरुषों से कदम से कदम मिलाकर चलने में सक्षम हो रही हैं। महिलाओं को बराबर की शिक्षा, रोजगार और उनके अधिकार को दिलाकर भारत में महिलाओं को सम्मानित किया गया है। अब महिलाएं घर की दीवारों तक ही सीमित नहीं रहीं हैं। हालांकि कुछ शतकों पहले भारत में महिलाओं की स्थित काफी दयनीय रही हैं किन्तु 21 वीं सदी महिला सदी है। अब महिलाएं भी हर क्षेत्र में अपनी कुशलता का परिचय दे रही हैं।
वर्तमान में महिलाओं के प्रति अनुदार व्यवहार
महिलाओं के उत्थान के लिए भारत में कई प्रकार से प्रयास किए जा रहे हैं इसके बावजूद भी अभी तक महिलाओं का उतना विकाश नहीं हो पा रहा है। भारत में 50 प्रतिशत की आबादी महिलाओं की है और कही न कहीं महिलाएं स्वयं को कमजोर और असहाय मानती है जिसके कारण से पुरुषों द्वारा उनके प्रति अनुदार व्यवहार किया जाता है। शिक्षा और जागरूकता की कमी के कारण महिलाएं अपने अधिकारों और शक्ति का इस्तेमाल नहीं कर पाती हैं। परिणाम स्वरूप उनका शारीरिक और मानसिक रूप से शोषण किया जाता है। कई ऐसे गांव कस्बे हैं जहाँ अभी भी महिलाओं को शिक्षा और उनके अधिकारों से वंचित कर दिया जाता है और कई प्रकार की कुरीतियों के चलते उन्हें प्रताड़ित किया जाता है। और उन्हें देह-व्यापार करने के लिए मजबूर किया जाता है। ऐसे में सरकार और समाज दोनों को इसके प्रति विचार करना चाहिए।
महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता
जैसा कि भारत में 50 फीसदी की आबादी महिलाओं की है और जब तक इनका विकास नहीं होगा तो भारत कभी भी विकसित देश नहीं बन सकता है। देश के विकाश के लिए महिलाओं का विकाश होना जरूरी है। भारत में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता इसलिए है क्योंकि प्राचीन काल के अपेक्षा मध्य काल में भारतीय महिलाओं के सम्मान स्तर में काफी कमी आयी है। और जितना सम्मान उन्हें प्राचीन काल में दिया जाता था, मध्य काल में वह सम्मान बहुत कम हो गया था। वर्तमान समय में कई भारतीय महिलाएँ कई सारे महत्वपूर्ण राजनैतिक तथा प्रशासनिक पदों पर पदस्थ हैं, फिर भी सामान्य ग्रामीण महिलाएँ आज भी अपने घरों में रहने के लिए बाध्य हैं और उन्हें सामान्य स्वास्थ्य सुविधा और शिक्षा जैसी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं हो रही है।
शासन तथा समाज का दायित्व
महिलाओं के विकाश के लिए शासन तथा समाज का दायित्व है कि इसके लिए विभिन्न प्रकार से प्रयास किए जाएं ताकि वह अपने जीवन से जुड़े सभी फैसले स्वयं ले सके, और परिवार व समाज में सुरक्षित तरीके से रह सकें। तथा पुरुषों की तरह ही महिलाएं भी समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करें।
शासन द्वारा महिला सशक्तीकरण से संबंधित कुछ प्रमुख सरकारी योजनाएँ
- सुकन्या समृद्धि योजना
नारी जागरण की आवश्यकता
यह समाज पुरुष प्रधान है और हमेशा से ही महिलाओं को पुरुषों से नीचे रखा गया है। परन्तु नारी की अपनी एक गरिमा है। वह पुरुष की जननी है नारी स्नेह और सौजन्य की देवी है। किसी राष्ट्र का उत्थान नारी जाति से ही होता है। और वर्तमान समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने के लिए नारी जागरण की आवश्यकता महसूस हो रही है। समाज के बेहतर निर्माण के लिए समाज में नारी को एक समान अधिकार दिए जाए तभी एक बेहतर समाज और राष्ट्र का निर्माण होगा। इसके लिए नारी को अपने अधिकारों के लिए स्वयं आगे आना होगा।
वैदिक काल, और प्राचीन काल में महिलाओं को पूजा जाता था उन्हें पुरुषों से भी ऊँचा दर्जा प्रदान किया गया था। किन्तु मध्यकाल में नारी जाति का अत्यधिक शोषण हुआ है जिस कारण से महिलाओं का विकाश बहुत कम हो पाया है। उन्हें घर के अंदर तक ही बंधन में रखा जाता है बाहर निकल कर रोजगार करने में प्रतिबंध लगाया जाता है। और यदि बाहर निकलने की छूट भी मिलती है तो समाज के अराजक तत्वों से उन्हें कई तरह से खतरा बना रहता है। अतः उनके उत्थान के लिए महिला सशक्तिकरण बहुत जरूरी है। महिलाओं को उचित शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए जिससे वे अपने अधिकारों को पहचान सकें और अपने ऊपर हो रहें अत्याचार का विरोध कर सकें। तथा अपने जीवन के अहम फैसले स्वयं लेने के लिए हमेशा स्वतंत्र रहें।
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महिला सशक्तिकरण पर 10 वाक्य (Nari Sashaktikaran par Nibandh in Hindi)
- महिला सशक्तिकरण से आशय यह है कि महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाना।
- हमारे देश में महिलाओं के प्रति अनुदार व्यवहार को खत्म करने के लिए महिला सशक्तिकरण आवश्यक है।
- महिला सशक्तिकरण में शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।
- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, सुकन्या सम्बृध्दि योजना, प्रधानमंत्री महिला शक्ति केंद्र योजना आदि शासन द्वारा महिला सशक्तिकरण के तहत मुहिम चलाई जा रही है।
- बेटी व महिलाओं को पुरुष समाज में बराबरी के अधिकार दिलाने के लिए उनमें जागरूकता लाना आवश्यक है।
- बेहतर समाज के निर्माण के लिए समाज में नारी को एक समान अधिकार व सम्मान प्रदान करना उतना ही जरूरी है, जितना की जीवन के लिए भोजन जरूरी है।
- 21 वीं सदी महिला सदी माना जाता है, अब महिलाएं भी हर क्षेत्र में अपनी कुशलता का बखूबी परिचय दे रही हैं। यह महिला सशक्तिकरण से ही संभव है।
- वर्तमान समय में कई भारतीय महिलाएँ महत्वपूर्ण राजनैतिक तथा प्रशासनिक पदों पर पदस्थ हैं, फिर भी सामान्य ग्रामीण महिलाएँ आज भी अपने घरों में रहने के लिए बाध्य हैं।
- महिलाओं को अपने अधिकार, आत्मसम्मान और स्वतंत्रता के लिए स्वयं आगे आना होगा।
- महिलाओं के उत्थान के लिए समाज और शासन को अधिक से अधिक उपाय करना चाहिए।
यह निबंध महिला सशक्तिकरण के बारे में है। जिसका शीर्षक इस प्रकार से है “ महिला सशक्तिकरण पर निबंध 500 शब्दों में ” अथवा “ Essay on Women Empowerment in Hindi ” यह निबंध आपके लिए बहुत उपयोगी है अतः आपको Mahila Sashaktikaran Essay in Hindi 1000 शब्दों में लिखना जरूर से आना चाहिए।
FAQ Mahila Sashaktikaran Essay
Q: महिला सशक्तिकरण कब शुरू हुआ था.
Ans: महिला सशक्तिकरण की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 8 मार्च,1975 को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से मानी जाती हैं। फिर महिला सशक्तिकरण की पहल 1985 में महिला अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन नैरोबी में की गई।
Q: महिला सशक्तिकरण कब लागू हुआ था?
Ans: राष्ट्र निर्माण गतिविधियों में महिलाओं की भूमिका को ध्यान में रखते हुए सरकार ने वर्ष 2001 को महिला सशक्तिकरण वर्ष घोषित किया था और महिलाओं को स्वशक्ति प्रदान करने की राष्ट्रीय नीति अपनायी थी।
Q: समाज में महिलाओं की क्या भूमिका है?
Ans: समाज में महिलाओं की अहम भूमिका है क्योंकि नारी ही परिवार बनाती है, परिवार से घर बनता है, घर से समाज बनता है और फिर समाज ही देश बनाता है। इसलिए महिला का योगदान हर जगह है। और महिला की क्षमता को नज़रअंदाज करके समाज की कल्पना करना व्यर्थ है।
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3 thoughts on “महिला सशक्तिकरण पर निबंध 500 शब्दों में | Essay on Women Empowerment in Hindi”
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महिला सशक्तिकरण पर निबंध
By विकास सिंह
“महिला सशक्तिकरण” (Women Empowerment) शब्द का अर्थ समान और न्यायपूर्ण समाज के मद्देनजर शिक्षा, रोजगार, निर्णय लेने और बेहतर स्वास्थ्य के साथ महिलाओं को सशक्त बनाना है। महिला सशक्तीकरण महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वतंत्र, शिक्षित और प्रगतिशील बनाने के लिए एक अच्छी सामाजिक स्थिति का आनंद लेने की प्रक्रिया है।
दशकों से महिलाएं सामाजिक और पेशेवर रूप से पुरुषों के समकक्ष मान्यता प्राप्त होने के लिए संघर्ष कर रही हैं। एक महिला के व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में कई घटनाएं होती हैं, जहां उसकी क्षमताओं को पुरुष के मुकाबले कमतर आंका जाता है; सभी व्यक्तित्व पर उसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और उसकी वृद्धि में बाधा उत्पन्न होती है।
महिला सशक्तिकरण पर निबंध (100 शब्द)
निर्णय लेने, शिक्षा, और पेशे बनाने में महिलाओं की क्षमता काफी हद तक युगों से दबी हुई है, उन्हें पुरुषों से हीन मानते हुए ऐसा किया गया था। अविकसित और विकासशील राष्ट्रों में स्थिति सबसे खराब है जहां एक परिवार में महिलाओं को वित्तीय निर्णय लेने या अपनी शिक्षा के बारे में मामलों पर निर्णय लेने की अनुमति नहीं है।
ऐसे मामलों की स्थिति के साथ, यह सतत विकास और लैंगिक समानता के लक्ष्यों के बारे में सपने देखने के लिए एक गिरावट होगी। महिलाओं की सामाजिक, व्यक्तिगत और व्यावसायिक स्थिति को उठाने के लिए उन्हें पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर उठाने की तत्काल आवश्यकता है। ये विशेष उपाय एक प्रक्रिया का गठन करते हैं, जिसे “महिला सशक्तिकरण” के रूप में जाना जाता है। महिलाओं को बेहतर शिक्षा और रोजगार के अवसर प्रदान करना, उनके बेहतर स्वास्थ्य को सुनिश्चित करना, न्याय प्रदान करना और व्यावसायिक समानता सुनिश्चित करना, महिला सशक्तीकरण के कुछ तरीके हैं।
महिला सशक्तिकरण पर निबंध (150 शब्द)
भारत के संविधान के प्रावधानों के अनुसार, पुरुष की तरह ही सभी क्षेत्रों में समाज में महिलाओं को समानता प्रदान करना एक कानूनी बिंदु है। महिला और बाल विकास विभाग भारत में महिलाओं और बच्चों के समुचित विकास के लिए इस क्षेत्र में अच्छा काम करता है।
महिलाओं को प्राचीन समय से भारत में एक शीर्ष स्थान दिया जाता है, हालांकि उन्हें सभी क्षेत्रों में भाग लेने के लिए सशक्तिकरण नहीं दिया गया था। उन्हें अपने विकास और विकास के लिए हर पल मजबूत, जागरूक और सतर्क रहने की जरूरत है। महिलाओं को सशक्त बनाना विकास विभाग का मुख्य उद्देश्य है क्योंकि बच्चे के साथ सशक्त मां किसी भी राष्ट्र का उज्ज्वल भविष्य बनाती है।
महिलाओं को विकास की मुख्यधारा में लाने के लिए भारत सरकार द्वारा शुरू की गई कई तैयार करने वाली रणनीतियाँ और पहल प्रक्रियाएँ हैं। पूरे देश की आबादी में महिलाओं की आधी आबादी है और महिलाओं और बच्चों के समग्र विकास के लिए हर क्षेत्र में स्वतंत्र होने की जरूरत है।
महिला सशक्तिकरण पर निबंध (200 शब्द)
भारत प्राचीन काल से अपनी सांस्कृतिक विरासत, परंपराओं, सभ्यता, धर्म और भौगोलिक विशेषताओं के लिए जाना जाने वाला एक बहुत प्रसिद्ध देश है। दूसरी ओर, यह पुरुष रूढ़िवादी राष्ट्र के रूप में भी लोकप्रिय है। भारत में महिलाओं को पहली प्राथमिकता दी जाती है, हालांकि दूसरी ओर परिवार और समाज में उनके साथ बुरा व्यवहार किया जाता है।
वे केवल घर के कामों तक ही सीमित थी या घर और परिवार के सदस्यों की जिम्मेदारी समझती थी। उन्हें उनके अधिकारों और खुद के विकास से पूरी तरह से अनजान रखा गया था। भारत के लोग इस देश को “भारत-माता” कहते थे, लेकिन इसका सही अर्थ कभी नहीं समझा। भारत-माता का अर्थ है हर भारतीय की माँ जिसे हमें हमेशा बचाना और संभालना है।
महिलाएं देश की आधी शक्ति का गठन करती हैं इसलिए इस देश को पूरी तरह से शक्तिशाली देश बनाने के लिए महिला सशक्तिकरण बहुत आवश्यक है। यह महिलाओं को उनके उचित विकास और विकास के लिए हर क्षेत्र में स्वतंत्र होने के उनके अधिकारों को समझने के लिए सशक्त बना रहा है।
महिलाएं बच्चे को जन्म देती हैं, उनका मतलब है राष्ट्र का भविष्य। इसलिए वे बच्चों के समुचित विकास और विकास के माध्यम से राष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य को बनाने में बेहतर भागीदारी कर सकते हैं। महिलाओं को पुरुष असभ्यता का शिकार होने के बजाय सशक्त बनाने की आवश्यकता है।
महिला सशक्तिकरण पर निबंध (250 शब्द)
महिला सशक्तीकरण के नारे के साथ यह सवाल उठता है कि “महिलाएं वास्तव में मजबूत होती हैं” और “दीर्घकालिक संघर्ष समाप्त हो गया है”। सरकार द्वारा राष्ट्र के विकास में महिलाओं के वास्तविक अधिकारों और मूल्य के बारे में जागरूकता लाने के लिए कई कार्यक्रम लागू किए गए हैं और चलाए जा रहे हैं जैसे अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस, मातृ दिवस इत्यादि। महिलाओं को हर क्षेत्र में आगे बढ़ने की जरूरत है।
भारत में लिंग असमानता का एक उच्च स्तर है जहां महिलाओं को उनके परिवार के सदस्यों और बाहरी लोगों द्वारा बीमार किया जाता है। भारत में निरक्षर आबादी का प्रतिशत ज्यादातर महिलाओं द्वारा कवर किया गया है। महिला सशक्तीकरण का वास्तविक अर्थ उन्हें अच्छी तरह से शिक्षित करना और उन्हें स्वतंत्र छोड़ना है ताकि वे किसी भी क्षेत्र में अपने निर्णय लेने में सक्षम हो सकें।
भारत में महिलाओं को हमेशा ऑनर किलिंग के अधीन किया जाता है और उन्होंने उचित शिक्षा और स्वतंत्रता के लिए अपने मूल अधिकार कभी नहीं दिए। वे पीड़ित हैं जो पुरुष प्रधान देश में हिंसा और दुर्व्यवहार का सामना करते हैं। भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए महिलाओं के सशक्तीकरण मिशन (NMEW) के अनुसार, इस कदम ने 2011 की जनगणना में कुछ सुधार किए हैं।
महिला सेक्स और महिला साक्षरता दोनों का अनुपात बढ़ा है। ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स के अनुसार, भारत में उचित स्वास्थ्य, उच्च शिक्षा और आर्थिक भागीदारी के माध्यम से समाज में महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए कुछ अग्रिम कदम उठाने की आवश्यकता है। महिला सशक्तीकरण को नवजात अवस्था में होने के बजाय सही दिशा में पूरी गति लेने की जरूरत है।
महिला सशक्तिकरण पर निबंध (300 शब्द)
पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा कहा गया सबसे प्रसिद्ध कहावत है “लोगों को जगाने के लिए, यह महिलाओं को जागृत करना चाहिए। एक बार जब वह आगे बढती है तो, परिवार चलता है, गांव चलता है, राष्ट्र चलता है ”। भारत में, महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए, पहले समाज में महिलाओं के अधिकारों और मूल्यों की हत्या करने वाले सभी राक्षसों को मारने की जरूरत है जैसे कि दहेज प्रथा, अशिक्षा, यौन उत्पीड़न, असमानता, कन्या भ्रूण हत्या, महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा, बलात्कार, वेश्यावृत्ति, अवैध तस्करी और अन्य मुद्दे।
राष्ट्र में लैंगिक भेदभाव सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक अंतर लाता है जो देश को पीछे धकेलता है। ऐसे शैतानों को मारने का सबसे प्रभावी उपाय भारत के संविधान में उल्लिखित समानता के अधिकार को सुनिश्चित करके महिलाओं को सशक्त बनाना है।
लैंगिक समानता को प्राथमिकता देने से पूरे देश में महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा मिलता है। महिला सशक्तीकरण के उच्च स्तरीय लक्ष्य को पाने के लिए बचपन से ही प्रत्येक परिवार में इसे बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इसे महिलाओं को शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से मजबूत होना चाहिए।
चूंकि बचपन से घर पर बेहतर शिक्षा शुरू की जा सकती है, महिलाओं के उत्थान के लिए स्वस्थ परिवार की जरूरत होती है ताकि राष्ट्र का समग्र विकास हो सके। अभी भी कई पिछड़े क्षेत्रों में, माता-पिता की गरीबी, असुरक्षा और अशिक्षा के कारण शीघ्र विवाह और प्रसव की प्रवृत्ति है। महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए, सरकार द्वारा महिलाओं के खिलाफ हिंसा, सामाजिक अलगाव, लैंगिक भेदभाव और दुर्व्यवहार को रोकने के लिए विभिन्न कदम उठाए गए हैं।
108 वां संवैधानिक संशोधन विधेयक (जिसे महिला आरक्षण विधेयक भी कहा जाता है) को लोकसभा में केवल महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने के लिए पारित किया गया था ताकि उन्हें हर क्षेत्र में सक्रिय रूप से शामिल किया जा सके। अन्य क्षेत्रों में भी महिलाओं की सीटें बिना किसी सीमा और प्रतिस्पर्धा के उनकी सक्रिय भागीदारी के लिए आरक्षित की गई हैं।
महिलाओं के वास्तविक मूल्यों और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए सरकार द्वारा उपलब्ध सभी सुविधाओं के बारे में उन्हें जागरूक करने के लिए पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न जन अभियान चलाने की आवश्यकता है। महिला सशक्तिकरण के सपने को सच करने के लिए उन्हें महिला बच्चे के अस्तित्व और उचित शिक्षा के लिए बढ़ावा देने की जरूरत है।
महिला सशक्तिकरण पर निबंध (400 शब्द)
लैंगिक असमानता भारत में मुख्य सामाजिक मुद्दा है जिसमें महिलाएं पुरुष प्रधान देश में वापस आ रही हैं। महिला सशक्तिकरण को इस देश में दोनों लिंगों के मूल्य को बराबर करने के लिए एक उच्च गति लेने की आवश्यकता है। हर तरह से महिलाओं का उत्थान राष्ट्र की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।
समाज में पुरुषों और महिलाओं के बीच असमानताएं बहुत सारी समस्याएं पैदा करती हैं जो राष्ट्र की सफलता के रास्ते में एक बड़ी बाधा बन जाती हैं। समाज में पुरुषों को समान मूल्य मिलना महिलाओं का जन्म अधिकार है। वास्तव में सशक्तीकरण लाने के लिए, प्रत्येक महिला को अपने स्वयं के अंत से अपने अधिकारों के बारे में जागरूक होने की आवश्यकता है।
उन्हें केवल घर के कामों और पारिवारिक जिम्मेदारियों में शामिल होने के बजाय सकारात्मक कदम उठाने और हर गतिविधियों में शामिल होने की आवश्यकता है। उन्हें अपने आसपास और देश में होने वाली सभी घटनाओं के बारे में पता होना चाहिए।
महिला सशक्तिकरण में समाज और देश में कई चीजों को बदलने की शक्ति है। वे समाज में कुछ समस्याओं से निपटने के लिए पुरुषों की तुलना में बहुत बेहतर हैं। वे अपने परिवार और देश के लिए अतिपिछड़ों के नुकसान को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं। वे उचित परिवार नियोजन के माध्यम से परिवार और देश की आर्थिक स्थितियों को संभालने में पूरी तरह सक्षम हैं। परिवार या समाज में पुरुषों की तुलना में महिलाएं किसी भी आवेगी हिंसा को संभालने में सक्षम हैं।
महिला सशक्तीकरण के माध्यम से, पुरुष प्रधान देश को अमीर अर्थव्यवस्था के समान वर्चस्व वाले देश में बदलना संभव हो सकता है। महिलाओं को सशक्त बनाना बिना किसी अतिरिक्त प्रयास के परिवार के प्रत्येक सदस्य को आसानी से विकसित करने में मदद कर सकता है। एक महिला को परिवार में हर चीज के लिए जिम्मेदार माना जाता है ताकि वह अपने अंत से सभी समस्याओं को बेहतर ढंग से हल कर सके। महिलाओं का सशक्तीकरण स्वचालित रूप से सभी का सशक्तिकरण लाएगा।
महिला सशक्तीकरण इंसान, अर्थव्यवस्था या पर्यावरण से जुड़ी किसी भी बड़ी या छोटी समस्या का बेहतर इलाज है। पिछले कुछ वर्षों में, महिला सशक्तिकरण के फायदे हमारे सामने आ रहे हैं। महिलाएं अपने स्वास्थ्य, शिक्षा, कैरियर, नौकरी और परिवार, समाज और देश के प्रति जिम्मेदारियों के बारे में अधिक जागरूक हो रही हैं। वे हर क्षेत्र में भाग ले रहे हैं और प्रत्येक क्षेत्र में अपनी बड़ी रुचि दिखा रहे हैं। अंत में, लंबे समय के कठिन संघर्ष के बाद उन्हें सही रास्ते पर आगे बढ़ने के अपने अधिकार मिल रहे हैं।
महिला सशक्तिकरण पर निबंध (800 शब्द)
प्रस्तावना:.
महिला सशक्तिकरण को बहुत ही सरल शब्दों में परिभाषित किया जा सकता है कि यह महिलाओं को शक्तिशाली बना रहा है ताकि वे अपने जीवन और परिवार और समाज में अच्छी तरह से होने के बारे में अपने निर्णय ले सकें। यह महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए उन्हें समाज में उनके वास्तविक अधिकारों को प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।
हमें भारत में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता क्यों है
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भारत एक पुरुष प्रधान देश है जहाँ हर क्षेत्र में पुरुषों का वर्चस्व है और महिलाओं को केवल परिवार की देखभाल के लिए जिम्मेदार माना जाता है और अन्य कई प्रतिबंधों सहित घर में रहते हैं। भारत में लगभग 50% आबादी केवल महिला द्वारा कवर की जाती है इसलिए देश का पूर्ण विकास आधी आबादी का मतलब महिलाओं पर निर्भर करता है, जो कि सशक्त नहीं हैं और अभी भी कई सामाजिक वर्जनाओं द्वारा प्रतिबंधित हैं।
ऐसी स्थिति में, हम यह नहीं कह सकते हैं कि हमारा देश भविष्य में अपनी आधी आबादी के सशक्तीकरण के बिना विकसित होगा अर्थात महिलाओं के बिना। यदि हम अपने देश को एक विकसित देश बनाना चाहते हैं, तो सबसे पहले पुरुषों, सरकार, कानूनों और महिलाओं के प्रयासों से भी महिलाओं को सशक्त बनाना बहुत आवश्यक है।
प्राचीन समय से भारतीय समाज में लैंगिक भेदभाव और पुरुष वर्चस्व के कारण महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता उत्पन्न हुई। महिलाओं को उनके परिवार के सदस्यों और समाज द्वारा कई कारणों से दबाया जा रहा है। उन्हें भारत और अन्य देशों में परिवार और समाज में पुरुष सदस्यों द्वारा कई प्रकार की हिंसा और भेदभावपूर्ण प्रथाओं के लिए लक्षित किया गया है।
प्राचीन समय से समाज में महिलाओं के लिए गलत और पुरानी प्रथाओं ने अच्छी तरह से विकसित रीति-रिवाजों और परंपराओं का रूप ले लिया है। भारत में कई महिला देवी की पूजा करने की परंपरा है, जिसमें समाज में महिलाओं को मां, बहन, बेटी, पत्नी और अन्य महिला रिश्तेदारों या दोस्तों को सम्मान दिया जाता है।
लेकिन, इसका मतलब यह नहीं है कि केवल महिलाओं का सम्मान या सम्मान करने से देश में विकास की जरूरत पूरी हो सकती है। उसे जीवन के हर पड़ाव में देश की बाकी आधी आबादी के सशक्तिकरण की जरूरत है।
भारत एक प्रसिद्ध देश है जो एकता और विविधता का प्रतीक है ’जैसी सामान्य कहावत साबित करता है, जहां भारतीय समाज में कई धार्मिक मान्यताओं के लोग हैं। महिलाओं को हर धर्म में एक विशेष स्थान दिया गया है जो लोगों की आँखों को कवर करने वाले एक बड़े पर्दे के रूप में काम कर रही है और उम्र से एक आदर्श के रूप में महिलाओं के खिलाफ कई बीमार प्रथाओं (शारीरिक और मानसिक सहित) की निरंतरता में मदद करती है।
प्राचीन भारतीय समाज में सती प्रथा, नागर वधू प्रणाली, दहेज प्रथा, यौन हिंसा, घरेलू हिंसा, कन्या भ्रूण हत्या, क्षमा प्रार्थना, पत्नी को जलाने, कार्य स्थल पर यौन उत्पीड़न, बाल विवाह, बाल श्रम, देवदाशी प्रथा का रिवाज था। इस प्रकार की सभी कुप्रथाएं समाज की पुरुष श्रेष्ठता जटिल और पितृसत्तात्मक व्यवस्था के कारण हैं।
सामाजिक-राजनीतिक अधिकार (काम करने का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, खुद तय करने का अधिकार, आदि) महिलाओं के लिए परिवार के पुरुष सदस्यों द्वारा पूरी तरह से प्रतिबंधित थे। महिलाओं के खिलाफ कुछ कुकृत्य को खुले दिमाग और महान भारतीय लोगों द्वारा समाप्त किया गया है जो महिलाओं के साथ भेदभावपूर्ण प्रथाओं के लिए आवाज उठाते हैं।
राजा राम मोहन राय के निरंतर प्रयासों के माध्यम से, अंग्रेजों को सती प्रथा की कुप्रथा को खत्म करने के लिए मजबूर होना पड़ा। बाद में, भारत के अन्य प्रसिद्ध समाज सुधारकों (ईश्वर चंद्र विद्यासागर, आचार्य विनोबा भावे, स्वामी विवेकानंद, आदि) ने भी अपनी आवाज उठाई थी और भारतीय समाज में महिलाओं के उत्थान के लिए कड़ी मेहनत की थी। भारत में, विधवा पुनर्विवाह अधिनियम, 1856 ईश्वर चंद्र विद्यासागर के निरंतर प्रयासों से देश में विधवाओं की स्थिति में सुधार करने के लिए शुरू किया गया था।
हाल के वर्षों में, भारत सरकार द्वारा महिलाओं के खिलाफ भेदभाव और लैंगिक भेदभाव को समाप्त करने के लिए विभिन्न संवैधानिक और कानूनी अधिकारों को लागू किया गया है। हालांकि, इतने बड़े मुद्दे को हल करने के लिए, महिलाओं सहित सभी के निरंतर प्रयास की आवश्यकता होती है।
आधुनिक समाज की महिला अधिकारों के बारे में अधिक जागरूक हो रही है जिसके परिणामस्वरूप इस दिशा में काम करने वाले कई स्वयं सहायता समूहों, गैर सरकारी संगठनों आदि की संख्या बढ़ रही है। अपराधों के साथ-साथ होने के बाद भी सभी आयामों में अपने अधिकारों को प्राप्त करने के लिए महिलाओं को खुले दिमाग से और सामाजिक बाधाओं को तोड़कर आगे बढ़ाया जा रहा है।
संसद द्वारा पारित कुछ अधिनियम समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976, दहेज प्रतिषेध अधिनियम -1961, अनैतिक यातायात (रोकथाम) अधिनियम -1956, गर्भावस्था अधिनियम-1971 की चिकित्सा समाप्ति, मातृत्व लाभ अधिनियम -1961, सती आयोग (रोकथाम) अधिनियम-1987, बाल विवाह निषेध अधिनियम -2016, पूर्व-गर्भाधान और पूर्व-नेटल डायग्नोस्टिक तकनीक (विनियमन और दुरुपयोग की रोकथाम) अधिनियम-1994, कार्य स्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, संरक्षण और अधिनियम) -2016, आदि। कानूनी अधिकारों के साथ महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए।
भारत में महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने और महिलाओं के खिलाफ अपराध को कम करने के लिए, सरकार ने एक और अधिनियम जुवेनाइल जस्टिस (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) विधेयक, 2015 (विशेषकर निर्भया कांड के बाद जब एक आरोपी किशोर को रिहा किया गया था) पारित किया है। यह अधिनियम जघन्य अपराधों के मामलों में 18 से 16 वर्ष की आयु को कम करने के लिए 2000 के पहले किशोर अपराध कानून (किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2000) का प्रतिस्थापन किया है।
निष्कर्ष:
भारतीय समाज में महिला सशक्तीकरण को वास्तव में लाने के लिए, समाज की पितृसत्तात्मक और पुरुष प्रधान प्रणाली वाली महिलाओं के खिलाफ कुप्रथाओं के मुख्य कारण को समझना और समाप्त करना होगा। इसे खुले मन से और संवैधानिक और अन्य कानूनी प्रावधानों के साथ महिलाओं के खिलाफ स्थापित पुराने दिमाग को बदलने की जरूरत है।
महिला सशक्तिकरण पर निबंध (1600 शब्द)
महिला सशक्तिकरण मुख्यतः अविकसित और विकासशील राष्ट्रों में चर्चा का एक महत्वपूर्ण विषय है। उन्होंने हाल ही में महसूस किया है कि जिस विकास की वे आकांक्षा करते हैं वह तब तक हासिल नहीं किया जा सकता जब तक हम उनकी महिलाओं को सशक्त बनाकर लैंगिक समानता हासिल नहीं करते।
महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण से आर्थिक निर्णय, आय, संपत्ति और अन्य समकक्षों को नियंत्रित करने के उनके अधिकार को संदर्भित करता है; उनकी आर्थिक और साथ ही सामाजिक स्थिति में सुधार।
क्या है महिला सशक्तिकरण?
महिला सशक्तिकरण का अर्थ है महिलाओं को उनके सामाजिक और आर्थिक विकास में बढ़ावा देना, उन्हें रोजगार, शिक्षा, आर्थिक विकास के समान अवसर प्रदान करना और उन्हें सामाजिककरण की अनुमति देना; स्वतंत्रता और अधिकार जो पहले अस्वीकार किए गए थे। यह ऐसी प्रक्रिया है जो महिलाओं को यह जानने का अधिकार देती है कि वे भी समाज के पुरुषों के रूप में अपनी आकांक्षाओं को प्राप्त कर सकती हैं और उन्हें ऐसा करने में मदद कर सकती हैं।
भारत में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता
भारतीय महिलाओं की स्थिति प्राचीन काल से मध्यकाल तक घट गई है। हालांकि आधुनिक युग में भारतीय महिलाओं ने महत्वपूर्ण राजनीतिक और प्रशासनिक पद संभाले हैं; अभी भी, इसके विपरीत अधिकांश ग्रामीण महिलाएँ हैं जो अपने घरों तक ही सीमित हैं और यहां तक कि बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं और शिक्षा तक पहुंच नहीं है।
भारत में महिला साक्षरता दर एक महत्वपूर्ण अनुपात से पुरुष साक्षरता दर से पीछे है। भारत में पुरुषों के लिए साक्षरता दर 81.3% है और महिलाओं की संख्या 60.6% है। कई भारतीय लड़कियों की स्कूल तक पहुँच नहीं है और यदि वे ऐसा करती हैं, तो भी वे शुरुआती वर्षों के दौरान बाहर हो जाती हैं। केवल 29% भारतीय युवा महिलाओं ने दस या अधिक शिक्षा प्राप्त की है।
महिलाओं के बीच कम शिक्षा दर ने उन्हें मुख्य कार्यबल से दूर रखा है, जिसके परिणामस्वरूप उनकी सामाजिक और आर्थिक गिरावट आई है। शहरी क्षेत्रों की महिलाएँ अपने गाँव के समकक्षों की तुलना में अच्छी तरह से नियोजित हैं; भारतीय सॉफ्टवेयर उद्योग में लगभग 30% कर्मचारी महिलाओं का गठन करते हैं। इसके विपरीत, लगभग 90% ग्रामीण महिलाएं दैनिक मजदूरी मजदूरों के रूप में कार्यरत हैं, मुख्य रूप से कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में।
एक अन्य कारक जो भारत में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता को लाता है, वह है असमानता। भारत में महिलाओं को विभिन्न क्षेत्रों में उनके पुरुष समकक्षों के समकक्ष भुगतान नहीं किया जा रहा है। एक अध्ययन के अनुसार, समान अनुभव और योग्यता वाले भारत में महिलाओं को समान साख वाले पुरुष काउंटर भागों की तुलना में 20% कम भुगतान किया जाता है।
चूँकि वह नए साल 2019 में प्रवेश करने से कुछ ही दिन दूर है, भारत आशा और आकांक्षाओं से भरा है जैसा पहले कभी नहीं था और वह दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के अपने टैग को वापस जीतने वाली है। हम निश्चित रूप से इसे जल्द ही हासिल कर लेंगे, लेकिन इसे बनाए रख सकते हैं, अगर हम लैंगिक असमानता की बाधाओं को दूर करते हैं; हमारे पुरुषों और महिलाओं को समान रूप से रोजगार, विकास और मजदूरी के समान अवसर प्रदान करना।
भारत में महिला सशक्तिकरण में बाधाएं:
भारतीय समाज विभिन्न रीति-रिवाजों, रिवाजों, मान्यताओं और परंपराओं के साथ एक जटिल समाज है। कभी-कभी ये सदियों पुरानी मान्यताएं और रीति-रिवाज भारत में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए सबसे महत्वपूर्ण बाधाएं हैं। भारत में महिला सशक्तीकरण की महत्वपूर्ण बाधाओं के बारे में नीचे कुछ समझाया गया है-
1) समाज
भारत में कई समाज अपने रूढ़िवादी विश्वास और सदियों पुरानी परंपराओं को देखते हुए महिलाओं को घर से बाहर निकलने से रोकते हैं। ऐसे समाजों में महिलाओं को शिक्षा के लिए या रोजगार के लिए बाहर जाने की अनुमति नहीं है और उन्हें एक अलग और निर्वासित जीवन जीने के लिए मजबूर किया जाता है। ऐसी परिस्थितियों में रहने वाली महिलाएं पुरुषों से हीन होने की आदी हो जाती हैं और अपनी वर्तमान सामाजिक और आर्थिक स्थिति को बदलने में असमर्थ होती हैं।
2) कार्यस्थल यौन उत्पीड़न
भारत में महिला सशक्तीकरण के लिए कार्यस्थल यौन उत्पीड़न सबसे महत्वपूर्ण बाधा है। निजी क्षेत्र जैसे आतिथ्य उद्योग, सॉफ्टवेयर उद्योग, शैक्षणिक संस्थान और अस्पताल सबसे बुरी तरह प्रभावित हैं। यह समाज में गहरे निहित पुरुष वर्चस्व की अभिव्यक्ति है। पिछले कुछ दशकों में भारत में महिलाओं के कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न में लगभग 170% की वृद्धि हुई है।
3) लिंग भेदभाव
भारत में अधिकांश महिलाएँ अभी भी कार्य स्थल पर और साथ ही समाज में लैंगिक भेदभाव का सामना करती हैं। कई समाज महिलाओं को रोजगार या शिक्षा के लिए बाहर जाने की अनुमति नहीं देते हैं। उन्हें काम के लिए या परिवार के लिए स्वतंत्र निर्णय लेने की अनुमति नहीं है, और पुरुषों से नीच व्यवहार किया जाता है। महिलाओं का ऐसा भेदभाव उनके सामाजिक आर्थिक पतन और “महिला सशक्तीकरण” के विपरीत है।
4) वेतन में असमानता
भारत में महिलाओं को उनके पुरुष समकक्षों की तुलना में कम वेतन दिया जाता है। असंगठित क्षेत्रों में स्थिति सबसे खराब है जहाँ महिलाओं को दैनिक मजदूरी मजदूरों के रूप में नियुक्त किया जाता है। समान घंटों तक काम करने वाली और समान काम करने वाली महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम वेतन दिया जाता है, जिसका अर्थ है पुरुषों और महिलाओं के बीच असमान शक्तियां। यहां तक कि जो महिलाएं संगठित क्षेत्रों में कार्यरत हैं, उन्हें उनके समकक्ष योग्यता और अनुभव वाले पुरुष समकक्षों की तुलना में कम वेतन दिया जाता है।
5) निरक्षरता
महिला निरक्षरता और उनकी उच्च गिरावट दर भारत में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए प्रमुख बाधाओं में से एक है। शहरी भारत में लड़कियां शिक्षा के मामले में लड़कों से बराबरी पर हैं, लेकिन वे ग्रामीण क्षेत्रों में काफी पिछड़ गई हैं। महिलाओं की प्रभावी साक्षरता दर 64.6% है, जबकि पुरुषों की संख्या 80.9% है। स्कूल जाने वाली भारतीय लड़कियों में से 10 वीं कक्षा में उत्तीर्ण हुए बिना शुरुआती वर्षों में पढ़ाई छोड़ देती हैं।
6) बाल विवाह
हालाँकि, भारत ने पिछले कुछ दशकों में सरकार द्वारा उठाए गए कई कानूनों और पहलों के माध्यम से बाल विवाह को सफलतापूर्वक कम किया है; अभी भी यूनिसेफ (यूनाइटेड नेशंस चिल्ड्रन इमरजेंसी फंड) द्वारा 2018 की शुरुआत में एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में लगभग 1.5 मिलियन लड़कियों की शादी 18 साल की होने से पहले हो जाती है। शुरुआती शादी उन लड़कियों की विकास संभावनाओं को कम कर देती है जो जल्द ही वयस्कता की ओर बढ़ रही हैं।
7) महिलाओं के खिलाफ अपराध
भारतीय महिलाओं को घरेलू हिंसा और अन्य अपराधों जैसे – दहेज, सम्मान हत्या, तस्करी आदि के अधीन किया गया है। यह अजीब बात है कि शहरी क्षेत्रों की महिलाएं ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं की तुलना में आपराधिक हमले का अधिक शिकार होती हैं। यहां तक कि बड़े शहरों में कामकाजी महिलाएं अपने शील और जीवन के डर से, सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने में देर करती हैं। महिला सशक्तिकरण को सही मायने में तभी हासिल किया जा सकता है जब हम अपनी महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करें, उन्हें मुफ्त में और बिना किसी डर के घूमने की स्वतंत्रता प्रदान करें जैसा कि समाज में पुरुष करते हैं।
8) महिला शिशु रोग
भारत में महिला सशक्तीकरण या सेक्स चयनात्मक गर्भपात भी महिला सशक्तिकरण की प्रमुख बाधाओं में से एक है। कन्या भ्रूण हत्या का मतलब है कि भ्रूण के लिंग की पहचान करना और जब वह एक महिला होने का खुलासा करती है, तो उसे गर्भपात कराती है; अक्सर मां की सहमति के बिना। कन्या भ्रूण हत्या ने हरियाणा और जम्मू और कश्मीर राज्यों में एक उच्च पुरुष महिला लिंग अनुपात को जन्म दिया है। महिला सशक्तीकरण पर हमारे दावों की तब तक पुष्टि नहीं होगी जब तक कि हम कन्या भ्रूण हत्या या सेक्स चयनात्मक गर्भपात को नहीं मिटा देते।
भारत में महिला सशक्तिकरण में सरकार की भूमिका:
भारत सरकार ने महिला सशक्तिकरण के लिए कई कार्यक्रम लागू किए हैं। इनमें से कई कार्यक्रम लोगों को रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य सुलभ कराने के लिए हैं। इन कार्यक्रमों को विशेष रूप से भारतीय महिलाओं की जरूरतों और स्थितियों को ध्यान में रखते हुए शामिल किया गया है, ताकि उनकी भागीदारी सुनिश्चित की जा सके। इनमें से कुछ कार्यक्रम हैं – मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना), सर्वशिक्षा अभियान, जननी सुरक्षा योजना (मातृ मृत्यु दर कम करना) आदि।
महिला और बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार ने विशेष रूप से भारतीय महिलाओं के सशक्तीकरण के उद्देश्य से कई नई योजनाएँ लागू की हैं। उन महत्वपूर्ण योजनाओं में से कुछ नीचे दी गई हैं-
1) बेटी बचाओ बेटी पढाओ योजना
यह योजना कन्या भ्रूण हत्या और बालिका शिक्षा पर भी ध्यान केंद्रित करती है। इसका उद्देश्य एक लड़की के प्रति लोगों की मानसिकता को बदलना, वित्तीय सहायता प्रदान करना और कानूनों और कृत्यों के सख्त प्रवर्तन द्वारा भी है।
2) महिला हेल्पलाइन योजना
इस योजना का उद्देश्य उन महिलाओं के लिए 24 घंटे की आपातकालीन सहायता हेल्प लाइन प्रदान करना है, जो किसी भी प्रकार की हिंसा या अपराध के अधीन हैं। यह योजना संकट में महिलाओं के लिए देश भर में एक सार्वभौमिक आपातकालीन नंबर -181 प्रदान करती है। यह संख्या देश में महिलाओं से संबंधित योजनाओं की जानकारी भी प्रदान करती है।
3) उज्जवला योजना
तस्करी और वाणिज्यिक यौन शोषण और उनके पुनर्वास और कल्याण से प्रभावित महिलाओं के बचाव के उद्देश्य से एक योजना।
4) महिलाओं के लिए प्रशिक्षण और रोजगार कार्यक्रम का समर्थन (STEP)
एसटीईपी योजना का उद्देश्य महिलाओं को कौशल प्रदान करना है, जिससे उन्हें रोजगार के साथ-साथ स्वरोजगार भी मिल सके। कृषि, बागवानी, हथकरघा, सिलाई और मत्स्य पालन आदि विभिन्न क्षेत्र इस योजना के अंतर्गत आते हैं।
5) महिला शक्ति केंद्र
योजना सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने पर केंद्रित है। सामुदायिक स्वयंसेवक जैसे छात्र, पेशेवर आदि ग्रामीण महिलाओं को उनके अधिकारों और कल्याणकारी योजनाओं के बारे में पढ़ाएंगे।
6) पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण
2009 में भारत सरकार के केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए 50% आरक्षण लागू किया। इसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण भारत में महिलाओं की सामाजिक स्थिति में सुधार लाना है। बिहार, झारखंड, उड़ीसा और आंध्र प्रदेश सहित कई अन्य राज्यों में ग्राम पंचायतों के प्रमुख के रूप में महिलाओं के बहुमत हैं।
चूंकि भारत निकट भविष्य में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनने को प्रगतिशील है, इसलिए इसे ‘महिला सशक्तिकरण’ पर भी ध्यान देना चाहिए। हमें समझना चाहिए कि महिला सशक्तीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जो लैंगिक समानता और संतुलित अर्थव्यवस्था लाने की उम्मीद करती है।
भारतीय महिलाएँ राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री, सिविल सेवक, डॉक्टर, वकील आदि हैं, लेकिन फिर भी उनमें से अधिकांश को सहायता की आवश्यकता है। भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास का रास्ता उसकी महिला लोक के सामाजिक-आर्थिक विकास से होकर जाता है।
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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.
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महिला सशक्तिकरण पर निबंध – 10 lines (Women Empowerment Essay in Hindi) 150, 250, 300, 500, शब्दों मे
महिला सशक्तिकरण पर निबंध (Women Empowerment Essay in Hindi) – ‘महिला सशक्तिकरण’ शब्द का ही अर्थ है कि महिलाएं पर्याप्त शक्तिशाली नहीं हैं – उन्हें सशक्त बनाने की आवश्यकता है। यह दर्दनाक सच्चाई लंबे समय से अस्तित्व में है। यह हाल के वर्षों में महिलाओं को तुच्छता और शक्तिहीनता के रसातल से बाहर निकालने के लिए उल्लेखनीय कार्य शुरू हुआ है। पितृसत्तात्मक समाज ने दुनिया भर में महिलाओं की स्वतंत्रता का दमन किया।
Women Empowerment Essay in Hindi – महिलाओं को वोट देने या यहां तक कि कोई राय रखने की अनुमति नहीं थी। महिलाएं अपने घरों में कैद थीं। जैसे-जैसे समय बीतता गया, उन्होंने महसूस किया कि उनके जीवन का अर्थ केवल घर में सेवा करने से कहीं अधिक है। जैसे-जैसे अधिक से अधिक महिलाओं ने मानव निर्मित बाधाओं को पार करना शुरू किया, दुनिया ने महिलाओं के उदय को देखना शुरू कर दिया। पुरुषों के विपरीत, महिलाएं कभी भी अपने विपरीत लिंग की आवाज को दबाने की कोशिश नहीं करती हैं।
महिला सशक्तिकरण निबंध 10 पंक्तियाँ (women empowerment essay 10 lines in Hindi)
- 1) महिला सशक्तिकरण का तात्पर्य महिलाओं को गुणवत्तापूर्ण जीवन के लिए अग्रणी सभी क्षेत्रों की निर्णय लेने की प्रक्रिया में भागीदारी की शक्ति की अनुमति देना है।
- 2) महिलाओं का सशक्तिकरण उन्हें जीवन और परिवार के संबंध में स्वयं निर्णय लेने में मदद करता है।
- 3) महिलाओं को सशक्त बनाना विचारों, अधिकारों, निर्णयों और कार्यों के सभी पहलुओं में महिलाओं को स्वतंत्र बनाने की प्रक्रिया है।
- 4) महिला सशक्तिकरण समाज में लैंगिक समानता को बढ़ावा देता है और देश के विकास को जोड़ता है।
- 5) परिवार, समाज और राष्ट्र के विकास के लिए महिला सशक्तिकरण आवश्यक है।
- 6) भारतीय संविधान के अनुसार ‘समानता का अधिकार’ अधिनियम भारत में महिलाओं को सशक्त बनाने में मदद करता है।
- 7) गरीबी, निरक्षरता और महिलाओं के खिलाफ हिंसा कुछ ऐसे कारक हैं जो महिलाओं के सशक्तिकरण में बाधक हैं।
- 8) महिला सशक्तिकरण महिलाओं को रोजगार, शिक्षा और आर्थिक विकास के समान अवसर प्रदान करता है।
- 9) शिक्षा महिलाओं को सशक्त बनाने में एक प्रमुख भूमिका निभाती है क्योंकि शिक्षित महिलाएं जीवन में अच्छी तरह से सूचित निर्णय ले सकती हैं।
- 10) भारत सरकार ने ‘बेटी बचाओ बेटी पढाओ’, ‘उज्ज्वला योजना’, ‘महिला शक्ति केंद्र’ जैसी महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं।
इनके बारे मे भी जाने
- Essay in Hindi
- New Year Essay
- New Year Speech
- Mahatma Gandhi Essay
महिला सशक्तिकरण निबंध 150 शब्द (Women empowerment Essay 150 words in Hindi)
Women Empowerment Essay in Hindi – महिला सशक्तिकरण एक ऐसा शब्द है जिसे इन दिनों सबसे अधिक महत्व दिया जाता है। महिलाएं समाज में एक प्रमुख भूमिका निभाती हैं लेकिन फिर भी उन्हें पुरुषों की तरह महत्व या स्थान नहीं दिया जाता है। महिला सशक्तिकरण का अर्थ है महिलाओं को समाज में समान स्थान प्रदान करना। महिलाओं को हमेशा हीन माना जाता है और पुरुषों को श्रेष्ठ माना जाता है। जिस समय महिलाओं ने अपने अधिकारों के लिए बोलना शुरू किया और अपने दम पर निर्णय लेने लगीं, इस प्रकार महिलाओं के सशक्तिकरण की शुरुआत हुई। आज के समय में शिक्षा महिलाओं को सशक्त बनाने की सबसे महत्वपूर्ण कुंजी है। इस प्रकार महिलाओं ने अपने अधिकारों के बारे में जानना और अपनी स्थिति को पहचानना शुरू कर दिया। वे सभी पहलुओं में समानता के लिए आग्रह करने लगे, महिलाओं के खिलाफ दुर्व्यवहार, घरेलू हिंसा को रोककर जमीनी स्तर से महिला सशक्तिकरण की शुरुआत की जानी चाहिए। शिशु लड़कियों को अक्सर गर्भ में या रोक दिए जाने के बाद मार दिया जाता है।
महिला सशक्तिकरण निबंध 250 शब्द – 300 शब्द (Women empowerment essay in Hindi)
Women Empowerment Essay in Hindi – महिला सशक्तिकरण आज के समाज में व्यापक रूप से चर्चा किया जाने वाला शब्द है और महिला लिंग के उत्थान के बारे में बात करता है। सबसे पहले, यह लिंग और लिंग के आधार पर भेदभाव के खिलाफ एक दीर्घकालिक और क्रांतिकारी विरोध है। महिला सशक्तिकरण का अर्थ है महिलाओं को शिक्षित करना और उन्हें अपनी पहचान बनाने में मदद करना।
हमारे पितृसत्तात्मक समाज में, महिलाओं से अपेक्षा की जाती है कि वे “उन्हें खिलाने वाले” पुरुष की इच्छा के अनुसार खुद को ढालें। उन्हें व्यक्तिगत राय या स्वतंत्र पहचान रखने की अनुमति नहीं है। महिलाओं को सशक्त बनाने में उन्हें आर्थिक, सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से स्वतंत्र होने के लिए प्रोत्साहित करना शामिल है। एक महिला को अपनी पसंद का पीछा करने और पूरी तरह से काम करने वाले इंसान के रूप में विकसित होने का अधिकार होना चाहिए। उसके व्यक्तित्व को पोषित और स्वीकार किया जाना चाहिए। महिला सशक्तिकरण ने दुनिया भर में लाखों महिलाओं को उनके सपनों को साकार करने के लिए प्रेरित किया है। वे दृढ़ निश्चय, सम्मान और विश्वास के साथ जीवन में लगातार आगे बढ़ रहे हैं।
हालाँकि, हमें यह महसूस करना चाहिए कि महिलाओं के उत्थान के लिए किए जा रहे प्रयासों के बावजूद, उनमें से अधिकांश अभी भी पितृसत्ता और दमन के अधीन हैं। भारत जैसे देशों में घरेलू हिंसा बेहद आम है। समाज ने हमेशा एक महिला की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने की कोशिश की है क्योंकि वह एक ऐसी महिला से डरती है जो मजबूत और स्वतंत्र है। हमें अपने समाज में व्याप्त कुप्रथाओं को पहचानना चाहिए और इसे दूर करने की दिशा में काम करना चाहिए। उदाहरण के लिए, हमें लड़कियों और लड़कों दोनों को एक-दूसरे का सम्मान करना सिखाना चाहिए। महिलाएं अत्याचारों का शिकार होती हैं क्योंकि पुरुषों को लगता है कि उन्हें महिलाओं पर अपनी शक्ति और अधिकार का दावा करने का जन्मसिद्ध अधिकार है। इसका समाधान केवल लड़कों को शुरू से ही सिखाकर किया जा सकता है कि वे किसी भी तरह से लड़कियों से श्रेष्ठ नहीं हैं, और उन्हें किसी महिला की सहमति के बिना उसे छूने का कोई अधिकार नहीं है। भविष्य एक महिला नहीं है। भविष्य समान और सुंदर है।
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महिला सशक्तिकरण निबंध 500 शब्द (Women empowerment Essay 500 words in Hindi)
Women Empowerment Essay in Hindi – भारत में महिला सशक्तिकरण निबंध: महिला सशक्तिकरण महिलाओं को अपने लिए निर्णय लेने में कुशल बनाने के लिए उनकी शक्ति को संबोधित करने का संकेत देता है। इस पुरुष प्रधान दुनिया में पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं ने बहुत कुछ झेला है। अधिक आदिम शताब्दियों में, उनकी लगभग न के बराबर मानव के रूप में आलोचना की गई थी। जैसे कि पूरे अधिकार पुरुषों के थे, यहां तक कि मतदान जैसे बुनियादी अधिकार भी। जैसे-जैसे समय आगे बढ़ा, महिलाओं ने अपनी शक्ति को समझा। तभी से इस दुनिया में महिला सशक्तिकरण की क्रांति शुरू हुई। महिला सशक्तिकरण निबंध हिंदी में जल्द ही यहां अपडेट होगा।
छात्रों और बच्चों के लिए महिला सशक्तिकरण पर निबंध
women empowerment essay – चूंकि महिलाओं को अपने लिए निर्णय लेने की अनुमति नहीं थी, इसलिए महिला सशक्तिकरण ताजी हवा की सांस की तरह शुरू हुआ। इसने उन्हें उनके अधिकारों के बारे में जानकारी दी और जिससे उन्हें एक आदमी पर निर्भर रहने के बजाय समाज में अपना स्थान सुरक्षित करना चाहिए। इसने इस वास्तविकता को मंजूरी दी कि सब कुछ केवल उनके लिंग के कारण किसी के समर्थन में काम नहीं कर सकता। हालाँकि, हमें इस बदलाव की आवश्यकता के उद्देश्यों के बारे में बात करने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना है। कक्षा 10 के लिए महिला सशक्तिकरण पर निबंध और बच्चों के लिए महिला सशक्तिकरण निबंध पीडीएफ के बारे में अधिक जानने के लिए पढ़ें।
महिला सशक्तिकरण निबंध का महत्व (importance of women empowerment essay)
लगभग हर देश में महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार करने का एक अतीत रहा है। दूसरे शब्दों में कहें तो दुनिया भर की महिलाओं ने जिस मुकाम को हासिल किया है, उसे हासिल करने के लिए वे क्रांतिकारी रही हैं। जबकि पश्चिम के देश अभी विकास कर रहे हैं, भारत जैसे देश महिलाओं के सशक्तिकरण के मामले में पिछड़े हुए हैं। आप महिला सशक्तिकरण भाषण भी पढ़ सकते हैं।
भारत में नारी सशक्तिकरण निबंध को पहले से कहीं अधिक 250 शब्दों में लाना आवश्यक है। भारत उन देशों में शामिल है जहां आज भी महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। ऐसा बयान देने के कई कारण हैं। सबसे पहले, इस देश में महिलाओं को ऑनर किलिंग का खतरा है। उनके परिवार का मानना है कि अगर वे अपनी विरासत की स्थिति में शर्मिंदगी लाते हैं तो अपने जीवन का बलिदान देना सही है।
इसके अलावा, साक्षरता और लोकतंत्र की स्थिति यहाँ बहुत रूढ़िवादी है। महिलाएं उच्च शिक्षा प्राप्त करने की हकदार नहीं हैं बल्कि उनकी जल्द ही शादी कर दी जाती है। हालाँकि पुरुष कुछ क्षेत्रों में महिलाओं को नियंत्रित कर रहे हैं जैसे कि यह एक महिला का कर्तव्य है कि वह उसकी अंतहीन सेवा करे। कुछ जगहों पर पुरुष अपनी पत्नियों को बाहर जाने या किसी भी प्रकार की स्वतंत्रता की अनुमति नहीं देते हैं।
महिला सशक्तिकरण के लाभ
women empowerment essay – इसके अतिरिक्त, घरेलू हिंसा भारत में एक महत्वपूर्ण समस्या बन गई है। पति अपनी पत्नियों को मानसिक रूप से और कभी-कभी शारीरिक रूप से उन्हें अपनी संपत्ति मानकर प्रताड़ित करते हैं। आमतौर पर ऐसा इसलिए होता है क्योंकि महिलाएं बोलने से डरती हैं। इसी तरह, जो महिलाएं सही मायने में काम करती हैं, उन्हें उनके पुरुषों के मुकाबले कम वेतन मिलता है। अलग-अलग लिंग के कारण एक ही काम के लिए किसी को अधिक अपर्याप्त भुगतान करना पूरी तरह से अनुचित और सेक्सिस्ट है। नतीजतन, हम देखते हैं कि कैसे महिला सशक्तिकरण समय की मांग है। हमें इन महिलाओं को अपने लिए बात करने और कभी भी अन्याय का शिकार नहीं होने के लिए सशक्त बनाने की आवश्यकता है।
भारत में महिलाओं के अधिकारों को सक्षम करने के कई तरीके हैं। इसे साकार करने के लिए लोगों और सरकार को सामूहिक रूप से आने की जरूरत है। लड़कियों के लिए स्कूली शिक्षा अनिवार्य रूप से दी जानी चाहिए ताकि महिलाएं अपने लिए जीवन बनाने के लिए साक्षर हो सकें। महिलाओं को हर क्षेत्र में समान अवसर प्रदान किए जाने चाहिए, चाहे वे किसी भी लिंग के हों। साथ ही उन्हें उनके काम के बराबर मुआवजा भी दिया जाना चाहिए।
हम भारत में बाल विवाह को समाप्त करके भी महिलाओं को सशक्त बना सकते हैं, जो आमतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में आयोजित किया जाता है। कई कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए जहां उन्हें वित्तीय संकट का सामना करने की स्थिति में अपना बचाव करने की क्षमता दी जा सके। सबसे आवश्यक रूप से, तलाक और दुर्व्यवहार के अपमान को समाज से बाहर कर देना चाहिए। कई महिलाएं समाज के दबाव में अपमानजनक संबंधों को सहन करती हैं। माता-पिता को अपनी बेटियों को शिक्षित करना चाहिए कि किसी के साथ दुर्व्यवहार को बर्दाश्त करना गलत है, भले ही उनके अपने परिवार द्वारा दुर्व्यवहार किया गया हो। जब भी आवश्यक हो उन्हें कार्रवाई करनी चाहिए।
महिला अधिकारिता निबंध पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न FAQs
निबंध महिला सशक्तिकरण क्या है.
महिला सशक्तिकरण वह साधन है जिसके द्वारा महिलाएं शामिल होती हैं और जो कुछ भी होना चाहिए उसे इस स्थिति में फिर से बनाना है कि उन्हें पहले ही खारिज कर दिया गया था। सशक्तिकरण को कई तरीकों से वर्णित किया जा सकता है, हालांकि, महिला सशक्तिकरण के बारे में बोलते हुए, सशक्तिकरण उन महिलाओं को प्राप्त करने और समर्थन करने का संकेत देता है जो इसमें निर्णय लेने के नियम की रूपरेखा पर हैं।
भारत में महिला सशक्तिकरण का क्या महत्व है?
सामाजिक समानता के साथ संतुलित विकास की नीतियों में महिलाओं, विशेषकर ग्रामीण महिलाओं का सशक्तिकरण एक महत्वपूर्ण विषय है। आर्थिक सशक्तिकरण महिलाओं को नियंत्रित करने या सही निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करता है, परिवार में आत्मविश्वास की मजबूत स्थिति और भूमिका विकसित करता है, आदि।
महिला सशक्तिकरण के क्या लाभ हैं?
महिला सशक्तिकरण का प्रभाव लिंग समानता लाने और पुरुषों और महिलाओं के बीच की खाई को सुधारने की क्षमता में निहित है। इस क्रांति ने एक ऐसे समुदाय में स्थिरता लाने में मदद की जो पुरुषों द्वारा अत्यधिक नियंत्रित है। यह महिलाओं को सार्वजनिक क्षेत्र में गतिविधियों में संलग्न होने की अनुमति देता है।
हम महिला दिवस कब मनाते हैं?
पूरी दुनिया में हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है।
क्या महिलाएं पुरुषों से श्रेष्ठ हैं?
कोई भी लिंग दूसरे से श्रेष्ठ नहीं है। पुरुष और महिला समान हैं, और दोनों को समान अधिकार और वह करने की क्षमता है जो उन्हें खुश करता है। उनमें से कोई भी अपनी अभिव्यक्ति के लिए दमन या हिंसा का पात्र नहीं है।
महिला सशक्तिकरण पर निबंध Essay on Women Empowerment in Hindi (1000 W)
आज हमने इस आर्टिकल में महिला सशक्तिकरण पर निबंध (Essay on Women Empowerment in Hindi) लिखा है। जिसमें हमने प्रस्तावना, इसका अर्थ, दिवस की तारीख, महत्व, बढ़वा देने के उपाय, तथा इस पर 10 लाइन लिखा है।
Table of Contents
प्रस्तावना (महिला सशक्तिकरण पर निबंध) Essay on Women Empowerment in Hindi
“यत्र नार्यस्तु पूज्यंते तत्र रमंते देवता”
अर्थात- जहां नारी को पूजा जाता है वहां देवता निवास करते हैं। हमारे भारतीय समाज में नारी को पहले से ही देव तुल्य माना गया है। वह कभी एक बेटी के रूप में , कभी पत्नी के रूप में, तो कभी मां के रूप में इस विश्व का सृजन करते आई है।
इस तथ्य को कदापि नकारा नहीं जा सकता की किसी समाज को जागृत करने के लिए किसी महिला का जागृत होना बहुत ही आवश्यक है। क्योंकि जब महिला अपना कदम बढ़ाती है तो एक परिवार आगे बढ़ता है, एक गांव आगे बढ़ता है तथा राष्ट्र विकास की ओर उन्नतशील होता है।
महिला सशक्तिकरण का अर्थ एवं परिभाषा क्या है? What Is the Meaning and Definition of Women Empowerment in Hindi?
अपने निजी स्वतंत्रता और चयन का फैसला लेने के लिए महिलाओं को अधिकार देने तथा समाज में उनके वास्तविक अधिकारों को प्राप्त करने के लिए उन्हें सक्षम बनाना ही महिला सशक्तिकरण कहलाता है।
महिला जागृत होंगी तभी हमारा समाज, हमारे राष्ट्र और हमारे देश का विकास होगा। महिलाओं के लिए जागृत होना बहुत ही जरूरी है ताकि वह पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल सके तथा समाज में सर उठा कर चल सके।
महिला सशक्तिकरण का मुख्य अर्थ है महिलाओं को उनका सही अधिकार दिलाना है।
महिला सशक्तिकरण दिवस कब मनाया जाता है? When Is Women Empowerment Day Celebrated in Hindi?
भारतीय संस्कृति में महिलाओं को हमेशा उच्च स्थान मिला है ऐसा कहा जाता है कि जहां नारी का सम्मान होता है वहां देवता का वास होता है। देश समाज और परिवार के उज्जवल भविष्य के लिए महिला सशक्तिकरण बहुत ही जरूरी है इसलिए 8 मार्च को प्रतिवर्ष पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) मनाया जाता है।
भारत में महिला सशक्तिकरण का महत्व क्या है? What Is the Importance of Women Empowerment in India?
भारत में महिलाओं का सशक्त बनना बहुत ही आवश्यक है क्योंकि हमारा भारत पुरुष प्रभुत्व वाला देश है जहां पुरुषों को महिलाओं की तुलना में ज्यादा माना जाता है जो कि सही बात नहीं हैं। आज भी भारत में महिलाओं को पुरुष की तरह काम करने नहीं दिया जाता है उन्हें घर की देखभाल करने को तथा घर से बाहर निकलने से मना किया जाता है।
भारत में महिला सशक्तिकरण एक बहुत ही बड़ा विषय है। हमारे देश में महिलाएं सशक्त बनेंगी और पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलेंगे तभी हमारे देश का विकास होगा और वह दिन भी दूर नहीं होगा जिस दिन हमारा भारत विकासशील देशों के लिस्ट में गिना जाएगा।
महिला सशक्तिकरण को बढ़वा कैसे दें? How to Promote Women Empowerment in Hindi?
भारत में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सबसे पहले समाज में उनके अधिकारों और मूल्यों को मारने वाली उन बुरे सोचों को खत्म करना होगा जो महिला सशक्तिकरण के लिए रुकावट हैं। जैसे दहेज प्रथा, महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा, यौन हिंसा, अशिक्षा, कन्या भ्रूण हत्या, असमानता, बाल मजदूरी, यौन शोषण, वेश्यावृत्ति इत्यादि।
देश की आजादी के बाद भारत को बहुत से चुनौतियों का सामना करना पड़ा है जिससे शिक्षा के क्षेत्र में पुरुष और महिलाओं के बीच एक बड़ा अंतर पैदा हुआ है। महिला को उनके सामाजिक और मौलिक अधिकार जन्म से ही मिलना चाहिए। महिला सशक्तिकरण तब माना जा सकता है जब महिला को यह निम्नलिखित अधिकार दिए जाएं-
- वह अपने जीवन शैली के अनुसार स्वतंत्र जीवन जी सकती है चाहे वह घर हो या बाहर।
- किसी भी प्रकार से शिक्षा प्रदान करते समय उन में भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए।
- सभी क्षेत्रों में पुरुष और महिला को बराबरी में लाना बहुत ही जल्दी है।
- वह घर पर या बाहर काम के स्थान, सड़क आदि पर सुरक्षित आ जा सके।
- उसे एक आदमी की तरह समाज में समान अधिकार मिलना चाहिए।
- महिलाओं के प्रति लोगों के मन में सम्मान की भावना होनी चाहिए।
- वह अपना निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र महसूस करती हो।
महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए संसद द्वारा पास किए गए कौन से अधिनियम हैं? What Are the Act Passed by the Parliament to Empower Women?
महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए संसद द्वारा पास किए गए कुछ अधिनियम निम्नलिखित हैं-
- अनैतिक व्यापार रोकथाम अधिनियम 1956
- दहेज रोग अधिनियम 1961
- लिंग परीक्षण तकनीकी एक्ट 1994
- बाल विवाह रोकथाम एक्टर 2006
हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ने कहा था कि-
जब तक हमारे देश की महिलाएं पुरुषों के साथ एक साथ मिलकर काम नहीं करेंगे तब तक हमारे देश का पूरी तरह से विकास नहीं होगा।
पिछले कुछ वर्षों में हमें महिला सशक्तिकरण का कुछ फायदा मिल रहा है। महिलाएं अपने स्वास्थ्य, शिक्षा, नौकरी तथा परिवार, देश और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को लेकर ज्यादा सचेत रहती हैं। वह हर क्षेत्र में भाग लेती है, और अपना रुचि प्रदर्शित करती है।
अंततः कहीं वर्षों के संघर्ष के बाद उन्हें सही राह पर चलने के लिए उनका अधिकार मिल रहा है। आज महिलाओं ने कई दिग्गज काम कर के साबित कर दिया है कि वे केवल पुरुषों के बराबर ही नहीं पुरुषों से भी आगे हैं। जो घर संभालने के साथ-साथ बाहरी दुनिया में भी अपना नाम रोशन कर रहे हैं।
कल्पना चावल, इंद्रा नुई, मेरी कॉम, प्रियंका चोपड़ा, मिताली राज जैसी महिलाओं ने सफलताओं को छु कर न सिर्फ भारत बल्कि पूरे विश्व की महिलाओं को सशक्त बनने के लिए उत्साहित किया है।
महिला सशक्तिकरण पर 10 लाइन 10 Lines on Women Empowerment in Hindi
महिला सशक्तिकरण पर 10 लाइन पढ़ें-
- महिलाओं को उनका पूर्ण अधिकार देना महिला सशक्तिकरण कहलाता है।
- महिलायें एक बेटी, कभी पत्नी, तो कभी मां के रूप में अपना कर्तव्य निभाती आई है।
- जब तक हम महिलाओं को पुरुष के समान दर्जा नहीं देंगे महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा नहीं मिलेगा।
- महिला जागृत होंगी तभी हमारा समाज हमारे राष्ट्र और हमारे देश का विकास होगा।
- देश की प्रगति के लिए महिलाओं को पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिल कर काम करना होगा।
- आज सानिया नहवाल, प्रियंका चोपड़ा, मेरी कॉम, जैसी महिलायें आज विश्व की सभी महिलाओं के लिए एक मोटवैशन हैं।
- भारतीय संस्कृति में महिलाओं को हमेशा उच्च स्थान मिला है ऐसा कहा जाता है कि जहां नारी का सम्मान होता है वहां देवता का वास होता है।
- देश समाज और परिवार के उज्जवल भविष्य के लिए महिला सशक्तिकरण बहुत ही जरूरी है इसीलिए 8 मार्च को पूरे विश्व में प्रतिवर्ष अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है।
- भारत में महिलाओं का सशक्त होना बहुत ही आवश्यक है क्योंकि हमारा भारत पुरुष प्रभुत्व वाला देश बन चुका है।
- भारत में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए समाज से बुरी चीजें जैसे दहेज प्रथा, महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा, यौन हिंसा, निरक्षरता, कन्या भ्रूण हत्या, असमानता, बाल मजदूरी, यौन शोषण, वेश्यावृत्ति इत्यादि।
निष्कर्ष Conclusion
इस लेख में आपने पढ़ा और जाना महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना क्यों इतना आवश्यक है। महिला सशक्तिकरण को बढ़वा देने के लिए हमें महिलाओं को हमेशा आगे रखना चाहिए तथा उनको सभी अधिकार मिलने चाहिए। हमारे देश की महिलाएं सशक्त होंगी तभी हमारे देश का विकास होगा।
इसलिए महिलाओं का शिक्षित होना बहुत ही जरूरी है। महिला सशक्तिकरण पर निबंध (Essay on Women Empowerment in Hindi) आपको अच्छा लगा हो तो हमारे साथ और भी जानकारी पाने के लिए इसी तरह से जुड़े रहिए।
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महिला सशक्तिकरण पर निबंध Essay on Women Empowerment in Hindi
इस लेख में महिला सशक्तिकरण पर निबंध (Essay on Women Empowerment in Hindi) स्कूल और कॉलेज के छात्रों के लिए लिखा गया है। इसमें आप महिला सशक्तिकरण का अर्थ एवं परिभाषा, आवश्यकता, बाधायें, सरकार की भूमिका, जरूरी अधिनियम, राष्ट्र निर्माण में महिलाओं की भूमिका, लाभ तथा इसको बढ़ावा देने के उपायों के विषय में आप पढ़ सकते हैं।
Table of Content
इस लेख में महिला सशक्तिकरण से जुड़े विभिन्न मुद्दों को आसान भाषा में बताया गया है।
महिला सशक्तिकरण का अर्थ एवं परिभाषा Meaning and Definitions of Women Empowerment in Hindi
इस धरती पर एकमात्र इंसान ऐसा प्राणी है जिसने अपनी बुद्धि और चलाकी का इस्तेमाल करके पृथ्वी से दूसरे ग्रहों तक का सफर तय किया है। हमने विज्ञान के क्षेत्र में अद्वितीय उपलब्धियां प्राप्त की है।
अगर पहले के समय की बात की जाए तो जो सुख सुविधाएं हमने आज विकसित की हैं, वह पहले नहीं थी। साधारण सी बात है कि वैज्ञानिक युग के साथ ही हमारी मानसिकता में भी बदलाव आया होगा।
लेकिन हमारे समाज में नवीनता के साथ लोगों का पिछड़ापन भी साफ दिखाई पड़ता है। समाज के कुछ ऐसे तबके के लोग होते हैं, जो किसी लिंग, विशेष धर्म, जाति अथवा मजहब के लोगों को आगे बढ़ते हुए नहीं देखना चाहते हैं।
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लिंग भेद ज्यादातर महिलाओं के प्रति किया जाता है। हमारा भारतीय समाज पितृसत्तात्मक विचारधारा से पीड़ित है। ऐसे में महिलाओं पर सामाजिक, आर्थिक और न जाने कितने प्रकार के अत्याचार किए जाते हैं।
महिला सशक्तिकरण एक ऐसी मुहिम है, जिसका उद्देश्य सभी महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करना है। उन्हें इस काबिल बनाना है, कि वह खुद ही समाज के दूषित विचारधारा वाले लोगों को मुंह तोड़ जवाब दे पाए।
ऐसा नहीं है कि सिर्फ आज के समय में ही महिलाओं पर अत्याचार किए जाते हैं। बल्कि प्राचीन समय में भी सती प्रथा, दूध पीती प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या और न जाने कितने सारे पाप किए जाते थे।
महिला सशक्तिकरण का गठन समाज में महिलाओं को एक अलग नाम प्रदान करना है। अब धीरे-धीरे महिलाएं भी अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही हैं।
आज के समय में महिलाएं पुरुषों के मुकाबले कहीं भी पीछे नहीं रहती। एक गृहणी से लेकर देश के बड़े-बड़े राजनीतिक पदों का कार्यभार वे बेहद आसानी से उठा लेती हैं।
भारत में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता Need for Women Empowerment in India in Hindi
जब तक हमारा समाज आधुनिकता से वंचित था, तब से महिलाओं की स्थिति काफी दयनीय है। केवल विज्ञान के क्षेत्र में प्रगति कर लेने से विकास नहीं होता, बल्कि मानसिकता में भी बदलाव करना पड़ता है।
ऐसे में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता बहुत बढ़ जाती है। किसी भी समाज को ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए लोगों की मानसिकता भी ऊंची होनी चाहिए। रूढ़िवादी प्रथाओं और पितृसत्तात्मक विचारधारा से जूझते लोग समाज में अपना योगदान तभी दे पाएंगे जब उनमें समानता की भावना विकसित हो सकेगी।
आए दिन हम खबरें सुनते हैं, कि दहेज के कारण किसी नववधू को ससुराल वालों ने प्रताड़ित किया और हत्या कर दिया। यही नहीं यदि कोई बेटी समाज से बाहर निकल कर अपना नाम कमाना चाहती हो, तो उसे हर पल रोका जाता है।
यदि किसी भी देश को वास्तव में उन्नति के पथ पर अग्रसर होना है, तो सर्वप्रथम वहां के नागरिकों की मनोस्थिति में बदलाव लाना होगा। महिलाओं के प्रति हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए भारत में महिला सशक्तिकरण की जरूरत है।
समाज का दोगलापन तब सामने आता है, जब एक तरफ वे स्त्री के रूप में देवियों की पूजा अर्चना करते हैं, वहीं दूसरी तरफ महिलाओं को डरा धमका कर उनका शोषण करते हैं।
महिला सशक्तिकरण के अंतर्गत सभी महिलाएं जिनका समाज ने जीना हराम कर के रखा है वे अपने अधिकारों को पहचान कर लोगों के सामने अपनी आवाज बुलंद कर सकती हैं।
हमारे देश में कुछ पढ़े-लिखे और शहरी क्षेत्रों में निवास करने वाले लोग अब महिलाओं को समर्थन प्रदान कर रहे हैं। वही आज भी पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं पर अत्याचार होना जारी है।
अब लोगों की अवधारणाएं महिलाओं के प्रति सकारात्मक रूप से बदल रही है। महिला सशक्तिकरण का गठन समाज को एक चरित्रवान और विकसित पथ पर दिशा निर्देश करने का पहल करना है।
भारत में महिला सशक्तिकरण के मार्ग में आने वाली बाधाएँ Barriers in the Way of Women Empowerment in India in Hindi
महिला सशक्तिकरण के मार्ग में आने वाले बाधाओं में सबसे बड़ा योगदान लोगों की निरक्षरता है। सर्वप्रथम माता-पिता ही किसी बच्ची के जन्म लेने पर शोक मनाना शुरू कर देते हैं, तो भला आगे चलकर समाज कैसे खुशी मना सकता है।
इन लोगों को बच्ची के जन्म लेने पर उसके पढ़ाई लिखाई और पालन पोषण करने की चिंता से पहले विवाह और दहेज की चिंता होने लगती है।
हमारे देश में हर दिन लगभग सैकड़ों ऐसी खबरें सुनाई पड़ती हैं जिनमें महिलाओं पर दहेज का दबाव बनाकर उसे मौत के घाट उतार दिया जाता है। यदि कोई महिला देर रात तक अपने काम से घर लौटती है, तो उसे लोग चरित्रहीन और मनमर्जी कहते है।
सबसे पहले अपराधियों के खिलाफ जो तथाकथित नियम कानून बनाए गए हैं, उन्हें लागू करना चाहिए। हम सभी दहेज की निंदा करते हैं, लेकिन वास्तव में खुलेआम दहेज़ का लेनदेन भी करते हैं।
ऐसे कड़े नियम बनाने चाहिए जिसके अंतर्गत यदि ऐसी कोई भी निंदनीय वारदात हो तो उसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए।
महिलाओं को उनका हक दिलाने के लिए देश की सरकारें तो बहुत बयान बाजी और वादा करते हैं लेकिन वक्त आने पर यही राजनेता और मंत्री मुंह मोड़ लेते हैं। महिलाओं को खुद यह बात समझनी होगी कि उनके हक की लड़ाई उन्हें स्वयं लड़नी होगी।
समाज और परिवार के दबाव में आकर खुद को प्रताड़ित होने देना किसी समस्या का हल नहीं होता है। कई बार तो समाज क्या कहेगा इस डर से महिलाएं ही खुद जुर्म को सहती रहती हैं और हर बार समाज के पैर तले कुचल दी जाती हैं।
भारत में महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार की भूमिका Role of Government for Women Empowerment in India in Hindi
हमारे भारत देश में महिला सशक्तिकरण को मजबूती प्रदान करने के लिए कई नियम कानून बनाए जाते हैं। अब सरकार ने महिलाओं के प्रति हो रहे अत्याचारों को नष्ट करने में काफी भूमिका निभाई है। नियम कानून तो बहुत सारे बनाए गए हैं, बशर्ते उन्हें अच्छे से लागू किया जाना चाहिए।
यदि किसी महिला पर जबरन दहेज का दबाव डाला जाता है, तो वह किसी भी सरकारी अधीरक्षकों के सम्मुख शिकायत दर्ज करवा सकती है। यदि किसी भी कार्य स्थल पर महिलाओं के साथ यदि कोई उत्पीड़न होता है, तो इसके खिलाफ शिकायत दर्ज करवाने पर बहुत जल्दी जांच पड़ताल शुरू कर दी जाएगी।
इसके अलावा बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ योजना के अंतर्गत कई सरकारी विद्यालयों और विश्वविद्यालयों का निर्माण किया गया है जहां बिना किसी मूल्य के उन्हें अच्छी शिक्षा दी जाती है। ऐसा होने से माता पिता पर भी शिक्षा के खर्च का दबाव नहीं पड़ता और वे अपनी बेटियों को भी आसानी से शिक्षित कर सकते हैं।
संसद द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए पास किए कुछ अधिनियम Some Acts Passed by Parliament for Women Empowerment in Hindi
लिंग चयन प्रतिषेध अधिनियम , 1994 या पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (PCPNDT) कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए संसद में लाया गया एक महत्वपूर्ण अधिनियम था।
यदि कोई भी माता-पिता कन्या भ्रूण हत्या की वारदात को अंजाम देते हैं, तो वे एक हत्या के बराबर का जुर्म करते हैं। जीने के अधिकार का हनन करने के कारण ऐसे लोगों को सालों की सजा और काफी मोटी रकम का जुर्माना भरना पड़ सकता है।
कई बार देखा जाता है कि पुरखों के संपत्तियों पर केवल पुरुषों का ही अधिकार होता है। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम एक ऐसा अधिनियम था, जिसके मुताबिक माता-पिता के पुश्तैनी संपत्तियों को बेटों और बेटियों में बराबर का हिस्सा बांटा जाता है। ऐसे में यह संपत्ति का अधिकार महिला सशक्तिकरण के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान साबित हुआ है।
दहेज उन्मूलन अधिनियम 1961 के मुताबिक यदि वधू पक्ष पर वर पक्ष के परिवार वाले किसी भी तरह का दहेज मांग करते हैं तो शिकायत दर्ज करवाने पर उन्हें जेल की सजा भी काटनी पड़ सकती है। इस अधिनियम से नवविवाहित स्त्रियों को अपना जीवन सुखमय यापन करने में सहायता मिली है।
एक समान कार्य करने पर महिलाओं और पुरुषों को समान वेतन दिया जाएगा। एक बराबर पारिश्रमिक एक्ट 1976 महिला सशक्तिकरण के लिए लाया गया एक ऐसा ही अधिनियम है, जो महिलाओं को उनके परिश्रम की न्याय पूर्वक कीमत भुगतान करता है।
इसके अलावा यदि कोई महिला गर्भवती है, तो उसे मेडिकल टर्म्नेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1987 के तहत कुछ दिन का अवकाश दिया जाएगा, जिससे कि वह अपने स्वास्थ्य पर ध्यान दे सकें।
महिलाओं के यौन उत्पीड़न के खिलाफ कार्यस्थल पर सुरक्षा विधेयक के तहत किसी भी कार्यकारिणी महिलाओं को यदि कोई भी उनके कार्यस्थल पर किसी भी प्रकार का उत्पीड़न दबाव डालता है, तो उसे पुलिस की हिरासत में ले लिया जाएगा और हजारों का जुर्माना भरना होगा। यह विधेयक लाने के बाद कुछ दूषित मानसिकता वाले लोगों में डर का माहौल उत्पन्न हुआ है।
महिलाओं की राष्ट्र निर्माण में भूमिका Role of women in nation building in Hindi
एक सभ्य शिक्षित समाज का निर्माण का श्रेय एक शिक्षित स्त्री को जाता है। यदि कोई महिला पढ़ी लिखी है, तो वह अपने बच्चों को भी अच्छी शिक्षा देने में ध्यान केंद्रित करेगी।
हम जानते हैं, कि एक विकसित देश का निर्माण कार्य आज के बच्चों के हाथों में है। यह तो केवल गृहणी का कार्य था, लेकिन इसके अलावा महिलाएं पुरुषों के साथ हर क्षेत्र में कंधे से कंधा मिलाकर उन्हें चुनौती दे रही हैं।
न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में भी जाकर भारत की बेटियों ने अपने मातृभूमि का नाम रोशन किया है। यह तो वास्तविकता है कि केवल पुरुषों के विकास हो जाने से देश विकसित नहीं होता।
देश का नाम रोशन करने के लिए पुरुषों और महिलाओं दोनों को ही अपना योगदान देने के लिए सामने आना होगा। असमानता का भाव एक नीच चरित्र की निशानी है।
सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और पारिवारिक क्षेत्रों में भी महिलाओं ने राष्ट्र निर्माण के लिए अहम भूमिका अदा की है। वर्तमान समय में महिलाएं समाज सेवा के कार्यों में भी पीछे नहीं हटती हैं। अपनी कर्मठता और कर्तव्य परायणता से उन्होंने यह साबित किया है, कि वे किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं है।
जब भारत अंग्रेजों की गिरफ्त में था, तब रानी लक्ष्मीबाई ने अकेले ही अंग्रेजों की नाक में दम कर के रखा था। यहां तक की राष्ट्रीय सुरक्षा के स्तर पर भी पहली महिला आईपीएस किरण बेदी ने देश के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत किया है।
एक महिला के कारण ही हिंदुस्तान को शिवाजी जैसे महान योद्धाओं की प्राप्ति हुई थी। माता जीजाबाई जिन्होंने छत्रपति शिवाजी को बचपन से ही देश भक्ति की शिक्षा देकर एक कुशल योद्धा बनाया था।
महिला सशक्तिकरण के लाभ Benefits of Women Empowerment in Hindi
लैंगिक पक्षपात असमानता हमारे समाज में एक व्यापक स्तर पर फैल चुकी है। महिलाओं को केवल रसोई घर तक और घर के चारदीवारी तक सीमित कर दिया गया है।
लेकिन महिला सशक्तिकरण के कारण अब उन्हें परिवारिक बंधन से छुटकारा पाकर अपने और अपने देश के बारे में विचार करने और सफलता प्राप्त करने का अवसर दिया जा रहा है।
अगर महिलाएं खुद अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करेंगी तो वे अपनी पहचान को समाज में विकसित कर पाएंगी। महिला सशक्तिकरण देश में जगह-जगह हो रहे अन्याय पूर्ण गतिविधियों के खिलाफ एक लक्ष्य है, जिसका उद्देश्य महिलाओं को सशक्त करना और उन्हें मजबूत करना है।
महिलाओं को उनका आत्मसम्मान तथा आत्मविश्वास से परिचित करवाने के लिए यह एक अहम पहल है। एक सीमित दायरे से निकलकर वे अपने स्वामित्व का जीवन जी सकती हैं। समाज में एक नाम प्राप्त करने के लिए वे समर्थ हो गई हैं।
महिला सशक्तिकरण देश में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों को कम करने में बेहद सहायक है। यदि देश के किसी भी कोने में महिला प्रताड़ना की खबरें सुनाई पड़ती है तो महिला सशक्तिकरण में जुड़ी अन्य महिलाएं अपना सहयोग देने के लिए हर वक्त तैयार रहती हैं।
आज के समय में हमारा समाज बहुत हद तक बदल चुका है। अपने हक की लड़ाई लड़ने पर समाज में बैठे रूढ़िवादी लोगों की विचारधारा में भी परिवर्तन आया है।
अब महिलाएं हर क्षेत्र में हिस्सा ले रही हैं, वह भी बिना किसी झिझक के। जो पुरुष महिलाओं की आजादी पर सवाल उठाते थे, महिला सशक्तिकरण के प्रयासों के वजह से उनकी मानसिकता में भी कुछ हद तक बदलाव आया है।
महिला सशक्तिकरण के उपाय Women Empowerment Measures in Hindi
पुराने ख्यालों वाले लोगों द्वारा महिलाओं पर कसे गए जंजीरों को अब महिलाओं ने तोड़ना आरंभ कर दिया है।
आज हमारे देश में महिला प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, अधिकारी, वकील, डॉक्टर इत्यादि विभिन्न पदों पर कार्य कर रही हैं। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि कुछ प्रतिशत महिलाओं के जागृत हो जाने से सभी महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति जागृत होंगी।
आज भी कई ऐसे गांव हैं, जहां महिलाओं पर अत्याचार होते हैं। ऐसी महिलाओं का जीवन किसी नर्क से कम नहीं होता है। इसके उपायों में हमें महिला सशक्तिकरण की शक्ति बढ़ानी होगी। केवल संगठन बना लेने से कार्य नहीं होता है, बल्कि उसे सख्ती से चलाना भी पड़ता है।
आज तक जितने भी प्रथाएं और रीतियां बनाई गई हैं, वह सिर्फ महिलाओं के लिए ही हैं। सरकार को चाहिए कि वे देश में एक समान नागरिक संहिता प्रस्तुत करें। ताकि विभिन्न धर्मों में व्यक्तिगत कानूनों के द्वारा किसी भी प्रकार से महिलाओं का शोषण न किया जाए।
अगर महिला सशक्तिकरण को हमें और मजबूत करना है, तो विभिन्न स्तरों पर बौद्धिक कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए जिनमें महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागृत किया जाना चाहिए। इसकी शुरुआत विद्यालय से करना उचित होगा जहां बच्चे अपना जीवन शुरुआत से प्रारंभ करते हैं।
निष्कर्ष Conclusion
इस लेख में आपने हिंदी में महिला सशक्तिकरण पर निबंध (Women Empowerment essay in Hindi) पढ़ा। आशा है यह लेख आपको अच्छा लगा होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया हो और जानकारी से भरपूर लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें।
9 thoughts on “महिला सशक्तिकरण पर निबंध Essay on Women Empowerment in Hindi”
wah kya baat hai sir
Sir women empowerment par 1200 essays hindi me bhejiye
I like this essay very much sir Thank You
Very nice essay
Verry NYC easy Good
Very nice topic
Amazing Essay
Very very helpful essay sir thank you for this help
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महिला सशक्तिकरण पर निबंध – Women Empowerment Essay In Hindi
Hindi Essay प्रत्येक क्लास के छात्र को पढ़ने पड़ते है और यह एग्जाम में महत्वपूर्ण भी होते है इसी को ध्यान में रखते हुए hindilearning.in में आपको विस्तार से essay को बताया गया है |
Table of Contents
महिला सशक्तिकरण पर छोटे तथा बड़े निबंध (Essay on Women Empowerment in Hindi)
स्त्री शिक्षा और महिला–उत्थान – female education and female upliftment.
- प्रस्तावना,
- समाज में स्त्रियों का स्थान,
- महिलाओं की प्रगति,
- स्त्री सशक्तीकरण जरूरी,
- स्त्री शिक्षा की आवश्यकता और महत्व,
साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।
प्रस्तावना– मानव समाज के दो पक्ष हैं–स्त्री और पुरुष। प्राचीनकाल से ही पुरुषों को स्त्री से अधिक अधिकार प्राप्त रहे हैं। स्त्री को पुरुष के नियंत्रण में रहकर ही काम करना पड़ा है।
‘नारी स्वतंत्रता के योग्य नहीं है’, कहकर स्मतिकार मन ने स्त्री को बन्धन में रखने का मार्ग खोल दिया है, किन्तु वर्तमान शताब्दी प्राचीन रूढ़ियों को तोड़कर आगे बढ़ने का समय है। स्त्री भी पुराने बन्धनों से मुक्त होकर आगे बढ़ रही है।
समाज में स्त्रियों का स्थान– समाज में स्त्रियों को द्वितीय श्रेणी का नागरिक माना जाता है। उनको पुरुष के समान स्थान तथा महत्त्व आज भी प्राप्त नहीं है। उसे बचपन से वृद्धावस्था तक परम्परागत घर–गृहस्थी के काम करने पड़ते हैं।
अब बालिकाओं को स्कूलों में पढ़ने जाने का अवसर मिलने लगा है, परन्तु काफी महिलाएँ शिक्षा से अब भी वंचित हैं। शिक्षा के अभाव में स्त्रियाँ आगे नहीं बढ़ पाती और समाज में अपना अधिकार तथा स्थान प्राप्त नहीं कर पाती।
महिलाओं की प्रगति– स्वतंत्रता प्राप्त होने के पश्चात भारत निरन्तर प्रगति कर रहा है। महिलाएँ किसी देश की आधी शक्ति होती हैं। जब तक महिलाओं की प्रगति न हो तब तक देश की प्रगति अधूरी होती है।
भारत की प्रगति और विकास भी नारियों के पिछड़ी होने से अपूर्ण है। उद्योग–व्यापार, विभिन्न सेवाओं, सामाजिक संगठनों तथा राजनैतिक दलों में महिलाओं की उपस्थिति का प्रतिशत बहुत कम है।
चुनाव के समय राजनैतिक दल उन्हें अपना उम्मीदवार नहीं बनाते। लोकसभा तथा विधानसभाओं में महिलाओं के लिए स्थान सुरक्षित करने का बिल पेश ही नहीं हो पाता। पुरुष नेता उन्हें वहाँ देखना ही नहीं चाहते।
स्त्री सशक्तीकरण जरूरी– आज के समाज में स्त्री को देवी, पूज्य, मातृशक्ति आदि कहकर भरमाया जाता है। वैसे उसे कदम–कदम पर अपनी कमजोरी और उसके कारण सामने आने वाली समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
घर तथा बाहर सभी उसकी कमजोरी का लाभ उठाते हैं। वर्ष 2002 से 2012 के बीच महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों में 69 प्रतिशत वृद्धि हुई है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के निम्नलिखित आँकड़े इसका खुलासा करते हैं
- महिलाओं के विरुद्ध अपराध – 2002 – 2012 – वृद्धि का प्रतिशत
- बलात्कार – 16373 – 24923 – 52.2
- अपहरण – 14506 – 38262 – 163.8 —
- पति या निकट सम्बन्धियों द्वारा अपराध – 49237 – 106527
- कुल अपराध – 109784 – 186033 – 69
अपराधों के उक्त आँकड़ों को देखने पर और समाज में महिलाओं की दुर्दशा को देखते हुए स्त्री सशक्तीकरण आज की अनिवार्य आवश्यकता बन गयी है।
Also Check: Hindi Vyakaran
स्त्री शिक्षा की आवश्यकता और महत्व– नारियों को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यकता है- शिक्षित बनने की। शिक्षा ही महिलाओं में आत्मविश्वास पैदा कर सकती है। शिक्षित होने पर ही उनमें किसी क्षेत्र में सफलतापूर्वक काम कर सकने की क्षमता विकसित हो सकती है।
घर के बाहर जाकर काम करने के लिए ही नहीं घर में परिवार के दायित्वों का निर्वाह करने के लिए भी शिक्षित होना बहुत सहायक होता है शिक्षित महिला अपने बच्चों का मार्गदर्शन अच्छी तरह करके उनका तथा देश का भविष्य सँभाल सकती हैं।
यद्यपि महिलाएँ प्रशासन, शिक्षण, चिकित्सा विज्ञान, राजनीति आदि क्षेत्रों में आगे आई हैं और अच्छा काम किया है। वे पुलिस और सेना में भी काम कर रही हैं किन्तु उनकी संख्या अभी बहुत कम है। शिक्षा के अवसरों के विस्तार से विभिन्न क्षेत्रों में उनकी उपस्थिति नि:संदेह बढ़ेगी।
उपसंहार– शिक्षा से ही महिलाएँ शक्ति अर्जित करेंगी। शिक्षित और सशक्त महिलाएँ देश और समाज को भी शक्तिशाली बनाएँगी। इसके लिए विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के लिए शिक्षा की व्यवस्था की जानी चाहिए।
इसके लिए उन्हें प्रोत्साहित किया जाना जरूरी है। शिक्षण संस्थाओं में उनके लिए स्थान आरक्षित होना तथा उनको आर्थिक सहयोग और सहायता दिया जाना भी परमावश्यक है।
दूसरे विषयों पर हिंदी निबंध लेखन: Click Here
हम उम्मीद रखते है कि यह Hindi Essay आपकी स्टडी में उपयोगी साबित हुए होंगे | अगर आप लोगो को इससे रिलेटेड कोई भी किसी भी प्रकार का डॉउट हो तो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूंछ सकते है |
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हम आपके उज्जवल भविष्य की कामना करते है।
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Women Empowerment Speech in Hindi: महिला सशक्तिकरण पर ऐसे दें स्पीच
- Updated on
- मार्च 1, 2024
किसी भी समाज को सभ्य समाज का दर्जा तब तक नहीं प्राप्त होता, जब तक उस समाज की नारी का सशक्तिकरण न हो, जब तक उस समाज में नारी को समान अधिकार न हो। हर युग में भारत में ऐसे संतों का अवतरण हुआ, जिन्होंने प्रखरता के साथ नारी सशक्तिकरण की बात कही। इन्हीं में से एक कबीर दास भी थे, जिन्होंने कहा था कि “गये रोये हंसि खेलि के, हरत सबौं के प्राण कहै कबीर या घात को, समझै संत सुजान।” इसका अर्थ यह है कि “गाकर, रोकर, हंसकर या खेल कर नारी सब के प्राण हर लेती हैं।” Women Empowerment Speech in Hindi के माध्यम से आप समाज को जागरूक कर सकते हैं। महिला सशक्तिकरण पर भाषण महिलाओं में आत्मविश्वास पैदा करते हैं और उन्हें सशक्त होने की प्रेरणा से भर देते हैं। Women Empowerment Speech in Hindi की तैयारी करने के लिए इस ब्लॉग को अंत तक अवश्य पढ़ें।
This Blog Includes:
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यह भी पढ़िए : मोटिवेशनल कविताएँ
Women Empowerment in Hindi के माध्यम से आप Mahila Sashaktikaran in Hindi के लिए कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए, जो कि निम्नलिखित हैं;
- Mahila Sashaktikaran in Hindi में प्रेरक कविताएं , प्रेरक पुस्तकें से ली गई कोई कहानी तथा प्रेरक उद्धरण भी उपयोग में ले सकते हैं।
- Mahila Sashaktikaran in Hindi के लिए मर्यादित भाषा का प्रयोग करें।
- Mahila Sashaktikaran in Hindi के लिए उचित शब्दों का चयन करें।
- Mahila Sashaktikaran in Hindi पर भाषण देने के लिए अधिकाधिक तर्कों का प्रयोग करें।
- Women Empowerment in Hindi देने के लिए आपके भाषण का एक अच्छा उद्देश्य होना चाहिए।
आज का युग ऐसा युग है, जिसमें महिलाओं को संविधान में कई अधिकार दिए गए हैं। आज महिलाएं इस विकासशील भारत को विकसित बनाने के लिए अपना योगदान देती है परंतु फिर भी उन्हें कई बार अलग-अलग रूपों में प्रताड़ित किया जाता है तथा उनके अधिकारों का हनन किया जाता है। आज हर साल किसी भी परीक्षा में महिलाएं समान रूप से शामिल होती हैं तथा कई बार पुरुषों से अधिक अंक भी लाती हैं, परंतु कहीं न कहीं यह भी सच है कि पैतृक सत्ता समाज होने के कारण पुरुषों को ही मान सम्मान दिया जाता है। ऐसे में अक्सर बेटियों में निराशा का भाव पैदा हो जाता है। आज कई महिलाएं जैसे किरण बेदी, सुष्मिता सेन, पद्मावती बंदोपाध्याय, सुचेता कृपलानी आदि सशक्त हैं। इन्हीं के जैसे समाज की हर नारी को सशक्त करने का दायित्व किसी भी सभ्य समाज का बनता है।
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Women Empowerment Speech in Hindi मुख्य रूप से महिलाओं को स्वतंत्र बनाने की प्रथा को संदर्भित करता है, ताकि वह स्वयं निर्णय ले सकें और साथ ही बिना किसी पारिवारिक या सामाजिक प्रतिबंध के अपने जीवन को संभाल सकें। सरल शब्दों में, यह महिलाओं को अपने स्वयं के व्यक्तिगत विकास की जिम्मेदारी लेने का अधिकार देता है। चूंकि पितृसत्तात्मक समाज में महिलाएं हमेशा से उत्पीड़ित रही हैं, इसलिए महिला सशक्तिकरण का मुख्य उद्देश्य उन्हें पुरुषों के साथ समान रूप से खड़े होने में मदद करना है। यह देश के साथ-साथ एक परिवार की समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए एक मूलभूत कदम है। महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए, दुनिया निश्चित रूप से लैंगिक समानता का गवाह बनेगी और समाज के हर तबके की महिला को अपनी मर्जी से खड़े होने और अपनी इच्छा के अनुसार अपना जीवन चलाने में मदद करेगी।
महिला सशक्तिकरण केवल यह सुनिश्चित करने से अधिक शामिल है कि महिलाओं को उनके मूल अधिकार मिले। अपने सशक्त रूप में, महिला सशक्तिकरण में स्वतंत्रता, समानता के साथ-साथ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पहलू शामिल हैं। इसके माध्यम से, वास्तविक प्रयास यह सुनिश्चित करने में निहित है कि हम लैंगिक समानता लाएं।
सही समर्थन दिए जाने पर, महिलाओं ने हर क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन किया है। भारत में भी, हमने महिलाओं को विविध भूमिकाओं में देखा है, प्रधानमंत्री, अंतरिक्ष यात्री, उद्यमी, बैंकर और बहुत कुछ। इसके अलावा, महिलाओं को परिवार की रीढ़ भी माना जाता है। घरेलू कामों से लेकर बच्चों के पोषण तक, वे कई जिम्मेदारियाँ संभालती हैं। यही कारण है कि वे मल्टीटास्किंग में महान हैं और अक्सर कई कामकाजी महिलाएं पेशेवर और व्यक्तिगत जिम्मेदारियों के बीच कुशलता से बाजी मारती हैं। जहां शहरों में कामकाजी महिलाएं हैं, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों ने उन्हें घर के कामों में रोक दिया है। हम एक ऐसे राष्ट्र के रूप में समृद्ध होने की आकांक्षा कैसे कर सकते हैं, जहां हर लड़की को शिक्षा या अपनी पसंद बनाने की सुविधा न मिले? भारत एक ऐसा देश है जहाँ हम देवी-देवताओं की पूजा करते हैं, जबकि हम लैंगिक समानता के बारे में सोचने से परेशान नहीं हैं।
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विश्व स्तर पर अपनी संस्कृति और विरासत के लिए प्रसिद्ध, भारत विविध संस्कृतियों से भरा हुआ देश है। लेकिन भारतीय समाज हमेशा से एक पुरुष प्रधान देश रहा है, यही वजह है कि महिलाओं को शिक्षा और समानता जैसे बुनियादी मानवाधिकारों से लगातार वंचित रखा गया है। वे हमेशा दमन और घरेलूता तक ही सीमित रहे और बुनियादी शिक्षा प्राप्त करने से रोका। लैंगिक समानता की धारणा पुरुषों और महिलाओं के बीच समानता की मांग करती है लेकिन महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित रखा गया है। भारत जैसे देश के लिए, इसके विकास और विकास में महिला सशक्तिकरण की बड़ी भूमिका होगी।
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जैविक और नैतिक दोनों संदर्भों में, महिलाओं के पास एक परिवार के भविष्य और विकास के साथ-साथ पूरे समाज को विकसित करने के लिए अधिक क्षमताएं हैं। इस प्रकार, हर महिला को एक व्यक्ति के रूप में पूरी तरह से विकसित होने और अपनी पसंद बनाने में मदद करने के लिए समान अवसर दिए जाने चाहिए।
लछमा कहानी में महादेवी वर्मा ने लिखा-
“एक पुरुष के प्रति अन्याय की कल्पना से ही सारा पुरुष-समाज उस स्त्री से प्रतिशोध लेने को उतारू हो जाता है और एक स्त्री के साथ क्रूरतम अन्याय का प्रमाण पाकर भी सब स्त्रियां उसके आकारण दंड को अधिक भारी बनाए बिना नहीं रहती। इस तरह पग-पग पर पुरुष से सहायता की याचना न करने वाली स्त्री की स्थिति कुछ विचित्र सी है। वह जितनी ही पहुंच के बाहर होती है, पुरुष उतना ही झुंझलाता है और प्राय: यह झुनझुलाहट मिथ्या अभियोगों के रूप में परिवर्तित हो जाती है। “
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महिलाओं को मोटिवेट करने के लिए यह कविता-
क्यों होती है निराश, तू तो सहनशीलता का प्याला है तो क्या हुआ तू मलाला नहीं तूने घर तो संभाला है। तू निकले गलियों से वो देखे बुरी नज़रों से उसका कुछ नहीं कर सकते ये ही हमेशा कहा जाए बस तू याद रख बस तू याद रख तेरा दुपट्टा ना सरकने पाए। ये कैसी विडंबना है समान होने के बावजूद हमें पीछे चलना है। लड़के घूमे कम कपड़ों में तो वो सुंदर लगते है लड़कियां पहने छोटे कपड़े संस्कार नहीं है यहीं फब्तियां कसते है। सशक्तिकरण अब हमें करना होगा आगे हमें बढ़ना होगा कंक्रीट से भरे रास्तों में भी नंगे पांव चलना होगा अब हमें बढ़ना होगा बहुत लोग हैं रोकने वाले झांसी की रानी अब बनना होगा महिलाओं जाग जाओ सशक्तिकरण अब हमें करना होगा।
—रिटन बाय-रश्मि पटेल
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हमारी सभी माताओं, बहनों और बेटियों के लिए हमें अखंडता का वातावरण तैयार करना चाहिए। हमें जीवन के हर चरण में अपने फैसले लेने के लिए उन्हें सक्षम बनाने के लिए उनके आत्मविश्वास को बढ़ावा देना चाहिए और इसी तरह हम महिला सशक्तिकरण लाने की दिशा में प्रयास कर सकते हैं।
Women Empowerment Speech in Hindi भारत की भारत में प्रसिद्ध महिला उद्यमी की लिस्ट नीचे दी गई है-
- फाल्गुनी नायर, नायका की संस्थापक
- वंदना लूथरा, वीएलसीसी की संस्थापक
- पेप्सि को. की पूर्व चेयरमैन और सीईओ इंदिरा नूयी
- किरण मजूमदार शॉ , एमडी और बायोकॉन की अध्यक्ष
- श्रद्धा शर्मा, योरस्टोरी की संस्थापक
- शहनाज हुसैन, हर्बल ब्यूटी केयर की अग्रणी
- अदिति गुप्ता, मेंस्ट्रुपीडिया की सह-संस्थापक
- थ्रिलोफिलिया की सह-संस्थापक चित्रा गुरनानी डागा
- खुशबू जैन, इम्पैक्टगुरु की सह-संस्थापक
- रितु कुमार, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध फैशन डिज़ाइनर
- विनीता सिंह , शुगर कॉस्मेटिक कंपनी की CEO और फाउंडर
महिला सशक्तिकरण पर भाषण मुख्य रूप से महिलाओं को स्वतंत्र बनाने की प्रथा को संदर्भित करता है ताकि वे अपने निर्णय ले सकें और साथ ही बिना किसी पारिवारिक या सामाजिक प्रतिबंध के अपने जीवन को संभाल सकें। सरल शब्दों में, यह महिलाओं को अपने व्यक्तिगत विकास की जिम्मेदारी लेने का अधिकार देता है। चूंकि पितृसत्तात्मक समाज में महिलाएं हमेशा से ही उत्पीड़ित रही हैं, इसलिए महिला सशक्तिकरण का मुख्य उद्देश्य पुरुषों के साथ समान रूप से खड़े होने में उनकी मदद करना है। यह एक परिवार के साथ-साथ देश के समृद्ध विकास को सुनिश्चित करने के लिए एक मूलभूत कदम है। महिलाओं को सशक्त बनाने से, दुनिया निश्चित रूप से लैंगिक समानता का गवाह बनेगी और समाज के हर तबके की महिलाओं को अपने दम पर खड़े होने और अपनी इच्छा के अनुसार अपना जीवन चलाने में मदद करेगी।
अपनी संस्कृति और विरासत के लिए विश्व स्तर पर प्रसिद्ध, भारत विविध संस्कृतियों से भरा देश है। लेकिन भारतीय समाज हमेशा से पितृसत्तात्मक रहा है, यही वजह है कि महिलाओं को शिक्षा और समानता जैसे बुनियादी मानवाधिकारों से लगातार वंचित किया जाता रहा है। उन्हें हमेशा से दबा दिया गया है और घरेलूता तक सीमित कर दिया गया है और बुनियादी शिक्षा प्राप्त करने से रोक दिया गया है। लैंगिक समानता की धारणा पुरुषों और महिलाओं के बीच समानता की मांग करती है लेकिन महिलाओं को उनके अधिकारों से बेखबर रखा गया है। भारत जैसे देश के लिए महिला सशक्तिकरण इसकी वृद्धि और विकास में एक बड़ी भूमिका होगी।
जैविक और नैतिक दोनों संदर्भों में, महिलाओं के पास एक परिवार के साथ-साथ पूरे समाज के भविष्य और विकास को आकार देने की अधिक क्षमता होती है। इस प्रकार, प्रत्येक महिला को एक व्यक्ति के रूप में पूरी तरह से विकसित होने और अपनी पसंद बनाने में मदद करने के लिए समान अवसर दिए जाने चाहिए।
महिला सशक्तिकरण पर भाषण में केवल यह सुनिश्चित करने से कहीं अधिक शामिल है कि महिलाओं को उनके मूल अधिकार प्राप्त हों। अपने वास्तविक रूप में, महिला सशक्तिकरण में स्वतंत्रता, समानता के साथ-साथ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पहलू शामिल हैं। इसके माध्यम से वास्तविक प्रयास यह सुनिश्चित करने में निहित है कि हम लैंगिक समानता लाएं।
सही समर्थन मिलने पर महिलाओं ने हर क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन किया है। भारत में भी, हमने महिलाओं को विविध भूमिकाओं को संभालते देखा है, चाहे वह एक प्रधान मंत्री, अंतरिक्ष यात्री, उद्यमी, बैंकर और बहुत कुछ हो। साथ ही महिलाओं को परिवार की रीढ़ की हड्डी भी माना जाता है। घरेलू कामों से लेकर बच्चों के पालन-पोषण तक, वे कई जिम्मेदारियों को संभालते हैं। यही कारण है कि वे मल्टीटास्किंग में महान हैं और अक्सर कई कामकाजी महिलाएं पेशेवर और व्यक्तिगत जिम्मेदारियों के बीच कुशलता से काम करती हैं। जबकि शहरी शहरों में कामकाजी महिलाएं हैं, ग्रामीण क्षेत्रों ने अभी भी उन्हें घर के कामों तक ही सीमित रखा है। हम एक ऐसे राष्ट्र के रूप में समृद्ध होने की आकांक्षा कैसे कर सकते हैं जहां हर लड़की को शिक्षा तक पहुंच नहीं है या अपनी पसंद खुद नहीं बना रही है? भारत एक ऐसा देश है जहां हम देवी-देवताओं की पूजा करते हैं जबकि हम लैंगिक समानता के बारे में सोचने की जहमत नहीं उठाते।
इसलिए, हमारी सभी माताओं, बहनों और बेटियों के लिए हमें अखंडता का वातावरण बनाने का लक्ष्य रखना चाहिए। हमें जीवन के हर चरण में अपने निर्णय लेने के लिए उन्हें सक्षम बनाने के लिए उनके आत्मविश्वास को बढ़ाना चाहिए और इस तरह हम महिला सशक्तिकरण लाने की दिशा में प्रयास कर सकते हैं।
महिलाओं को जन्म के बाद से ही समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। अपने अधिकारों, समाज की रूढ़ियों और अपनी स्वतंत्रता के लिए लड़ना। महिला सशक्तिकरण का अर्थ है शिक्षा के माध्यम से, पेशेवर स्तर पर महिलाओं को प्रोत्साहित करना, उनकी राय को स्वीकार करना, और उन्हें वह अधिकार प्रदान करना जो वे चाहें। महिलाओं को किसी ऐसे व्यक्ति के साये के पीछे नहीं रहना चाहिए जो खुद को अभिव्यक्त न कर सके। महिला सशक्तिकरण का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को दूसरों से आगे निकलने और समाज में समान अधिकार प्राप्त करने का मौका देना है। महिला सशक्तिकरण की पहली सीढ़ी साक्षरता है। एक शिक्षित महिला आत्मविश्वासी, मुखर और निर्णय लेने में सक्षम होती है। खासकर भारत जैसे देश में, अगर महिलाओं को पढ़ने का मौका मिले तो वे इंदिरा गांधी की तरह प्रधानमंत्री, किरण बेदी की तरह आईएएस, या इंदिरा नूयी जैसी मशहूर सीईओ बन सकती हैं।
Women Empowerment Speech in Hindi की आवश्यकता लंबे समय से मौजूद है लेकिन पिछले कुछ वर्षों में ही यह लोकप्रिय हो गई है। महिला सशक्तिकरण केवल समान अधिकारों की लड़ाई नहीं है। महिला सशक्तिकरण एक समाज से महिलाओं का उत्थान है जो उन्हें लगातार नीचे की ओर खींच रहा है। भारत जैसे देश में जहां देवी-देवताओं की पूजा की जाती है वहीं एक महिला को यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है, उसे शिक्षा के अधिकार से वंचित कर दिया जाता है, उसकी आवाज दबा दी जाती है और घरेलू हिंसा का अगला मामला बन जाता है। भारतीय समाज तभी विकसित हो पाएगा जब वे महिलाओं पर लगातार दबाव डालना बंद कर देंगे और उन्हें अपने विचार दूसरों के साथ साझा करने देंगे। भारत में एक महिला घर के कामों और परिवार के सदस्यों की देखभाल करने तक ही सीमित है। भारत में महिला सशक्तिकरण एक समय की आवश्यकता है क्योंकि महिलाओं में उनके अधिकारों को समझने के लिए उनके बीच जागरूकता महत्वपूर्ण है।
अगर वे अपने मूल अधिकारों के प्रति जागरूक होंगी तभी महिलाएं इसके लिए लड़ सकेंगी। Women Empowerment Speech in Hindi की दिशा में पहला कदम उनकी राय का समर्थन करने से शुरू होता है। उनका उपहास न करें या उनकी राय को दफन न करें। उनके आत्मविश्वास को बढ़ाएं और उनके आत्म-सम्मान का निर्माण करें। उन्हें अपने सपनों को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करें, मदद के लिए संसाधन प्रदान करें और उनके गुरु बनें। महिलाओं में अपने जीवन को आकार देने की नहीं बल्कि दुनिया को आकार देने की क्षमता है। महिला सशक्तिकरण के साथ शुरू करने के लिए समान अवसर और अपने निर्णय लेने का अधिकार मूल बातें हैं। मदद के लिए संसाधन प्रदान करें और उनके गुरु बनें। महिलाओं में अपने जीवन को आकार देने की नहीं बल्कि दुनिया को आकार देने की क्षमता है। महिला सशक्तिकरण के साथ शुरू करने के लिए समान अवसर और अपने निर्णय लेने का अधिकार मूल बातें हैं। मदद के लिए संसाधन प्रदान करें और उनके गुरु बनें। महिलाओं में अपने जीवन को आकार देने की नहीं बल्कि दुनिया को आकार देने की क्षमता है। महिला सशक्तिकरण के साथ शुरू करने के लिए समान अवसर और अपने निर्णय लेने का अधिकार मूल बातें हैं।
महिलाओं को दूसरों की प्राथमिकताओं के आधार पर खुद को ढालना सिखाया जाता है और पुरुषों को नेतृत्व करना सिखाया जाता है क्योंकि दिन के अंत में, महिलाओं को घर के कामों का प्रबंधन करना पड़ता है जबकि पुरुष नायक होते हैं जो अपने परिवार को बचाते हैं और उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं। यह भारत में सदियों से चली आ रही रूढ़िवादिता है और इसका एक कारण महिलाओं को समाज में बुनियादी मानवाधिकारों से वंचित करना है। एक महिला को अपने घरेलू मामलों में भी अपनी राय रखने के अधिकार से वंचित किया जाता है, राजनीतिक या वित्तीय दृष्टिकोण बहुत पीछे हैं। महिलाएं जन्मजात नेता होती हैं और अगर उन्हें मौका दिया जाए तो वे हर क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल कर सकती हैं। हम एक पुरुष प्रधान समाज में रहते हैं जहां एक पुरुष को वह करने का पूरा अधिकार है जो वह चाहता है हालांकि महिलाओं के दिमाग में यह विचार पवित्र है।
सदियों से, महिलाओं को पुरुषों के सामने खाने या अन्य पुरुषों के सामने बैठने की अनुमति नहीं थी। लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण विश्व स्तर पर एक प्रमुख चिंता का विषय है। लैंगिक समानता दोनों लिंगों को शिक्षा के समान और समान संसाधन प्रदान करने से शुरू होती है। बालिकाओं की शिक्षा भी प्राथमिकता होनी चाहिए न कि केवल एक विकल्प। एक शिक्षित महिला अपने और अपने आसपास के लोगों के लिए बेहतर जीवन का निर्माण करने में सक्षम होगी। समाज में महिलाओं के विकास के लिए लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण आवश्यक है। महिला सशक्तिकरण सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक महिला को शिक्षा प्राप्त करने, पेशेवर प्रशिक्षण प्राप्त करने और जागरूकता फैलाने का अवसर मिले। हालांकि, लिंग गुणवत्ता सुनिश्चित करेगी कि संसाधनों तक पहुंच दोनों लिंगों को समान रूप से प्रदान की जाए और समान भागीदारी सुनिश्चित की जाए। यहां तक कि पेशेवर स्तर पर भी महिलाओं को लैंगिक असमानता का सामना करना पड़ता है क्योंकि एक पुरुष उम्मीदवार को महिला उम्मीदवार से पहले पदोन्नत किया जाता है। मानसिकता बदलनी चाहिए और योग्य उम्मीदवारों को ही पदोन्नत किया जाना चाहिए। लैंगिक गुणवत्ता सतत विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और सभी के लिए बुनियादी मानवाधिकार सुनिश्चित करता है।
शिक्षा Women Empowerment Speech in Hindi का सबसे बड़ा साधन है और एक ऐसा कारक भी है जो देश के समग्र विकास में मदद करता है। शिक्षा महिलाओं के जीवन में बदलाव ला सकती है। जैसा कि भारत के पहले प्रधान मंत्री ने एक बार उद्धृत किया था “यदि आप एक पुरुष को शिक्षित करते हैं तो आप एक व्यक्ति को शिक्षित करते हैं, लेकिन यदि आप एक महिला को शिक्षित करते हैं तो आप पूरे परिवार को शिक्षित करते हैं। महिला सशक्तिकरण का अर्थ है सशक्त भारत माता।” एक शिक्षित महिला अपने आसपास की अन्य महिलाओं की शिक्षा को बढ़ावा देगी, उनका मार्गदर्शन करेगी और अपने बच्चों के लिए एक बेहतर मार्गदर्शक भी होगी। शिक्षा महिलाओं को आत्मविश्वास, सम्मान, वित्तीय सहायता प्रदान करने की क्षमता हासिल करने में मदद करती है। शिक्षा शिशु मृत्यु दर को कम करने में भी मदद करेगी क्योंकि एक शिक्षित महिला स्वास्थ्य देखभाल, कानूनों और अपने अधिकारों से अवगत है। एक महिला को शिक्षित करने से उसे लाभ होगा और समाज के विकास में भी। उचित शिक्षा के साथ, महिलाएं सामाजिक, आर्थिक रूप से अधिक हासिल कर सकती हैं और अपने करियर का निर्माण कर सकती हैं।
भारत के ग्रामीण इलाकों में आज भी महिलाओं को उनके शिक्षा के अधिकार से वंचित किया जा रहा है। शिक्षा बाल विवाह को भी कम करेगी जो अभी भी भारत के कुछ हिस्सों में प्रचलित है और अधिक जनसंख्या को नियंत्रित करने में भी मदद करता है। सरकार ने महिलाओं की शिक्षा के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए वर्षों से कई योजनाएं शुरू की हैं जैसे कि सर्व शिक्षा अभियान, ऑपरेशन ब्लैक-बोर्ड, बेटी पढाओ बेटी बचाओ, और बहुत कुछ। शिक्षा महिलाओं को अच्छे और बुरे की पहचान करने, उनके दृष्टिकोण, सोचने के तरीके और चीजों को संभालने के तरीके को बदलने में मदद करती है। शिक्षा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने में मदद करती है। अन्य देशों की तुलना में भारतीय महिलाओं की साक्षरता दर सबसे कम है। शिक्षा सभी का मौलिक अधिकार है और किसी को भी शिक्षा के अधिकार से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। शिक्षा जीवन की आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करती है, घरेलू हिंसा या यौन उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने का आत्मविश्वास। बदलाव का हिस्सा बनें और शिक्षा की मदद से एक महिला को सशक्त बनाएं।
Women Empowerment Speech in Hindi और शायरी नीचे दी गई है-
- “किसी को भी मत कहने दो कि तुम कमज़ोर हो क्योंकि तुम एक औरत हो”
- “वो संस्कारी थी जब तक चुपचाप सब सहती रही, बदतमीज़ हो गई, जब से वो बोल पड़ी”
- “अच्छी लड़की का मतलब ये नहीं कि वो शरारती नहीं हो सकती”
- “वह जन्म देती है, वह मौत से बचाती है, वह आगे बढ़ाती है, वह औरत कहलाती है।”
- “हर एक व्यक्ति के अच्छाई और तरक्की के पीछे एक औरत का हाथ होता है।”
- “किसी भी लड़की के लिए वो शब्द न कहें जो आप अपनी बहन या बेटी के लिए सुन नहीं सकते”
- “स्त्री कभी हारती नहीं है उसे हराया जाता है, समाज क्या कहेगा यह कहकर बचपन से डराया जाता है”
- “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता”
- “धन्य हो तुम मां सीता, तुमने नारी का मन जीता।”
- “औरत कोई खिलौना नहीं होती, घर वाले तो प्यार से गुड़ियां कहते हैं।”
Women Empowerment Speech in Hindi में स्लोगन नीचे दिए गए हैं-
- “हैं इनमें ताकत सारी फिर क्यों कहे अबला बेचारी।”
- “नर नारी का भेद मिटाएंगे, समरसता का विश्व बसाएगे, इस नए सफर में समाज नारी के संग ही बढ़ पाएगा।”
- “नारी को दे शिक्षा का सवेरा, तभी होगा उनका सारे जीवन में उजियारा।”
- “नारी के जीवन को न समझो बेकार असल में समाज का यही है आधार।”
- “नारी शक्ति से ही बनेगा मज़बूत समाज।”
- “जब होगा स्त्री का हर घर सम्मान, तभी बनेगा हमारा भारत महान।”
- “एक दूसरे का सहयोग बनाएं, नारियां समाज में आगे आ पाए।”
- “नारी पूछे तुम्हें भगवान, क्यों है मौके की तलाश मुझे।”
- “न थी कभी अबला नारी, सदियों तक रहेगा उनका यह संघर्ष जारी।”
- “बेटियों को दो इतनी पहचान, बड़ी होकर बने देश की शान।”
महिलाओं के पूर्ण विकास हेतु सकारात्मक आर्थिक तथा सामाजिक नातियों के जरिए एक माहौल का निर्माण करना, ताकि वे अपनी क्षमताओं को समझ सकें।
राष्ट्र निर्माण गतिविधियों में महिलाओं की भूमिका को ध्यान में रखते हुए सरकार ने वर्ष 2001 को महिला सशक्तिकरण वर्ष घोषित किया था और महिलाओं को स्वशक्ति प्रदान करने की राष्ट्रीय नीति अपनायी थी।
महिला सशक्तिकरण की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा आठ मार्च,1975 को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से मानी जाती हैं। फिर महिला सशक्तिकरण की पहल 1985 में महिला अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन नैरोबी में की गई।
महिला समाख्या कार्यक्रम की शुरुआत वर्ष 1989 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के लक्ष्यों के अनुसार महिलाओं की शिक्षा में सुधार व उन्हें सशक्त करने हेतु की गई थी।
देश में महिलाओं का सशक्तिकरण होना आज की महती आवश्यकता है। महिला सशक्तिकरण यानी महिलाओं की आध्यात्मिक, राजनीतिक, सामाजिक या आर्थिक शक्ति में वृद्धि करना। भारत में महिलाएं शिक्षा, राजनीति, मीडिया, कला व संस्कृति, सेवा क्षेत्रों, विज्ञान व प्रौद्योगिकी आदि के क्षेत्र में भागीदारी करती हैं।
हमें उम्मीद है कि आपको Women Empowerment Speech in Hindi या महिला सशक्तिकरण पर भाषण का यह ब्लॉग पसंद आया होगा। इसी प्रकार के अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu की वेबसाइट के साथ बनें रहें।
रश्मि पटेल विविध एजुकेशनल बैकग्राउंड रखने वाली एक पैशनेट राइटर और एडिटर हैं। उनके पास Diploma in Computer Science और BA in Public Administration and Sociology की डिग्री है, जिसका ज्ञान उन्हें UPSC व अन्य ब्लॉग लिखने और एडिट करने में मदद करता है। वर्तमान में, वह हिंदी साहित्य में अपनी दूसरी बैचलर की डिग्री हासिल कर रही हैं, जो भाषा और इसकी समृद्ध साहित्यिक परंपरा के प्रति उनके प्रेम से प्रेरित है। लीवरेज एडु में एडिटर के रूप में 2 साल से ज़्यादा अनुभव के साथ, रश्मि ने छात्रों को मूल्यवान मार्गदर्शन प्रदान करने में अपनी स्किल्स को निखारा है। उन्होंने छात्रों के प्रश्नों को संबोधित करते हुए 1000 से अधिक ब्लॉग लिखे हैं और 2000 से अधिक ब्लॉग को एडिट किया है। रश्मि ने कक्षा 1 से ले कर PhD विद्यार्थियों तक के लिए ब्लॉग लिखे हैं जिन में उन्होंने कोर्स चयन से ले कर एग्जाम प्रिपरेशन, कॉलेज सिलेक्शन, छात्र जीवन से जुड़े मुद्दे, एजुकेशन लोन्स और अन्य कई मुद्दों पर बात की है। Leverage Edu पर उनके ब्लॉग 50 लाख से भी ज़्यादा बार पढ़े जा चुके हैं। रश्मि को नए SEO टूल की खोज व उनका उपयोग करने और लेटेस्ट ट्रेंड्स के साथ अपडेट रहने में गहरी रुचि है। लेखन और संगठन के अलावा, रश्मि पटेल की प्राथमिक रुचि किताबें पढ़ना, कविता लिखना, शब्दों की सुंदरता की सराहना करना है।
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महिला सशक्तिकरण पर निबंध (Women Empowerment Essay In Hindi)- “चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।” यह कविता सुनते ही मेरे भीतर जोश भर जाता है। मुझे लगता है कि मैं ही झांसी की रानी हूं। सोचती हूं कि झांसी की रानी कितनी अदम्य साहस वाली महिला थीं। मुझे भी वैसा ही बनना है लेकिन एकाएक ही मेरे भीतर से आवाज आती है- तू ही दूर्गा, तू ही शक्ति। यह सुनते ही मेरे भीतर जोश आ जाता है कि मैं भी शक्तिशाली महिला हूं।
महिला सशक्तिकरण (Essay On Women Empowerment In Hindi)
ईश्वर ने जब धरती की रचना की तो मनुष्य के रूप में मनु और शतरूपा नाम के दो व्यक्ति धरती पर उतारे। मनु आदमी के रूप में था और शतरूपा औरत के रूप में। वह दोनों धरती पर खुशी-खुशी रहने लगे। उन दोनों को संतानें भी हुईx। धीरे-धीरे धरती पर जनसंख्या बढ़ती गई। बदलते समय के साथ आदमी को समाज में ज्यादा महत्व दिया जाने लगा। और महिलाओं को केवल घर और बच्चे संभालने के लिए महत्व दिया जाने लगा। महिलाओं से ज्यादा पुरुषों को महत्व दिया जाने लगा। महिलाओं के साथ भेदभाव होने लगा। इस बात पर बल दिया जाने लगा कि पुरुष एक अच्छा लीडर हो सकता है पर महिलाएं इस बात पर खरी नहीं उतर सकतीं। महिलाओं को कमजोर आंका जाने लगा।
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महिला सशक्तिकरण पर निबंध
आज का हमारा विषय महिला सशक्तिकरण पर आधारित है। इस पोस्ट में हमने महिला सशक्तिकरण पर निबंध एकदम सरल, सहज और स्पष्ट भाषा में लिखने का प्रयास किया है। महिला सशक्तिकरण पर निबंध के माध्यम से आप जान पाएंगे कि महिला सशक्तिकरण क्या है, महिला सशक्तिकरण के लाभ क्या हैं और महिला सशक्तिकरण क्यों जरूरी है। तो चलिए हम इस विषय पर निबंध पढ़ते हैं।
आज मैं अखबार पढ़ रही थी। अखबार पढ़ते-पढ़ते मेरी नजर एक हेडलाइन पर गई। वह खबर पढ़कर मेरी रूह कांप गई। उस खबर में लिखा था कि एक पति ने अपनी पत्नी को दहेज के लिए एक हफ्ते तक भूखा रखा। जब उसकी तबीयत बिगड़ी तो मामला सामने आया। मुझे घबराहट सी होने लगी कि कोई इतना निर्दयी कैसे हो सकता है। यह केवल आज की खबर नहीं थी। ऐसी ही खबरें हर रोज पढ़ने को मिल जाती हैं।
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महिलाओं पर अत्याचार दिन-ब-दिन बढ़ रहे हैं। महिला को कमजोर क्यों सोचा जाता है। जब महिलाएं भी हर जिम्मेदारी को अच्छे से निभा सकती हैं तब भी महिलाओं को कम ही आंका जाता है। महिलाओं को आज भी पूर्ण रूप से अधिकार प्राप्त नहीं हुए हैं। आज महिला के बिना हम अपने जीवन की कल्पना तक नहीं कर सकते हैं। एक महिला ही हम सभी को इस धरती पर लाती है। बिना स्त्री के हमारी रचना कैसे होती। एक स्त्री ही हमें नौ महीने तक अपने पेट में रखती है। नौ महीने बाद हम इस दुनिया में आते हैं।
महिला सशक्तिकरण क्या है?
महिला अर्थात नारी को कैसे परिभाषित करेंगे? एक नारी मां का, बहन का, पत्नी का, और बहु का फर्ज निभाती है। एक महिला इन सभी भूमिकाओं को अच्छे से निभाते हुए हर कसौटी पर खरी उतरती है। एक महिला शादी से पहले अपने माता-पिता के घर को अच्छे से संभालती है। और शादी हो जाने के बाद वह अपने पति के घर की जिम्मेदारियां अच्छे से निभाती है। अपने बच्चे को पाल पोसकर बड़ा करती है। वह ताउम्र बदले में बिना कुछ मांगे काम करती रहती है।
लेकिन बदले में हम महिलाओं को कितना सम्मान देते हैं? हम महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं। आखिर यह महिला सशक्तिकरण है क्या? सशक्तिकरण का अर्थ है किसी को हर तरह के निर्णयों को लेने की शक्ति प्रदान करवाना। एक व्यक्ति तब सशक्त माना जाता है जब उसको खुलकर जीने की आजादी हो। इसी प्रकार जब हम महिलाओं को खुलकर जीने की आजादी देते हैं तो ऐसे में हम एक महिला को सशक्त मानते हैं। जब एक महिला सशक्त होती है तो वह हर प्रकार के फैसले स्वयं से ले सकती है। एक सशक्त महिला रोजगार और शिक्षा में पुरुषों को बराबरी की टक्कर देती है।
महिला सशक्तिकरण क्यों जरूरी है?
हाल ही एक सर्वे में यह दावा किया गया कि पूरी दुनिया में कनाडा देश की महिलाएं सबसे ज्यादा शिक्षित महिलाएं हैं। यही अगर हम अपने देश भारत की बात करें तो नतीजा उल्टा दिखता है। हमारे देश में 2011 की जनगणना के मुताबिक मात्र 64% महिलाएं ही शिक्षा के अधिकार को हासिल करने में कामयाब हुई हैं। सिर्फ यही नहीं महिलाओं का सकल घरेलू उत्पाद में योगदान भी बहुत कम है। हमारे देश की केवल 17% महिलाएं ही GDP में योगदान देती हैं। कहते हैं कि 21वीं शताब्दी ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया है। लेकिन यह पूरा सच आज भी नहीं है।
महिलाओं को आज भी बहुत से अधिकारों को प्राप्त करने से वंचित रखा जाता है। महिलाओं को कमजोर आंका जाता है। आज भी लीडरशिप में पुरुषों को ज्यादा योग्य माना जाता है। महिलाओं की निर्णय शक्ति पर भरोसा नहीं किया जाता है। यहां तक कि महिलाओं पर घोर अत्याचार किया जाता है। दहेज हत्या, अपहरण, कन्या भ्रूण हत्या, कुकर्म यह सब महिलाओं पर अत्याचार नहीं तो और क्या है। आज का समय ऐसा है जब महिलाओं को भी बराबरी का दर्जा देना होगा। महिलाओं को हर क्षेत्र में आगे लाना होगा। हमें उनपर विश्वास जताना होगा। जब महिलाएं भी पुरुषों के बराबर हर क्षेत्र में कदम से कदम मिलाकर चलेंगी तभी वह सशक्त बन पाएंगी।
महिला सशक्तिकरण के लाभ
अगर बिना नर के यह दुनिया अधूरी है तो बिना नारी के भी यह दुनिया कुछ नहीं कर सकती है। हमारे समाज में महिलाओं का योगदान बहुत ज्यादा है। बिना नारी के समाज का उत्थान होना बहुत मुश्किल है। जहां नारी का सम्मान नहीं वह देश कभी भी प्रगति नहीं कर सकता है। महिला सशक्तिकरण से कई लाभ देखने को मिले-
(1) महिला सशक्तिकरण के चलते देश की नारी का आत्मविश्वास बढ़ा है।
(2) महिला सशक्तिकरण ने देश की महिलाओं को सम्मान के साथ जीना सीखा दिया है।
(3) महिलाएं खुलकर अपने हक के लिए बोल सकती हैं।
(4) महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों को बराबरी की टक्कर दे रही हैं।
(5) महिला सशक्तिकरण एक महिला को परिवार के महत्वपूर्ण फैसलों में हिस्सा लेने का हक प्रदान करता है।
महिला पर नवीन रांगियाल की कविता
स्त्री और आग
कुओं से बाल्टियाँ खींचते-खींचते वे रस्सियों में तब्दील हो गईं और कपड़ों का पानी निचोड़ते-निचोड़ते पानी के हो गए स्त्रियों के हाथ मैं गर्म दुपहरों में उन्हें अपनी आँखों पर रख लेता था— नीम की ठंडी पत्तियों की तरह पानी में रहते हुए जब गलने लगे उनके हाथ तो उन्हें चूल्हे जलाने का काम सौंप दिया गया इसलिए नहीं कि उनकी आत्मा को गर्माहट मिलती रहे इसलिए कि आग से स्त्रियों की घनिष्टता बनी रहे और जब उन्हें फूँका जाए तो वे आसानी से जल जाएँ मैं जब भी आग देखता हूँ तब मुझे स्त्रियों के हाथ याद आ जाते हैं— लपट की तरह झिलमिलाते हुए उनकी आँखों के नीचे इकट्ठा हो चुकी कालिख से पता चला कितने सालों से चूल्हे जला रही हैं स्त्रियाँ स्त्री दुनिया की भट्टी के लिए कोयला है वह घर भर के लिए बदल गई दाल-चावल और रोटी के गर्म फुलकों में वह मन के लिए बन गई हरा धनिया देह के लिए बन गई नमक और रातों के लिए उसने एकत्र कर लिया— बहुत सारा सुख और आराम लंबी यात्राओं में वह अचार की तरह साथ रही जितनी रोटियाँ उसने बेलीं उससे समझ आया कि यह दुनिया— कितनी भूखी थी स्त्रियों की जितने छौंक कढ़ाइयों में मारे स्त्रियों ने उससे पता चला कितना नमक चाहिए था पुरुषों को सूख चुके कुओं से पता चला कितनी ठंडक है स्त्री की गर्म हथेलियों में उसने दुनिया की भूख मिटाई और प्यास भी उसने दुनिया को गर्म रखा और ठंडा भी किया इसके ठीक उल्टा जो आग और पानी स्त्रियों को मिला अब तक उसे फूल की तरह स्त्री ने उगाया अपने पेट में और बेहद वात्सल्य से लौटा दिया दुनिया को!
महिला सशक्तिकरण योजना की शुरुआत इसलिए की गई थी ताकि महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों पर रोक लगाई जा सके। महिलाओं का सशक्त होना बहुत आवश्यक है। ऐसा होने से वह किसी पर निर्भर नहीं रहती हैं। एक सशक्त महिला सम्मान के साथ अपना जीवन जी सकती है। महिला को सशक्त बनाने हेतु सरकार द्वारा प्रयास किए गए हैं। लेकिन बहुत सी जगह ऐसी भी हैं जहां महिलाएं आज भी पूर्ण रूप से स्वतंत्र नहीं हैं कि वह अपने अधिकार प्राप्त कर सकें। केवल एक जने के प्रयास से ही महिला सशक्तिकरण सफल नहीं होगा। हम सभी को जागरूक होकर महिलाओं को उनके अधिकार दिलवाने में मदद करनी होगी। तभी जाकर महिला सशक्तिकरण सार्थक साबित होगा।
महिला सशक्तिकरण पर निबंध 200 शब्दों में
महिला भगवान द्वारा धरती पर भेजा गया सबसे अनमोल उपहार है। महिला को मां दुर्गा के रूप में देखा जाता है। एक महिला ही कड़ी से कड़ी परिस्थितियों में भी मजबूती के साथ खड़ी रहती है। वह एक मां, पत्नी और बेटी के रूप को बेखूबी से निभाती है। महिलाओं से संपूर्ण सृष्टि चलती है। आज हम जिस धरती पर रहते हैं उसे माता का दर्जा दिया जाता है। केवल धरती ही नहीं जिस गाय से हम सभी को दूध और दही मिलता है वह भी एक स्त्री के रूप में होती है। गाय को भी हम माता कहकर पुकारते हैं।
कहने का तात्पर्य यह है कि नारी से ही सारा संसार चलता है। नारी का सम्मान होना चाहिए। नारी स्वयं ही ईश्वर का रूप है। लेकिन इसी नारी की दुर्दशा हो रखी है। आज हर जगह नारी का अपमान हो रहा है। दहेज प्रथा, बाल विवाह प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या यह सभी प्रथाएँ महिलाओं के खिलाफ अत्याचार हैं। महिलाओं को आज भी उच्च शिक्षा से वंचित रखा जा रहा है। महिलाओं को रोजगार प्राप्त करने में बाधा का सामना करना पड़ता है। यही एक वजह थी कि महिलाओं के लिए महिला सशक्तिकरण योजना लागू की गई। इस योजना के तहत महिलाओं को उनके अधिकार दिलाने की कोशिश की गई। इस योजना से महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों में कमी देखने को मिली है।
महिला सशक्तिकरण पर 10 लाइनें
(1) महिला सशक्तिकरण एक बहुत ही शानदार योजना है।
(2) इस योजना ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में मदद की है।
(3) आज महिलाएं ऊंचे से ऊंचा पद संभाल रही हैं।
(4) महिलाओं को भी सम्मान भरा जीवन जीने में मदद मिली है।
(5) इस योजना से महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों में कमी देखने को मिली है।
(6) महिला सशक्तिकरण का अर्थ है महिलाओं को हर प्रकार की सुविधाएं प्राप्त होना।
(7) महिलाओं से हमारा घर भरा हुआ लगता है।
(8) महिलाएं साक्षात लक्ष्मी के समान होती हैं। महिलाओं का आदर करना चाहिए।
(9) किसी देश की प्रगति इस बात पर निर्भर करती है कि उस देश की महिला कितनी प्रगति कर रही है।
(10) महिला सशक्तिकरण की मदद से महिलाओं का वेतन भी बढ़ा है।
उत्तर- सशक्तिकरण का अर्थ है किसी को हर तरह के निर्णयों को लेने की शक्ति प्रदान करवाना। एक व्यक्ति तब सशक्त माना जाता है जब उसको खुलकर जीने की आजादी हो। इसी प्रकार जब हम महिलाओं को खुलकर जीने की आजादी देते हैं तो ऐसे में हम एक महिला को सशक्त मानते हैं।
उत्तर- महिला सशक्तिकरण की बहुत ज्यादा जरूरत है। आज के दौर में भी महिलाओं को कमजोर आंका जाता है। आज भी लीडरशिप में पुरुषों को ज्यादा योग्य माना जाता है। महिलाओं की निर्णय शक्ति पर भरोसा नहीं किया जाता है। यहां तक कि महिलाओं पर घोर अत्याचार किया जाता है। दहेज हत्या, अपहरण, कन्या भ्रूण हत्या, कुकर्म आदि। इन्हीं कारणों के चलते महिलाओं को सशक्त बनाने की जरूरत है।
उत्तर- महिला सशक्तिकरण की मदद से हम महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करते हैं। महिलाएं खुलकर अपने हक के लिए बोल सकती हैं। महिला सशक्तिकरण एक महिला को परिवार के महत्वपूर्ण फैसलों में हिस्सा लेने का हक प्रदान करता है।
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महिला सशक्तिकरण पर निबंध – Women Empowerment Essay In Hindi
महिला सशक्तीकरण पर निबंध (Women Empowerment Essay In Hindi) – किसी देश को आगे बढ़ने के लिए देश में महिला सशक्तिकरण होना बहुत जरूरी है। महिला या नारी सशक्तिकरण का मतलब है कि महिलाओं को अपनी जिंदगी के सभी निर्णय खुद लेने की आजादी हो।
आज के समय में महिलाओं को सशक्त होना बहुत जरूरी है, अन्यथा देश कभी विकसित नही हो पाएगा। इसलिए हम सभी को महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना चाहिए। मैने इस आर्टिकल में, महिला सशक्तिकरण पर निबंध 200 words, 500 words और 1000 words में लिखा हैं। आप इस आर्टकिल की मदद से एक अच्छा Women Empowerment Essay In Hindi में लिख सकते है।
नारी सशक्तिकरण पर निबंध 200 शब्दों में (Women Empowerment Essay in Hindi 200 Words)
आज के समय में देश में महिला सशक्तिकरण होना बेहद ज़रूरी है, क्योंकि महिलाओं के बिना देश विकसित नही हो सकता है। पुराने समय में महिलाओं को सशक्त बनने से रोका जाता था, लेकिन अब भारत बदल रहा है। हमें भी समय के साथ बदलना होगा, और महिलाओं को आजाद करना होगा।
महिला या नारी सशक्तिकरण एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें महिलाएं अपने निर्णय खुद लेने के लिए आत्मनिर्भर बनती है। यह प्रक्रिया महिलाओं को अपने अधिकारों और अवसरों के लिए जागरूक करती है। महिला सशक्तिकरण का उद्देश्य महिलाओं को लैंगिक असमानता और उत्पीड़ना से मुक्त करना है, और उन्हे समाज में पूर्ण व समान अधिकार देना है।
महिलाओं को सशक्त बनने के लिए उन्हे अपने अधिकारों और अवसरों को जानना चाहिए, जिसके लिए उन्हे पूर्ण शिक्षा और प्रशिक्षण मिलना चाहिए। महिलाओँ को आर्थिक रूप से भी सशक्त बनना चाहिए, मतलब महिलाओं को जॉब और बिज़नेस करने की आजादी होनी चाहिए।
देश के विकास के लिए महिलाओं को सामजिक और राजनितिक रूप से भी सशक्त होना बहुत जरूरी है। समाज में महिलाओं को लैंगिक रूप से सभी समान अधिकार दिए जाने चाहिए, तभी देश बदल सकता है और हम विकास की तरफ आगे बढ़ सकते है।
नारी सशक्तिकरण पर निबंध 500 शब्दों में (Women Empowerment Essay in Hindi 500 Words)
प्रस्तावना.
अगर दुनिया में महिलाएं न हो तो दुनिया में एक भी मनुष्य का अस्तित्व नही बचेगा। हम सब जानते है कि अगर महिलाओं को मौका दिया जाए तो वे घर को, समाज को और देश को एक अलग ही मुक़ाम पर ले जाएगी। लेकिन इसके महिलाओं को सशक्त बनाना बहुत जरूरी है।
महिला सशक्तिकरण महिलाओं को सशक्त बनाने और उनके जीवन को बेहतर बनाने का एक तरीका है। भारत की पौराणिक कथाओं में महिलाओं को देवी का दर्जा दिया गया है, और उन्हे पूजा भी जाता है। लेकिन जब महिलाओं की बात आती है तो उन्हे मौलिक अधिकार भी नही दिए जाते हैं।
इसलिए हमें नारी को समझना होगा, और उन्हे उनके अधिकार देने होंगे, तभी देश बढ़ेगा।
महिला सशक्तिकरण क्या है
महिला सशक्तिकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें महिलाओं को अपनी जिंदगी के निर्णय खुद लेने के लिए सशक्त बनाना जाता है। इस प्रक्रिया से महिलाएं स्वयं के अधिकारों को पहचान पाती है और आत्मनिर्भर बन पाती है। इस प्रक्रिया से महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए लड़ने में सक्षम बनाया जाता है।
पहले के समय में केवल भारत में ही नही बल्कि पूरे विश्व में महिलाओं के साथ अत्याचार और अन्याय होता था। लेकिन बाद में 19वीं शताब्दी में एक विश्व नारी आंदोलन हुआ। इस आंदोलन में पश्चिम के कई राष्ट्र भागीदार बने। और उस समय महिला सशक्तिकरण की अवधारण दुनिया के समक्ष आयी। आज अनेक देश महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दे रही है क्योंकि यह देश के विकाश के लिए जरूरी है।
महिला सशक्तिकरण क्यों जरूरी हैं
महिला सशक्तिकरण समाज के विकास और देश के विकास के लिए बहुत जरूरी है। इस प्रक्रिया से महिलाएं सशक्त बन पाती है, और अपने अधिकारों के बारे में जान पाती है। देखा जाए तो महिलाएं विज्ञान, राजनीति, समाज, शिक्षा, खेल-कुद इत्यादि क्षैत्र में काफी अच्छा प्रदर्शन कर रही है।
Women Empowerment से समाज में लैंगिक समानता को बढ़ावा मिलता है। और इससे समाज अधिक न्यायसंगत और समृद्ध बनता है। इससे महिलाओं के स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार होता है।
महिलाएं भी पुरूषों की तरह एक इंसान है, और उन्हे भी पूरा मान-सम्मान और अधिकार मिलने चाहिए। और इसके लिए महिला सशक्तिकरण या नारी सशक्तिकरण बहुत जरूरी है।
महिला सशक्तिकरण से देश को क्या लाभ
महिला सशक्तिकरण से देश को अनेक लाभ हैं, जिसमें से सबसे बड़ा लाभ यह है कि महिलाए भी देश के विकास में अपना योगदान दे पाएगी। अगर देश में महिला सशक्तिकरण होता है तो समाज में लैंगिक समानता आ जाएगी, जिससे महिलाओं पर होने वाले सभी अत्याचार और अन्याय खत्म हो जाएंगे।
Women Empowerment से महिलाओं को आर्थिक अवसरों तक पहुंच मिलती है। यानी महिलाएं भी देश की आर्थिक Growth में योगदान दे पाती है। नारी सशक्तिकरण से नारी राजनीति के क्षैत्र में आ पाती है, जिससे नारी देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे पाती है।
उपसंहार
महिला सशक्तिकरण एक सतत प्रक्रिया है जो एक दिन में नही होती है। इसके लिए समय, समर्पण, और प्रयास की आवश्यकता होती है। इसलिए हमें महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना होगा, जिसके लिए हमें महिलाओं को समान अधिकार देना है, और उनके साथ हो रहे अत्याचार व भेदभाव को रोकना है।
आप कुछ इस प्रकार Women Empowerment Essay In Hindi में लिख सकते है।
नारी सशक्तिकरण पर निबंध 1000 शब्दों में (Women Empowerment Essay in Hindi 1000 Words)
भारत देश में लैंगिक असमानता एक बहुत बड़ा सामाजिक मुद्दा है। हालांकि वर्तमान में काफी लोग इस बारे में जागरुक हो चुके है कि महिलाओं को समान अधिकार दिया जाना चाहिए। इसलिए आज काफी सारे पुरूष महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दे रहे है।
महिला सशक्तिकरण में वह ताकत है जिससे समाज और देश में बहुत कुछ बदल सकता हैं। इसलिए महिलाओं को अपने अधिकारों के बारे में जानना होगा, और आगे बढ़ना होगा।
आज सरकार भी महिलाओं के महत्व और अधिकार के बारे में समाज में जागरूकता लाने के लिए मातृ दिवस, अंतराराष्ट्रीय महिला दिवस जैसे कई कार्यक्रम चला रही है। हमें इसमें अपना पूर्ण योगदान देना चाहिए।
महिला सशक्तिकरण का अर्थ
महिला सशक्तिकरण का आसान मतलब है कि महिलाओ को शक्तिशाली बनाना।
Women Empowerment एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें महिलाओं को सामाजिक, आर्थिक, और राजनैतिक रूप से समान अधिकार व अवसर देना है। इसका उद्देश्य महिलाओं को लैंगिक असमानता, अत्याचार और अन्याय से मुक्त करना है।
नारी सशक्तिकरण का अर्थ महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है, ताकि उन्हे भी शिक्षा, रोजगार, और अपने करियर के लिए बराबर मौके मिल सके। इसका उद्देश्य महिलाओं को इतना सशक्त बनाना है, ताकि महिलाएं अपने फैसले खुद ले सके। और अपने परिवार व समाज में अच्छ से रह सके।
भारत में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता
पौराणिक काल में महिलाओं को देवी माना जाता था, और उनकी पूजा की जाती थी। लेकिन जब वास्तविकता को देखा जाता है तो महिलाओं को केवल चार दिवारों तक सीमित करके रखा गया है। इसलिए महिला सशक्तिकरण बहुत जरूरी है।
वर्तमान में भारत में महिलाएं आगे बढ़ रही हैं, लेकिन ग्रामीण इलाकों में आज भी महिलाओं को घरों में रहने के लिए वाध्य किया जा रहा है। और उन्हे सामान्य स्वास्थ्य सुविधा और शिक्षा जैसी सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही है।
शिक्षा के मामले में भी महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा काफी पीछे हैं। भारत में पुरूषों की शिक्षा दर 81.3% है, जबकि महिलाओं की शिक्षा दर केवल 60.6% है। इसके अलावा भारत में लैंगिक असमानता भी देखने को मिल रही है, जो की समाज का बहुत बड़ा मुद्दा है।
इस तरह और भी काफी सारे कारण है जिसकी वजह से महिला सशक्तिकरण काफी जरूरी है।
भारत महिला सशक्तिकरण देश कैसे बन सकता है
भारत को महिला सशक्तिकरण देश बनाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए।
- महिलाओं को शिक्षा द्वारा उन्हे अपने अधिकारों और अवसरों के प्रति जागरूक किया जाना चाहिए।
- महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए उन्हे रोजगार के अवसर दिए जाने चाहिए। इससे महिलाएं देश के आर्थिक स्थिति में भी सहयोग कर पाएगी।
- महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार और अन्याय के खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही होनी चाहिए, ताकि महिलाएं स्वयं को सुरक्षित महसूस कर सके।
- महिलाओं को सामाजिक और राजनीतिक कार्यों में भी भाग लेना चाहिए, ताकि महिलाएं अपनी आवाज उठा सके, और अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ सकें।
- महिला सशक्तिकरण के लिए पुरुष व महिला दोनों के प्रयास की आवश्यकता हैं। इसलिए पुरुषों को भी Women Empowerment के महत्व को समझने और इसमें योगदान देने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
भारत में महिला सशक्तिकरण के लिए बाधाएं
भारत देश में अनेक प्रकार की संस्कृतियां हैं, जिसके अनेक तरह के रीति-रिवाज और परम्पराएं भी हैं। इनमें से कुछ पुराने रीति-रिवाज और परम्पराएं ऐसी भी है, जो देश में महिला सशक्तिकरण के लिए बाधाएं ला रही है। ये बाधाएं निम्नलिखित हैं-
- गांवों में पुरानी और रुढ़ीवादी विचारधारों की वजह से आज भी महिलाओं को घर से बाहर निकलकर कुछ करने की आजादी नही है।
- पुरानी और रुढ़ीवादी विचारधारों की वजह से महिलाएं कभी भी स्वयं को पुरुषों के बराबर नही समझ सकती है, और न ही वे स्वयं कोई फैसला ले सकती है।
- समाज में पुरुष प्रधानता होने की वजह से आज भी अनेक जगहों पर महिलाओं को पुरुषों के नीचे समझा जाता है।
- नारी सशक्तिकरण के लिए लैंगिक भेदभाव काफी बड़ी बाधा हैं। क्योंकि बहुत सारे लोग जो पुरानी और रुढ़ीवादी सोच रखते है, वे लोग इस भेदभाव को खत्म ही नही करना चाहते है।
- गांव में बहुत सारे लोग लड़कियों की शिक्षा को बीच में ही रोक देते है, क्योंकि उनका मानना है कि लड़किया शादी के बाद पत्ति के घर जाएगी, इसलिए उन्हे ज्यादा शिक्षा की जरूरत नही है।
- भारत में कन्या भ्रूणहत्या भी एक बहुत बड़ी गंभीर बाधा है।
- भारत में महिलाओं को असुरक्षा का डर भी एक बहुत बड़ी बाधा है।
महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार की भूमिका
भारत सरकार Women Empowerment के लिए काफी सारी योजनाएं चला रही है। , जैसे- बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं योजना, महिला हेल्पलाइन योजना, उज्जवला योजना, महिला शक्ति केंद्र योजना, सुकन्या समृद्धि योजना, नारी सम्मान योजना, आंगनबाड़ी लाभार्थी योजना आदि।
सरकार ने महिला सशक्तिकरण के लिए अनेक तरह के कानून भी बनाए हैं, जैसे-
- संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 16, और 19
- मैटरनिटी लाभ अधिनियम, 1861
- लैंगिक भेदभाव (रोकथाम) अधिनियम, 1950
- विवाह अधिनियम, 1955
- दहेज निषेध अधिनियम, 1961
- भारतीय तलाक अधिनियम, 1969
- महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संरक्षण अधिनियम, 2005
- बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006
- लैंगिक समानता अधिनियम, 2010
- महिला सशक्तिकरण और विकास अधिनियम, 2017
महिला सशक्तिकरण के लाभ
महिला सशक्तिकरण के बिना महिलाओं को वह अधिकार कभी नही मिल पाता, जिसके लिए वह हमेशा हकदार रही है। इससे महिलाएं अपनी जिंदगी अपनी मर्जी से जी पा रही हैं।
- नारी सशक्तिकरण से महिलाओं को काफी लाभ मिले हैं-
- सभी महिलाएं अपना निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है।
- इससे महिलाएं अपनी शिक्षा को पूरी कर पा रही है।
- महिलाएं अपने अधिकारों की लड़ाई खुद लड़ना सीख रही है।
- इससे महिलाएं धीरे-धीरे आत्मनिर्भर बन रही है।
- महिलाएं सामाजिक और राजनिक क्षैत्र में भी आगे बढ़ रही है।
- महिलाओं को आर्थिक रूप से सम्मान अधिकार मिल रहे है।
- इससे लैंगिक भेदभाव भी कम हो रहा है।
- पुरुष भी महिलाओं को समझने लगे है और उन्हे उनका हक भी दे रहे हैं।
उपसंहार (Women Empowerment Essay In Hindi)
भारत तेजी से प्रगति कर रहा है, और महिलाओं को उनके अधिकार भी मिल रहे हैं। हालांकि अभी भी कुछ जगहों पर महिलाओं को दबाया जा रहा है और उनके अधिकारों का हनन किया जा रहा है। इसे रोकने के लिए शिक्षा एक बहुत बड़ा हथियार है।
अगर भारत के हर छोटे गांव, शहर और कस्बे में शिक्षा दे दी जाए, तो देश की सभी महिलाएं सशक्त बन सकती है। महिला सशक्तिकरण एक सतत प्रक्रिया है, जिसके हमें मिलकर प्रयास करना होगा। यह केवल महिलाओं की नही, बल्कि पुरुषों की भी जिम्मेदारी है, कि वे मिलकर Women Empowerment के लिए प्रयास करें।
आप Nari Sashaktikaran Par Nibandh या Mahila Sashaktikaran Essay कुछ इस प्रकार लिख सकते है।
महिला सशक्तिकरण पर निबंध की 10 लाइनें
- Women Empowerment एक प्रक्रिया है जो महिलाओं को अपने अधिकारों और अवसरों के बारे में जागरूक करती है।
- महिला सशक्तिकरण से महिलाए आत्मनिर्भर बन सकती है, और अपने अधिकारों की लड़ाई खुद लड़ना सीख सकती है।
- यह समाज में लैंगिक समानता को बढ़ावा देती है, ताकि पुरुष और महिलाओं को समान अधिकार मिल सके।
- नारी सशक्तिकरण से महिलाओं के प्रति पुरुषों की अवधारणाएं बदल रही हैं।
- अब महिलाएं भी अपने सपनों को पूरा कर सकती हैं, और अपने परिवार का नाम रोशन कर सकती है।
- आज भी भारत में पुरानी और रूढ़िवादी विचार धाराएं महिला सशक्तिकरण के लिए काफी बड़ी बाधा है।
- महिलाओं के खिलाफ हिंसा, अत्याचार, भेदभाव, और अन्याय अभी भी एक गंभीर समस्या है, जिसे रोकना बहुत जरूरी है।
- देश के विकास के लिए महिला सशक्तिकरण काफी जरूरी है।
- महिला सशक्तिकरण से सामाजिक मानसिकता में काफी बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।
- महिला सशक्तिकरण के लिए महिलाओं और पुरुषों को मिलकर प्रयास करना होगा।
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Role of Education in Women Empowerment -A Study on Indian Context
Swami Vivekananda once said: "education your women first and leave them to themselves; then they will tell you what reforms are necessary for them". Educating women can play a very important role in overall development of a country and it can change the position of women in patriarchal society. It is said that education and knowledge is the key to any obstacle. Education can modify the behavior in every aspect. It gives the understanding of good and evil, change the prospect of looking into a matter in every angle.
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As India strives toward equal rights, a change in the perceptions of men and women is needed to reduce gender disparity. In simple terms, empowerment means giving power or authority to an individual and empowerment of women means equipping them to be economically independent, self-reliant, in addition to providing positive self-esteem to face any difficult situation in our society. The most widespread and dehumanizing discrimination against women are on the basis of the biased perspective. Boys are preferred over girl; hence, female infanticide is a common practice in India. Women cannot take any decision of their own. They do not have equal right in society. This is due to lack of social awareness, gender bias, negligence and poor health, social problems, sexual harassment etc. But in the present scenario, a gradual change is now visible. Women now have diverse professions as doctor, engineers, pilots, taxi drivers, police etc. Empowerment is the one of the key factors in determining the success of social, economical political development. There is a need to focus on the over all development, specially social, economical and political development of women. We need to augment our efforts for empowering women and enhance their progress. It is our moral, social, and constitutional responsibility to ensure their progress by providing them with equal right and opportunities. Today women with their smartness, grace, and elegance have conquered the whole world.
Education and Society ( UGC CARE JOURNAL)
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Education is not only the main pillar of nation-building, but a nation moves towards progress through education. In a country, with different races of people, both men and women became uplifted towards development when illuminated by education. By the united force of men and women, especially women, a country lead its way to the path of success. Women"s empowerment is the basic necessity for this success. Again, education is the most powerful instrument of empowerment as it generates consciousness that leads to empowerment. Hence, to pave the way for women"s emancipation and empowerment, education plays a pivotal and inevitable role. According to Pandit Jawaharlal Nehru-"If you educate a man you educate an individual if you educate a woman you educate a whole family. Women empowered means mother India empowered." Education plays a vital role in women"s socioeconomic empowerment. Educated empowered women thrive in social, economic and family lives. So, women empowerment refers to strengthening women's social, economic, and educational power. It refers to an environment where there is no gender bias and equal rights in the community, society, and workplaces. Today, the female literacy level, according to the GOI report Literacy rate stands at 71.5% whereas the male literacy rate is over 84%. Again, the most recent labour force surveys conducted by NSSO (national sample survey office) published female worker population ratio (%) on the status basis in the country during 2013-14 and 2015-16 are 29.6% and 25.8% respectively. Education helps exercise women"s rights and responsibilities as members of their society. It gives them the chance to make a more meaningful decision in terms of political engagement and decision-making choices about life. Thus, education can benefit from building self-confidence, self-efficiency, and decision-making power, and increase gender parity in an organization and institution.
International Res Jour Managt Socio Human
This research paper main object to create the awareness among the women's about different empowerment and identifying the values of education in women overall empowerment in jaipur district. Education is the main factor for women empowerment, prosperity, development and welfare. Such capacity comes from the way of empowerment and empowerment will come from the basic education and rural development will come from women empowerment. The female education in India is highly necessary for the future of the country as women are the first teachers of their children means future of the nation. Discrimination of women from womb to tomb is well known. In order to fight against the socially constructed gender biases, women have to swim against the system that requires more strength and capacity. Findings of the study shows that education and knowledge play significant role in women empowerment and it concludes that if women's empowerment is to be effected, it can be carried out only through the medium of education knowledge.
IJAR Indexing
Today women play the leading role in developing the society. Society cannot be created without the active contribution of women. In India women do not use their rights and neither are considered independent to take any decision. In order to provide equal status in the society women need to be empowered.Women’s empowerment in India is heavily dependent on many different variables that includes geographical location (urban/rural), educational status, social status (caste and class), and age. Policies on women’s empowerment exist at the national, state, and local (Panchayat) levels in many sectors, including health, education, economic opportunities, gender-based violence, and political participation. However, there are significant gaps between policy formation and actual implementation at the community level. Women can be empowered only when they are literate and educated .Education is the key to unlock the golden door of freedom for development. Of Indian women today, the female literacy levels according to the Literacy Rate 2011 census has been 65.46% where the male literacy rate has been over 80%. Being literate or having only primary education is not enough to enhance productivity or to obtain better-paying jobs but it is essential for women to pursue the higher education.Even beyond literacy there is much that education can do for women’s rights, dignity and security. Therefore this research paper discusses the impact of literacy and education on empowerment of women as well as the suggestion to improve the changes that need to be considered for women empowerment and economic development.
Women training in India have the most critical pre-career of each the government and civil society as informed ladies can play a very important position in the development of the United States. Education is milestone of ladies empowerment because it permits them to responds to the demanding situations, to confront their conventional characteristic and alternate their life. So that we can't forget the importance of schooling in connection with ladies empowerment and India poised to turning into superpower in latest years. Schooling of ladies is the best tool to exchange the place in society. Women education in India was a want of the hour, as education is a foundation stone for the empowerment of women.. Schooling additionally brings a reduction in inequalities and competencies as a manner of enhancing their reputation in the own family and develops the idea of participation.
Rajeevi Nayak Nayak
Educate a man and you educate an individual. Educate a woman and you educate a family.-A. Cripps Abstract During the Vedic period, woman enjoyed a prominent position in Indian society; she was treated as a deity of the house. In the later periods, however, India got exposed to different social, economic, political and cultural changes, leading to the lowered status of women in India. Later in 18 th century, different social reformers attempted to augment the condition of women. In spite of their efforts to empower women, gender discrimination still exists in Indian society even after India got independence. To remove gender discrimination, Indian constitution has given equal rights to women in all spheres of life, many strategies and policies are framed by the government in this regard. But all these efforts of government have not yielded expected results in empowering women. According to Census data of 2011, the population of India is more than 121 Crores with 48.5 percent females....
rajesh kumar
Empowerment means the upliftment of the groups or community socially, economically and politically through various means like political, economic, social and educational participation. In our country Gender equality is, first and foremost, a human right. A woman is entitled to live in dignity and in freedom from want and from fear. Empowering women is also an indispensable tool for advancing development and reducing poverty. Empowered women contribute to the health and productivity of whole families and communities and to improved prospects for the next generation. Gender gap exists regarding access to education and employment. Household decision making power and freedom of movement of women vary considerably with their age, education and employment status. It is found that acceptance of unequal gender norms by women are still prevailing in the society. The objectives of this research paper is to understand the problem and perspective of Women Empowerment, and attempt to analyze the status of women empowerment in India using various indicators like women's household decision making power, legal Policies for Women Empowerment, Role of Judiciary and also Awareness.
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Role of Education in Women Empowerment
- Amruta Bhaskar
- Mar 8, 2021
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- 64045 Views
Education is considered the most important tool for empowering women in society. It is not only limited to developing the personality of an individual but also plays an important role in economic, social and cultural development. The UNESCO put its effort to achieve equal opportunity of education regardless of age, gender, race or any other difference in social and economic status.
The theme for this year being- ‘Women in leadership: Achieving an equal future in the world’, women empowerment is still a far-fetched idea. With only 2.4% of women in a CEO seat at a Fortune 500 company, the women have a vital role. From women being kept away from education to having some revolutionary women in the education sector in India, we have come a long way!
Education plays a critical role in Women's Economic Empowerment. It takes the centre stage, but for a long, most women especially in the rural areas have been denied this right and have been subjected to very degrading practices and responsibilities. Education empowers girls to achieve more in their social, career, economic and family lives. To women, education can mean going to class or being trained on capacity building and skills development or better yet being mentored on very essential aspects of WEE.
A number of studies have revealed that uneducated women have high-level morality, low potential for earning, poor dietary status and little independence in the household. The lack of education also has a drastic effect on the health and well-being of the kids. In India, the infant mortality rate was negatively related to the mother’s educational level. In addition, the absence of education can bring a negative change in the country’s development.
Women’s education is a multi-faceted factor that can be held responsible for the low rate of education among women in India. The factors like social, demographic, political and economic are the backbone of low or high literacy rate. The low acceptance of girls in schools is one of the main reasons, which hurdles in the way of women’s liberation in India. According to reliable sources, 50% of all girls have never been to school. Whereas, two out of ten girls of the age 6 to 11 years have not yet enrolled in schools.
The role of women in the education system can play a big part in society. The factors like cultural, social, political and technological changes in the world have revolutionized the education and social life of women. If schools for female raise human capital, economic growth and productivity as that of male schooling, the women’s disadvantage in education is economically wasteful. Studies have shown that the rate of economic growth from women’s education matches with those from men’s education.
Women empowerment is a pivotal part of any society, state or country. It is a woman who plays a dominant role in the basic life of a child. Women are an important section of our society. Education as a means of empowerment of women can bring about a positive attitudinal change. It is, therefore, crucial for the socioeconomic and political progress of India. The Constitution of India empowers the state to adopt affirmative measures for promoting ways and means to empower women. Education significantly makes difference in the lives of women.
Women Empowerment is a global issue and discussion on women political right are at the forefront of many formal and informal campaigns worldwide. The concept of women empowerment was introduced at the international women conference at NAROIBI in 1985. Education is the milestone of women empowerment because it enables them to respond to the challenges, to confront their traditional role and change their life. Hence, we cannot neglect the importance of education in reference to women empowerment. To see the development in women education India is supposed to the upcoming superpower of the world in recent years. With the increasing change in women education, the empowerment of women has been recognized as the central issue in determining the status of women. For becoming a superpower we have mostly to concentrate upon women’s education. By which it will force women’s empowerment. As per United National Development Fund for Women (UNIFEM), the term women’s empowerment means:
• Acquiring knowledge and understanding of gender relations and the ways in which these relations maybe changed.
• Developing a sense of self-worth, a belief in one’s ability to secure desired changes and the right to control one’s life.
• Gaining the ability to generate choices exercise bargaining power.
• Developing the ability to organize and influence the direction of social change, to create more just social and economic order, nationally and internationally.
Thus, empowerment means a psychological sense of personal control or influence and concern with actual social influence, political power and legal rights. It is a multi-level construct referring to individuals, organizations and community. It is an international, ongoing process centred in the local community, involving mutual respect, critical reflection, caring and group participation, through which people lacking an equal share of valued resources gain greater access to control over these resources.
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