स्वतंत्रता सेनानियों पर निबंध (Freedom Fighters Essay In Hindi)
आज हम स्वतंत्रता सेनानियों पर निबंध (Essay On Freedom Fighters In Hindi) लिखेंगे। स्वतंत्रता सेनानियों पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।
स्वतंत्रता सेनानियों पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Freedom Fighters In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कई विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे , जिन्हे आप पढ़ सकते है।
भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों पर निबंध (Indian Freedom Fighters Essay In Hindi)
स्वतंत्रता सेनानी जिन्होंने देश को आजाद कराने के लिए अपने प्राणों तक की बलि दे दी, उनको अपने देश से प्रेम था। उन्होंने अपने घर परिवार की चिंता करे बगैर अपना सब कुछ देश को आजाद कराने में न्योछावर कर दिया। न जाने कितने स्वतंत्रता सेनानियो ने देश के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया। क्युकी देशभक्ति इनमे कूट कूट कर भरी थी।
देश को आजाद कराने के लिए जो महान बलिदान स्वतंत्रता सेनानियों ने दिया, उसकी कल्पना किए जाने से हमारी रूह कांप जाती है। वे न जाने कितने दर्द और कठिनाइयों से गुजरे होगे। उनके लंबे संघर्ष के परिणामस्वरूप आज हमारे देश में शांति स्थापित की जा सकी है।
इनके दिए गए बलिदान को हम कभीं नही चुका सकते है। देश गुलामी की जंजीर से इस कदर जकड़ा हुआ था, कि बिना कारण के भी बेकसूर लोगो को जेल में डाल दिया जाता था। कुछ समय के लिए सोच कर देखिए, अगर आपके साथ कुछ ऐसा घटित होता तो कैसा लगता।
स्वतंत्रता सेनानियों का देश को आजादी दिलाने में महत्व
स्वतंत्रता सेनानियो के महत्त्व को बताने की आवश्यकता मुझे बिल्कुल नही लगती है। क्योंकि इनका नाम इतिहास के पन्नो पर स्वर्ण अक्षरों में दर्ज किया गया है। देश को आजाद कराने में इनके दिए गए योगदान को याद करने के लिए हम स्वतंत्रता दिवस मनाते है।
खैर इस बात का कोई महत्त्व नहीं होता कि उन्होंने कितना बड़ा योगदान दिया, फर्क इस बात से पड़ता है कि इनकी कुछ सहभागिता थी देश को स्वतंत्र कराने के लिए। इससे फर्क पड़ता है की देशभक्ति की भावना उनके अंदर किस कदर मौजूद थी।
स्वतंत्रता सेनानियो के जीवन में अपार संघर्ष था, उन्हें कई बार देश को आजाद कराने के लिए युद्ध करने पड़े और कईयों ने तो अपनी जान भी गवां दी। युद्ध में लड़ने के लिए इनको किसी भी प्रकार का प्रशिक्षण भी नही दिया गया था, फिर भी अपने प्राणों की चिंता करे बगैर वे युद्ध में हिस्सा लेते थे और बड़ी वीरता पूर्वक शत्रु का समाना करते थे।
देश को आजाद कराने के लिए इनके मन में एक जूनून था, जोकि देश को आजाद करा कर ही पूरा हुआ। स्वतंत्रता सेनानि दूसरो के सामने मिसाल कायम करने में सफल रहे, कि हमे विषम से विषम परिस्थिति में हार नही माननी चाहिए, बल्कि डट कर उसका सामना करना चाहिए।
यही वजह है कि अंग्रेजो को भारत के स्वतंत्रता सेनानियो के सामने अंत में घुटने टेकने पड़े। स्वतंत्रता सेनानियों के कठोर परिश्रम के परिणामस्वरूप आज हम किसी भी प्रकार के उपनिवेशवादियों या उनके अत्याचार से पूरी तरह से आजाद हो सके है। आज हमारा देश उन्नति की राह पर अग्रसर है।
मेरे प्रिय स्वतंत्रता सेनानियों की सूची
भारत को आजाद कराने में वैसे तो बहुत सारे स्वतंत्रता सेनानियों का हाथ रहा है। उन्होंने देश को आजाद कराने के लिए तन मन और धन सबकुछ न्योछावर कर दिया था। उनके दिए गए त्याग को कोई चुका नही सकता।
उन्ही स्वतंत्रता सेनानियों में कुछ स्वतंत्रता सेनानियो को मैं बहुत पसंद करता हूं। इन्ही से प्रेरित होकर मेरे अंदर देशभक्ति की भावना जागृत हुई है। जिनकी सूचि निचे दी है।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी
पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी है, जिन्होने बगैर हिंसा के देश को आजाद कराने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी। सत्य और अहिंसा के बल पर उन्होंने देश को आजाद कराया।
रानी लक्ष्मी बाई
मेरे प्रिय सेनानी का जिक्र करे तो, उसमे रानी लक्ष्मी बाई आती है। इनका नाम भी इतिहास के पन्नो पर वीरता के लिए दर्ज किया गया है। इस वीरांगना को पसंद किए जाने के पीछे मेरी अहम वजह यह है की इन्होंने कठिन से कठिन परिस्थिति में अंग्रेजो के सामने हार नही मानी और अंतिम समय तक डट कर उनका सामना करती रही।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस
इसके बाद अगली बारी आती है, हमारे सबके चहेते नेताजी सुभाष चंद्र बोस की। देश को आजाद कराने में इनका भी भरपूर सहयोग रहा है। इन्होंने अंग्रेजो को भारत की शक्ति का प्रदर्शित करने के लिए भारतीय राष्ट्रीय सेना का नेतृत्व किया।
देश को आजाद कराने के लिए इन्होंने लोगो को जागृत किया और उनसे कुरबानी मांगी। इसका अंदाजा आप उनकी दी गई पंक्तियों से लगा सकते हो। जो है “‘तुम मुझे अपना खून दो और मैं तुम्हें आजादी दूंगा”।
पंडित जवाहरलाल नेहरू
अंत में एक और महान नेता पंडित जवाहर लाल नेहरू के व्यक्तिव से मै काफी प्रभावित हूं। जिन्होंने देश के लिए जीवन पर्यंत बलिदान दिया, तब जाकर हम स्वतंत्र होकर चैन से जी रहे है। एक धनी परिवार से संबंध रखने के बावजूद इन्होंने अपनी सारी सुख सुविधाओं का त्याग करके आजादी के लिए संघर्ष किया।
इसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा। इसके बावजूद उन्होंने हार नही मानी और अन्याय के खिलाफ लड़ते रहे। यही वजह है की लोग उन्हें आज भी याद करते है और उनकी दी गई कुरबानी की कहानी युवा पीढ़ी को आज भी सुनाते है।
इनके अलावा भी बहोत से स्वतंत्रता सेनानी है, जिनके योगदान के बिना देश को स्वतंत्र नहीं किया जा सकता था। जैसे भगत सिंह, मंगल पांडे, चंद्र शेखर आज़ाद, कुनव सिंह, विनायक दामोदर सावरकर, दादाभाई नौरोजी, सरदार वल्लभभाई पटेल, लाला लाजपत राय, राम प्रसाद बिस्मिल, बाल गंगाधर तिलक, लाल बहादुर शास्त्री, नाना साहब, राजा राम मोहन रॉय।
भारत को आजाद कराने में स्वतंत्रता सेनानियों का महत्त्वपूर्ण हाथ था। इनके द्वारा दी गई कुरबानी को हम कभी नहीं भुला पाएंगे। भारत के इतिहास के पन्नो के खुलने पर आपको पता चलेगा कि इन्होंने कितना बड़ा त्याग किया। देश को आजाद कराने के लिए कितनी लंबी और भयानक लड़ाई लड़ी। तब जाकर कही देश स्वतंत्र हो सका।
एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हमे इनसे प्रेरित होना चाहिए। इनके समान देशभक्ति हर देशवासी के मन में होनी चाहिए। पूरे देश के लोगो को एकता के सूत्र में बांधना चाहिए। ताकि जब कभी हमारे देश पर कोई मुसीबत आए, तो हम शत्रु का डटकर सामना कर सके।
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तो यह था स्वतंत्रता सेनानियों पर निबंध (Freedom Fighters Essay In Hindi) , आशा करता हूं कि स्वतंत्रता सेनानियों पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Freedom Fighters) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है , तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।
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स्वतंत्रता सेनानियों पर निबंध 10 lines (Essay On Freedom Fighters in Hindi) 100, 200, 250, 300, 500, शब्दों मे
Essay On Freedom Fighters in Hindi – किसी देश की स्वतंत्रता उसके नागरिकों पर निर्भर करती है। अपने देश और देशवासियों को आजाद कराने के लिए निःस्वार्थ अपने प्राणों की आहुति देने वाले व्यक्तियों की पहचान स्वतंत्रता सेनानियों के रूप में की जाती है। हर देश में कुछ बहादुर दिल होते हैं जो स्वेच्छा से अपने देशवासियों के लिए अपनी जान दे देते हैं। स्वतंत्रता सेनानियों ने न केवल अपने देश के लिए लड़ाई लड़ी, बल्कि हर किसी के लिए जो चुपचाप सहते रहे, अपने परिवार और स्वतंत्रता को खो दिया, और यहां तक कि अपने लिए जीने का अधिकार भी खो दिया। देश के लोग स्वतंत्रता सेनानियों को उनकी देशभक्ति और मातृभूमि के प्रति उनके प्रेम के लिए सम्मान की दृष्टि से देखते हैं। ये लोग ऐसे उदाहरण प्रदान करते हैं जिनके द्वारा अन्य नागरिक जीने का लक्ष्य रखते हैं।
Essay On Freedom Fighters in Hindi – सामान्य लोगों के लिए अपने प्राणों की आहुति देना बहुत बड़ी बात है लेकिन स्वतंत्रता सेनानी निःस्वार्थ भाव से अपने देश के लिए यह अकल्पनीय बलिदान बिना किसी परिणाम की परवाह किए करते हैं। अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उन्हें जितने दर्द और कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। उनके संघर्षों के लिए पूरा देश उनका सदैव ऋणी रहेगा।
स्वतंत्रता सेनानियों पर 10 पंक्तियाँ (10 Lines On Freedom Fighters in Hindi)
- स्वतंत्रता सेनानी वे थे जिन्होंने भारत की आजादी के लिए अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।
- उनके बलिदानों के कारण आज हम एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक समाज में जी रहे हैं।
- उनके पास भारत को एक स्वतंत्र देश के रूप में देखने और हमारे लोगों को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त करने की दृष्टि थी।
- उन्होंने हमारे देश से अंग्रेजों को भगाने के लिए एकजुट होने का फैसला किया।
- महात्मा गांधी , भगत सिंह , सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटेल , आदि कुछ प्रमुख व्यक्ति हैं जिन्होंने भारत में लोगों के बीच स्वतंत्रता की आग को प्रज्वलित किया।
- हमारे कुछ स्वतंत्रता सेनानियों की सुंदरता यह थी कि उन्होंने किसी भी हथियार का इस्तेमाल नहीं किया और विशुद्ध रूप से “अहिंसा” और असहयोग की विचारधारा पर लड़े।
- आजादी का बीज 1857 के आसपास बोया गया था और हमें आजादी लगभग 90 साल बाद यानी 1947 में मिली।
- आज हम जिस स्वतंत्रता का आनंद ले रहे हैं, वह उन लोगों का संघर्ष है, जिन्होंने एक स्वतंत्र देश की कल्पना की थी।
- हमारे स्वतंत्रता सेनानियों को मनाना और उनका सम्मान करना आवश्यक है।
- हमारे स्वतंत्रता सेनानी हमारे लिए प्रेरणा के स्रोत हैं क्योंकि वे देश के लिए प्यार और देश को ब्रिटिश शासन से मुक्त करने के लिए किए गए बलिदान का मूल्य सिखाते हैं।
स्वतंत्रता सेनानियों पर 100 शब्दों का निबंध (100 Words Essay On Freedom fighters in Hindi)
अपने महान योद्धाओं के नेतृत्व में बहादुर स्वतंत्रता संग्राम के परिणामस्वरूप 15 अगस्त, 1947 को भारत को स्वतंत्रता मिली। हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने कई संघर्षों, आंदोलनों, लड़ाइयों और उथल-पुथल से लड़ने में योगदान दिया।
बाल गंगाधर तिलक, डॉ राजेंद्र प्रसाद, डॉ लाल बहादुर शास्त्री, सरदार वल्लभ भाई पटेल और महात्मा गांधी जैसे उत्कृष्ट मुक्ति सेनानियों द्वारा महत्वपूर्ण योगदान दिया गया है।
स्वतंत्रता सेनानियों ने न केवल अपने देश की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी, बल्कि उन सभी के लिए भी संघर्ष किया, जिन्होंने चुपचाप सहा और अपने परिवार, स्वतंत्रता, या यहां तक कि स्वतंत्र रूप से जीने का अधिकार खो दिया। स्वतंत्रता सेनानियों के लिए देश के लोगों के मन में बहुत सम्मान है।
स्वतंत्रता सेनानियों पर 200 शब्दों का निबंध (200 Words Essay On Freedom fighters in Hindi)
Essay On Freedom Fighters in Hindi – भारत अपनी स्वतंत्रता का श्रेय अपने बहादुर स्वतंत्रता सेनानियों को देता है। यही कारण है कि हम स्वतंत्रता दिवस मनाने का सौभाग्य प्राप्त कर सकते हैं। वे क्रांतिकारी थे, और उनमें से कुछ ने अंग्रेजों का मुकाबला करने के लिए अहिंसा को एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया। स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा किए गए प्रयासों के कारण, भारत को अंततः 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त हुई।
मेरे पसंदीदा स्वतंत्रता सेनानी
महात्मा गांधी, जिन्हें लोकप्रिय रूप से “राष्ट्रपिता” के रूप में जाना जाता है, वे हैं जिन्हें मैं बहुत प्यार करता हूं और मेरे पसंदीदा स्वतंत्रता सेनानियों में से एक हैं। उन्होंने अहिंसा का मार्ग चुना और केवल सत्य और शांति का उपयोग करके मुक्ति प्राप्त की, किसी हथियार का नहीं।
एक और महान स्वतंत्रता सेनानी रानी लक्ष्मी बाई थीं, जो एक मजबूत महिला थीं, जिनके पास उदाहरण के तौर पर सिखाने के लिए बहुत कुछ था। इतनी चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, उन्होंने देश के लिए लड़ाई लड़ी। माँ ने अपने बच्चे के लिए अपने देश को कभी नहीं छोड़ा; बल्कि, वह उसे अन्याय के खिलाफ युद्ध की अग्रिम पंक्ति में ले गई।
एक शताब्दी की क्रांति, रक्तपात और युद्धों के बाद, हम अंग्रेजों से अपनी आजादी वापस लेने में सक्षम हुए। हम इन उत्कृष्ट नेताओं के कारण एक लोकतांत्रिक, स्वतंत्र देश में रहते हैं। कई स्वतंत्रता सेनानियों ने ब्रिटिश अन्याय, शोषण और क्रूरता से लोगों की रक्षा के लिए संघर्ष किया। यह देश और इसके लोगों के लिए उनका सरासर प्यार और समर्पण था कि उन्होंने भारत को अंग्रेजों से वापस ले लिया।
स्वतंत्रता सेनानियों पर 250 शब्दों का निबंध (250 Words Essay On Freedom fighters in Hindi)
स्वतंत्रता सेनानी वे लोग हैं जो अपने देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ते हैं। उन्हें ऐसे नायकों के रूप में देखा जाता है जो अपने देश की आजादी के लिए कोई भी बलिदान देने को तैयार थे। देश की आजादी के लिए कई स्वतंत्रता सेनानियों ने लड़ाई लड़ी। कुछ उल्लेखनीय नामों में महात्मा गांधी, भगत सिंह, रानी लक्ष्मी बाई, सुभाष चंद्र बोस आदि शामिल हैं।
स्वतंत्रता सेनानियों का योगदान
स्वतंत्रता सेनानी किसी देश के स्वतंत्रता संग्राम में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे ही लोगों के संघर्ष में नेतृत्व करते हैं और उन्हें साहस और दिशा प्रदान करते हैं। स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने देश की आजादी के लिए कई कुर्बानियां दी हैं। स्वतंत्रता के लिए अपने संघर्ष में उन्हें कारावास, यातना और कभी-कभी मृत्यु का भी सामना करना पड़ा। उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर दिया कि देश स्वतंत्र है।
स्वतंत्रता सेनानियों का महत्व
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भारत के स्वतंत्रता सेनानी एक प्रमुख प्रेरक शक्ति थे। भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने ब्रिटिश राज से स्वतंत्रता प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे राजनीतिक और अहिंसक तरीकों से लड़े, और उनके प्रयासों से अंततः भारत में ब्रिटिश शासन का अंत हुआ। भारतीय स्वतंत्रता सेनानी व्यक्तियों का एक विविध समूह थे जो शिक्षित पेशेवरों से लेकर आदिवासी नेताओं तक थे। उन सबका एक ही लक्ष्य था – भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराना।
स्वतंत्रता सेनानी बहादुर आत्माएं हैं जो अपने देश की आजादी के लिए लड़ती हैं। वे महान त्याग करते हैं और खतरे का सामना करने में अपार साहस दिखाते हैं। स्वतंत्रता सेनानियों की विरासत उनकी मृत्यु के बाद भी जीवित रहती है। देश के लोग उनकी बहादुरी और समर्पण के लिए उन्हें याद करते हैं और उनका सम्मान करते हैं।
स्वतंत्रता सेनानियों पर 300 शब्दों का निबंध (300 Words Essay On Freedom fighters in Hindi)
Essay On Freedom Fighters in Hindi – स्वतंत्रता सेनानी वे बहादुर और दुस्साहसी लोग थे जिन्होंने ब्रिटिश शासन से अपने देश को आजादी दिलाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया था। उन्होंने अंतहीन बलिदान दिए ताकि हम अपने देश में आज़ादी से रह सकें और खुशहाल जीवन जी सकें। अंग्रेज भारतीयों पर शोषण के कई अन्यायपूर्ण कार्य करते थे, इसलिए ये स्वतंत्रता सेनानी वे लोग थे जो इन ब्रिटिश लोगों का विरोध करने और अपने देश की स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए उनसे लड़ने का साहस रखते थे। भारत को एक स्वतंत्र और स्वतंत्र देश बनाने के लिए उन्होंने बहुत दर्द और कष्ट सहा।
लोग हमेशा उन्हें उनकी देशभक्ति और अपने देश के लिए प्यार के लिए याद करते हैं। हम और हमारी आने वाली पीढ़ियां कभी भी उनके बलिदान और कड़ी मेहनत के लिए उन्हें पर्याप्त धन्यवाद नहीं दे सकतीं। स्वतंत्रता सेनानी वे लोग हैं जिनकी वजह से हम स्वतंत्रता दिवस मना पा रहे हैं।
अंग्रेजों की क्रूरता से लोगों को बचाने के लिए कई स्वतंत्रता सेनानी युद्ध के लिए गए। भले ही उनके पास लड़ने का कोई प्रशिक्षण नहीं था, फिर भी वे लोगों की रक्षा करने और अपने देश को अन्याय और शोषण से मुक्त करने के लिए लड़े। उनमें से कई की युद्ध के दौरान हत्या कर दी गई थी और इस प्रकार हम महसूस कर सकते हैं कि उन्होंने कितनी बहादुरी से हर परिस्थिति का सामना किया और हमें एक स्वतंत्र नागरिक बनाया।
कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अन्य लोगों को अपनी स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया, उन्होंने कई स्वतंत्रता आंदोलनों का नेतृत्व किया और लोगों को उनके मौलिक अधिकारों और शक्ति के बारे में बताया। तो वे हमारी संप्रभुता और स्वतंत्रता के पीछे कारण हैं। स्वतंत्रता सेनानियों की एक अंतहीन सूची है जिनमें से कुछ ज्ञात हैं जबकि अन्य अज्ञात हैं जिन्होंने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए चुपचाप अपने प्राणों की आहुति दे दी।
महात्मा गांधी, भगत सिंह, उधम सिंह, राजगुरु, सुभाष चंद्र बोस, चंदर शेखर, सुखदेव कुछ प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन अपने देश के लिए लड़ते हुए समर्पित कर दिया।
हालाँकि, हम सांप्रदायिक घृणा को दिन-ब-दिन बढ़ते हुए देख सकते हैं जो काफी शर्मनाक है क्योंकि लोग इन स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों को बेकार कर रहे हैं। इसलिए हमें एक-दूसरे के खिलाफ खड़े नहीं होना चाहिए और हमेशा शांति से रहने की कोशिश करनी चाहिए ताकि हम अपने राष्ट्र को सफल और समृद्ध बनाने में मदद कर सकें।
स्वतंत्रता सेनानियों पर 500 शब्दों का निबंध (500 Words Essay On Freedom fighters in Hindi)
स्वतंत्रता सेनानी वे लोग थे जिन्होंने अपने देश की आजादी के लिए निस्वार्थ रूप से अपने प्राणों की आहुति दे दी। हर देश में स्वतंत्रता सेनानियों की अपनी उचित हिस्सेदारी है। लोग उन्हें देशभक्ति और अपने देश के प्रति प्रेम के संदर्भ में देखते हैं। उन्हें देशभक्त लोगों का प्रतीक माना जाता है।
देश की तो बात ही छोड़िए, स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्रियजनों के लिए ऐसा बलिदान दिया जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता। जितना दर्द, कठिनाई और विपरीत उन्होंने सहा है उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। उनके बाद की पीढ़ियां उनके निःस्वार्थ बलिदान और कड़ी मेहनत के लिए हमेशा उनकी ऋणी रहेंगी।
स्वतंत्रता सेनानियों के महत्व पर पर्याप्त जोर नहीं दिया जा सकता है। आखिर उन्हीं की वजह से हम स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं। कोई फर्क नहीं पड़ता कि उन्होंने कितनी छोटी भूमिका निभाई, वे आज भी बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे उस समय में थे। इसके अलावा, उन्होंने देश और इसके लोगों के लिए खड़े होने के लिए उपनिवेशवादियों के खिलाफ विद्रोह किया।
इसके अलावा, अधिकांश स्वतंत्रता सेनानी अपने लोगों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए युद्ध में भी गए। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनके पास कोई प्रशिक्षण नहीं था; उन्होंने ऐसा अपने देश को स्वतंत्र बनाने के शुद्ध इरादे से किया। स्वतंत्रता संग्राम में अधिकांश स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राणों की आहुति दी।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि स्वतंत्रता सेनानियों ने अन्याय से लड़ने के लिए दूसरों को प्रेरित और प्रेरित किया। वे स्वतंत्रता आंदोलन के पीछे के स्तंभ हैं। उन्होंने लोगों को उनके अधिकारों और उनकी शक्ति के बारे में जागरूक किया। यह सब स्वतंत्रता सेनानियों की वजह से है कि हम किसी भी प्रकार के उपनिवेशवादियों या अन्याय से मुक्त एक स्वतंत्र देश में समृद्ध हुए।
भारत ने बहुत से स्वतंत्रता सेनानियों को अपनी मातृभूमि के लिए लड़ते देखा है। जबकि मैं उनमें से हर एक का समान रूप से सम्मान करता हूं, मेरे कुछ व्यक्तिगत पसंदीदा हैं जिन्होंने मुझे अपने देश के लिए काम करने के लिए प्रेरित किया। सबसे पहले, मैं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को पूरी तरह से प्रणाम करता हूं। मैं उन्हें पसंद करता हूं क्योंकि उन्होंने अहिंसा का मार्ग चुना और बिना किसी हथियार के, केवल सत्य और शांति के बिना आजादी हासिल की।
दूसरे, रानी लक्ष्मी बाई एक महान स्वतंत्रता सेनानी थीं। मैंने इस सशक्त महिला से बहुत कुछ सीखा है। इतनी कठिनाइयों के बावजूद वह देश के लिए लड़ीं। एक मां ने अपने बच्चे के लिए कभी देश नहीं छोड़ा, बल्कि अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए उसे जंग के मैदान में ले गई। इसके अलावा, वह कई मायनों में इतनी प्रेरणादायक थी।
इसके बाद मेरी लिस्ट में नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम आता है। उन्होंने अंग्रेजों को भारत की शक्ति दिखाने के लिए भारतीय राष्ट्रीय सेना का नेतृत्व किया। उनकी प्रसिद्ध पंक्ति ‘तुम मुझे खून दो और मैं तुम्हें आजादी दूंगा।’
अंत में, पंडित जवाहरलाल नेहरू भी महानतम नेताओं में से एक थे। एक समृद्ध परिवार से होने के बावजूद, उन्होंने आसान जीवन छोड़ दिया और भारत की आजादी के लिए संघर्ष किया। उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा लेकिन वह उन्हें अन्याय के खिलाफ लड़ने से नहीं रोक पाए। वह कई लोगों के लिए एक महान प्रेरणा थे।
संक्षेप में, स्वतंत्रता सेनानियों ने ही हमारे देश को वह बनाया जो आज है। हालाँकि, हम आजकल देखते हैं कि लोग हर उस चीज़ के लिए लड़ रहे हैं जिसके खिलाफ वे खड़े थे। सांप्रदायिक घृणा को बीच में नहीं आने देने के लिए हमें एक साथ आना चाहिए और इन स्वतंत्रता सेनानियों के भारतीय सपने को पूरा करना चाहिए। तभी हम उनके बलिदान और स्मृति का सम्मान करेंगे।
स्वतंत्रता सेनानियों पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
Q.1 स्वतंत्रता सेनानी क्यों महत्वपूर्ण थे.
A.1 स्वतंत्रता सेनानियों ने हमारे देश को स्वतंत्र कराया। उन्होंने अपने जीवन का त्याग कर दिया ताकि हम उपनिवेशवाद से मुक्त उज्ज्वल भविष्य प्राप्त कर सकें।
Q.2 कुछ भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के नाम बताइए।
A.2 भारत के कुछ प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी महात्मा गांधी, रानी लक्ष्मी बाई, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और जवाहरलाल नेहरू थे।
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- Bharat ka Itihaas (Indian History in Hindi) /
महान भारतीय स्वतंत्रता सैनानी
- Updated on
- अगस्त 5, 2023
लगभग 76 साल पहले, 15 अगस्त 1947 की ऐतिहासिक तारीख को, भारत ब्रिटिश प्रभुत्व से मुक्त हो गया। यहां कई आंदोलनों और संघर्षों की परिणति थी जो 1857 के ऐतिहासिक विद्रोह सहित ब्रिटिश शासन के समय में व्याप्त थे। यह स्वतंत्रता कई क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानियों के प्रयासों के माध्यम से हासिल की गई थी, जिन्होंने इस संघर्ष को आयोजित करने का बीड़ा उठाया जिसके कारण भारत की स्वतंत्रता हुईं। हालांकि वे सभी विभिन्न विचारधाराओं के थे, लेकिन भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को हर भारतीय के दिल में अमर कर दिया। Indian Freedom Fighters in Hindi (स्वतंत्रता सेनानी) के बारे में अधिक जानने के लिए इस ब्लॉग को अंत तक जरूर पढ़ें।
The Blog Includes:
भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, महत्वपूर्ण भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और उनके योगदान, महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, सरदार वल्लभभाई पटेल, जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, दादा भाई नौरोजी, बिपिन चंद्र पाल, लाला लाजपत राय, राजा राम मोहन रॉय, तात्या टोपे, बाल गंगाधर तिलक, अशफाकउल्ला खान , सी. राजगोपालाचारी, राम प्रसाद बिस्मिल, चंद्रशेखर आज़ाद, रानी लक्ष्मीबाई, बेगम हज़रत महल, सरोजिनी नायडू, सावित्रिभाई फुले, विजयलक्ष्मी पंडित, भारतीय स्वतंत्रता सैनानीयों द्वारा कोट्स.
भारत से अंग्रेजों को बाहर करने के संघर्ष में देश के हर कोने के लोगों ने भाग लिया। उनमें से कई क्रांतिकारियों ने भारत को अंग्रेजों के अत्याचारी शासन से मुक्त करने के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया। आइए जानते हैं कुछ महान हस्तियों के बारे में विस्तार से।
- दादाभाई नौरोजी
- टांटिया टोपे
- के. एम. मुंशी
- अशफाकला खान
- रानी लक्ष्मी बाई
- चितरंजन दास
- बेगम हजरत महल
- चंद्र शेखर आज़ाद
- अब्दुल हाफिज मोहम्मद बाराकतुल्लाह
ये भी पढ़ें : भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन
Indian Freedom Fighters in Hindi पर आधारित इस ब्लॉग में कुछ महत्वपूर्ण भारतीय स्वतंत्रता सेनानीयों के नाम और उनके योगदान निम्नलिखित हैं-
ये भी पढ़ें : 1857 की क्रांति
भारतीय स्वतंत्रता सेनानीयों के बारे में
आइए नीचे Indian Freedom Fighters in Hindi (स्वतंत्रता सेनानी) के बारे में विस्तार से जानते हैं:-
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। इनके पिता का नाम करमचंद गांधी था। मोहनदास की माता का नाम पुतलीबाई था जो करमचंद गांधी जी की चौथी पत्नी थीं। मोहनदास अपने पिता की चौथी पत्नी की अंतिम संतान थे। महात्मा गांधी को ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का नेता और ‘राष्ट्रपिता’ माना जाता है। महात्मा गांधी Indian Freedom Fighters in Hindi मे से एक महान व्यक्ति थे।
महात्मा गांधी के बारे में 10 रोचक तथ्य
- गांधी जी की मातृभाषा गुजराती थी।
- गांधी जी ने अल्फ्रेड हाई स्कूल, राजकोट से पढ़ाई की थी
- गांधी जी का जन्मदिन 2 अक्टूबर ‘अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस ‘ के रूप में विश्वभर में मनाया जाता है।
- महात्मा गांधी जी अपने माता-पिता के सबसे छोटी संतान थे उनके दो भाई और एक बहन थी।
- उनके पिता धार्मिक रूप से हिंदू तथा जाति से मोध बनिया थे।
- माधव देसाई, गांधी जी के निजी सचिव थे।
- उनकी हत्या बिरला भवन के बगीचे में हुई थी।
- गांधी जी और प्रसिद्ध लेखक लियो टोलस्टोय के बीच लगातार पत्र व्यवहार होता था।
- गांधी जी ने दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह संघर्ष के दौरान , जोहांसबर्ग से 21 मील दूर एक 1100 एकड़ की छोटी सी कालोनी, टॉलस्टॉय फार्म स्थापित की थी।
- 1930 में, उन्होंने दांडी साल्ट मार्च का नेतृत्व किया और 1942 में, उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ चलाया।
हमारे देश के एक महान Indian Freedom Fighters in Hindi (स्वतंत्रता सेनानी) नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा के कटक शहर में हुआ था। उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और मां का नाम प्रभावती था, उनके पिताजी कटक शहर के मशहूर वकील थे। सुभाष चंद्र बोस कुल 14 भाई बहन थे। सुभाष चंद्र बोस एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे। ‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा’ उन्होंने ही यह प्रसिद्ध नारा भारत को दिया। जिससे भारत के कई युवा वर्ग भारत से अंग्रेजों को बाहर निकालने की लड़ाई लड़ने के लिए प्रेरित हुए। नेताजी ने चितरंजन दास के साथ काम किया जो बंगाल के एक राजनीतिक नेता, शिक्षक और बंगलार कथा नाम के बंगाल सप्ताहिक में पत्रकार थे। बाद में वो बंगाल कांग्रेस के वालंटियर कमांडेंट, नेशनल कॉलेज के प्रिंसीपल, कलकत्ता के मेयर और उसके बाद निगम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रुप में नियुक्त किये गये।
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सुभाष चंद्र बोस द्वारा बोले गए अनमोल वचन
- “तुम मुझे खून दो ,मैं तुम्हें आजादी दूंगा !”
- “ये हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी स्वतंत्रता का मोल अपने खून से चुकाएं। हमें अपने बलिदान और परिश्रम से जो आज़ादी मिलेगी, हमारे अन्दर उसकी रक्षा करने की ताकत होनी चाहिए”
- “आज हमारे अन्दर बस एक ही इच्छा होनी चाहिए, मरने की इच्छा ताकि भारत जी सके! एक शहीद की मौत मरने की इच्छा ताकि स्वतंत्रता का मार्ग शहीदों के खून से प्रशश्त हो सके”
- “मुझे यह नहीं मालूम की स्वतंत्रता के इस युद्ध में हममे से कौन कौन जीवित बचेंगे ! परन्तु में यह जानता हूँ ,अंत में विजय हमारी ही होगी !”
- “राष्ट्रवाद मानव जाति के उच्चतम आदर्श सत्य, शिव और सुन्दर से प्रेरित है “
- “भारत में राष्ट्रवाद ने एक ऐसी सृजनात्मक शक्ति का संचार किया है जो सदियों से लोगों के अन्दर से सुसुप्त पड़ी थी”
- “मेरे मन में कोई संदेह नहीं है कि हमारे देश की प्रमुख समस्यायों जैसे गरीबी ,अशिक्षा, बीमारी, कुशल उत्पादन एवं वितरण का समाधान सिर्फ समाजवादी तरीके से ही किया जा सकता है”
- “यदि आपको अस्थायी रूप से झुकना पड़े तब वीरों की भांति झुकना !”
- “समझोतापरस्ती बड़ी अपवित्र वस्तु है !”
- “मध्या भावे गुडं दद्यात — अर्थात जहाँ शहद का अभाव हो वहां गुड से ही शहद का कार्य निकालना चाहिए !”
सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को नादिद ग्राम में हुआ था, जिन्होंने Indian Freedom Fighters in Hindi बनके अंग्रेजों को देश से भगाया था। उनके पिता झवेरभाई पटेल एक साधारण किसान और माता लाड बाई एक साधारण महिला थी। बचपन से ही पटेल कड़ी महेनत करते आए थे, बचपन से ही वे परिश्रमी थे। उन्होंने 1896 में अपनी हाई-स्कूल परीक्षा पास की। स्कूल के दिनों से ही वे होशियार थे। भारत माता की स्वतंत्रता की लड़ाई में उनका महत्वपूर्ण योगदान था इसी वजह से उन्हें भारत का ‘लौह पुरुष’ कहा जाता है। सरदार वल्लभ भाई पटेल जी ने अपने जीवन में महात्मा गाँधी जी से प्रेरणा ली थी और स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लेकर अपना योगदान दिया था। हमारे भारत के इतिहास में सरदार वल्लभ भाई पटेल का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा गया है। भारत हमेशा इस महान, साहसी, निडर, निर्भयी, दबंग, अनुशासित, अटल महान पुरुष को याद रखेगा।
प्रमुख विचार
- जीवन की डोर तो ईश्वर के हाथ में है, इसलिए चिंता की कोई बात हो ही नहीं सकती
- कठिन समय में कायर बहाना ढूंढ़ते हैं बहादुर व्यक्ति रास्ता खोजते हैं
- उतावले उत्साह से बड़ा परिणाम निकलने की आशा नहीं रखनी चाहिये
- हमें अपमान सहना सीखना चाहिए
- बोलने में मर्यादा मत छोड़ना, गालियाँ देना तो कायरों का काम है
- शत्रु का लोहा भले ही गर्म हो जाये, पर हथौड़ा तो ठंडा रहकर ही काम दे सकता है
- आपकी अच्छाई आपके मार्ग में बाधक है, इसलिए अपनी आंखें को क्रोध से लाल होने दीजिये, और अन्याय का मजबूत हाथों से सामना कीजिये
जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर 1889 को ब्रिटिश भारत में इलाहाबाद में हुआ। उनके पिता, मोतीलाल नेहरू (1861–1931), एक धनी बैरिस्टर जो कश्मीरी पण्डित समुदाय से थे, स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के दो बार अध्यक्ष चुने गए। उनकी माता स्वरूपरानी (1868–1938), जो लाहौर में बसे एक सुपरिचित कश्मीरी ब्राह्मण परिवार से थी, मोतीलाल की दूसरी पत्नी थी व पहली पत्नी की प्रसव के दौरान मृत्यु हो गई थी। जवाहरलाल तीन बच्चों में से सबसे बड़े थे, जिनमें बाकी दो लड़कियाँ थी। बड़ी बहन, विजया लक्ष्मी, बाद में संयुक्त राष्ट्र महासभा की पहली महिला अध्यक्ष बनी। सबसे छोटी बहन, कृष्णा हठीसिंग, एक उल्लेखनीय लेखिका बनी और उन्होंने अपने भाई पर कई पुस्तकें लिखी। जवाहरलाल नेहरु जी को 1955 में ‘भारत रत्न’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। जवाहरलाल नेहरू जी को पंडित नेहरू और चाचा नेहरू भी कहा जाता है, साथ ही में उन्हें आधुनिक भारत का शिल्पकार भी कहा जाता है। जवाहरलाल नेहरु जी को सभी बच्चे चाचा नेहरू कहा करते थे, इस वजह से जवाहरलाल नेहरू जी के जन्मदिन 14 नवंबर को हर वर्ष ‘बाल दिवस’ मनाया जाता है।
लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर, 1904 को मुगलसराय, उत्तरप्रदेश में ‘मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव’ के यहां हुआ था। उनकी माता का नाम ‘रामदुलारी’ था। उनके पिता प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक थे। ऐसे में सब उन्हें ‘मुंशी जी’ ही कहते थे। लाल बहादुर शास्त्री जी भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे। शास्त्री जी ने ‘ जय जवान ,जय किसान’ का नारा दिया था। 1965 का भारत पाकिस्तान युद्ध शास्त्रीजी के कार्यकाल में लड़ा और जीता गया था। 11 जनवरी 1966 की रात को ताशकंत में शास्त्री जी की संदिग्ध मृत्यु हो गई थी। शास्त्री जी के समाधि स्थल का नाम ‘विजय घाट’ है।
लाल बहादुर शास्त्री जी के अनमोल विचार
- हम शांति और शांतिपूर्ण विकास में विश्वास करते हैं, न केवल अपने लिए बल्कि दुनिया भर के लोगों के लिए।
- शासन का मूल विचार, जैसा कि मैं इसे देखता हूं, समाज को एक साथ रखना है ताकि यह निश्चित लक्ष्यों की ओर विकसित हो सके और मार्च कर सके।
- भारत को अपना सिर शर्म से झुकाना पड़ेगा, अगर एक भी ऐसा व्यक्ति बचा हो जिसे अछूत कहा जाए।
- हम दुनिया में सम्मान तभी जीत सकते हैं जब हम आंतरिक रूप से मजबूत होंगे और अपने देश से गरीबी और बेरोजगारी को दूर कर सकते हैं।
- हमारे देश की अनोखी बात यह है कि हमारे पास हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, सिख, पारसी और अन्य सभी धर्मों के लोग हैं। हमारे पास मंदिर और मस्जिद, गुरुद्वारे और चर्च हैं। लेकिन हम यह सब राजनीति में नहीं लाते … भारत और पाकिस्तान के बीच यही अंतर है।
- हमारा देश अक्सर आम खतरे के सामने एक ठोस चट्टान की तरह खड़ा हो गया है, और एक गहरी अंतर्निहित एकता है जो हमारी सभी प्रतीत होती विविधता के माध्यम से एक सुनहरे धागे की तरह चलती है।
- हमें शांति से लड़ना चाहिए क्योंकि हम युद्ध में लड़े थे।
- हमारा रास्ता सीधा और स्पष्ट है – घर में एक समाजवादी लोकतंत्र का निर्माण, सभी के लिए स्वतंत्रता और समृद्धि, और विश्व शांति और विदेश में सभी देशों के साथ मित्रता का रखरखाव।
- हम शांति के माध्यम से सभी विवादों के निपटारे में, युद्ध के उन्मूलन में, और, विशेष रूप से, परमाणु युद्ध में शांति में विश्वास करते हैं।
- हम एक व्यक्ति के रूप में मनुष्य की गरिमा में विश्वास करते हैं, जो भी उसकी जाति, रंग या पंथ और बेहतर, पूर्ण, और समृद्ध जीवन के लिए उसका अधिकार है।
भगत सिंह जी का जन्म 28 सितंबर, 1907 को पाकिस्तान के बंगा में हुआ था। भगत सिंह जी के पिता का नाम सरदार किशन सिंह संधू था और माता का नाम विद्यावती कौर था। भगत सिंह जी एक सिक्ख थे। भगत सिंह जी की दादी ने इनका नाम भागाँवाला रखा था क्योंकि उनकी दादी जी का कहना था कि यह बच्चा बड़ा भाग्यशाली होगा। भगत सिंह एक सच्चे देशभक्त थे। न केवल उन्होंने देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी बल्कि इस घटना में अपनी जान तक दे दी। उनकी मृत्यु ने पूरे देश में उच्च देशभक्ति की भावनाएं पैदा कीं। आज भी Indian Freedom Fighters in Hindi में सबसे प्रसिद्ध भगत सिंह जी का नाम बड़े अदब और इज़्ज़त से लिया जाता है।
भगत सिंह के अनमोल विचार
- मेरी गर्मी के कारण राख का एक एक कण चलायमान हैं में ऐसा पागल हूँ जो जेल में भी स्वतंत्र हूँ।
- क्रांति में सदैव संघर्ष हो यह जरुरी नहीं, यह बम और पिस्तौल की राह नहीं है।
- जो व्यक्ति उन्नति के लिए राह में खड़ा होता है उसे परम्परागत चलन की आलोचना एवम विरोध करना होगा साथ ही उसे चुनौती देनी होगी।
- मैं यह मानता हूँ की मह्त्वकांक्षी, आशावादी एवम जीवन के प्रति उत्साही हूँ लेकिन आवश्यकता अनुसार मैं इस सबका परित्याग कर सकता हूँ यही सच्चा त्याग होगा।
- कोई भी व्यक्ति तब ही कुछ करता है जब वह अपने कार्य के परिणाम को लेकर आश्व्स्त (औचित्य) होता है जैसे हम असेम्बली में बम फेकने पर थे।
- कठोरता एवं आजाद सोच ये दो क्रांतिकारी होने के गुण है।
- मैं एक इन्सान हूँ और जो भी चीजे इंसानियत पर प्रभाव डालती है मुझे उनसे फर्क पड़ता है।
दादाभाई नौरोजी का जन्म 4 सितंबर, 1825 को मुम्बई के एक ग़रीब पारसी परिवार में हुआ। जब दादाभाई 4 वर्ष के थे, तब उनके पिता का देहांत हो गया। उनकी माँ ने निर्धनता में भी बेटे को उच्च शिक्षा दिलाई। उच्च शिक्षा प्राप्त करके दादाभाई लंदन की यूनिवर्सिटी के कॉलेज में पढ़ाने लगे थे। 1885 में दादाभाई नौरोजी ने एओ ह्यूम द्वारा स्थापित ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस’ की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह तीन बार (1886, 1893, 1906) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। Indian Freedom Fighters in Hindi में से एक दादाभाई नौरोजी का हमारी आज़ादी में बहुत बड़ा हाथ है।
दादाभाई नौरोजी की प्रमुख पुस्तकें
- पावर्टी एंड अन ब्रिटिश रूल इन इंडिया
- स्पीच एंड राइटिंग
- ग्रांट ऑफ इंडिया
- पावर्टी इन इंडिया
कांग्रेस की अध्यक्षता
यह कांग्रेस की तीन बार अध्यक्ष रहे जिनकी डिटेल निम्नलिखित है :-
- 1886 ( कांग्रेस का दूसरा अधिवेशन जो कोलकाता में हुआ)
- 1893 ( कांग्रेस का 9 वां अधिवेशन जो लाहौर में हुआ)
- 1906 ( कांग्रेस का 22वां अधिवेशन जो कोलकाता में हुआ इसी अधिवेशन में नौरोजी ने सर्वप्रथम स्वराज्य शब्द का प्रयोग किया था)
दादाभाई नौरोजी के प्रमुख विचार
दादाभाई नौरोजी के प्रमुख विचार कुछ इस प्रकार हैं :-
- नौरोजी गोखले की भाति उदारवादी राष्ट्रवादी थे और अंग्रेजी में न्यायप्रियता में विश्वास रखते ।
- भारत के लिए ब्रिटिश शासन को वरदान मानते थे ।
- स्वदेशी और बहिष्कार का सांकेतिक रूप से प्रयोग करने पर बल देते थे ।
- उन्होंने सर्वप्रथम भारत का आर्थिक आधार पर अध्ययन किया।
बिपिन चंद्र पाल का जन्म 7 नवंबर 1858 को वर्तमान बांग्लादेश के सिलहट जिले के पोइला गाँव में हुआ था। उनका जन्म एक धनी हिंदू वैष्णव परिवार में हुआ था। उनके पिता रामचंद्र पाल एक फारसी विद्वान और एक छोटे जमींदार थे। बिपिन चंद्र पाल तीन उग्रवादी देशभक्तों में से एक के रूप में प्रसिद्ध थे। जिन्हें ‘लाल-बाल-पाल’ के नाम से जाना जाता था। उन्हें श्री अरबिंदो द्वारा ‘राष्ट्रवाद का सबसे शक्तिशाली पैगंबर’ कहा गया। बिपिन चन्द्र पाल एक प्रख्यात पत्रकार भी थे जिनकी ख्याति पूरे विश्व में फैली हुई थी। उन्होंने अपनी पत्रकारिता का इस्तेमाल देशभक्ति की भावना और सामाजिक जागरूकता के प्रसारण में किया। उनकी प्रमुख पुस्तकों में स्वराज और वर्तमान स्थिति, हिंदुत्व का नूतन तात्पर्य, भारतीय राष्ट्रवाद, भारत की आत्मा, राष्ट्रीयता और साम्राज्य, सामाजिक सुधार के आधार और अध्ययन शामिल है। वे डेमोक्रेटिक, इंडिपेंडेंट और कई अन्य पत्रिकाओं और समाचारपत्रों के संपादक रहे, इसके साथ ही परिदर्शक, न्यू इंडिया जैसी पत्रिकाएं शुरू की।
बिपिन चंद्र पाल 1858 में ब्रिटिश सेना के खिलाफ सबसे बड़ी क्रांति के दौरान पैदा हुए क्रांतिकारी थे। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थे और उन्होंने विदेशी वस्तुओं के परित्याग को प्रोत्साहित किया। उन्होंने लाला लाजपत राय और बाल गंगाधर तिलक के साथ एक तिकड़ी बनाई, जिसे लाल-बाल-पाल के नाम से जाना जाता है, जहां उन्होंने कई क्रांतिकारी गतिविधियों को अंजाम दिया।
- जन्म: 7 नवंबर 1858, हबीगंज जिला, बांग्लादेश
- मृत्यु: 20 मई 1932, कोलकाता
- शिक्षा: सेंट पॉल कैथेड्रल मिशन कॉलेज, प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय
- प्रसिद्ध रूप से जाना जाता है: क्रांतिकारी विचारों के पिता
लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी 1865 को दुधिके गॉव में हुआ था जो वर्तमान में पंजाब के मोगा जिले में स्थित है। वह मुंशी राधा किशन आज़ाद और गुलाब देवी के ज्येष्ठ पुत्र थे। उनके पिता बनिया जाति के अग्रवाल थे। बचपन से ही उनकी माँ ने उनको उच्च नैतिक मूल्यों की शिक्षा दी थी। लाला लाजपत राय यह एक स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ साथ एक लेखक भी थे। उन्होंने अपने कार्य और विचारों के साथ लेखन कार्य से भी लोगों का मार्गदर्शन किया। उनके द्वारा लिखी गयी पुस्तके – हिस्ट्री ऑफ़ आर्य समाज, शिवाजी का चरित्र चित्रण, दयानंद सरस्वती, भगवत गीता का संदेश, युगपुरुष भगवान श्रीकृष्ण आदि हैं ।
लाला लाजपत राय पर कविता
लाला लाजपत राय उनका नाम था, भारत की आजादी के लिए उनका हर काम था, अंग्रेजी हुकूमत को मिलता करारा जवाब था, भारत की आजादी का उनके आखों में ख्वाब था. गरम उनका स्वभाव था, गरीबों के लिए प्रेम भाव था, अंग्रेज भी उनसे डरते थे, क्योंकि झुकना उनका स्वभाव न था. देश के खातिर प्राणों का बलिदान दिया, स्कूल और कॉलेज खोलकर सबको ज्ञान दिया, देश पर तन-मन-धन न्यौछावर कर डाला देशभक्तों के लहू में चिंगारी लगाकर स्वतंत्रता का वरदान दिया.
राम मोहन का जन्म 22 मई 1772 को बंगाल के हूगली जिले के में राधानगर गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम रामकंतो रॉय और माता का नाम तैरिनी था। राम मोहन का परिवार वैष्णव था, जो कि धर्म संबंधित मामलो में बहुत कट्टर था। उनकी शादी 9 वर्ष की उम्र में ही कर दी गई। लेकिन उनकी प्रथम पत्नी का जल्द ही देहांत हो गया। इसके बाद 10 वर्ष की उम्र में उनकी दूसरी शादी की गयी जिसे उनके 2 पुत्र हुए लेकिन 1826 में उस पत्नी का भी देहांत हो गया और इसके बाद उसकी तीसरी पत्नी भी ज्यादा समय जीवित नहीं रह सकी। 1803 में रॉय ने हिन्दू धर्म और इसमें शामिल विभिन्न मतों में अंध-विश्वासों पर अपनी राय रखी। राजा राम मोहन रॉय को मुगल सम्राट अकबर द्वितीय ने राजा की उपाधि दी थी। राजा राम मोहन रॉय को अनेक भाषा जैसे कि अरबी, फारसी, अंग्रेजी और हिब्रू भाषाओं का ज्ञान था। राजा राम मोहन रॉय का प्रभाव लोक प्रशासन, राजनीति, शिक्षा और धर्म के क्षेत्र में स्पष्ट था।राजा राम मोहन रॉय को सती और बाल विवाह की प्रथाओं को खत्म करने के लिए जाना जाता है। राजा राम मोहन राय को कई इतिहासकारों द्वारा “बंगाल पुनर्जागरण का पिता” भी माना जाता है। महज 15 साल की उम्र में राजा राम मोहन राय ने बंगाल में पुस्तक लिखकर मूर्तिपूता का विरोध शुरू किया था। राजा राम मोहन राय ने अंग्रेजी की शिक्षा प्राप्त कर मैथ्स, फिजिक्स, बॉटनी और फिलॉसफी जैसे विषयों को पढ़ने के साथ साथ वेदों और उपनिषदों को भी जीवन के लिए अनिवार्य बताया था।
तांतिया टोपे 1857 के विद्रोह के प्रसिद्ध क्रांतिकारियों में से एक थे। 1814 में उनका जन्म हुआ, उन्होंने अपने सैनिकों को ब्रिटिश शासन के प्रभुत्व के खिलाफ लड़ने के लिए नेतृत्व किया। उन्होंने ब्रिटिश जनरल विन्धम को कानपुर छोड़ देने के लिए मजबूर कर दिया और रानी लक्ष्मीबाई को ग्वालियर बहाल करने में मदद की।
- जन्म: 1814, येओला
- मृत्यु: 18 अप्रैल 1859, शिवपुरी
- पूरा नाम: रामचंद्र पांडुरंग टोपे
बाल गंगाधर तिलक 1856 में पैदा हुए एक उल्लेखनीय स्वतंत्रता सेनानी थे। अपने उद्धरण के लिए प्रसिद्ध, ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है ‘। उन्होंने कई विद्रोही समाचार पत्र प्रकाशित किए और ब्रिटिश शासन की अवहेलना करने के लिए स्कूलों का निर्माण किया। वह लाला लाजपत राय और बिपिन चंद्र पाल के साथ लाल-बाल-पाल के तीसरे सदस्य थे।
- जन्म: 23 जुलाई 1856, चिखलीक
- मृत्यु: 1 अगस्त 1920, मुंबई
- लोकमान्य तिलक के नाम से प्रसिद्ध
22 अक्टूबर 1900 को उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में जन्मे अशफाकउल्ला खान महात्मा गांधी के नेतृत्व में चल रहे ‘असहयोग आंदोलन’ के साथ बड़े हुए। जब वह एक युवा सज्जन थे, तभी अशफाकउल्ला खान राम प्रसाद बिस्मिल से परिचित हो गए। वह गोरखपुर में हुई ‘चौरी-चौरा कांड’ के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक थे। वह स्वतंत्रता के प्रबल समर्थक थे और चाहते थे कि अंग्रेज किसी भी कीमत पर भारत छोड़ दें। अशफाकउल्ला खान एक लोकप्रिय स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्हें बिस्मिल के साथ सच्ची दोस्ती के लिए जाना जाता था, उन्हें काकोरी ट्रेन डकैती के लिए मौत की सजा सुनाई गई थी। इसे 1925 के काकोरी षडयंत्र के नाम से जाना जाता था।
- जन्म: 22 अक्टूबर 1900, शाहजहांपुर
- मृत्यु: 19 दिसंबर 1927, फैजाबाद
- संगठन: हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन
- प्रसिद्ध रूप से जाना जाता है: अशफाक उल्ला खान
बालाजीराव भट, जिन्हें आमतौर पर ‘नाना साहिब’ के नाम से जाना जाता है, का जन्म मई 1824 में बिठूर (कानपुर जिला), उत्तर प्रदेश में हुआ था। वह भारत के मराठा साम्राज्य के आठवें पेशवा थे। शिवाजी के शासनकाल के बाद, वह सबसे शक्तिशाली राजाओं में से एक थे और इतिहास में सबसे साहसी भारतीय स्वतंत्रता योद्धाओं में से एक थे। उनका दूसरा नाम बालाजी बाजीराव था। 1749 में जब छत्रपति शाहू की मृत्यु हुई, तो उन्होंने मराठा साम्राज्य को पेशवाओं के पास छोड़ दिया। उनके राज्य का कोई उत्तराधिकारी नहीं था, इसलिए उन्होंने वीर पेशवाओं को अपना उत्तराधिकारी नामित किया। मराठा साम्राज्य के राजा के रूप में नाना साहिब ने पुणे के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके शासन काल में पूना एक छोटे से गांव से महानगर में तब्दील हो गया था। उन्होंने नए जिलों, मंदिरों और पुलों का निर्माण करके शहर को नया रूप दिया। यह कहते हुए कि, 1857 के विद्रोह में साहिब का महत्वपूर्ण योगदान था, उत्साही विद्रोहियों के एक समूह का नेतृत्व करके उन्होंने कानपुर में ब्रिटिश सैनिकों को पछाड़ दिया। हालाँकि, नाना साहब और उनके आदमियों को हराने के बाद, अंग्रेज कानपुर को वापस लेने में सक्षम थे।
- जन्म : 19 मई 1824, बिठूर
- पूरा नाम: धोंडू पंतो
- मृत्यु: 1859, नैमिशा वन
- गायब: जुलाई 1857 को कानपुर (अब कानपुर), ब्रिटिश भारत में
- नाना साहब के नाम से मशहूर
सुखदेव, जिनका जन्म 1907 में हुआ था, एक बहादुर क्रांतिकारी और हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के प्रमुख सदस्य थे। बिना किसी संदेह के, वह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे प्रतिष्ठित व्यक्तियों में से एक थे। उन्होंने अपने सहयोगियों भगत सिंह और शिवराम राजगुरु के साथ मिलकर काम किया। उन पर ब्रिटिश अधिकारी जॉन सॉन्डर्स की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया गया था। दुर्भाग्य से, 24 साल की उम्र में, उन्हें 23 मार्च, 1931 को पंजाब के हुसैनवाला (अब पाकिस्तान में) में भगत सिंह और शिवराम राजगुरु के साथ पकड़ा गया और फांसी पर लटका दिया गया।
- जन्म: 15 मई 1907, लुधियाना
- मृत्यु: 23 मार्च 1931, लाहौर, पाकिस्तान
- शिक्षा: नेशनल कॉलेज ऑफ आर्ट्स, नेशनल कॉलेज, लाहौर
- सदस्य: हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA)
कुंवर सिंह का जन्म अप्रैल 1777 में जगदीशपुर के महाराजा और महारानी (अब भोजपुर जिले, बिहार में) के महाराजा और जगदीसपुर की महारानी के यहाँ हुआ था। विद्रोह के अन्य प्रसिद्ध नामों के बीच उनका नाम अक्सर खो जाता है। बहरहाल, प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में उनका योगदान बहुत बड़ा था। बिहार में विद्रोह का नेतृत्व कुंवर सिंह ने किया था। 25 जुलाई, 1857 को, उन्होंने लगभग 80 वर्ष की आयु में दानापुर में तैनात सिपाहियों की कमान प्राप्त की। कुंवर सिंह ने मार्च 1858 में आजमगढ़ पर अधिकार कर लिया। (अब यूपी में)। 23 जुलाई को जगदीशपुर के पास एक सफल लड़ाई की कमान संभाली।
- जन्म: नवंबर 1777, जगदीशपुर
- मृत्यु: 26 अप्रैल 1858, जगदीशपुर
- पूरा नाम: बाबू वीर कुंवर सिंह
- वीर कुंवर सिंह के नाम से मशहूर
एक प्रसिद्ध भारतीय स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडे को आमतौर पर अंग्रेजों के खिलाफ 1857 के विद्रोह के अग्रदूत के रूप में पहचाना जाता है, जिसे भारत की स्वतंत्रता की पहली लड़ाई माना जाता है। ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना की 34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री (बीएनआई) रेजिमेंट में एक सैनिक के रूप में, उन्होंने सिपाही विद्रोह का नेतृत्व किया, जिसके कारण अंततः 1857 का विद्रोह हुआ। 1850 के दशक के मध्य में जब भारत में एक नई एनफील्ड राइफल लॉन्च की गई, तो व्यापार के साथ उनका सबसे बड़ा विवाद शुरू हुआ। राइफल के कारतूसों में जानवरों की चर्बी, विशेष रूप से गाय और सुअर की चर्बी के साथ चिकनाई होने की अफवाह थी। कारतूसों के उपयोग के परिणामस्वरूप, भारतीय सैनिकों ने निगम के खिलाफ विद्रोह कर दिया क्योंकि इसने उनकी धार्मिक मान्यताओं का उल्लंघन किया था। पांडे और उनके साथी सिपाहियों ने 29 मार्च, 1857 को ब्रिटिश कमांडरों के खिलाफ विद्रोह किया और उन्हें मारने का भी प्रयास किया।
- जन्म: 19 जुलाई 1827, नागवा
- मृत्यु: 8 अप्रैल 1857, बैरकपुर
- व्यवसाय: सिपाही (सैनिक)
- मौत का कारण : फाँसी लगाकर दी गई मृत्यु
- के लिए जाना जाता है: भारतीय स्वतंत्रता सेनानी
सी राजगोपालाचारी, 1878 में पैदा हुए, 1906 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल होने से पहले पेशे से एक वकील थे। राजगोपालाचारी समकालीन भारतीय राजनीति में एक महान व्यक्ति थे। वह स्वतंत्रता पूर्व युग के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य और महात्मा गांधी के कट्टर समर्थक थे। उन्होंने लाला लाजपत राय के असहयोग आंदोलन में भी सक्रिय रूप से भाग लिया था।
- जन्म: 10 दिसंबर 1878,थोरापल्ली
- मृत्यु: 25 दिसंबर 1972, चेन्नई
- शिक्षा: प्रेसीडेंसी कॉलेज, बैंगलोर केंद्रीय विश्वविद्यालय (1894), बैंगलोर विश्वविद्यालय
- सीआर के रूप में प्रसिद्ध, कृष्णागिरी के आम, राजाजी
- पुरस्कार: भारत रत्न
“देश हित पैदा हुये हैं देश पर मर जायेंगे मरते मरते देश को जिन्दा मगर कर जायेंगे”
“हमको पीसेगा फलक चक्की में अपनी कब तलक खाक बनकर आंख में उसकी बसर हो जायेंगे”
- जन्म: 11 जून 1897, शाहजहांपुर
- मृत्यु: 19 दिसंबर 1927, गोरखपुर जेल, गोरखपुर
- मौत का कारण : फाँसी लगाकर दी गई फांसी
- संगठन – हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन
राम प्रसाद बिस्मिल सबसे उल्लेखनीय भारतीय क्रांतिकारियों में से एक थे, जिन्होंने ब्रिटिश उपनिवेशवाद से लड़ाई लड़ी और देश के लिए स्वतंत्रता की हवा में सांस लेना संभव बनाया, शाही ताकतों के खिलाफ संघर्ष के बाद, स्वतंत्रता की इच्छा और क्रांतिकारी भावना हर इंच में गूंजती रही। उनका शरीर और कविता। बिस्मिल, जिनका जन्म 1897 में हुआ था, सुखदेव के साथ हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के एक सम्मानित सदस्य थे। वह कुख्यात काकोरी ट्रेन डकैती में भी भागीदार थे, जिसके लिए ब्रिटिश सरकार ने इन्हें मौत की सजा दी थी।
1906 में पैदा हुए चंद्रशेखर आजाद स्वतंत्रता आंदोलन में भगत सिंह के करीबी साथी थे। वह हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सदस्य भी थे और ब्रिटिश अधिकारियों के खिलाफ सबसे बहादुर और साहसी भारतीय स्वतंत्रता सेनानी भी थे। ब्रिटिश सेना के साथ युद्ध के दौरान कई विरोधियों की हत्या करने के बाद, उसने अपनी कोल्ट पिस्तौल से खुद को गोली मार ली। उन्होंने वादा किया था कि वह कभी भी अंग्रेजों द्वारा जिंदा नहीं पकड़ा जाएंगे।
- जन्म: 23 जुलाई 1906, भावरस
- मृत्यु: 27 फरवरी 1931, चंद्रशेखर आजाद पार्क
- पूरा नाम: चंद्रशेखर तिवारी
- शिक्षा: महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ
महिला भारतीय स्वतंत्रता सैनानी
कई महिला भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, चाहे वह स्थानीय स्तर पर देश के लिए लड़कर हो या पुरुषों के साथ मिलकर। भारत की स्वतंत्रता में महिला स्वतंत्रता सैनानियों ने भी भाग लिया जिनके बारे में नीचे बताया गया है:
- झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई
- मैडम भीकाजी कामा
- कस्तूरबा गांधी
- अरुणा आसफ अली
- विजया लक्ष्मी पंडित
- सावित्री बाई फुले
- अम्मू स्वामीनाथनी
- किट्टू रानी चेन्नम्मा
- दुर्गा देवी
झांसी की रानी का जन्म मणिकर्णिका 19 नवंबर 1828 वाराणसी भारत में हुआ था। इनके पिता का नाम मोरोपंत तांबे और माता का नाम भागीरथी सप्रे था। इनके पति का नाम नरेश महाराज गंगाधर राव नायलयर और बच्चे का नाम दामोदर राव और आनंद राव था। रानी जी ने बहुत बहादुरी से युद्ध में अपना परिचय दिया था। रानी लक्ष्मीबाई ने अपने दत्तक पुत्र को पीठ पर कसकर बाँधकर अंग्रेजों से युद्ध किया था।
रानी लक्ष्मीबाई के अनमोल विचार
- शौर्य और वीरता झलकती है लक्ष्मीबाई के नाम में,प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की डोरी थी जिसके हाथ में।
- दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी,चमक उठी सन सत्तावन में वह तलवार पुरानी थी
- बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी।
- मैं झांसी की रानी हूं, और इस धरती मां की बेटी मेरे होते हुए कोई भी फिरंगी झांसी को हाथ नहीं लगा सकता, मैं अपनी झांसी कभी नहीं दूंगी चाहे इसके लिए मुझे अपनी जान भी क्यों न देनी पड़े झांसी मेरी आन है.. शान है.. ईमान है..।
- मुर्दों में भी जान डाल दे, उनकी ऐसी कहानी है वो कोई और नहीं झांसी की रानी हैं
- हम लडे़ंगे ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियां अपनी आज़ादी का उत्सव मना सके।
- अपने हौसले की एक कहानी बनाना,हो सके तो खुद को झांसी की रानी बनाना।
- हर औरत के अंदर है झाँसी की रानी कुछ विचित्र थी उनकी कहा मातृभूमि के लिए प्राणाहुति देने को ठानी,अंतिम सांस तक लड़ी थी वो मर्दानी।
- रानी लक्ष्मी बाई लड़ी तो, उम्र तेईस में स्वर्ग सिधारी तन मन धन सब कुछ दे डाला, अंतरमन से कभी ना हारी।
- मातृभूमि के लिए झांसी की रानी ने जान गवाई थी, अरि दल कांप गया रण में, जब लक्ष्मीबाई आई थी
अंग्रेजों को देश से भगाने में बेगम हज़रत महल ने अहम भूमिका निभाई थी, जिनका जन्म अवध प्रांत के फैजाबाद जिले में सन 1820 में हुआ था। उनके बचपन का नाम मुहम्मदी खातून था। बेगम हजरत महल के बचपन का नाम मुहम्मदी खातून था। वह नवाब वाजिद अली शाह के अनुबंध के तहत पत्नियों में से एक थी। स्वतंत्रता संघर्ष में उनका सबसे बड़ा योगदान हिंदुओं और मुसलमानों को अंग्रेजों से लड़ने के लिए एक बल के रूप में एकजुट करना था। यहां तक कि उन्होंने महिलाओं को अपने घरों से बाहर निकलने और स्वतंत्रता के संघर्ष में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करने और प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका मानना था कि महिलाएं दुनिया में कुछ भी कर सकती हैं, किसी भी लड़ाई को लड़ सकती हैं और विजेता के रूप में सामने आ सकती हैं।
निश्चित रूप से सरोजिनी नायडू आज की महिलाओं के लिए एक रोल मॉडल हैं। जिस जमाने में महिलाओं को घर से बाहर निकलने तक की आजादी नहीं थी, सरोजिनी नायडू घर से बाहर देश को आजाद करने के लक्ष्य के साथ दिन रात महिलाओं को जागरूक कर रही थीं। सरोजिनी नायडू उन चुनिंदा महिलाओं में से थीं जो बाद में INC की पहली प्रेज़िडेंट बनीं और उत्तर प्रदेश की गवर्नर के पद पर भी रहीं। वह एक कवयित्री भी थीं।
महिलाओं को शिक्षित करने के महत्व को उन्होंने जन जन में फैलाने का ज़िम्मा उठाया था। उन्होंने ही कहा था कि अगर आप किसी लड़के को शिक्षित करते हैं तो आप अकेले एक शख्स को शिक्षित कर रहे हैं, लेकिन अगर आप एक लड़की को शिक्षा देते हैं तो पूरे परिवार को शिक्षित कर रहे हैं। उन्होंने अपने समय में महिला उत्पीड़न के कई पहलू देखे थे और लड़कियों को शिक्षा के अधिकार से वंचित होते देखा था। ऐसे में तमाम विरोध झेलने और अपमानित होने के बावजूद उन्होंने लड़कियों को मुख्य धारा में लाने के लिए उन्हें आधारभूत शिक्षा प्रदान करने की जिम्मेदारी उठाई थी।
जवाहरलाल नेहरू की बहन विजयलक्ष्मी भी देश के विकास के लिए तमाम गतिविधियों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेती थीं। उन्होंने कई सालों तक देश की सेवा की और बाद में संयुक्त राष्ट्र जनरल असेंब्ली की पहली महिला प्रेज़िडेंट भी बनीं। वे डिप्लोमेट, राजनेता के अलावा लेखिका भी थीं।
- एक सच्चे और वीर सैनिक को सैन्य और आध्यात्मिक दोनों ही प्रशिक्षण की जरूरत होती है।- नेता जी सुभाष चन्द्र बोस
- आराम, हराम है।- जवाहर लाल नेहरू
- सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा।- मोहम्मद इकबाल
- दुश्मनों की गोलियों का हम डटकर सामना करेंगे, आज़ाद हैं, आज़ाद ही रहेंगे।- चन्द्रशेखर आज़ाद
- भारतीय एकता का मुख्य आधार इसकी संस्कृति ही है, इसका उत्साह कभी भी नहीं टूटा और यही इसकी सबसे बड़ी खासियत है। भारतीय संस्कृति अक्षुण्ण है, क्योंकि भारतीय संस्कृति की धारा निरंतर बहती रहती है, और हमेशा बहती रहेगी। – मदन मोहन मालवीय
- अब भी जिसका खून न खौला खून नहीं वो पानी है…जो ना आए देश के काम वो बेकार जवानी है।- चन्द्रशेखर आज़ाद
- हिन्दी, हिन्दू और हिन्दुस्तान। – भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
- मेरा रंग दे बसंती चोला,माय रंग दे बसंती चोला।- सुखदेव
- मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक चोट ब्रिटिश सम्राज्य के ताबूत की कील बनेगी। – लाला लाजपत राय
- अगर लोगों को स्वराज और सच्चा लोकतंत्र हासिल करना है , तो वे इसे कभी असत्य और हिंसा के द्धारा प्राप्त नहीं कर सकते हैं।- लाल बहादुर शास्त्री
- “आलसी व्यक्तियों के लिए भगवान कभी अवतार नहीं लेते, वे हमेशा मेहनती व्यक्ति के लिए ही अवतरित होते हैं , इसलिए काम करना शुरु करें।” – बाल गंगाधर तिलक
- पहले तो वो आप पर बिल्कुल ध्यान नहीं देंगे, और फिर वो आप पर जमकर हंसेंगे, फिर वो आप से लड़ेंगे और फिर आप जीत जाएंगे। – राष्ट्रपिता, महात्मा गांधी
- विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा। – श्याम लाल गुप्ता
- आज़ादी मिलती नहीं है बल्कि इसे छीनना पड़ता है।- सुभाष चंद्र बोस
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के 7 महानायक जिन्होंने आजादी दिलाने में मुख्य भूमिका निभाई 1. मंगल पांडे 2. भगत सिंह 3. महात्मा गांधी 4. पंडित जवाहरलाल नेहरू 5. चंद्रशेखर आजाद 6. सुभाष चंद्र बोस 7. बाल गंगाधर तिलक
देश की आजादी का बीज बोने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडे भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत थे। मंगल पांडे द्वारा 1857 में जुलाई की आजादी की मशाल से 90 साल बाद पूरा भारत रोशन हुआ और आज हम स्वतंत्र भारत में सांस ले रहे हैं। आइए जानते हैं ऐसे महान सपूत के बारे में..
अपनी वीरता व निडरता के कारण वे वीरबाला के नाम से जानी गईं। आज सबसे कम उम्र की बलिदानी कनकलता का नाम भी इतिहास के पन्नों से गायब है। बीनादास : बीनादास का जन्म 24 अगस्त 1911 को बंगाल प्रांत के कृष्णानगर गांव में हुआ था।
पारसी परिवार में आज ही के दिन जन्मीं भीकाजी भारत की आजादी से जुड़ी पहली महिला स्वतंत्रता सेनानी थीं. आज भीकाजी कामा का आज 157वां जन्मदिन है. जर्मनी के स्टुटगार्ट में हुई दूसरी ‘इंटरनेशनल सोशलिस्ट कांग्रेस’ में 46 साल की पारसी महिला भीकाजी कामा ने भारत का झंडा फहराया था।
1857 -59′ के दौरान हुये भारतीय विद्रोह के प्रमुख केन्द्रों: मेरठ, दिल्ली, कानपुर, लखनऊ, झाँसी और ग्वालियर को दर्शाता सन 1912 का नक्शा। विद्रोह का दमन, ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन का अंत, नियंत्रण ब्रिटिश ताज के हाथ में।
इन महान स्वतंत्रता सेनानियों में भगत सिंह, महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, जवाहरलाल नेहरू, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, लाला लाजपत राय, लाल बहादुर शास्त्री और बाल गंगाधर तिलक शामिल हैं। इनके साथ ही कई और देशभक्त हैं जिन्होंने ब्रिटिश आधिपत्य से मुक्ति के लिए योगदान दिया।
‘ भारत छोड़ो ‘ आंदोलन को आज़ादी से पहले भारत का सबसे बड़ा आंदोलन माना जाता है। देश भर में लाखों भारतीय इस आंदोलन में कूद पड़े थे।
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Essay on Freedom Fighters in Hindi | स्वतंत्रता सेनानी पर निबंध (PDF)
Essay (paragraph) on freedom fighters in hindi | स्वतंत्रता सेनानी पर निबंध | svatantrata senaanee par nibandh.
Short & Long Essay on Freedom Fighters in Hindi – 15 अगस्त 1947 से पहले भारत ब्रिटिश सरकार का गुलाम था। इस गुलामी से आजादी पाने के लिए कई स्वतंत्रता सेनानी आगे आए। ये वो लोग थे जिन्होंने भारत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी। ये स्वतंत्रता भगत सिंह, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, चंद्र शेखर आजाद जैसे कई क्रांतिकारी के प्रयासों के माध्यम से हासिल की गई थी। इस निबंध में आपको उन भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में उल्लेख करेंगे जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया। हमने स्वतंत्रता सेनानी पर ( Essay on Freedom Fighters in Hindi ) 100, 200, 300 और 500 शब्दों में निबंध दिया है।
Short & Long Essay on Freedom Fighters in Hindi
निबंध (100 शब्द).
भारत के वीर स्वतंत्रता सेनानियों ने देश के लिए ऐसे बलिदान दिए है जो अपने प्रियजनों के लिए करने की कोई कल्पना भी नहीं कर सकता। उन्होंने आजादी पाने के लिए जितनी कठिनाइयां और दर्द सहा है उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। भविष्य में आने वाली सभी पीढ़ियां उनके कड़ी मेहनत और निस्वार्थ बलिदान के लिए हमेशा ऋणी रहेंगी।
स्वतंत्रता सेनानियों आज भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं जितनी उस समय में थे। उनके महत्व पर कोई शंका नहीं कर सकता। उन्होंने ही देश और इसके लोगों के लिए ब्रिटिश के खिलाफ विद्रोह किया।
भगत सिंह, महात्मा गाँधी, चंद्रशेखर आजाद जैसे अधिकांश स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने लोगों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अंग्रेजो का विरोध किया और आजादी की लड़ाई में अधिकांश स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राणों की आहुति दी।
निबंध (200 शब्द)
किसी के लिए भी अपने जीवन का बलिदान देना आसान नहीं होता है लेकिन स्वतंत्रता सेनानियों ने निस्वार्थ भाव से अपने देश के स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणो की आहुति दे दी। स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए उन्हें जितनी कठिनाइयों और दर्द का सामना किया उसे केवल शब्दों में वर्णित नहीं किया जा सकता। उनके संघर्षों और बलिदान के लिए पूरा देश सदैव ऋणी रहेगा।
सेनानियों का महत्व
स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए बलिदान और साहस जरुरी है जिसे केवल अर्जित की जा सकती है, इसलिए इसका सम्मान किया जाना चाहिए। भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने पूर्ण स्वतंत्रता की मांग की क्योंकि वे देश में असमानताओं को मिटाना चाहते थे। स्वतंत्रता सेनानियों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह किया, ताकि असमानता और अन्याय मिट सके और सभी लोग एक स्वतंत्र समाज में समान रूप से रह सकें। उन्होंने कई कठिनाइयों और बाधाओं से संघर्ष किया और विजय प्राप्त की। इस संघर्ष से उन्होंने भविष्य के लोगो को प्रेरित किया है और अपने परिश्रम और बलिदान से देशभक्ति की भावना जगाई है।
सभी स्वतंत्रता सेनानियों ने अन्य लोगो को भी अन्याय से लड़ने के लिए प्रेरित किया। वे स्वतंत्रता आंदोलन के महत्वपूर्ण स्तंभ थे। उन्होंने सभी भारतीयों को उनके अधिकारों और उनकी शक्ति के बारे में जागरूक किया। परिणामस्वरूप हम किसी भी प्रकार के उपनिवेशवादियों या अन्याय से मुक्त एक स्वतंत्र देश है।
निबंध (300 शब्द)
स्वतंत्रता आंदोलन भारतीय देश के विभिन्न लोगों द्वारा किया गया एक महान आंदोलन था जिन्हने आजादी के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया था। ऐसे कई भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ त्याग किया। ये निबंध आपको प्रसिद्ध भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के साथ-साथ स्वतंत्रता संग्राम में उनके उल्लेखनीय योगदान के बारे में जानने में मदद करेगा।
जवाहर लाल नेहरू
मोतीलाल नेहरू और स्वरूप रानी के पहले और एकमात्र पुत्र जवाहरलाल नेहरू थे उन्होंने एक वकील के रूप में अपना करियर शुरू किया और भारत को ब्रिटिश से मुक्त कराने के नेहरू के प्रयासों ने भारत की स्वतंत्रता में अहम् भूमिका निभाई।
महात्मा गांधी
महात्मा गांधी के अनेक प्रयासों के कारण मोहनदास करमचंद गांधी को “राष्ट्रपिता” और “महात्मा” का उपनाम दिया गया उन्होंने लंदन में कानून की पढ़ाई की और फिर उसका अभ्यास करने के लिए दक्षिण अफ्रीका चले गए जहाँ कुछ भारतीयों के खिलाफ नस्लीय भेद-भाव देखने के बाद उन्हें मानवाधिकारों के लिए लड़ने की प्रेरणा मिली।
भगत सिंह भारत के स्वतंत्रता सेनानियों के एक प्रसिद्ध विद्रोही और विवादास्पद सदस्य थे जो भारत के आजादी के लिए एक योद्धा के रूप में शहीद हुए। भारत के युवाओं में देशभक्ति जगाने के लिए उन्होंने “नौजवान भारत सभा” की स्थापना की। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भगत सिंह एक वीर राजनीतिक कार्यकर्ता और समाजवादी क्रांतिकारी थे।
सरदार वल्लभभाई पटेल
वल्लभभाई पटेल कम उम्र से ही सबसे साहसी और महान व्यक्ति थे जिन्हें बारडोली सत्याग्रह में अपने वीरतापूर्ण प्रयास के बाद ‘सरदार’ की उपाधि मिली। उनके अपने वीरतापूर्ण प्रयासों के परिणामस्वरूप “भारत का लौह पुरुष” उपनाम मिला। भारत की स्वतंत्रता के बाद देश की रियासतों को एकजुट करने के लिए खुद को प्रतिबद्ध किया।
हम सभी युवाओं के लिए प्रेरणा स्वतंत्रता सेनानियों की कहानियों में जीवित है। वे जीवन के संघर्ष, जीवन में अंतर और उस मूल्य की गहराई को दर्शाते हैं जिस पर वे विश्वास करते हैं और जिसके लिए उन्होंने संघर्ष और बलिदान दिया। हमें भारत के सच्चे नागरिक के रूप में देश में शांतिपूर्ण माहौल बनाकर उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान का सम्मान करना चाहिए।
निबंध (500 शब्द)
आज हम स्वतंत्र भारत में रह रहे है जिसे 15 अगस्त, 1947 को ब्रिटिश शासन से आजादी मिली। यह संघर्ष 1857 से 1947 तक चले कई आंदोलनों और संघर्षों का परिणाम था। भगत सिंह, महात्मा गांधी, चंद्र शेखर आज़ाद, जवाहरलाल नेहरू, झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई सहित कई क्रांतिकारी और अन्य लोगों ने परिश्रम और संघर्ष किया जिसके परिणामस्वरूप भारत को आजादी मिली। इस निबंध में हम कुछ भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों का उल्लेख करेंगे जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए संघर्ष किया और अपना जीवन लगा दिया।
मोहनदास करमचंद गांधी जिनका जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को हुआ था। आजादी के लिए जो संघर्ष किया उसके कारण उन्हें “राष्ट्रपिता” की उपाधि मिली। उन्हें अहिंसा की अवधारणा को अपनाने के लिए जाना जाता है। भारत भर में कई स्वतंत्रता आंदोलनों और मानवाधिकार आंदोलनों को प्रेरित किया और आजादी दिलाने में मदद की।
सुभाष चंद्र बोस
सुभाष चंद्र बोस जिनका जन्म 23 जनवरी, 1897 को कटक में हुआ था। जिन्हे व्यापक रूप से नेता जी के नाम से जाना जाता था। वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के कट्टरपंथी गुट से थे जो प्रखर राष्ट्रवादी थे और उनकी अटूट देशभक्ति ने उन्हें हीरो बना दिया। उन्होंने 1920 की शुरुआत से 1930 के अंत तक कांग्रेस के एक कट्टरपंथी युवा विंग के प्रमुख के रूप में कार्य किया।
28 सितम्बर 1907 को भगत सिंह का जन्म हुआ, उन्हें शहीद भगत सिंह के नाम से जाना जाता है। वह सबसे उग्र भारतीय सेनानियों में से थे। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में वह एक सम्मानित व्यक्ति थे। लाला लाजपत राय की मृत्यु से वह बहुत दुखी हुए और उनके प्रतिशोध के रूप में ब्रिटिश पुलिस अधीक्षक जेम्स स्कॉट की हत्या की साजिश में उनकी संलिप्तता उजागर हुई। 23 वर्ष की उम्र में, 23 मार्च 1931 को ब्रिटिश ने इस वीर भारतीय स्वतंत्रता सेनानी को पाकिस्तान के लाहौर स्थित लाहौर सेंट्रल जेल में फाँसी दे दिया।
प्रसिद्ध भारतीय स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडे जिनको भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम, अंग्रेजों के खिलाफ 1857 के विद्रोह के अग्रदूत के रूप में जाना जाता है का जन्म 19 जुलाई, 1827 को हुआ था। वह ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना की 34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री रेजिमेंट में एक सैनिक के रूप में एक सिपाही थे। सिपाही विद्रोह की आशंका में ब्रिटिश अधिकारियों ने 8 अप्रैल, 1857 को बैरकपुर में उनकी हत्या कर दी।
रानी लक्ष्मी बाई
लक्ष्मीबाई, जिनका जन्म 19 नवंबर 1828 को वाराणसी में हुआ था जिन्हे झाँसी किए रानी और मणिकर्णिका तांबे नाम से जानी जाती है। वह एक दृढ़ क्रांतिकारी होकर उन्होंने असंख्य भारतीय महिलाओं को अपने देश की आज़ादी के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया। आज भी उनके साहसी कार्य महिलाओं को अपने अधिकारों की रक्षा के लिए प्रेरित करती हैं।
स्वतंत्रता सेनानियों के परिश्रम से ही आज हम आजाद देश में रह रहे है। हमे उनके परिश्रम से प्रेरणा लेने की जरुरत है। हमारे बिच सांप्रदायिक नफरत को नहीं आने देने के लिए एक साथ आना चाहिए और सभी स्वतंत्रता सेनानियों के भारतीय सपने को साकार करना चाहिए। तभी हम उनके स्मृति, परिश्रम और बलिदान का सम्मान कर पाएंगे।
ये भी देखें –
- Essay on Summer Vacation in Hindi
- Essay on Delhi Metro in Hindi
- Essay on Fitness & Health in Hindi
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