Case Study Of A School Child Hindi PDF
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Case Study Of A School Child Hindi
A case study is a written account that gives detailed information about a person, group, or thing and their development over a period of time. Your draft should contain at least 4 sections: an introduction; a body where you should include background information, an explanation of why you decided to do this case study, and a presentation of your main findings; a conclusion where you present data; and references
केस स्टडी का मुख्य उद्देश्य बच्चों के सभी पक्षों से भली भांति परिचित होना है l जैसे कि बच्चों में छुपी हुई कमजोरी को उजागर करना, पढाई में अभिरुचि का कम होना, विद्यालय के गतिविधियों में हिस्सा न लेना, विद्यालय से अनुपस्थित रहना इत्यादि कारणों का पता लगा कर उसे दूर करने का प्रयास तथा उनमें सकारात्मक पहलुओं का विकास करना इस केस स्टडी का मुख्य उद्देश्य है l
अ) छात्र का विवरण
1. छात्र का नाम:………………………………………………………… 2. जन्म तिथि:………………………………………………………… 3. पुरुष / महिला:………………………………………………………… 4. अभिभावक / संरक्षक : : पिता:………………………………………………. माता:……………………………………………….. अभिभावक:………………………………………….. 5. कक्षा जिसमें अध्ययनरत है:………………………………………………………… 6. पत्र व्यवहार का पता:………………………………………………………………… …………………………………………………………………………………………………. 7. माता – पिता / अभिभावक की मासिक आय:……………………………………. 8. पिता / अभिभावक का कार्यक्षेत्र और शैक्षिक योग्यता:…………………………. 9. माँ का कार्यक्षेत्र और योग्यता:………………………………………………………. 10. संख्या:………………………..भाई ………………………बहन 11. अपने भाई बहनों के बीच की मूल स्थिति (बड़ा / मझला / छोटा ):……..
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केस स्टडी का प्रारूप
Sr. No. | Headings | Details |
---|---|---|
1 | पाठ योजना प्रकार (Lesson Plan Type) | Case Study |
2 | विषय (Subject) | केस स्टडी (Case Study) |
3 | उपविषय (Sub-Subject) | - |
4 | प्रकरण (Topic) | Case Study ka Prarup |
5 | कक्षा (Class) | - |
6 | समयावधि (Time Duration) | - |
7 | उपयोगी (Useful for) | B.ed, Deled, BSTC, BTC, Nios Deled |
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Case Study Ka Prarup
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case study of special child in hindi
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केस स्टडी विधि के उद्देश्य, विशेषताएं और इस विधि की उपयोगितायेँ
- विद्यार्थी स्वतंत्र होकर, स्वयं ही सृजनात्मक ढंग से समस्या पर विचार कर सकेंगें।
- वे समस्या समाधान ( Problem based learning )तक पहुंचने में सक्रिय हो सकेंगें।
- वे अपने पूर्व ज्ञान का प्रयोग करते हुए प्रमाणों को संग्रह कर सकेंगें।
- घटनाक्रम में नवीन तथ्यों को जान सकेंगे।
- स्वयं अपने अनुभव से सीखते हुए ज्ञान प्राप्त कर सकेंगें।
- व्यक्तिगत, सामाजिक संबंधों को उत्तम ढंग से स्थापित कर सकेंगे।
- छात्रों में अभिप्रेरण एवं अभिव्यक्ति की क्षमता में वृद्धि हो सकेगी।
- छात्रों की उपलब्धियों का मूल्यांकन हो सकेगा।
व्यक्तिगत अध्ययन छात्रों को एक सार्थक ज्ञान प्रदान करता है जिसका प्रयोग विभिन्न प्रकार के समाधान या अध्ययन के लिए किया जाता है। यह एक जटिल अधिगम का स्वरूप होता है। इसमें सृजनात्मक चिन्तन निहित होता है और चिन्तन स्तर पर शिक्षण की व्यवस्था होती है।
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Case of study child ka farmet kaise taiyar krein
Case Study in Hindi Explained – केस स्टडी क्या है और कैसे करें
आपने अक्सर अपने स्कूल या कॉलेज में केस स्टडी के बारे में सुना होगा । खासकर कि Business Studies और Law की पढ़ाई पढ़ रहे छात्रों को कैसे स्टडी करने के लिए कहा जाता है । पर case study kya hai ? इसे कैसे करते हैं , इसके फायदे क्या हैं ? इस आर्टिकल में आप इन सभी प्रश्नों के बारे में विस्तार से जानेंगे ।
Case study in Hindi explained के इस पोस्ट में आप न सिर्फ केस स्टडी के बारे में विस्तार से जानेंगे बल्कि इसके उदाहरणों और प्रकार को भी आप विस्तार से समझेंगे । यह जरूरी है कि आप इसके बारे में सही और विस्तृत जानकारी प्राप्त करें ताकि आपको कभी कोई समस्या न हो । तो चलिए विस्तार से इसके बारे में जानते हैं :
Case Study in Hindi
Case Study एक व्यक्ति , समूह या घटना का गहन अध्ययन है । एक केस स्टडी में , किसी भी घटना या व्यक्ति का सूक्ष्म अध्ययन करके उसके व्यवहार के बारे में पता लगाया जाता है । एजुकेशन , बिजनेस , कानून , मेडिकल इत्यादि क्षेत्रों में केस स्टडी की जाती है ।
case study सिर्फ और सिर्फ एक व्यक्ति , घटना या समूह को केंद्र में रखकर किया जाता है और यह उचित भी है । इसकी मदद से आप सभी के लिए एक ही निष्कर्ष नहीं निकाल सकते । उदहारण के तौर पर , एक बिजनेस जो लगातार घाटा झेल रहा है उसकी केस स्टडी की जा सकती है । इसमें सभी तथ्यों को मिलाकर , परखकर यह जानने की कोशिश होती है कि क्यों बिजनेस लगातार loss में जा रही है ।
परंतु , जरूरी नहीं कि जिस वजह से यह पार्टिकुलर कम्पनी घाटा झेल रही हो , अन्य कंपनियों के घाटे में जाने की यही वजह हो । इसलिए कहा जाता है कि किसी एक मामले के अध्ययन से निकले निष्कर्ष को किसी अन्य मामले पर थोपा नहीं जा सकता । इस तरह आप case study meaning in Hindi समझ गए होंगे ।
Case Study examples in Hindi
अब जबकि आपने case study kya hai के बारे में जान लिया है तो चलिए इसके कुछ उदाहरणों को भी देख लेते हैं । इससे आपको केस स्टडी के बारे में जानने में अधिक मदद मिलेगी ।
ऊपर के उदाहरण को देख कर आप समझ सकते हैं कि case study क्या होती है । अब आप ऊपर दिए case पर अच्छे से study करेंगे तो यह केस स्टडी कहलाएगी यानि किसी मामले का अध्ययन । पर केस स्टडी कैसे करें ? अगर हमारे पास ऊपर दिए उदाहरण का केस स्टडी करने को दिया जाए तो यह कैसे करना होगा ? चलिए जानते हैं :
Case Study कैसे करें ?
अब यह जानना जरूरी है कि एक case study आखिर करते कैसे हैं और किन tools का उपयोग किया जाता है । तो एक केस स्टडी करने के लिए आपको ये steps फॉलो करना चाहिए :
1. सबसे पहले केस को अच्छे से समझें
अगर आप किसी भी केस पर स्टडी करना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले उसकी बारीकियों और हर एक डिटेल पर ध्यान देना चाहिए । तभी आप आगे बढ़ पाएंगे और सही निर्णय भी ले पाएंगे । Case को अच्छे से समझने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसपर स्टडी करते समय आपको ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती । केस को अच्छे से समझने के लिए आप यह कर सकते हैं :
- Important points को हाईलाइट करें
- जरूरी समस्याओं को अंडरलाइन करें
- जरूरी और बारीकियों का नोट्स तैयार करें
2. अपने विश्लेषण पर ध्यान दें
Case Study करने के लिए जरूरी है कि आप अपने analysis पर ध्यान दें ताकि बढ़िया रिजल्ट मिल सके । इसके लिए आप विषय के 2 से 5 मुख्य बिंदुओं / समस्याओं को उठाएं और बारीकी से उनके बारे में जानकारी इकट्ठा करें । इसके बारे में पता करें कि ये क्यों exist करती है और संस्था पर इनका क्या प्रभाव है ।
आप उन समस्याओं के लिए जिम्मेदार कारकों पर भी नजर डालें और सभी चीजों को ढंग से समझने की कोशिश करें तभी जाकर आप सही मायने में case study कर पाएंगे ।
3. संभव समाधानों के बारे में सोचें
किसी भी केस स्टडी का तीसरा महत्वपूर्ण पड़ाव है कि आप समस्या के संभावित समाधानों के बारे में सोचें ।इसके लिए आप discussions , research और अपने अनुभव की मदद ले सकते हैं । ध्यान रहें कि सभी समाधान संभव हों ताकि उन्हें लागू किया जा सके ।
4. बेहतरीन समाधान का चुनाव करें
केस स्टडी का अंतिम पड़ाव मौजूदा समाधानों में से एक सबसे बेहतरीन समाधान का चुनाव करना है । आप सभी समाधानों को एक साथ तो बिल्कुल भी implement नहीं कर सकते इसलिए जरूरी है कि बेहतरीन को चुनें ।
Case Study format
अगर आप YouTube video की मदद से देखकर सीखना चाहते हैं कि Case Study कैसे बनाएं तो नीचे दिए गए Ujjwal Patni की वीडियो देख सकते हैं ।
इस पोस्ट में आपने विस्तार से case study meaning in Hindi के बारे में जाना । अगर कोई प्वाइंट छूट गया हो तो कॉमेंट में जरूर बताएं और साथ ही पोस्ट से जुड़ी राय या सुझाव भी आप कॉमेंट में दे सकते हैं । पोस्ट पसंद आया हो और हेल्पफुल साबित हुई हो तो शेयर जरूर करें ।
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I have always had a passion for writing and hence I ventured into blogging. In addition to writing, I enjoy reading and watching movies. I am inactive on social media so if you like the content then share it as much as possible .
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nice info sir thanks
Thanks. It is really very helpful.
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Category: स्वस्थ शरीर
बच्चों में Learning Disabilities का कारण और समाधान
By: Vandana Srivastava | ☺ 17 min read
लर्निंग डिसेबिलिटी (Learning Disabilities) एक आम बात है जिस बहुत से बच्चे प्रभावित देखे जा सकते हैं। इसका समाधान किया जा सकता है। माँ-बाप और अध्यापकों के प्रयास से बच्चे स्कूल में दुसरे बच्चों के सामान पढाई में अच्छा प्रदर्शन दे सकते हैं। लेकिन जरुरी है की उनके अन्दर छुपी प्रतिभा को पहचाना जाये और उचित मार्गदर्शन के दुवारा उन्हें तराशा जाये। इस लेख में आप जानेंगे की लर्निंग डिसेबिलिटी (Learning Disabilities) क्या है और आप अपने बच्चे का इलाज किस तरह से कर सकती हैं।
लर्निंग डिसेबिलिटी (Learning Disabilities) एक प्रकार की विसंगति है जो बच्चे के सिखने की छमता को प्रभावित करता है।
बच्चों का बौद्धिक स्तर 90 या इससे भी अधिक हो सकता है, लेकिन फिर भी ये बच्चे दुसरे बच्चों की तुलना में पढाई में थोड़े कमजोर होते हैं।
इन में कोई ऐसी प्राथमिक विक्लांगता भी नहीं होती है की कहा जा सके की उसकी वजह से बच्चे के सिखने की छमता प्रभावित हो रही है।
लर्निंग डिसेबिलिटी (Learning Disabilities) से प्रभावित बच्चे हर आयु ,जाती एवं सामाजिक ,आर्थिक स्तर में दिखाई पड़ते हैं।
अधिगम अक्षमता (Learning Disabilities) एक कौतुहल का विषय हैं।
इस लेख में आप पढ़ेंगी की बच्चों में लर्निंग डिसेबिलिटी (Learning Disabilities) क्योँ होती है और इसका क्या समाधान है। समाधानों की चर्चा हम लेख के अंत में करेंगे। इस लेख में हम आप को यह भी बताएँगे की आप किस तरह से इस विकृति से अपने बच्चे का बचाव कर सकती हैं।
इस लेख में:
- लर्निंग डिसेबिलिटी से होने वाली समस्या
- लर्निंग डिसेबिलिटी से प्रभावित बच्चों की पहचान - लक्षण
- अनसुलझे सवाल
लर्निंग डिसेबिलिटी के प्रकार
डिस्लेक्सिया (dyslexia) - पढ़ने सम्बन्धी समस्या.
- डिसग्राफिआ (disgrafia) - लिखने सम्बन्धी समस्या
डिस्कैलक्युलिआ (dyscalculia) - जोड़ने घटाने सम्बन्धी समस्या
लर्निंग डिसेबिलिटी क्योँ होता है.
- लर्निंग डिसेबिलिटी का इलाज
लर्निंग डिसेबिलिटी से बचाव
माँ-बाप की भूमिका.
लर्निंग डिसेबिलिटी से होने वाली समस्या:
- बच्चे को ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती है
- संवेगात्मक अस्थिरता
- सामाजिक समस्याए - जैसे की दुसरे बच्चों के साथ ताल-मेल बनाने में कठिनाई
लर्निंग डिसेबिलिटी से प्रभावित बच्चों की पहचान - लक्षण
आप इन बच्चों को स्कूल के सामान्य कक्षा कक्ष में आसानी से पहचान लेंगी। ये बच्चे लेखन कौशल के आधार भूत सिधान्तों को नहीं सिख पाते हैं। इन बच्चों में कोई भी शारीरिक विकलांगता नहीं पाई जाती है - इसके बावजूद इन बच्चों का बौद्धिक स्तर दुसरे बच्चों से तुलनात्मक रूप से औसत से कम होता हैं।
ये बच्चे ऐसे क्रिकेट खिलाडी की तरह होते हैं जिसमे बल्ले से गेंद को हिट कर के रन बनाने की क्षमता तो हैं लेकिन उन्हें एक टुटा हुआ बल्ला दे देदिया गया है। इस वजह से वे अपनी छमता का बेहतरीन प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं।
अनसुलझे सवाल
पिछले कई दशकों से लर्निंग डिसेबिलिटी पे हुए अनेकों शोध के बावजूद अभी बहुत से ऐसे अनसुलझे सवाल है जिन का उत्तर पता लगाना अभी बाकि है। उदहारण के लिए:
- लर्निंग डिसेबिलिटी का वास्तविक स्वरुप क्या हैं?
- इनके तीव्रता के आधार पे इन्हें कैसे बांटे
- इससे प्रभावित बच्चों के शिक्षकों, अभिभावकों एवं सहपाठियों को इस तरह से जागरूक करें की उनके व्यहार में परिवर्तन आये
अधिगम अक्षमता (Learning Disabilities) से प्रभावित बच्चों को सबसे ज्यादा समस्या आती है जब वे पढ़ने, लिखने , जोड़ने, घटाने इत्यादि से सम्बंधित कार्य करते हैं। इन समस्याओं को तीन वर्गों में बंटा गया है:
- डिस्लेक्सिया - पढ़ने सम्बन्धी समस्या
- डिसग्राफिआ - लिखने सम्बन्धी समस्या
- डिस्कैलक्युलिआ - जोड़ने घटाने सम्बन्धी समस्या
मकिनिस और हेमिंग के अनुसार ऐसे बच्चों में कुछ ख़ास विशेषताएं पायी जाती हैं। जैसे -
- ऐसे बच्चे अपने शिक्षक के ऊपर निर्भर होते हैं।
- प्रत्येक पाठ्य विषय को आपस में ताल-मेल नहीं बैठा पाते हैं।
- ऐसे बच्चों की याद करने की क्षमता कमज़ोर होती है।
- ऐसे बच्चों में ध्वनियों को सीखने ,शब्दों को सीखने एवं उनका उचित उपयौग करने में भी कठिनाई होती हैं।
- ऐसे बच्चों को उन अक्षरों को पढ़ने में काफी कठिनाई होती हैं ,जिनमे केवल लकीर होती हैं। जैसे - b और d आदि।
- ऐसे बच्चों के पढ़ने की रफ़्तार बहुत धीमी होती हैं।
- ऐसे बच्चें लिखना और पढ़ना नहीं चाहते हैं।
- अपनी अक्षमताओं के कारण ऐसे बच्चों में आत्मग्लानि के लक्षण देखने को मिलते हैं।
- पढ़ते समय इनमे उच्चारण - दोष प्रदर्शित होता हैं।जैसे - zoo की जगह joo का उच्चारण करना इत्यादि।
- शब्दों को उसके स्थान से उलट के पढ़ते हैं तथा पढ़ते समय अपने हाथ को सही लाइन पर न रखकर ऊपर - नीचे पढ़ते हैं।
डिसग्राफिआ (disgrafia) - लिखने सम्बन्धी समस्या
- ऐसे बच्चों की लिखावट काफी गन्दी होती हैं।
- लिखने में वाक्य रचना संबधी दोष ,व्याकरण सम्बन्ध दोष भी पाए जाते हैं।
- ऐसे बच्चों के अक्षर या शब्दों के आपसी आकाल ,शब्दों या अक्षरों के बीच खाली स्थान इत्यादि से सम्बंधित दोष भी देखने को मिलते हैं।
- इस प्रकार के बच्चों में जोड़ने - घटाने सम्बन्धी दिक्कते आती हैं।
- गिनने की प्रक्रिया में समस्या।
- बड़ा - छोटा ,काम -ज्यादा करने में समस्या।
- संख्याओं को सही क्रम के बदले उलटे क्रम में गिनते हैं। जैसे - 45 को 54 अथवा 503 को 305 इत्यादि।
- संख्याओं को नक़ल कर के लिखने में कठिनाई।
- कुछ बच्चों में ये तीनो तरह की विकृतिया होती हैं।
दुनिया भर में लर्निंग डिसेबिलिटी (Learning Disabilities) पे हुए शोध में यह पाया गया है की इसकी मुख्या वजह है तंत्रिका तंत्र में विसंगति। लेकिन इसके आलावा बच्चों में लर्निंग डिसेबिलिटी के और भी बहुत से कारण हो सकते हैं। उदहारण के लिए केंद्रीय स्नायु प्रणाली की अक्रियाशीलता, या अनुवांशिकता के परिणाम स्वरूप। लर्निंग डिसेबिलिटी बच्चे में जन्म के समय या जन्म से पूर्व भी हो सकता है: इन तीन कारणों से होता है लर्निंग डिसेबिलिटी बच्चों में:
- अनुवांशिक कारक - जिनके माता - पिता भी अधिगम अक्षमता से पीड़ित होते हैं, प्रायः उनके बच्चों में भी यह गुण देखने को मिलता है।
- तंत्रकीय कारक - बच्चे में इस समस्या से भी अध्धयन असमर्थता उत्पन्न होती है।
- माँ दवारा अत्यधिक दवाओं का सेवन।
- माँ के मदिरा पान करने से।
- माँ के कुपोषण से ग्रसित होने से।
- गर्भवती महिला को गंभीर बीमारी से ग्रसित होने की दशा में।
- जन्म के समय बच्चे को पर्याप्त ऑक्सीजन ना मिल पाने के कारण।
- जन्म के समय किसी घटना से मस्तिष्क में लगाने वाली चोट के कारण।
- औजार से प्रसव कराने के वजह से मस्तिष्क की कोशिकाओ में चोट लगाने के कारण ,इत्यादि।
- दुर्घटना द्वारा मस्तिष्क में लगे चोट से।
- लेड या पेंट जैसे तत्वों के शरीर में जाने से।
- लर्निंग डिसेबिलिटी में बच्चे के मस्तिष्क का विकास देर से या धीमी गति से होता हैं। इसके कारण सुनने ,बोलने,पढ़ने तथा लिखने के कौशलों का विकास प्रायः धीमा होता हैं।
लर्निंग डिसेबिलिटी का इलाज
ऐसे देखा जाये तो लर्निंग डिसेबिलिटी का कोई इलाज उपलब्ध नहीं है। मगर जानकारी और प्रयास से बच्चे के सिखने की छमता को बढाया जा सकता है।
इससे बच्चे का आत्मविश्वास भी बढता है। लर्निंग डिसेबिलिटी से प्रभावित बच्चों को इस तरह मदद प्रदान किया जा सकता है:
- सबसे पहले माँ-बाप और अध्यापकों को लर्निंग डिसेबिलिटी से सम्बंधित जानकारी इकट्ठी करनी चाहिए।
- बच्चों को प्यार से कक्षा में प्राथमिकता के आधार पर लक्ष्य चुनना सिखाएं। हो सकता है की आप को बच्चे को बार-बार यह सिखाना पड़े। लेकिन बिना निराश हुए और सायं के साथ बच्चे को task prioritize करना सिखाएं।
- बच्चों को निर्देशों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करें। अगर बच्चे निर्देशों का पालन ना करें तो उन्हें डांटे नहीं। ये बच्चे जानबूझ कर ऐसा नहीं करते हैं। हमारे लिए और आप के लिए यह समझ पाना बहुत कठिन है की ये बच्चे निर्देशों का पालन क्योँ नहीं करते हैं। बस इतना समझ लीजिये की प्यार जाता कर और लगातार प्रयास से आप अपने बच्चे को निर्देशों का पालन करना सिखा लेंगे।
- इन बच्चों को प्रशिक्षण देते समय अपने प्रशिक्षण विधि में इस तरह परिवर्तन की जिए की लर्निंग डिसेबिलिटी से प्रभावित बच्चा आसानी से समझ सके।
- गर्भावस्था के दौरान अत्यधिक दवाओं का सेवन ना करें।
- ध्रूमपान ना करें और नशीली दवाओं का सेवन ना करें। शराब ना पियें। ये सभी कार्य गर्भ में बच्चे के दिमागी विकास को प्रभावित करते हैं।
- माँ को गर्भावस्था में खान-पान का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है। सबसे ज्यादा आवश्यकता है कुपोषण से बचने की।
- गर्भावस्था में माँ को कोई भी ऐसी गतिविधि से बचना चाहिए जिससे उसके शारीर में ऑक्सीजन की कमी हो। उदहारण के लिए तेज़ चलना या दौड़ना या बहुत मेहनत वाला काम करना जिससे तेज़ी से साँस लेने की आवश्यकता पड़े।
- जन्म के समय यह सुनुश्चित करना की बच्चे को पर्याप्त ऑक्सीजन मिल सके।
- प्रसव के दौरान बच्चे को किसी भी चोट से बचाना, विशेष कर के मस्तिष्क पे लगने वाले चोट से।
- लेड या पेंट जैसे तत्वों बच्चे के शारीर में ना जाएँ।
अगर आप को यह पता चले की आप के बच्चे में लर्निंग डिसेबिलिटी है तो आप घबराएँ नहीं। ऐसे बहुत से लोग हैं जो लर्निंग डिसेबिलिटी के बावजूद सफलता के शिखर पे पहुंचे हैं। बच्चे के स्कूल में प्रदर्शन के आधार पे उसे कभी डाटें नहीं। वरन उसके अन्दर छिपी क्षमताओं और योग्यताओं को पहचानने की कोशिश करें और उन्हें तराशें। बच्चे को सही परामर्श देकर उनका सहयोग करे।
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A case study is a written account that gives detailed information about a person, group, or thing and their development over a period of time. Your draft should contain at least 4 sections: an introduction; a body where you should include background information, an explanation of why you decided to do this case study, and a presentation of your main findings; a conclusion where you present data; and references
केस स्टडी का मुख्य उद्देश्य बच्चों के सभी पक्षों से भली भांति परिचित होना है l जैसे कि बच्चों में छुपी हुई कमजोरी को उजागर करना, पढाई में अभिरुचि का कम होना, विद्यालय के गतिविधियों में हिस्सा न लेना, विद्यालय से अनुपस्थित रहना इत्यादि कारणों का पता लगा कर उसे दूर करने का प्रयास तथा उनमें सकारात्मक पहलुओं का विकास करना इस केस स्टडी का मुख्य उद्देश्य है l
अ) छात्र का विवरण
1. छात्र का नाम:………………………………………………………… 2. जन्म तिथि:………………………………………………………… 3. पुरुष / महिला:………………………………………………………… 4. अभिभावक / संरक्षक : : पिता:………………………………………………. माता:……………………………………………….. अभिभावक:………………………………………….. 5. कक्षा जिसमें अध्ययनरत है:………………………………………………………… 6. पत्र व्यवहार का पता:………………………………………………………………… …………………………………………………………………………………………………. 7. माता – पिता / अभिभावक की मासिक आय:……………………………………. 8. पिता / अभिभावक का कार्यक्षेत्र और शैक्षिक योग्यता:…………………………. 9. माँ का कार्यक्षेत्र और योग्यता:………………………………………………………. 10. संख्या:………………………..भाई ………………………बहन 11. अपने भाई बहनों के बीच की मूल स्थिति (बड़ा / मझला / छोटा ):……..
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PDF | On Jan 1, 2013, Pankaj Sah published Learning Disability: Meaning, Nature and Concpet (Hindi) | Find, read and cite all the research you need on ResearchGate
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What is case study method in hindi.
What Is Case Study Method In Hindi? PDF Download, व्यक्तिगत अध्ययन , मामले का अध्ययन, केस स्टडी आदि के बारे में जानेंगे। इन नोट्स के माध्यम से आपके ज्ञान में वृद्धि होगी और आप अपनी आगामी परीक्षा को पास कर सकते है | Notes के अंत में PDF Download का बटन है | तो चलिए जानते है इसके बारे में विस्तार से |
- सामाजिक अनुसंधान पद्धतियों के विशाल परिदृश्य में, केस स्टडी पद्धति मानव व्यवहार और अनुभवों की जटिल जटिलताओं को समझने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में सामने आती है।
- व्यक्तिगत जीवन या उनके वास्तविक जीवन के संदर्भ में विशिष्ट घटनाओं में गहराई से उतरकर, यह विधि अद्वितीय अंतर्दृष्टि प्रदान करती है जो अक्सर मात्रात्मक विश्लेषण से बच जाती है। यह लेख केस स्टडी पद्धति के सार की पड़ताल करता है, इसकी ताकत, अनुप्रयोगों और सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में इसके प्रभाव पर प्रकाश डालता है।
केस स्टडीज को समझना: परिभाषा और उदाहरण
(understanding case studies: definition and examples).
शब्द “CASE” बहुआयामी है और इसका उपयोग कानून, चिकित्सा और मनोविज्ञान सहित हमारे दैनिक जीवन के विभिन्न पहलुओं में होता है। प्रत्येक संदर्भ में, यह शब्द किसी व्यक्ति के बारे में जानकारी एकत्र करने से जुड़ा है ताकि उनके सामने आने वाले मुद्दों या समस्याओं को हल करने में उनकी सहायता की जा सके। यह सिद्धांत मनोविज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में भी लागू होता है, जहां मनोवैज्ञानिक या शैक्षिक चुनौतियों का सामना करने वाले व्यक्तियों की विस्तार से जांच की जाती है। उनके अतीत, वर्तमान और संभावित भविष्य को शामिल करते हुए इस व्यापक विश्लेषण को केस स्टडी कहा जाता है।
- व्यक्तिगत अध्ययन , जिसे आमतौर पर केस स्टडी कहा जाता है, सामाजिक अनुसंधान में डेटा संग्रह की एक मौलिक विधि है, जिसका व्यापक रूप से विभिन्न सामाजिक विज्ञानों में उपयोग किया जाता है।
- इसमें एक विशिष्ट सामाजिक इकाई का गहन विश्लेषण शामिल है, जिसमें व्यक्तियों, परिवारों, समूहों, संस्थानों, समुदायों, नस्लों, राष्ट्रों, सांस्कृतिक क्षेत्रों या ऐतिहासिक युगों को शामिल किया जा सकता है।
- इस पद्धति की तुलना अक्सर ‘सामाजिक माइक्रोस्कोप’ से की जाती है क्योंकि यह शोधकर्ताओं को उल्लेखनीय गहराई के साथ सामाजिक घटनाओं का पता लगाने में सक्षम बनाता है, जिससे जटिल विवरण सामने आते हैं जो अन्य शोध विधियों के माध्यम से अस्पष्ट रह सकते हैं।
- आम ग़लतफ़हमी के विपरीत कि, यह केवल व्यक्तिगत गतिविधियों और जीवन इतिहास पर केंद्रित है, केस अध्ययन पद्धति अपना दायरा विभिन्न सामाजिक इकाइयों तक बढ़ाती है। शोधकर्ता इस दृष्टिकोण का उपयोग चुनी हुई इकाई के सभी पहलुओं की सावधानीपूर्वक जांच करने के लिए करते हैं, जिससे यह एक व्यापक और विस्तृत अध्ययन बन जाता है।
- केस अध्ययनों के माध्यम से, सामाजिक वैज्ञानिक छिपी हुई बारीकियों को उजागर करते हैं, जो मानव व्यवहार, सामाजिक संरचनाओं और सांस्कृतिक गतिशीलता की जटिलताओं में अमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।
केस स्टडी के मुख्य तत्व
(key elements of a case study).
1. केस स्टडी की परिभाषा (Definition of a Case Study):
- एक केस स्टडी में किसी व्यक्ति की शैक्षिक या मनोवैज्ञानिक समस्या का गहन अन्वेषण शामिल होता है, जिसमें उनका इतिहास, वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाएं शामिल होती हैं।
- उदाहरण: सीखने में कठिनाइयों का सामना कर रहे एक छात्र की जांच करना ताकि उसके कारणों, वर्तमान सीखने के माहौल और अकादमिक रूप से सफल होने में मदद करने के लिए संभावित हस्तक्षेपों को समझा जा सके।
2. कानूनी और चिकित्सीय मामलों में समानताएँ (Similarities to Legal and Medical Cases):
- उसी तरह, जैसे एक वकील एक कानूनी मामले का अध्ययन करता है और एक डॉक्टर एक मरीज के मामले का मूल्यांकन करता है, मनोवैज्ञानिक और शिक्षक मनोवैज्ञानिक या शैक्षिक चुनौतियों का सामना करने वाले व्यक्ति के मामले की जांच करते हैं।
- उदाहरण: एक मनोवैज्ञानिक व्यवहार संबंधी मुद्दों वाले बच्चे के मामले में पारिवारिक पृष्ठभूमि, स्कूल के माहौल और बच्चे की भावनात्मक स्थिति जैसे कारकों पर विचार करता है।
3. डेटा संग्रह और विश्लेषण (Data Collection and Analysis):
- केस अध्ययन में विभिन्न प्रकार के डेटा एकत्र करना शामिल है, जिसमें साक्षात्कार, अवलोकन, मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन और अकादमिक रिकॉर्ड शामिल हो सकते हैं।
- उदाहरण: शिक्षकों, अभिभावकों और छात्रों के साथ साक्षात्कार के माध्यम से जानकारी एकत्र करना, साथ ही कक्षा में छात्र के शैक्षणिक प्रदर्शन और व्यवहार का विश्लेषण करना।
4. विस्तृत समझ (Comprehensive Understanding):
- केस अध्ययन का उद्देश्य व्यक्ति की अद्वितीय परिस्थितियों और अनुभवों को ध्यान में रखते हुए उसकी समस्या की समग्र समझ प्रदान करना है।
- उदाहरण: एक किशोर के स्कूल से इनकार करने के मामले का अध्ययन करना, न केवल शैक्षणिक दबाव बल्कि सामाजिक संपर्क, मानसिक स्वास्थ्य और पारिवारिक गतिशीलता पर भी विचार करना।
5. समस्या-समाधान दृष्टिकोण (Problem-Solving Approach):
- सकारात्मक परिणामों को बढ़ावा देने के लिए व्यक्ति की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप प्रभावी समाधानों और हस्तक्षेपों की पहचान करने के लिए केस अध्ययनों का उपयोग किया जाता है।
- उदाहरण: एक व्यापक केस अध्ययन के निष्कर्षों के आधार पर ध्यान घाटे की सक्रियता विकार (ADHD: Attention Deficit Hyperactivity Disorder) वाले छात्र के लिए एक व्यक्तिगत शिक्षा योजना विकसित करना।
निष्कर्ष: शिक्षा और मनोविज्ञान में केस अध्ययन व्यक्तियों के सामने आने वाली चुनौतियों को समझने और उनका समाधान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। समग्र दृष्टिकोण अपनाकर और किसी व्यक्ति के इतिहास, वर्तमान स्थिति और संभावित भविष्य में गहराई से जाकर, मनोवैज्ञानिक और शिक्षक लक्षित हस्तक्षेप विकसित कर सकते हैं, जो अंततः व्यक्ति की वृद्धि, विकास और कल्याण को सुविधाजनक बना सकता है।
केस स्टडी क्या है?
(what is a case study).
केस स्टडी एक शोध पद्धति है जो किसी विशिष्ट व्यक्ति का उसके प्राकृतिक वातावरण में अध्ययन करने पर केंद्रित होती है। यह दृष्टिकोण शोधकर्ताओं को व्यक्ति के व्यवहार और व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं में व्यापक अंतर्दृष्टि प्राप्त करने की अनुमति देता है। व्यक्ति की संपूर्णता में जांच करके, केस अध्ययन वास्तविक जीवन के संदर्भ में मानव व्यवहार की गहरी समझ प्रदान करते हैं।
1. व्यवहार अध्ययन की विधि (Method of Behavior Study):
- केस स्टडीज़ मानव व्यवहार का अध्ययन करने के लिए नियोजित अनुसंधान विधियां हैं। शोधकर्ता अपने वातावरण में व्यक्ति के कार्यों, प्रतिक्रियाओं और अंतःक्रियाओं का बारीकी से निरीक्षण और विश्लेषण करते हैं।
- उदाहरण: एक मनोवैज्ञानिक एक किशोर में सामाजिक चिंता विकार को समझने के लिए एक केस स्टडी कर रहा है, और विभिन्न सामाजिक स्थितियों में उनके व्यवहार का अवलोकन कर रहा है।
2. किसी विशेष व्यक्ति पर ध्यान दें (Focus on a Particular Person):
- केस अध्ययन किसी समूह या जनसंख्या के बजाय किसी विशिष्ट व्यक्ति पर ध्यान केंद्रित करते हैं। यह केंद्रित दृष्टिकोण शोधकर्ताओं को किसी व्यक्ति के व्यवहार की जटिलताओं को गहराई से समझने की अनुमति देता है।
- उदाहरण : ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम विकार वाले बच्चे के मामले का अध्ययन करके उनकी अनूठी चुनौतियों, संचार पैटर्न और सामाजिक संपर्कों का पता लगाना।
3. प्राकृतिक पर्यावरण के भीतर अध्ययन (Study within the Natural Environment):
- केस अध्ययन व्यक्ति के प्राकृतिक वातावरण में आयोजित किए जाते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि एकत्र किए गए अवलोकन और डेटा उनके विशिष्ट व्यवहार के प्रतिनिधि हैं।
- उदाहरण: कक्षा सेटिंग में एक शिक्षक का अवलोकन करके उनकी शिक्षण विधियों, छात्रों की बातचीत और कक्षा प्रबंधन तकनीकों को समझना।
4. व्यवहार और व्यक्तित्व की व्यापक समझ (Comprehensive Understanding of Behavior and Personality):
- केस अध्ययन का उद्देश्य व्यक्ति के व्यवहार और व्यक्तित्व के सभी पहलुओं के बारे में जानकारी इकट्ठा करना है। इसमें उनके विचार, भावनाएँ, कार्य और विभिन्न उत्तेजनाओं के प्रति प्रतिक्रियाएँ शामिल हैं।
- उदाहरण: पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTHD) वाले एक वयस्क के मामले का विश्लेषण करके उनके ट्रिगर्स, मुकाबला करने के तंत्र और समग्र मनोवैज्ञानिक कल्याण का पता लगाना।
5. व्यवहार विज्ञान में अनुप्रयोग (Applications in Behavioral Sciences):
- अद्वितीय या दुर्लभ घटनाओं का पता लगाने के लिए मनोविज्ञान, समाजशास्त्र, शिक्षा और संबंधित क्षेत्रों में केस स्टडीज का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है, जो सिद्धांत विकास और व्यावहारिक अनुप्रयोगों के लिए मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
- उदाहरण: एक प्रतिभाशाली बच्चे की सीखने की ज़रूरतों को समझने और उनकी प्रतिभा को निखारने के लिए उचित शैक्षिक रणनीतियाँ विकसित करने के लिए उन पर एक केस अध्ययन आयोजित करना।
निष्कर्ष: केस अध्ययन उनके प्राकृतिक वातावरण में विशिष्ट व्यक्तियों पर ध्यान केंद्रित करके मानव व्यवहार और व्यक्तित्व को समझने में एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में कार्य करता है। यह विधि शोधकर्ताओं को व्यवहार की जटिलताओं का पता लगाने की अनुमति देती है, व्यवहार विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में अकादमिक अनुसंधान और व्यावहारिक हस्तक्षेप दोनों के लिए मूल्यवान ज्ञान प्रदान करती है।
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शिक्षा में केस स्टडी क्या है?
(what is case study in education).
शिक्षा में केस स्टडी एक विशिष्ट शैक्षिक स्थिति, परिदृश्य या समस्या की विस्तृत और गहन जांच है। इसमें किसी शैक्षिक सेटिंग, जैसे स्कूल, कक्षा या शैक्षिक कार्यक्रम के भीतर वास्तविक जीवन की घटनाओं का व्यापक अनुसंधान और विश्लेषण शामिल है। शिक्षा में केस अध्ययन शिक्षण, सीखने और शैक्षिक प्रशासन में शामिल जटिलताओं की सूक्ष्म समझ प्रदान करते हैं।
शिक्षा में केस स्टडीज की मुख्य विशेषताएं
(key characteristics of case studies in education).
1. वास्तविक जीवन शैक्षिक संदर्भ (Real-Life Educational Context):
- शिक्षा में केस अध्ययन शैक्षिक वातावरण के भीतर वास्तविक जीवन की स्थितियों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। ये परिस्थितियाँ कक्षा की चुनौतियों से लेकर स्कूल-व्यापी नीतियों और हस्तक्षेपों तक हो सकती हैं।
- उदाहरण: एक विशिष्ट ग्रेड-स्तरीय कक्षा में एक नई शिक्षण पद्धति के कार्यान्वयन का विश्लेषण करना।
2. गहन जांच (In-Depth Investigation):
- केस अध्ययन में चुने गए शैक्षणिक मामले की गहन जांच शामिल होती है। शोधकर्ता गहरी अंतर्दृष्टि प्राप्त करने के लिए साक्षात्कार, अवलोकन, सर्वेक्षण और दस्तावेज़ विश्लेषण जैसे विभिन्न तरीकों के माध्यम से डेटा एकत्र करते हैं।
- उदाहरण: शिक्षकों, छात्रों और अभिभावकों के साथ साक्षात्कार आयोजित करना, कक्षा की गतिविधियों का अवलोकन करना और छात्र प्रदर्शन डेटा का विश्लेषण करना।
3. बहुआयामी परिप्रेक्ष्य (Multifaceted Perspective):
- केस अध्ययन कई दृष्टिकोणों पर विचार करता है, जिनमें शिक्षक, छात्र, प्रशासक और कभी-कभी माता-पिता या समुदाय के सदस्य शामिल होते हैं। यह समग्र दृष्टिकोण शैक्षिक मुद्दे का एक सर्वांगीण दृष्टिकोण प्रदान करता है।
- उदाहरण: समावेशी शिक्षा के लिए स्कूल के दृष्टिकोण का अध्ययन करते समय शिक्षकों, छात्रों और अभिभावकों के दृष्टिकोण की जांच करना।
4. समस्या-समाधान पर ध्यान (Problem-Solving Focus):
- शिक्षा में केस अध्ययन अक्सर समस्याओं, चुनौतियों या सुधार के क्षेत्रों की पहचान करने के लिए आयोजित किए जाते हैं। शोधकर्ता इन मुद्दों के समाधान के लिए संभावित समाधान और रणनीतियों का पता लगाते हैं।
- उदाहरण: कम छात्र सहभागिता स्तर की जांच करना और कक्षा में भागीदारी और सीखने में रुचि बढ़ाने के लिए रणनीतियों का प्रस्ताव करना।
5. समृद्ध गुणात्मक डेटा (Rich Qualitative Data):
- शैक्षिक मामले का विस्तृत विवरण प्रदान करने के लिए शोधकर्ता आख्यानों, उद्धरणों और टिप्पणियों सहित समृद्ध गुणात्मक डेटा इकट्ठा करते हैं। गुणात्मक निष्कर्षों का समर्थन करने के लिए मात्रात्मक डेटा को भी शामिल किया जा सकता है।
- उदाहरण: व्यापक केस स्टडी रिपोर्ट बनाने के लिए कक्षा अवलोकन नोट्स के साथ छात्र और शिक्षक प्रशंसापत्र का उपयोग करना।
6. शैक्षिक प्रथाओं को सूचित करना (Informing Educational Practices):
- केस स्टडीज के निष्कर्ष शैक्षिक प्रथाओं, नीतिगत निर्णयों और निर्देशात्मक तरीकों की जानकारी देते हैं। शिक्षक, प्रशासक और नीति निर्माता साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने के लिए इन अंतर्दृष्टि का उपयोग कर सकते हैं।
- उदाहरण: शिक्षकों के लिए व्यावसायिक विकास कार्यशालाओं का मार्गदर्शन करने के लिए प्रभावी शिक्षण विधियों पर एक केस अध्ययन के परिणामों का उपयोग करना।
निष्कर्ष: शिक्षा में केस अध्ययन शैक्षिक प्रणाली के भीतर चुनौतियों और अवसरों की गहन समझ प्रदान करते हैं। विशिष्ट मामलों में गहराई से जाकर, शिक्षक और शोधकर्ता मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्राप्त कर सकते हैं, शिक्षण और सीखने की प्रथाओं में निरंतर सुधार और नवाचार को बढ़ावा दे सकते हैं। ये अध्ययन जटिल शैक्षिक समस्याओं के साक्ष्य-आधारित समाधान प्रदान करके शिक्षा के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
केस स्टडी में व्यक्ति के बारे में क्या जानकारी एकत्र की जानी चाहिए?
(what information should be collected about the person in the case study).
किसी मामले का अध्ययन करते समय, जांच के अधीन व्यक्ति के बारे में विशिष्ट जानकारी एकत्र करना गहन और व्यावहारिक विश्लेषण के लिए महत्वपूर्ण है। यह जानकारी व्यक्ति की पृष्ठभूमि, क्षमताओं, व्यवहार और व्यक्तिगत लक्षणों का समग्र दृष्टिकोण प्रदान करती है। इस संदर्भ में, एक व्यापक केस अध्ययन बनाने के लिए कई श्रेणियों के डेटा को एकत्र करने और उनका विश्लेषण करने की आवश्यकता है।
यहां उदाहरणों के साथ प्रत्येक श्रेणी का स्पष्टीकरण दिया गया है:
1. Identifying Data (परिचयात्मक विवरण): इस श्रेणी में व्यक्ति के बारे में बुनियादी जानकारी शामिल है, जैसे उनका नाम, उम्र, लिंग, पता, संपर्क विवरण और कोई अन्य प्रासंगिक व्यक्तिगत पहचान विवरण। ये विवरण यह समझने के लिए आधार प्रदान करते हैं कि व्यक्ति कौन है।
- नाम: जॉन स्मिथ
- लिंग: पुरुष
- पता: 123 मेन स्ट्रीट, एनीटाउन, यूएसए
- फ़ोन नंबर: (555) 123-4567
2. Birth Information (जन्म सम्बन्धी जानकारी): इस श्रेणी में व्यक्ति के जन्म से संबंधित विवरण शामिल हैं, जिसमें उनकी जन्मतिथि, जन्म स्थान और उनके जन्म के आसपास की कोई भी महत्वपूर्ण घटना या परिस्थितियाँ शामिल हैं।
- जन्मतिथि: 10 जून 1998
- जन्म स्थान: सिटी जनरल हॉस्पिटल, एनीटाउन, यूएसए
3. Health Record (स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी): इस अनुभाग में व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जानकारी एकत्र करना शामिल है। इसमें चिकित्सा इतिहास, वर्तमान स्वास्थ्य स्थितियां, दवाएं, एलर्जी और कोई भी प्रासंगिक स्वास्थ्य मूल्यांकन या निदान शामिल हो सकता है।
- चिकित्सा इतिहास : बचपन से अस्थमा
- वर्तमान स्वास्थ्य स्थिति: अवसाद और चिंता का प्रबंधन
- एलर्जी: कोई नहीं
4. Family Data (परिवार सम्बन्धी जानकारी): यह श्रेणी व्यक्ति की पारिवारिक पृष्ठभूमि पर केंद्रित है, जिसमें माता-पिता, भाई-बहन और परिवार के अन्य करीबी सदस्यों के बारे में विवरण शामिल हैं। पारिवारिक गतिशीलता और रिश्तों पर जानकारी महत्वपूर्ण हो सकती है।
- माता-पिता: जेन स्मिथ (मां) और मार्क स्मिथ (पिता)
- भाई-बहन: सारा (बड़ी बहन) और डेविड (छोटा भाई)
5. Socio- Economic Status (सामाजिक-आर्थिक स्थिति): यहां, आप व्यक्ति की आर्थिक और सामाजिक स्थिति, उनके व्यवसाय, आय, शैक्षिक पृष्ठभूमि और किसी भी प्रासंगिक सामाजिक-आर्थिक कारकों सहित डेटा एकत्र करते हैं।
- व्यवसाय: पूर्णकालिक छात्र और अंशकालिक कैशियर
- आय: $20,000 प्रति वर्ष
- शैक्षिक पृष्ठभूमि: हाई स्कूल स्नातक
6. Level of Intelligence (बुद्धि का स्तर ): यह अनुभाग व्यक्ति की बौद्धिक क्षमताओं और संज्ञानात्मक कार्यप्रणाली का आकलन करता है। इसमें आईक्यू स्कोर, मानकीकृत परीक्षण परिणाम या बुद्धि के अन्य आकलन शामिल हो सकते हैं।
- आईक्यू स्कोर: 120 (औसत से ऊपर)
7. Educational Records (शिक्षात्मक जानकारी): व्यक्ति के शैक्षणिक इतिहास से संबंधित जानकारी इकट्ठा करें, जिसमें स्कूल में पढ़ाई, ग्रेड, शैक्षणिक उपलब्धियां और किसी भी प्रासंगिक शैक्षणिक मूल्यांकन शामिल हैं।
- हाई स्कूल: एनीटाउन हाई स्कूल
- पुरस्कार: वेलेडिक्टोरियन
8. Co- Curricular Activities (पाठ्य सहगामी क्रियाएँ): इस श्रेणी में क्लब, खेल, शौक या स्वयंसेवी कार्य जैसे पाठ्येतर या सह-पाठयक्रम गतिविधियों में व्यक्ति की भागीदारी के बारे में विवरण शामिल हैं।
- पाठ्येतर गतिविधियाँ: शतरंज क्लब, स्थानीय पशु आश्रय में स्वयंसेवक
9. Adjustment (समायोजन): इस बारे में जानकारी एकत्र करें कि व्यक्ति विभिन्न परिस्थितियों या वातावरणों में कैसे अनुकूलन और समायोजन करता है। इसमें उनके मुकाबला करने के तंत्र, तनाव कारक और परिवर्तन को संभालने के तरीके शामिल हो सकते हैं।
- समायोजन: परिवर्तन और नए वातावरण के साथ संघर्ष करता है, दिनचर्या को प्राथमिकता देता है
10. Behaviour in the classroom (कक्षा- कक्ष में व्यवहार): यह अनुभाग शैक्षणिक सेटिंग में व्यक्ति के व्यवहार और प्रदर्शन की जांच करता है, जिसमें उनकी भागीदारी, शिक्षकों और साथियों के साथ बातचीत और सीखने की शैली शामिल है।
- कक्षा व्यवहार: सक्रिय रूप से भाग लेता है, साथियों के साथ सहयोग करता है
11. Behaviour in the playground (खेल के मैदान में व्यवहार): गैर-शैक्षणिक सेटिंग्स में व्यक्ति के व्यवहार और बातचीत का पता लगाएं, जैसे कि अवकाश या खाली समय के दौरान। इससे उनके सामाजिक कौशल और रिश्तों के बारे में जानकारी मिल सकती है।
- खेल का मैदान व्यवहार : टीम खेल खेलना पसंद करता है, और उसके करीबी दोस्तों का एक छोटा समूह है
12. Personality Traits (व्यक्तित्व के गुण): व्यक्ति के व्यक्तित्व लक्षणों के बारे में जानकारी एकत्र करें, जिसमें उनका स्वभाव, ताकत, कमजोरियां और किसी भी व्यक्तित्व का आकलन शामिल है।
- व्यक्तित्व लक्षण: बहिर्मुखी, सहानुभूतिपूर्ण, विस्तार-उन्मुख
13. Educational and Vocational Plan (शैक्षिक तथा व्यावसायिक योजना): यह श्रेणी व्यक्ति के भविष्य के शैक्षिक और व्यावसायिक लक्ष्यों, आकांक्षाओं और कैरियर विकास या आगे की शिक्षा की योजनाओं की रूपरेखा तैयार करती है।
- शैक्षिक योजना (Educational Plan): मनोविज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल करें
- व्यावसायिक योजना (Vocational Plan): परामर्शदाता या चिकित्सक के रूप में कार्य करें
- उदाहरण: पर्यावरण विज्ञान में डिग्री हासिल करने और एक पर्यावरण संरक्षण संगठन के लिए काम करने की इच्छा रखता है।
14. Analysis (विश्लेषण):
- यह वह जगह है जहां आप सभी एकत्रित जानकारी का गहन विश्लेषण करते हैं, निष्कर्ष निकालते हैं और व्यक्ति के जीवन, व्यवहार और विशेषताओं में पैटर्न या रुझान की पहचान करते हैं।
- उदाहरण: विश्लेषण इंगित करता है कि व्यक्ति के मजबूत नेतृत्व कौशल और पर्यावरण संरक्षण के जुनून को परामर्श कार्यक्रमों और पारिस्थितिकी और स्थिरता से संबंधित पाठ्येतर गतिविधियों के माध्यम से पोषित किया जा सकता है।
कुल मिलाकर, जानकारी के इस व्यापक सेट को इकट्ठा करने से मामले के अध्ययन में व्यक्ति की पूरी समझ मिलती है, यदि आवश्यक हो तो सूचित निर्णय लेने और हस्तक्षेप की सुविधा मिलती है।
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केस स्टडी के चरण
(steps of case study).
एक केस स्टडी में किसी विशेष समस्या या परिदृश्य को समझने, विश्लेषण करने और हल करने की एक व्यवस्थित प्रक्रिया शामिल होती है। ये चरण किसी केस अध्ययन को प्रभावी ढंग से संचालित करने के लिए एक संरचित ढांचे के रूप में काम करते हैं। प्रत्येक चरण मामले की जटिलताओं को सुलझाने और सूचित निष्कर्ष पर पहुंचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
1. मामले को समझना (Understanding the Case):
- परिभाषा: मामले की पृष्ठभूमि, संदर्भ और मुख्य विवरण को अच्छी तरह से समझें। इसमें शामिल बारीकियों की गहरी समझ हासिल करने के लिए स्थिति में खुद को डुबो देना शामिल है।
- उदाहरण: छात्रों के प्रदर्शन में गिरावट की प्रवृत्ति से जुड़े मामले के अध्ययन के लिए, स्कूल की जनसांख्यिकी, शिक्षण विधियों और पाठ्यक्रम में हाल के बदलावों को समझना महत्वपूर्ण है।
2. समस्या का चयन (Selecting the Problem):
- परिभाषा: मामले के भीतर उस विशिष्ट समस्या या मुद्दे को पहचानें और परिभाषित करें जिसे संबोधित करने की आवश्यकता है। इस कदम में गहन विश्लेषण के लिए मामले के एक विशेष पहलू पर ध्यान केंद्रित करना शामिल है।
- उदाहरण: समस्या की पहचान पिछले दो वर्षों में हाई स्कूल में छात्रों के गणित दक्षता अंकों में गिरावट के रूप में की जा सकती है।
3. समस्या के कारणों का पता लगाना (Finding Out the Causes of the Problem):
- परिभाषा: पहचानी गई समस्या के मूल कारणों की जांच और विश्लेषण करें। इस चरण में समस्या में योगदान देने वाले विभिन्न कारकों की जांच करना शामिल है।
- उदाहरण: कारणों में अप्रभावी शिक्षण विधियां, संसाधनों की कमी, अपर्याप्त शिक्षक प्रशिक्षण, या छात्रों की सीखने की क्षमताओं को प्रभावित करने वाले सामाजिक-आर्थिक कारक शामिल हो सकते हैं।
4. संभावित समाधानों के बारे में सोचना (Thinking of Possible Solutions):
- परिभाषा: पहचाने गए कारणों के समाधान के लिए संभावित समाधानों या हस्तक्षेपों पर विचार-मंथन करें। रचनात्मक सोच को प्रोत्साहित करें और विभिन्न दृष्टिकोणों पर विचार करें।
- उदाहरण: संभावित समाधानों में इंटरैक्टिव शिक्षण तकनीकों को लागू करना, पाठ्यपुस्तकें और शैक्षिक सॉफ्टवेयर जैसे अतिरिक्त संसाधन प्रदान करना, शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशालाओं का आयोजन करना या सामुदायिक सहभागिता कार्यक्रम शुरू करना शामिल हो सकता है।
5. सर्वोत्तम समाधान का चयन (Selecting the Best Solution):
- परिभाषा: मामले के संदर्भ के साथ व्यवहार्यता, प्रभावशीलता और संरेखण के आधार पर प्रस्तावित समाधानों का मूल्यांकन करें। वह समाधान चुनें जिससे समस्या का प्रभावी ढंग से समाधान होने की सबसे अधिक संभावना हो।
- उदाहरण: प्रस्तावित समाधानों का मूल्यांकन करने के बाद, नियमित शिक्षक प्रशिक्षण सत्रों के साथ इंटरैक्टिव शिक्षण तकनीकों को लागू करना छात्रों को संलग्न करने और शिक्षक प्रभावशीलता को बढ़ाने की क्षमता के कारण सर्वोत्तम समाधान के रूप में चुना गया है।
6. मूल्यांकन करना (To Evaluate):
- परिभाषा: चयनित समाधान को लागू करें और उसके प्रभाव की बारीकी से निगरानी करें। परिणामों का मूल्यांकन करें और मूल्यांकन करें कि क्या कार्यान्वित समाधान ने समस्या का प्रभावी ढंग से समाधान किया है।
- उदाहरण: इंटरैक्टिव शिक्षण विधियों और शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशालाओं को लागू करने के बाद, नियमित रूप से मानकीकृत परीक्षणों और कक्षा अवलोकनों के माध्यम से छात्रों की प्रगति का आकलन करें। यदि गणित दक्षता स्कोर में महत्वपूर्ण सुधार होता है, तो समाधान को सफल माना जा सकता है।
निष्कर्ष: इन चरणों का व्यवस्थित रूप से पालन करने से केस अध्ययन के लिए एक व्यापक और रणनीतिक दृष्टिकोण सुनिश्चित होता है। मामले को समझकर, एक केंद्रित समस्या का चयन करके, उसके कारणों की पहचान करके, समाधानों पर विचार-मंथन करके, सर्वश्रेष्ठ का चयन करके और परिणामों का मूल्यांकन करके, शोधकर्ता और चिकित्सक वास्तविक दुनिया की समस्याओं को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिए सूचित रणनीति विकसित कर सकते हैं। यह संरचित प्रक्रिया निर्णय लेने को बढ़ाती है, आलोचनात्मक सोच को प्रोत्साहित करती है और अध्ययन और अभ्यास के विभिन्न क्षेत्रों में साक्ष्य-आधारित समाधानों को बढ़ावा देती है।
केस स्टडी का उद्देश्य
(purpose of the case study).
व्यवहार विश्लेषण और परामर्श के संदर्भ में एक केस अध्ययन का उद्देश्य विशिष्ट व्यक्तियों या स्थितियों की विस्तृत जांच प्रदान करना है, जिसका उद्देश्य व्यवहार संबंधी समस्याओं का सटीक निदान करना और प्रभावी मार्गदर्शन और परामर्श प्रदान करना है। प्रत्येक मामले की अनूठी परिस्थितियों में गहराई से जाकर, पेशेवर लक्षित हस्तक्षेप विकसित कर सकते हैं, व्यक्तिगत मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं और इसमें शामिल व्यक्तियों की समग्र भलाई को बढ़ा सकते हैं।
1. व्यवहार संबंधी समस्याओं का निदान और उपचार (Diagnosing and Treating Behavioral Problems):
- उद्देश्य: व्यवहार संबंधी मामले के अध्ययन का एक प्राथमिक उद्देश्य व्यक्तियों में अंतर्निहित व्यवहार संबंधी समस्याओं का निदान करना है। विस्तृत विश्लेषण के माध्यम से, पेशेवर समस्याग्रस्त व्यवहार के पैटर्न, ट्रिगर और संभावित कारणों की पहचान कर सकते हैं।
- उदाहरण: एक ऐसे बच्चे के मामले के अध्ययन पर विचार करें जो स्कूल में आक्रामक व्यवहार प्रदर्शित करता है। बच्चे की बातचीत, पारिवारिक गतिशीलता और स्कूल के माहौल का विश्लेषण करके, एक मनोवैज्ञानिक अंतर्निहित कारणों का निदान कर सकता है, जैसे कि बदमाशी के अनुभव या अनसुलझे भावनात्मक मुद्दे, और एक अनुरूप हस्तक्षेप योजना विकसित कर सकता है।
2. बेहतर मार्गदर्शन और परामर्श प्रदान करना (Providing Better Guidance and Counseling):
- उद्देश्य: केस अध्ययन व्यक्तिगत मार्गदर्शन और परामर्श प्रदान करने के लिए एक आधार के रूप में कार्य करता है। किसी व्यक्ति के सामने आने वाली अनोखी चुनौतियों को समझकर, परामर्शदाता व्यक्ति की आवश्यकताओं के अनुरूप विशिष्ट सलाह, मुकाबला करने की रणनीतियाँ और समर्थन तंत्र प्रदान कर सकते हैं।
- उदाहरण: एक केस स्टडी की कल्पना करें जिसमें एक किशोर शैक्षणिक तनाव और आत्मसम्मान के मुद्दों से जूझ रहा हो। निष्कर्षों के आधार पर, एक परामर्शदाता किशोरों की चिंताओं को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिए तनाव प्रबंधन तकनीकों, आत्मविश्वास निर्माण अभ्यास और शैक्षणिक सहायता सहित लक्षित मार्गदर्शन प्रदान कर सकता है।
निष्कर्ष: व्यवहार विश्लेषण और परामर्श में केस अध्ययन का उद्देश्य अंतर्निहित मुद्दों का निदान करना और अनुकूलित मार्गदर्शन और समर्थन प्रदान करना है। व्यक्तिगत मामलों पर ध्यान केंद्रित करके, पेशेवर व्यवहार संबंधी समस्याओं की सूक्ष्म समझ हासिल कर सकते हैं, जिससे वे सटीक हस्तक्षेप लागू करने में सक्षम हो सकते हैं जो शामिल व्यक्तियों के जीवन की समग्र गुणवत्ता को बढ़ाते हैं। ये अध्ययन प्रत्येक व्यक्ति की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप साक्ष्य-आधारित समाधान पेश करके मानसिक और भावनात्मक कल्याण को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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केस स्टडीज की विशेषताएं
(characteristics of case studies).
केस स्टडीज़ एक शोध पद्धति है जो उनकी गहराई और किसी विशेष व्यक्ति, इकाई या संस्थान के अध्ययन पर ध्यान केंद्रित करने की विशेषता है। जांच के तहत विषय की व्यापक समझ हासिल करने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ शिक्षा, व्यवसाय, कानून और चिकित्सा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में इनका व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। निम्नलिखित विशेषताएँ केस अध्ययन की प्रकृति को परिभाषित करने में मदद करती हैं:
1. किसी व्यक्ति या संस्था का गहन अध्ययन (In-Depth Study of a Person or Institution):
- विशेषताएँ: केस अध्ययन में किसी विशिष्ट व्यक्ति, संगठन या संस्था की विस्तृत और गहन जाँच शामिल होती है। यह व्यापक दृष्टिकोण शोधकर्ताओं को विषय के विभिन्न पहलुओं का पता लगाने की अनुमति देता है।
- उदाहरण: चिकित्सा के क्षेत्र में, एक केस स्टडी में एक दुर्लभ चिकित्सा स्थिति को समझने के लिए रोगी के चिकित्सा इतिहास, लक्षण, उपचार और परिणामों की गहन जांच शामिल हो सकती है।
2. अध्ययन के माध्यम से सूचना संग्रहण (Information Collection through Study):
- विशेषताएँ: विषय का गहनता से अध्ययन करके डेटा एकत्र किया जाता है। शोधकर्ता प्रासंगिक जानकारी इकट्ठा करने के लिए साक्षात्कार, अवलोकन, सर्वेक्षण और दस्तावेज़ विश्लेषण जैसे विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल करते हैं।
- उदाहरण: व्यावसायिक संदर्भ में, एक केस अध्ययन में प्रमुख हितधारकों का साक्षात्कार लेना, वित्तीय रिकॉर्ड का विश्लेषण करना और कंपनी की सफलता या विफलता में योगदान देने वाले कारकों का आकलन करने के लिए व्यावसायिक संचालन का अवलोकन करना शामिल हो सकता है।
3. अनेक क्षेत्रों में प्रयोज्यता (Applicability Across Multiple Fields):
- विशेषताएँ: केस अध्ययन बहुमुखी हैं और शिक्षा, व्यवसाय, कानून, चिकित्सा और अन्य सहित विभिन्न विषयों में आयोजित किए जा सकते हैं। यह विधि विभिन्न शोध प्रश्नों और उद्देश्यों के अनुकूल है।
- उदाहरण: शिक्षा के क्षेत्र में, एक केस स्टडी का उपयोग एक नई शिक्षण पद्धति की प्रभावशीलता का पता लगाने के लिए किया जा सकता है, जबकि कानून में, इसे एक हाई-प्रोफाइल अदालती मामले में उपयोग की जाने वाली कानूनी रणनीतियों का विश्लेषण करने के लिए नियोजित किया जा सकता है।
4. व्यक्ति या इकाई पर ध्यान दें (Focus on the Individual or Entity):
- विशेषताएँ: केस अध्ययन एक केंद्रीय विषय के इर्द-गिर्द घूमते हैं, चाहे वह कोई व्यक्ति, संस्था या विशिष्ट मुद्दा हो। संपूर्ण शोध प्रक्रिया के दौरान यह विषय अध्ययन के केंद्र में रहता है।
- उदाहरण: शैक्षिक अनुसंधान के संदर्भ में, यदि कोई छात्र एक ही कक्षा में लगातार असफल होता है, तो व्यक्तिगत छात्र केस स्टडी का केंद्र बिंदु बन जाता है।
5. विस्तृत जांच और डेटा विश्लेषण (Detailed Investigation and Data Analysis):
- विशेषताएँ: केस अध्ययन में सावधानीपूर्वक जांच और डेटा संग्रह शामिल होता है। शोधकर्ता विषय वस्तु में गहराई से उतरते हैं, डेटा का सावधानीपूर्वक विश्लेषण करते हैं, और अंतर्निहित कारणों और कारकों को उजागर करने का प्रयास करते हैं।
- उदाहरण: संघर्षरत छात्र के मामले में, शोधकर्ता छात्र, शिक्षकों और अभिभावकों के साथ साक्षात्कार आयोजित कर सकते हैं, पिछले शैक्षणिक रिकॉर्ड का विश्लेषण कर सकते हैं और आवर्ती विफलताओं के कारणों का पता लगाने के लिए कक्षा की बातचीत का निरीक्षण कर सकते हैं।
निष्कर्ष: केस अध्ययन की विशेषताएं, जिसमें उनकी गहन प्रकृति, सूचना एकत्र करने का दृष्टिकोण, अंतर-विषयक प्रयोज्यता, विषय-केंद्रित पद्धति और कठोर जांच शामिल है, उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में एक मूल्यवान अनुसंधान उपकरण बनाती है। केस अध्ययन जटिल वास्तविक दुनिया के परिदृश्यों में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं और विशिष्ट मुद्दों की गहरी समझ प्रदान करते हैं, अंततः साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने और समस्या-समाधान में योगदान करते हैं।
बाल व्यवहार के अध्ययन में केस स्टडी के लाभ
(advantages of case study in studying child behavior).
केस अध्ययन एक मूल्यवान शोध पद्धति है, खासकर जब बच्चों जैसे जटिल व्यवहारों का अध्ययन किया जाता है। यह दृष्टिकोण बच्चे के प्राकृतिक वातावरण के भीतर उसके व्यवहार की गहराई से खोज करने की अनुमति देता है, जिससे उनके कार्यों, प्रतिक्रियाओं और बातचीत की व्यापक समझ बनती है।
1. बाल व्यवहार का विस्तृत अध्ययन (Detailed Study of Child Behavior):
- लाभ: केस अध्ययन शोधकर्ताओं को उनके विशिष्ट वातावरण में बच्चे के व्यवहार के हर पहलू का अध्ययन करने में सक्षम बनाता है, और उन बारीकियों को पकड़ता है जो व्यापक अनुसंधान विधियों में छूट सकती हैं।
- उदाहरण: स्कूल और घर पर साथियों, शिक्षकों और परिवार के सदस्यों के साथ एक बच्चे की बातचीत का अवलोकन और दस्तावेजीकरण करना, उनके सामाजिक व्यवहार का एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करना।
2. बाल व्यवहार और उसके कारणों को समझना (Understanding Child Behavior and Its Reasons):
- लाभ: केस अध्ययन से शोधकर्ताओं को बच्चे के व्यवहार के पीछे के कारणों का पता लगाने में मदद मिलती है। यह गहरी समझ ट्रिगर्स, प्रेरणाओं और अंतर्निहित कारणों की पहचान करने में मदद करती है, जिससे अधिक सूचित हस्तक्षेप होता है।
- उदाहरण: ऐसे मामले का पता लगाना जहां एक बच्चा आक्रामक व्यवहार प्रदर्शित करता है; विस्तृत विश्लेषण से पता चल सकता है कि यह व्यवहार पिछले आघात या अनसुलझे भावनात्मक मुद्दों से उत्पन्न होता है।
3. समस्याग्रस्त और कुसमायोजित बच्चों का अध्ययन (Studying Problematic and Maladjusted Children):
- लाभ: समस्याग्रस्त या कुसमायोजित बच्चों से निपटने के दौरान केस अध्ययन विशेष रूप से उपयोगी होते हैं। व्यक्तिगत मामलों पर ध्यान केंद्रित करके, पेशेवर बच्चे की विशिष्ट आवश्यकताओं को संबोधित करते हुए, अनुरूप सहायता और समर्थन प्रदान कर सकते हैं।
- उदाहरण: स्कूल से इनकार करने वाले व्यवहार वाले बच्चे का अध्ययन करना; एक केस अध्ययन के माध्यम से, शिक्षक और मनोवैज्ञानिक सामाजिक चिंता या बदमाशी जैसे मूल कारणों की पहचान कर सकते हैं, और बच्चे को स्कूल के माहौल में समायोजित करने में मदद करने के लिए रणनीतियों को लागू कर सकते हैं।
4. सावधानीपूर्वक तैयारी के कारण विश्वसनीयता (Reliability Due to Careful Preparation):
- लाभ: केस अध्ययन में सावधानीपूर्वक तैयारी शामिल होती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि डेटा संग्रह और विश्लेषण सटीक और विश्वसनीय हैं। यह सावधानीपूर्वक दृष्टिकोण अध्ययन के परिणामों की विश्वसनीयता को बढ़ाता है।
- उदाहरण: शिक्षकों, अभिभावकों और बच्चे के साथ साक्षात्कार आयोजित करने के साथ-साथ कक्षा के व्यवहार का अवलोकन करना और शैक्षणिक रिकॉर्ड का विश्लेषण करना, एक व्यापक और विश्वसनीय केस अध्ययन परिणाम सुनिश्चित करता है।
निष्कर्ष: बच्चे के व्यवहार का अध्ययन करने में केस स्टडी के फायदे महत्वपूर्ण हैं, जो बच्चे के कार्यों और प्रेरणाओं की गहरी समझ प्रदान करते हैं। व्यक्तिगत मामलों पर ध्यान केंद्रित करके, शोधकर्ता और चिकित्सक लक्षित सहायता प्रदान कर सकते हैं, जिससे व्यवहार संबंधी चुनौतियों का सामना करने वाले बच्चों के लिए अधिक प्रभावी हस्तक्षेप और बेहतर परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। मामले के अध्ययन में शामिल सावधानीपूर्वक तैयारी और विस्तृत विश्लेषण उनकी विश्वसनीयता में योगदान देता है और उन्हें बाल व्यवहार को समझने और संबोधित करने में अमूल्य उपकरण बनाता है।
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Table: Perspectives on Individual Study: Definition by Prominent Social Scientists
(व्यक्तिगत अध्ययन पर परिप्रेक्ष्य: प्रमुख सामाजिक वैज्ञानिकों द्वारा परिभाषा).
Definition | Author | Explanation |
---|---|---|
“A detailed study of a social unit – whether that unit is an individual, a group, a social institution, a district or a community, a detailed study is called individual study.” | P.V. Young | पी.वी. यंग व्यक्तिगत अध्ययन को किसी भी सामाजिक इकाई की विस्तृत परीक्षा के रूप में परिभाषित करता है, चाहे वह व्यक्ति, समूह, संस्था या समुदाय हो। यह परिभाषा अध्ययन की व्यापक प्रकृति पर प्रकाश डालती है, विभिन्न सामाजिक इकाइयों को समझने में शामिल विश्लेषण की गहराई पर जोर देती है। |
“The personal study method is a form of qualitative analysis under which a very careful and complete observation of a person, situation or organization is made.” | B. Seng and B. Seng | बी. सेंग और बी. सेंग व्यक्तिगत अध्ययन को एक गुणात्मक विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के रूप में वर्णित करते हैं, जो व्यक्तियों, स्थितियों या संगठनों के सावधानीपूर्वक और गहन अवलोकन पर ध्यान केंद्रित करता है। यह परिभाषा सामाजिक घटनाओं को समझने में इसके गुणात्मक पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए, अवलोकन प्रक्रिया की सावधानीपूर्वक और व्यापक प्रकृति पर जोर देती है। |
“Individual study is a method by which every individual factor, whether it is an organization or a total event in the life of an individual or group, is analyzed in the context of some other unit of that group.” | Howard Odom and Katherine Zocher | हॉवर्ड ओडोम और कैथरीन ज़ोचर व्यक्तिगत अध्ययन को एक विश्लेषणात्मक पद्धति के रूप में परिभाषित करते हैं जहां किसी संगठन के भीतर या किसी व्यक्ति या समूह के जीवन के व्यक्तिगत कारकों की उस समूह के भीतर अन्य इकाइयों से संबंधित जांच की जाती है। यह परिभाषा व्यापक सामाजिक संदर्भ में व्यक्तिगत तत्वों के प्रासंगिक विश्लेषण को रेखांकित करती है, जो समग्र परिप्रेक्ष्य प्रदान करती है। |
“Personal study method can be defined as a small, complete and in-depth study, under which the researcher uses all his abilities and methods to systematically collect sufficient information about a person so that it can ‘To know how a man and a woman function as a unit of society.’” | Sin Pao Yeung | सिन पाओ युंग व्यक्तिगत अध्ययन को एक केंद्रित, विस्तृत और व्यापक शोध दृष्टिकोण के रूप में चित्रित करते हैं। इसमें किसी व्यक्ति के बारे में व्यवस्थित रूप से पर्याप्त जानकारी इकट्ठा करने के लिए विभिन्न शोध कौशल का उपयोग करना शामिल है, जिससे समाज के भीतर उनकी भूमिका को समझने में मदद मिलती है। यह परिभाषा अध्ययन की गहन प्रकृति पर प्रकाश डालती है, जिसका उद्देश्य व्यक्तियों की सामाजिक कार्यप्रणाली को समझना है। |
स्पष्टीकरण:
- तालिका विभिन्न सामाजिक वैज्ञानिकों द्वारा प्रदान की गई व्यक्तिगत अध्ययन की विविध परिभाषाएँ प्रस्तुत करती है। प्रत्येक परिभाषा सामाजिक अनुसंधान में व्यक्तिगत अध्ययन की गहराई, दायरे और उद्देश्य पर एक अद्वितीय परिप्रेक्ष्य प्रदान करती है।
- पी.वी. यंग व्यक्तिगत अध्ययन की व्यापक प्रकृति पर जोर देते हैं, विभिन्न सामाजिक इकाइयों पर इसकी प्रयोज्यता को रेखांकित करते हैं।
- बी. सेंग और बी. सेंग गुणात्मक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं, इस पद्धति के अभिन्न अंग सावधानीपूर्वक अवलोकन पर प्रकाश डालते हैं।
- हॉवर्ड ओडोम और कैथरीन ज़ोचर प्रासंगिक विश्लेषण पर जोर देते हैं, एक व्यापक सामाजिक ढांचे के भीतर व्यक्तिगत तत्वों की जांच पर जोर देते हैं।
- सिन पाओ युंग व्यक्तिगत अध्ययन की गहन, व्यवस्थित प्रकृति पर जोर देते हैं, जिसका लक्ष्य समाज के भीतर व्यक्तियों की भूमिकाओं को समझना है।
- ये विविध परिभाषाएँ सामूहिक रूप से सामाजिक अनुसंधान में व्यक्तिगत अध्ययन पद्धति की समग्र समझ में योगदान करती हैं।
Table: Pros and Cons of the Case Study Method
(केस स्टडी पद्धति के फायदे और नुकसान).
यहां केस स्टडी पद्धति के गुण और दोषों का सारांश देने वाली एक तालिका है:
Merits of Case Study Method | Demerits of Case Study Method |
---|---|
किसी सामाजिक इकाई की विस्तृत जांच की अनुमति देता है। | सिद्धांत विकास के लिए अपर्याप्त एवं अवैज्ञानिक माना जाता है। |
चयनित इकाई के अतीत, वर्तमान और भविष्य को समझने में सक्षम बनाता है। | शोधकर्ता की व्यक्तिपरकता के कारण निष्कर्ष पक्षपातपूर्ण हो सकते हैं। |
भविष्य के अनुसंधान के लिए व्यवस्थित परिकल्पनाओं के निर्माण की सुविधा प्रदान करता है। | प्राप्त तथ्यों की विश्वसनीयता को हमेशा सत्यापित नहीं किया जा सकता है। |
प्रश्नावली या साक्षात्कार जैसे अनुसंधान उपकरणों को बढ़ाने के अवसर प्रदान करता है। | अन्य तरीकों की तुलना में अधिक समय और संसाधनों की आवश्यकता होती है। |
विभिन्न इकाइयों के लिए सर्वोत्तम नमूनाकरण विधियों को निर्धारित करने में सहायता करता है। | निष्कर्ष कम संख्या में मामलों पर आधारित होते हैं, जो सामान्यीकरण को सीमित करते हैं। |
विरोधाभासी या अप्रासंगिक प्रतीत होने वाली इकाइयों से महत्वपूर्ण तथ्य प्रकट करता है। | इकाइयों को अक्सर व्यवस्थित तरीकों के बजाय जानबूझकर चुना जाता है। |
विषय में शोधकर्ता की रुचि और ज्ञान को बढ़ाता है, विश्लेषण को बढ़ाता है। | संभावित रूप से त्रुटिपूर्ण सरकारी और गैर-सरकारी जानकारी पर निर्भर करता है। |
दृष्टिकोण और सामाजिक मूल्यों जैसे गुणात्मक पहलुओं का अध्ययन करने के लिए आदर्श। |
विशिष्ट मामलों में विस्तृत अंतर्दृष्टि प्रदान करने में केस अध्ययन पद्धति की अपनी ताकत है, लेकिन इसमें सीमाएं भी हैं, विशेष रूप से सामान्यीकरण, पूर्वाग्रह और बाहरी डेटा पर निर्भरता के संदर्भ में। शोधकर्ता अक्सर इसकी सीमाओं को संतुलित करने के लिए अन्य शोध विधियों के साथ इसका उपयोग करते हैं।
- सामाजिक शोध में केस स्टडी पद्धति विद्वानों के बीच व्यापक बहस का विषय रही है। कुछ आलोचकों का तर्क है कि व्यक्तिगत डेटा, विशेष रूप से जीवन इतिहास, का मात्रात्मक विश्लेषण नहीं किया जा सकता है, जिससे सांख्यिकीय प्रक्रियाओं के बिना यह विधि अव्यावहारिक और अवैज्ञानिक लगती है। हालाँकि, विधि के समर्थकों का तर्क है कि यदि किसी विशिष्ट समूह के प्रतिनिधियों के रूप में चुने गए व्यक्ति ठोस जीवन अनुभव प्रदान कर सकते हैं, तो उनका डेटा उसी समूह के अन्य लोगों पर लागू किया जा सकता है। सांख्यिकीय परीक्षणों की अनुपस्थिति में, केस स्टडी पद्धति को गहन गुणात्मक विश्लेषण के लिए एक मूल्यवान उपकरण बनाने के लिए शोधकर्ताओं को अपने अच्छी तरह से प्रशिक्षित अनुभव, अंतर्दृष्टि और निर्णय पर भरोसा करना चाहिए। अपनी चुनौतियों के बावजूद, यह विधि सामाजिक अनुसंधान में जटिल मानवीय अनुभवों और व्यवहारों को समझने के लिए एक मूल्यवान दृष्टिकोण बनी हुई है।
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शांति की जीत: ग्रामीण भारत में लचीलेपन और शिक्षा का एक केस स्टडी
(shanti’s triumph: a case study of resilience and education in rural india).
ग्रामीण भारत की हरी-भरी हरियाली के बीच बसे एक सुदूर गाँव में, शैक्षिक परिवर्तन की एक उल्लेखनीय कहानी मौजूद है। सुंदरपुर नाम के इस गांव को गरीबी, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक सीमित पहुंच और लैंगिक असमानता सहित कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। हालाँकि, युवा लड़कियों को सशक्त बनाने, सामाजिक मानदंडों को तोड़ने और सीखने की संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक अभिनव शैक्षिक पहल के कारण समुदाय बदलाव के कगार पर था।
केस स्टडी उद्देश्य:
- सुंदरपुर में शैक्षिक सशक्तिकरण कार्यक्रम के परिवर्तनकारी प्रभाव का पता लगाने के लिए, एक वंचित पृष्ठभूमि की युवा लड़की शांति के जीवन और शैक्षणिक सफलता और सशक्तिकरण की दिशा में उसकी यात्रा पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
- केस स्टडी सुंदरपुर की एक दृढ़निश्चयी और उज्ज्वल युवा लड़की शांति के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसने अपने समुदाय को बांधने वाली निरक्षरता की जंजीरों से मुक्त होने का सपना देखा था। स्थानीय गैर सरकारी संगठनों और उत्साही शिक्षकों द्वारा समर्थित एक शैक्षिक सशक्तिकरण कार्यक्रम के कार्यान्वयन के साथ, सुंदरपुर की युवा लड़कियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, परामर्श और व्यावसायिक प्रशिक्षण के अवसर प्रदान किए गए।
अनुसंधान प्रश्न:
- शैक्षिक सशक्तिकरण कार्यक्रम ने शांति के शैक्षणिक प्रदर्शन, आत्मविश्वास और आकांक्षाओं को कैसे प्रभावित किया?
- शांति की शैक्षिक यात्रा में मार्गदर्शन और सामुदायिक समर्थन ने क्या भूमिका निभाई?
- कार्यक्रम ने गांव के भीतर सामाजिक मानदंडों और लैंगिक असमानताओं को कैसे संबोधित किया?
- शांति को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा और सहायता कार्यक्रमों ने इन बाधाओं पर काबू पाने में उसकी कैसे सहायता की?
- गहन साक्षात्कार: शांति, उसके माता-पिता, शिक्षकों और कार्यक्रम समन्वयकों के साथ उसके अनुभवों और कार्यक्रम के प्रभाव के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए साक्षात्कार आयोजित करें।
- फ़ील्ड अवलोकन: कार्यक्रम के कार्यान्वयन और उसके प्रभावों को समझने के लिए कक्षाओं, परामर्श सत्रों और सामुदायिक बातचीत का निरीक्षण करने के लिए सुंदरपुर का दौरा करें।
- दस्तावेज़ विश्लेषण: शांति की प्रगति और परिवर्तन को मापने के लिए उसके अकादमिक रिकॉर्ड, उपस्थिति रिपोर्ट और प्रशंसापत्र की समीक्षा करें।
- फोकस समूह चर्चाएँ: गाँव पर कार्यक्रम के व्यापक प्रभाव का आकलन करने के लिए अन्य लड़कियों और समुदाय के सदस्यों के साथ चर्चाएँ आयोजित करें।
- एक उत्साही युवा लड़की शांति को सुंदरपुर में ग्रामीण जीवन की कठोर वास्तविकताओं का सामना करना पड़ा। शैक्षिक सशक्तिकरण कार्यक्रम की शुरुआत के साथ, उन्हें चुनौतियों के बीच आशा की एक किरण दिखी। समर्पित शिक्षकों और गुरुओं के समर्थन से, शांति अकादमिक रूप से आगे बढ़ी। इंटरैक्टिव शिक्षण विधियों और पाठ्येतर गतिविधियों के माध्यम से, उन्होंने विज्ञान के प्रति अपने जुनून को खोजा और डॉक्टर बनने का सपना देखा, एक ऐसा पेशा जो कभी उनके गांव में लड़कियों के लिए अप्राप्य माना जाता था।
- अपने परिवार द्वारा गले लगाए जाने और अपने गुरुओं द्वारा प्रोत्साहित किए जाने पर, शांति सामाजिक दबावों के बावजूद डटी रही। केस स्टडी पद्धति ने शोधकर्ताओं को उसकी यात्रा की परतों को खोलने की अनुमति दी, जिससे न केवल उसकी शैक्षणिक उपलब्धियों बल्कि उसके बढ़ते आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प पर भी प्रकाश पड़ा।
निष्कर्ष: शांति की कहानी शिक्षा और सामुदायिक समर्थन की परिवर्तनकारी शक्ति का एक प्रमाण है। केस स्टडी पद्धति के माध्यम से, शोधकर्ताओं ने प्रतिकूलता से सशक्तिकरण तक का मार्ग उजागर किया, यह दिखाते हुए कि कैसे समर्पित प्रयास और अनुरूप शैक्षिक पहल लैंगिक बाधाओं को तोड़ सकते हैं, समुदायों का उत्थान कर सकते हैं और ग्रामीण भारत के दिल में आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित कर सकते हैं।
- केस स्टडी पद्धति सामाजिक अनुसंधान के क्षेत्र में एक प्रकाशस्तंभ के रूप में खड़ी है, जो मानवीय अनुभवों की गहराई और विविधता को उजागर करती है। सिद्धांत और वास्तविक जीवन के अनुप्रयोग के बीच अंतर को पाटने की इसकी क्षमता इसे गहन अंतर्दृष्टि चाहने वाले शोधकर्ताओं के लिए एक अनिवार्य उपकरण बनाती है। जैसे-जैसे हम मानव व्यवहार की जटिलताओं से निपटते हैं, केस स्टडी पद्धति एक मार्गदर्शक बनी रहती है, जो एक समय में एक कहानी के साथ हमारी सामाजिक दुनिया की जटिल टेपेस्ट्री को उजागर करती है।
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Case Study in Hindi Explained – केस स्टडी क्या है और कैसे करें
आपने अक्सर अपने स्कूल या कॉलेज में केस स्टडी के बारे में सुना होगा । खासकर कि Business Studies और Law की पढ़ाई पढ़ रहे छात्रों को कैसे स्टडी करने के लिए कहा जाता है । पर case study kya hai ? इसे कैसे करते हैं , इसके फायदे क्या हैं ? इस आर्टिकल में आप इन सभी प्रश्नों के बारे में विस्तार से जानेंगे ।
Case study in Hindi explained के इस पोस्ट में आप न सिर्फ केस स्टडी के बारे में विस्तार से जानेंगे बल्कि इसके उदाहरणों और प्रकार को भी आप विस्तार से समझेंगे । यह जरूरी है कि आप इसके बारे में सही और विस्तृत जानकारी प्राप्त करें ताकि आपको कभी कोई समस्या न हो । तो चलिए विस्तार से इसके बारे में जानते हैं :
Case Study in Hindi
Case Study एक व्यक्ति , समूह या घटना का गहन अध्ययन है । एक केस स्टडी में , किसी भी घटना या व्यक्ति का सूक्ष्म अध्ययन करके उसके व्यवहार के बारे में पता लगाया जाता है । एजुकेशन , बिजनेस , कानून , मेडिकल इत्यादि क्षेत्रों में केस स्टडी की जाती है ।
case study सिर्फ और सिर्फ एक व्यक्ति , घटना या समूह को केंद्र में रखकर किया जाता है और यह उचित भी है । इसकी मदद से आप सभी के लिए एक ही निष्कर्ष नहीं निकाल सकते । उदहारण के तौर पर , एक बिजनेस जो लगातार घाटा झेल रहा है उसकी केस स्टडी की जा सकती है । इसमें सभी तथ्यों को मिलाकर , परखकर यह जानने की कोशिश होती है कि क्यों बिजनेस लगातार loss में जा रही है ।
परंतु , जरूरी नहीं कि जिस वजह से यह पार्टिकुलर कम्पनी घाटा झेल रही हो , अन्य कंपनियों के घाटे में जाने की यही वजह हो । इसलिए कहा जाता है कि किसी एक मामले के अध्ययन से निकले निष्कर्ष को किसी अन्य मामले पर थोपा नहीं जा सकता । इस तरह आप case study meaning in Hindi समझ गए होंगे ।
Case Study examples in Hindi
अब जबकि आपने case study kya hai के बारे में जान लिया है तो चलिए इसके कुछ उदाहरणों को भी देख लेते हैं । इससे आपको केस स्टडी के बारे में जानने में अधिक मदद मिलेगी ।
ऊपर के उदाहरण को देख कर आप समझ सकते हैं कि case study क्या होती है । अब आप ऊपर दिए case पर अच्छे से study करेंगे तो यह केस स्टडी कहलाएगी यानि किसी मामले का अध्ययन । पर केस स्टडी कैसे करें ? अगर हमारे पास ऊपर दिए उदाहरण का केस स्टडी करने को दिया जाए तो यह कैसे करना होगा ? चलिए जानते हैं :
Case Study कैसे करें ?
अब यह जानना जरूरी है कि एक case study आखिर करते कैसे हैं और किन tools का उपयोग किया जाता है । तो एक केस स्टडी करने के लिए आपको ये steps फॉलो करना चाहिए :
1. सबसे पहले केस को अच्छे से समझें
अगर आप किसी भी केस पर स्टडी करना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले उसकी बारीकियों और हर एक डिटेल पर ध्यान देना चाहिए । तभी आप आगे बढ़ पाएंगे और सही निर्णय भी ले पाएंगे । Case को अच्छे से समझने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसपर स्टडी करते समय आपको ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती । केस को अच्छे से समझने के लिए आप यह कर सकते हैं :
- Important points को हाईलाइट करें
- जरूरी समस्याओं को अंडरलाइन करें
- जरूरी और बारीकियों का नोट्स तैयार करें
2. अपने विश्लेषण पर ध्यान दें
Case Study करने के लिए जरूरी है कि आप अपने analysis पर ध्यान दें ताकि बढ़िया रिजल्ट मिल सके । इसके लिए आप विषय के 2 से 5 मुख्य बिंदुओं / समस्याओं को उठाएं और बारीकी से उनके बारे में जानकारी इकट्ठा करें । इसके बारे में पता करें कि ये क्यों exist करती है और संस्था पर इनका क्या प्रभाव है ।
आप उन समस्याओं के लिए जिम्मेदार कारकों पर भी नजर डालें और सभी चीजों को ढंग से समझने की कोशिश करें तभी जाकर आप सही मायने में case study कर पाएंगे ।
3. संभव समाधानों के बारे में सोचें
किसी भी केस स्टडी का तीसरा महत्वपूर्ण पड़ाव है कि आप समस्या के संभावित समाधानों के बारे में सोचें ।इसके लिए आप discussions , research और अपने अनुभव की मदद ले सकते हैं । ध्यान रहें कि सभी समाधान संभव हों ताकि उन्हें लागू किया जा सके ।
4. बेहतरीन समाधान का चुनाव करें
केस स्टडी का अंतिम पड़ाव मौजूदा समाधानों में से एक सबसे बेहतरीन समाधान का चुनाव करना है । आप सभी समाधानों को एक साथ तो बिल्कुल भी implement नहीं कर सकते इसलिए जरूरी है कि बेहतरीन को चुनें ।
Case Study format
अगर आप YouTube video की मदद से देखकर सीखना चाहते हैं कि Case Study कैसे बनाएं तो नीचे दिए गए Ujjwal Patni की वीडियो देख सकते हैं ।
इस पोस्ट में आपने विस्तार से case study meaning in Hindi के बारे में जाना । अगर कोई प्वाइंट छूट गया हो तो कॉमेंट में जरूर बताएं और साथ ही पोस्ट से जुड़ी राय या सुझाव भी आप कॉमेंट में दे सकते हैं । पोस्ट पसंद आया हो और हेल्पफुल साबित हुई हो तो शेयर जरूर करें ।
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केस स्टडी विधि के उद्देश्य, विशेषताएं और इस विधि की उपयोगितायेँ
- विद्यार्थी स्वतंत्र होकर, स्वयं ही सृजनात्मक ढंग से समस्या पर विचार कर सकेंगें।
- वे समस्या समाधान ( Problem based learning )तक पहुंचने में सक्रिय हो सकेंगें।
- वे अपने पूर्व ज्ञान का प्रयोग करते हुए प्रमाणों को संग्रह कर सकेंगें।
- घटनाक्रम में नवीन तथ्यों को जान सकेंगे।
- स्वयं अपने अनुभव से सीखते हुए ज्ञान प्राप्त कर सकेंगें।
- व्यक्तिगत, सामाजिक संबंधों को उत्तम ढंग से स्थापित कर सकेंगे।
- छात्रों में अभिप्रेरण एवं अभिव्यक्ति की क्षमता में वृद्धि हो सकेगी।
- छात्रों की उपलब्धियों का मूल्यांकन हो सकेगा।
व्यक्तिगत अध्ययन छात्रों को एक सार्थक ज्ञान प्रदान करता है जिसका प्रयोग विभिन्न प्रकार के समाधान या अध्ययन के लिए किया जाता है। यह एक जटिल अधिगम का स्वरूप होता है। इसमें सृजनात्मक चिन्तन निहित होता है और चिन्तन स्तर पर शिक्षण की व्यवस्था होती है।
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Case of study child ka farmet kaise taiyar krein
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Children With Special Needs
For Students:
The audiobooks for visually impaired and ISL Dictionary for hearing impaired have been put up on DIKSHA platform. In addition, the National Institute of Open Schooling is committed to make its website accessible to people with disabilities. In its effort to make the website accessible, NIOS has incorporated different features which will make it easier for users to browse the website.
Some of the accessibility features incorporated in the website includes adjusting the display settings, ease of navigation, content readability and so on. Following are the accessibility features incorporated in this website:
- Alternate description for Images & Audio/Video
- Display settings
- Ease of navigation
- Content readability & structure
- Keyboard support
Visually Impaired Learners
- Study material has been developed in Digitally Accessible Information System (DAISY), a technical standard for digital audiobooks, periodicals and computerized text.
- Learners can access all study material of NIOS through DAISY
- An Indian Sign Language (ISL) Dictionary has been developed to facilitate communication and education of the deaf and hard-of-hearing learners.
- NIOS has also developed more than 270 Video in Sign Language in 7 subjects to provide educational access to learners at secondary level and Yoga course.
- Accessibility in School Curriculum-NCERT’s Initiatives can be found here https://ciet.nic.in/pages.php?id=accesstoedu&ln=en&ln=en
Hearing Impaired Learners
- Course content (Selected ones) of NIOS has also been recorded in sign language which is placed on NIOS website as well as on YouTube.
- These videos are available at https://www.youtube.com/channel/UCXBn5q8Zv4Bz-LZXWWD7Jxw/playlists
- The recorded content is sent to HI learners on DVD
Innovative Material developed by NCERT
Various steps are being taken to bring children with special needs (CwSN) to schools such as the National Council of Educational Research & Training (NCERT) has developed exemplar material for providing low cost quality home education to students with severe disabilities through e-learning. NCERT text books have been converted into digital books which can be downloaded free by any one, any time. Most of the books are in UNICODE which a child with special needs can read using a Text-to-Speech (TTS)/Software/mobile app though e-Pathshaala mobile app. For visually challenged learners e-book in DAISY format and tactile maps have been developed.
Promoting Inclusive Education in the Foundational Years - Barkha: A Reading Series for ‘All’
The department has developed Barkha: A Reading Series for ‘All’ as an exemplary, inclusive learning material in the form of a supplementary early reading series. This reading series is available in print and digital formats. Its design is based on the principles of inclusion and the concept of Universal Design for Learning (UDL). Barkha: A Reading Series for ‘All’ is exemplary in demonstrating how the principles of UDL can guide the design of inclusive features like tactile and high resolution visuals, text in accessible scripts etc. This exemplar provides a direction and initial guidelines for developing similarly accessible material in the form of textbooks and other learning resources for all school stages.
In tandem with the Digital India Campaign, the department has also developed a digital version of Barkha: A Reading Series for ‘All’. This digital version retains all the inclusive features of the print version and is unique in its functionality because it allows for greater flexibility and has greater scope of appealing to all. Children can access all 40 story booklets through a single device. This also gives them space to revisit any book whenever and wherever they like. The privacy that is afforded by being able to read on one’s own computer or tablet allows one to read comfortably and at one’s own pace therefore promoting reading in a non-threatening environment with meaning and pleasure. An introduction to each story is available in audio-video format both in sign and regular language forms. It helps to introduce sign language as a regular form of communication at an early age to all children in an inclusive setting. The digital version of this reading series is available on NCERT website and the epathshala portal.
Sample Content:
https://nroer.gov.in/home/e-library
https://repository.seshagun.nic.in/video/support-to-children-with-special-needs-cwsn-through-special-resource-centre
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Child Development and Pedagogy Notes in Hindi
- by Manoj Ahirwar
- January 20, 2020 September 21, 2022
Child Development and Pedagogy is a very important subject to qualify for teaching exams. such Download best-handwritten notes PDF for Child Development and Pedagogy Handwritten Notes in Hindi & English medium for Samvida Varg 1, 2, 3, Central teacher eligibility test (CTET), Teacher eligibility test (TET), Madhya Pradesh Teacher eligibility test ( MPTET), Uttar Pradesh Teacher eligibility test (UPTET), HTET, MTET, etc.
The teaching job is the best job among government jobs in India. the salary and work are good and there is no critical responsibility like Banking, Railway and other jobs. Here I will always recommend getting a Teaching job. These are Complete Notes on Child Development & Pedagogy 2020 for Teaching Exams in English/Hindi for your convenience. Download pdf in your convenient language.
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Detailed Syllabus of Child Development and Pedagogy (CDP) 2020
(A) Child Development
- Understanding the concept of child development and its relation to learning.
- Study of all factors influencing the growth and development of children.
- Principles of child development in a child
- Understanding the mental health and behavioural problems of children.
- Understanding the Inheritance and effect of environment
- Socialization processes Social world and children with teachers, parents, partners, friends etc)
- Understanding the principles of Piaget, Pavlov, Kohler and Banderachna and Critical Form
- Understanding the Concept of child-centred and progressive education.
- Critical form and measurement of intelligence
- Critical form and measurement of multidimensional intelligence.
- Study of Personality and its measurement.
- Understand Language and thoughts.
- Understanding Gender as a social construct, gender role, gender discrimination and educational practices.
- Understanding Individual differences in learning duties, on differences of language, caste, sex, religion, religion, etc.
- Understanding of variance-based in a child.
- Understanding the Difference in assessment for learning and assessment of learning,
- Understanding the Difference in assessment for School-based assessment, continuous and comprehensive
- Understanding Evaluation Patterns and Practices
- Creating appropriate questions to assess the level of preparation of learners, enhancing learning in the classroom
- Understand critically thinking and assess the achievement of the learner.
(B) Concept of inclusive education and understanding of children with special needs
- Identification of recipients of diverse backgrounds with disadvantaged and disadvantaged sections.
- Understanding Identification of needs of children suffering from learning difficulties, ‘damage’ etc.
- Understanding of Identification of talented, creative, special-ability accessors.
- Understand Identification and diagnostics of the problematic child.
- What are Child crime, its causes and types
(C) Learning and Pedagogy (Pedagogy Syllabus)
- Understanding how children think and learn
- Understanding why and how children fail to achieve success in school performance
- Basic teaching and learning processes of children
- Understanding children’s learning strategies, learning a social process
- Understanding the social context of learning
- Understanding Child as a problem solver and scientist-investigator
- Alternative conceptions of learning in children
- Understanding the errors of children as a meaningful link in the learning process
- Understanding the factors affecting learning: attention and interest
- Understanding Cognition and emotion
- Understanding Motivation and learning
- Factors that contribute to learning – personal and environmental factors
- Understanding Direction and Consultation
- Understanding Aptitude and its measurement
- Understanding Memory and forgetfulness
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LEARNING DISABILITY : A CASE STUDY
The present investigation was carried out on a girl name Harshita who has been identified with learning disability. She is presently studying at ‘Udaan’ a school for the special children in Shimla. The girl was brought to this special school from the normal school where she was studying earlier when the teachers and parents found it difficult to teach the child with other normal children. The learning disability the child faces is in executive functioning i.e. she forgets what she has memorized. When I met her I was taken away by her sweet and innocent ways. She is attentive and responsible but the only problem is that she forgets within minutes of having learnt something. Key words : learning disability, executive functioning, remedial teaching
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This paper reviews the research work on 'learning disability' in India. It studies the social and educational challenges for learning disabled, and details research in India, concerning the aspects of diagnosis, assessment, and measures for improvement. The paper critically examines the development in their teaching-learning process, over the years. It highlights the role of special educator in their education and explores the impact of technology and specific teaching-aids in the education of learners with learning disability. The later part of the paper, throws light on the government policies for learning disabled and attempts to interpolate their proposed effect in their learning. It concludes with possible solutions, learner progress, based on the recommendations from detailed analysis of the available literature.
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Background: Specific learning disability (SLD) is an important cause of academic underachievement among children, which often goes unrecognized, due to lack of awareness and resources in the community. Not much identifiable data is available such children, more so in Indian context. The objectives of the study were to study the demographic profile, risk factors, co-morbidities and referral patterns in children with specific learning disability.Methods: The study has a descriptive design. Children diagnosed with SLD over a 5 years’ period were included, total being 2015. The data was collected using a semi-structured proforma, (based on the aspects covered during child’s comprehensive assessment at the time of visit), which included socio-demographic aspects, perinatal and childhood details, scholastic and referral details, and comorbid psychiatric disorders.Results: Majority of the children were from English medium schools, in 8-12 years’ age group, with a considerable delay in seek...
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The cardinal object of the present study was to investigate the learning disability among 10 th students. The present study consisted sample of 60 students subjects (30 male students and 30 female students studying in 10th class), selected through random sampling technique from Balasore District (Odisha). Data was collected with the help of learning disability scale developed by Farzan, Asharaf and Najma Najma (university of Panjab) in 2014. For data analysis and hypothesis testing Mean, SD, and t test was applied. Results revealed that there is significant difference between learning disability of Boys and Girls students. That means boys showing more learning disability than girls. And there is no significant difference between learning disability of rural and urban students. A learning disability is a neurological disorder. In simple terms, a learning disability results from a difference in the way a person's brain is "wired." Children with learning disabilities are smarter than their peers. But they may have difficulty in reading, writing, spelling, and reasoning, recalling and/or organizing information if left to figure things out by them or if taught in conventional ways. A learning disability can't be cured or fixed; it is a lifelong issue. With the right support and intervention, children with learning disabilities can succeed in school and go on to successful, often distinguished careers later in life. Parents can help children with learning disabilities achieve such success by encouraging their strengths, knowing their weaknesses, understanding the educational system, working with professionals and learning about strategies for dealing with specific difficulties. Facts about learning disabilities Fifteen percent of the U.S. population, or one in seven Americans, has some type of learning disability, according to the National Institutes of Health.
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The present article deals with the important factors related to learning disability such as the academic characteristics of learning disability, how learning disability can be identified in an early stage and remedial measures for learning disability. It tries to give an insight into various aspects of learning disability in children that will be of help in designing the tools and administering them properly.
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This article explains how learning disability affect on one's ability to know or use spoken affects on one's ability to know or use spoken or communication, do mathematical calculations, coordinate movements or direct attention learning disabilities are ignored, unnoticed and unanswered such children's needs are not met in regular classes. They needed special attention in classrooms. Learning disability is a big challenge for student in learning environment. The teacher's role is very important for identifying the learning disability. Some common causes and symptoms are there for children with learning disability. The classroom and teacher leads to main important role in identification and to overcome their disabilities.
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Category: स्वस्थ शरीर
बच्चों में Learning Disabilities का कारण और समाधान
By: Vandana Srivastava | ☺ 17 min read
लर्निंग डिसेबिलिटी (Learning Disabilities) एक आम बात है जिस बहुत से बच्चे प्रभावित देखे जा सकते हैं। इसका समाधान किया जा सकता है। माँ-बाप और अध्यापकों के प्रयास से बच्चे स्कूल में दुसरे बच्चों के सामान पढाई में अच्छा प्रदर्शन दे सकते हैं। लेकिन जरुरी है की उनके अन्दर छुपी प्रतिभा को पहचाना जाये और उचित मार्गदर्शन के दुवारा उन्हें तराशा जाये। इस लेख में आप जानेंगे की लर्निंग डिसेबिलिटी (Learning Disabilities) क्या है और आप अपने बच्चे का इलाज किस तरह से कर सकती हैं।
लर्निंग डिसेबिलिटी (Learning Disabilities) एक प्रकार की विसंगति है जो बच्चे के सिखने की छमता को प्रभावित करता है।
बच्चों का बौद्धिक स्तर 90 या इससे भी अधिक हो सकता है, लेकिन फिर भी ये बच्चे दुसरे बच्चों की तुलना में पढाई में थोड़े कमजोर होते हैं।
इन में कोई ऐसी प्राथमिक विक्लांगता भी नहीं होती है की कहा जा सके की उसकी वजह से बच्चे के सिखने की छमता प्रभावित हो रही है।
लर्निंग डिसेबिलिटी (Learning Disabilities) से प्रभावित बच्चे हर आयु ,जाती एवं सामाजिक ,आर्थिक स्तर में दिखाई पड़ते हैं।
अधिगम अक्षमता (Learning Disabilities) एक कौतुहल का विषय हैं।
इस लेख में आप पढ़ेंगी की बच्चों में लर्निंग डिसेबिलिटी (Learning Disabilities) क्योँ होती है और इसका क्या समाधान है। समाधानों की चर्चा हम लेख के अंत में करेंगे। इस लेख में हम आप को यह भी बताएँगे की आप किस तरह से इस विकृति से अपने बच्चे का बचाव कर सकती हैं।
इस लेख में:
- लर्निंग डिसेबिलिटी से होने वाली समस्या
- लर्निंग डिसेबिलिटी से प्रभावित बच्चों की पहचान - लक्षण
- अनसुलझे सवाल
लर्निंग डिसेबिलिटी के प्रकार
डिस्लेक्सिया (dyslexia) - पढ़ने सम्बन्धी समस्या.
- डिसग्राफिआ (disgrafia) - लिखने सम्बन्धी समस्या
डिस्कैलक्युलिआ (dyscalculia) - जोड़ने घटाने सम्बन्धी समस्या
लर्निंग डिसेबिलिटी क्योँ होता है.
- लर्निंग डिसेबिलिटी का इलाज
लर्निंग डिसेबिलिटी से बचाव
माँ-बाप की भूमिका.
लर्निंग डिसेबिलिटी से होने वाली समस्या:
- बच्चे को ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती है
- संवेगात्मक अस्थिरता
- सामाजिक समस्याए - जैसे की दुसरे बच्चों के साथ ताल-मेल बनाने में कठिनाई
लर्निंग डिसेबिलिटी से प्रभावित बच्चों की पहचान - लक्षण
आप इन बच्चों को स्कूल के सामान्य कक्षा कक्ष में आसानी से पहचान लेंगी। ये बच्चे लेखन कौशल के आधार भूत सिधान्तों को नहीं सिख पाते हैं। इन बच्चों में कोई भी शारीरिक विकलांगता नहीं पाई जाती है - इसके बावजूद इन बच्चों का बौद्धिक स्तर दुसरे बच्चों से तुलनात्मक रूप से औसत से कम होता हैं।
ये बच्चे ऐसे क्रिकेट खिलाडी की तरह होते हैं जिसमे बल्ले से गेंद को हिट कर के रन बनाने की क्षमता तो हैं लेकिन उन्हें एक टुटा हुआ बल्ला दे देदिया गया है। इस वजह से वे अपनी छमता का बेहतरीन प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं।
अनसुलझे सवाल
पिछले कई दशकों से लर्निंग डिसेबिलिटी पे हुए अनेकों शोध के बावजूद अभी बहुत से ऐसे अनसुलझे सवाल है जिन का उत्तर पता लगाना अभी बाकि है। उदहारण के लिए:
- लर्निंग डिसेबिलिटी का वास्तविक स्वरुप क्या हैं?
- इनके तीव्रता के आधार पे इन्हें कैसे बांटे
- इससे प्रभावित बच्चों के शिक्षकों, अभिभावकों एवं सहपाठियों को इस तरह से जागरूक करें की उनके व्यहार में परिवर्तन आये
अधिगम अक्षमता (Learning Disabilities) से प्रभावित बच्चों को सबसे ज्यादा समस्या आती है जब वे पढ़ने, लिखने , जोड़ने, घटाने इत्यादि से सम्बंधित कार्य करते हैं। इन समस्याओं को तीन वर्गों में बंटा गया है:
- डिस्लेक्सिया - पढ़ने सम्बन्धी समस्या
- डिसग्राफिआ - लिखने सम्बन्धी समस्या
- डिस्कैलक्युलिआ - जोड़ने घटाने सम्बन्धी समस्या
मकिनिस और हेमिंग के अनुसार ऐसे बच्चों में कुछ ख़ास विशेषताएं पायी जाती हैं। जैसे -
- ऐसे बच्चे अपने शिक्षक के ऊपर निर्भर होते हैं।
- प्रत्येक पाठ्य विषय को आपस में ताल-मेल नहीं बैठा पाते हैं।
- ऐसे बच्चों की याद करने की क्षमता कमज़ोर होती है।
- ऐसे बच्चों में ध्वनियों को सीखने ,शब्दों को सीखने एवं उनका उचित उपयौग करने में भी कठिनाई होती हैं।
- ऐसे बच्चों को उन अक्षरों को पढ़ने में काफी कठिनाई होती हैं ,जिनमे केवल लकीर होती हैं। जैसे - b और d आदि।
- ऐसे बच्चों के पढ़ने की रफ़्तार बहुत धीमी होती हैं।
- ऐसे बच्चें लिखना और पढ़ना नहीं चाहते हैं।
- अपनी अक्षमताओं के कारण ऐसे बच्चों में आत्मग्लानि के लक्षण देखने को मिलते हैं।
- पढ़ते समय इनमे उच्चारण - दोष प्रदर्शित होता हैं।जैसे - zoo की जगह joo का उच्चारण करना इत्यादि।
- शब्दों को उसके स्थान से उलट के पढ़ते हैं तथा पढ़ते समय अपने हाथ को सही लाइन पर न रखकर ऊपर - नीचे पढ़ते हैं।
डिसग्राफिआ (disgrafia) - लिखने सम्बन्धी समस्या
- ऐसे बच्चों की लिखावट काफी गन्दी होती हैं।
- लिखने में वाक्य रचना संबधी दोष ,व्याकरण सम्बन्ध दोष भी पाए जाते हैं।
- ऐसे बच्चों के अक्षर या शब्दों के आपसी आकाल ,शब्दों या अक्षरों के बीच खाली स्थान इत्यादि से सम्बंधित दोष भी देखने को मिलते हैं।
- इस प्रकार के बच्चों में जोड़ने - घटाने सम्बन्धी दिक्कते आती हैं।
- गिनने की प्रक्रिया में समस्या।
- बड़ा - छोटा ,काम -ज्यादा करने में समस्या।
- संख्याओं को सही क्रम के बदले उलटे क्रम में गिनते हैं। जैसे - 45 को 54 अथवा 503 को 305 इत्यादि।
- संख्याओं को नक़ल कर के लिखने में कठिनाई।
- कुछ बच्चों में ये तीनो तरह की विकृतिया होती हैं।
दुनिया भर में लर्निंग डिसेबिलिटी (Learning Disabilities) पे हुए शोध में यह पाया गया है की इसकी मुख्या वजह है तंत्रिका तंत्र में विसंगति। लेकिन इसके आलावा बच्चों में लर्निंग डिसेबिलिटी के और भी बहुत से कारण हो सकते हैं। उदहारण के लिए केंद्रीय स्नायु प्रणाली की अक्रियाशीलता, या अनुवांशिकता के परिणाम स्वरूप। लर्निंग डिसेबिलिटी बच्चे में जन्म के समय या जन्म से पूर्व भी हो सकता है: इन तीन कारणों से होता है लर्निंग डिसेबिलिटी बच्चों में:
- अनुवांशिक कारक - जिनके माता - पिता भी अधिगम अक्षमता से पीड़ित होते हैं, प्रायः उनके बच्चों में भी यह गुण देखने को मिलता है।
- तंत्रकीय कारक - बच्चे में इस समस्या से भी अध्धयन असमर्थता उत्पन्न होती है।
- माँ दवारा अत्यधिक दवाओं का सेवन।
- माँ के मदिरा पान करने से।
- माँ के कुपोषण से ग्रसित होने से।
- गर्भवती महिला को गंभीर बीमारी से ग्रसित होने की दशा में।
- जन्म के समय बच्चे को पर्याप्त ऑक्सीजन ना मिल पाने के कारण।
- जन्म के समय किसी घटना से मस्तिष्क में लगाने वाली चोट के कारण।
- औजार से प्रसव कराने के वजह से मस्तिष्क की कोशिकाओ में चोट लगाने के कारण ,इत्यादि।
- दुर्घटना द्वारा मस्तिष्क में लगे चोट से।
- लेड या पेंट जैसे तत्वों के शरीर में जाने से।
- लर्निंग डिसेबिलिटी में बच्चे के मस्तिष्क का विकास देर से या धीमी गति से होता हैं। इसके कारण सुनने ,बोलने,पढ़ने तथा लिखने के कौशलों का विकास प्रायः धीमा होता हैं।
लर्निंग डिसेबिलिटी का इलाज
ऐसे देखा जाये तो लर्निंग डिसेबिलिटी का कोई इलाज उपलब्ध नहीं है। मगर जानकारी और प्रयास से बच्चे के सिखने की छमता को बढाया जा सकता है।
इससे बच्चे का आत्मविश्वास भी बढता है। लर्निंग डिसेबिलिटी से प्रभावित बच्चों को इस तरह मदद प्रदान किया जा सकता है:
- सबसे पहले माँ-बाप और अध्यापकों को लर्निंग डिसेबिलिटी से सम्बंधित जानकारी इकट्ठी करनी चाहिए।
- बच्चों को प्यार से कक्षा में प्राथमिकता के आधार पर लक्ष्य चुनना सिखाएं। हो सकता है की आप को बच्चे को बार-बार यह सिखाना पड़े। लेकिन बिना निराश हुए और सायं के साथ बच्चे को task prioritize करना सिखाएं।
- बच्चों को निर्देशों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करें। अगर बच्चे निर्देशों का पालन ना करें तो उन्हें डांटे नहीं। ये बच्चे जानबूझ कर ऐसा नहीं करते हैं। हमारे लिए और आप के लिए यह समझ पाना बहुत कठिन है की ये बच्चे निर्देशों का पालन क्योँ नहीं करते हैं। बस इतना समझ लीजिये की प्यार जाता कर और लगातार प्रयास से आप अपने बच्चे को निर्देशों का पालन करना सिखा लेंगे।
- इन बच्चों को प्रशिक्षण देते समय अपने प्रशिक्षण विधि में इस तरह परिवर्तन की जिए की लर्निंग डिसेबिलिटी से प्रभावित बच्चा आसानी से समझ सके।
- गर्भावस्था के दौरान अत्यधिक दवाओं का सेवन ना करें।
- ध्रूमपान ना करें और नशीली दवाओं का सेवन ना करें। शराब ना पियें। ये सभी कार्य गर्भ में बच्चे के दिमागी विकास को प्रभावित करते हैं।
- माँ को गर्भावस्था में खान-पान का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है। सबसे ज्यादा आवश्यकता है कुपोषण से बचने की।
- गर्भावस्था में माँ को कोई भी ऐसी गतिविधि से बचना चाहिए जिससे उसके शारीर में ऑक्सीजन की कमी हो। उदहारण के लिए तेज़ चलना या दौड़ना या बहुत मेहनत वाला काम करना जिससे तेज़ी से साँस लेने की आवश्यकता पड़े।
- जन्म के समय यह सुनुश्चित करना की बच्चे को पर्याप्त ऑक्सीजन मिल सके।
- प्रसव के दौरान बच्चे को किसी भी चोट से बचाना, विशेष कर के मस्तिष्क पे लगने वाले चोट से।
- लेड या पेंट जैसे तत्वों बच्चे के शारीर में ना जाएँ।
अगर आप को यह पता चले की आप के बच्चे में लर्निंग डिसेबिलिटी है तो आप घबराएँ नहीं। ऐसे बहुत से लोग हैं जो लर्निंग डिसेबिलिटी के बावजूद सफलता के शिखर पे पहुंचे हैं। बच्चे के स्कूल में प्रदर्शन के आधार पे उसे कभी डाटें नहीं। वरन उसके अन्दर छिपी क्षमताओं और योग्यताओं को पहचानने की कोशिश करें और उन्हें तराशें। बच्चे को सही परामर्श देकर उनका सहयोग करे।
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Global Report on Food Crises (GRFC) 2024
Published by the Food Security Information Network (FSIN) in support of the Global Network against Food Crises (GNAFC), the GRFC 2024 is the reference document for global, regional and country-level acute food insecurity in 2023. The report is the result of a collaborative effort among 16 partners to achieve a consensus-based assessment of acute food insecurity and malnutrition in countries with food crises and aims to inform humanitarian and development action.
FSIN and Global Network Against Food Crises. 2024. GRFC 2024 . Rome.
When citing this report online please use this link:
https://www.fsinplatform.org/report/global-report-food-crises-2024/
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Blog The Education Hub
https://educationhub.blog.gov.uk/2024/08/20/gcse-results-day-2024-number-grading-system/
GCSE results day 2024: Everything you need to know including the number grading system
Thousands of students across the country will soon be finding out their GCSE results and thinking about the next steps in their education.
Here we explain everything you need to know about the big day, from when results day is, to the current 9-1 grading scale, to what your options are if your results aren’t what you’re expecting.
When is GCSE results day 2024?
GCSE results day will be taking place on Thursday the 22 August.
The results will be made available to schools on Wednesday and available to pick up from your school by 8am on Thursday morning.
Schools will issue their own instructions on how and when to collect your results.
When did we change to a number grading scale?
The shift to the numerical grading system was introduced in England in 2017 firstly in English language, English literature, and maths.
By 2020 all subjects were shifted to number grades. This means anyone with GCSE results from 2017-2020 will have a combination of both letters and numbers.
The numerical grading system was to signal more challenging GCSEs and to better differentiate between students’ abilities - particularly at higher grades between the A *-C grades. There only used to be 4 grades between A* and C, now with the numerical grading scale there are 6.
What do the number grades mean?
The grades are ranked from 1, the lowest, to 9, the highest.
The grades don’t exactly translate, but the two grading scales meet at three points as illustrated below.
The bottom of grade 7 is aligned with the bottom of grade A, while the bottom of grade 4 is aligned to the bottom of grade C.
Meanwhile, the bottom of grade 1 is aligned to the bottom of grade G.
What to do if your results weren’t what you were expecting?
If your results weren’t what you were expecting, firstly don’t panic. You have options.
First things first, speak to your school or college – they could be flexible on entry requirements if you’ve just missed your grades.
They’ll also be able to give you the best tailored advice on whether re-sitting while studying for your next qualifications is a possibility.
If you’re really unhappy with your results you can enter to resit all GCSE subjects in summer 2025. You can also take autumn exams in GCSE English language and maths.
Speak to your sixth form or college to decide when it’s the best time for you to resit a GCSE exam.
Look for other courses with different grade requirements
Entry requirements vary depending on the college and course. Ask your school for advice, and call your college or another one in your area to see if there’s a space on a course you’re interested in.
Consider an apprenticeship
Apprenticeships combine a practical training job with study too. They’re open to you if you’re 16 or over, living in England, and not in full time education.
As an apprentice you’ll be a paid employee, have the opportunity to work alongside experienced staff, gain job-specific skills, and get time set aside for training and study related to your role.
You can find out more about how to apply here .
Talk to a National Careers Service (NCS) adviser
The National Career Service is a free resource that can help you with your career planning. Give them a call to discuss potential routes into higher education, further education, or the workplace.
Whatever your results, if you want to find out more about all your education and training options, as well as get practical advice about your exam results, visit the National Careers Service page and Skills for Careers to explore your study and work choices.
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CA Final (New) Multidisciplinary Case Study Question Paper Nov 2019. CA Foundation Economics Book. [PDF] Case Study Of A School Child PDF Hindi free download using direct link, download PDF of Case Study Of A School Child Hindi instanty from the link available at drive.google.com or read online Case Study Of A School Child.
केस स्टडी विधि (Case-Study Method) शिक्षा तकनीकि के आर्विभाव तथा विकास के साथ शिक्षा की प्रक्रिया में अनेक परिवर्तन हुए तथा नये आयामों ...
The case study was conducted by keen observations of the special needed child by involving and getting information directly from different reliable sources like,concerned teachers, peer groups from the school, parents, family members and peer groups of the child from the home environment. The tools used in the study were 1. Qustionnaire. 2.
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Case Study Format in Hindi. दोस्तों अगर आप Case Study ka Prarup hindi में खोज रहे है तो आप बिलकुल सही जगह पर आये है, क्योंकि आज हमने इस पेज के माध्यम से केस स्टडी का ...
Digitalised Hindi. Case Study in Hindi Explained - केस स्टडी क्या है और कैसे करें. आपने अक्सर अपने स
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What Is Case Study Method In Hindi? PDF Download, व्यक्तिगत अध्ययन , मामले का अध्ययन, केस स्टडी आदि के बारे में जानेंगे। इन नोट्स के माध्यम से आपके ज्ञान में
Learning Disability: Meaning, Nature and Concpet (Hindi) January 2013. In book: Inclusive Education (Hindi) Publisher: Uttarakhand Open University, Haldwani, India. Authors: Pankaj Kumar. National ...
आपने विस्तार से case study meaning in Hindi के बारे में जाना । सिर्फ केस स्टडी के बारे में विस्तार से जानेंगे बल्कि इसके उदाहरणों और प्रकार को भी आप विस्तार
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Various steps are being taken to bring children with special needs (CwSN) to schools such as the National Council of Educational Research & Training (NCERT) has developed exemplar material for providing low cost quality home education to students with severe disabilities through e-learning. NCERT text books have been converted into digital ...
Child Development and Pedagogy is a very important subject to qualify for teaching exams. such Download best-handwritten notes PDF for Child Development and Pedagogy Handwritten Notes in Hindi & English medium for Samvida Varg 1, 2, 3, Central teacher eligibility test (CTET), Teacher eligibility test (TET), Madhya Pradesh Teacher eligibility test ( MPTET), Uttar Pradesh Teacher eligibility ...
A Journey to Stare Then Reach - a case study of a special child. This is a story of a little angel of in the school Durgabhai Deshmukh Vocational Training and Rehabilitation Centre. The mother of the little angel is a homemaker while her father was working at a press. Little angel was the first child of her parents and was born on 19th March 2012.
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Download Free PDF. View PDF. SRJHS&EL/ Ritu Sharma (367-372) LEARNING DISABILITY : A CASE STUDY Ritu Sharma Abstract The present investigation was carried out on a girl name Harshita who has been identified with learning disability. She is presently studying at 'Udaan' a school for the special children in Shimla.
Case Study of A School Child Hindi By. | PDF. Scribd is the world's largest social reading and publishing site.
combating discriminatory attitudes, and of building solidarity between children with special needs and their peers. Studies and reports on inclusive education highlight the social value for both children with disabilities and non-disabled children (Briody and Martone 2010; Lodge and Lynch 2004; Mousley et al 1993; NCSE 2010). A study by Madden ...
Category: स्वस्थ शरीर . बच्चों में Learning Disabilities का कारण और समाधान . By: Vandana Srivastava | ☺ 17 min read लर्निंग डिसेबिलिटी (Learning Disabilities) एक आम बात है जिस बहुत से बच्चे प्रभावित देखे जा सकते ...
The Global Report on Food Crises (GRFC) 2024 confirms the enormity of the challenge of achieving the goal of ending hunger by 2030. In 2023, nearly 282 million people or 21.5 percent of the analysed population in 59 countries/territories faced high levels of acute food insecurity requiring urgent food and livelihood assistance. This additional 24 million people since 2022 is explained by ...
Apprenticeships combine a practical training job with study too. They're open to you if you're 16 or over, living in England, and not in full time education. As an apprentice you'll be a paid employee, have the opportunity to work alongside experienced staff, gain job-specific skills, and get time set aside for training and study related ...
NEH Grant Offers and Awards, August 2024 Page 4 of 47 400 7th Street, S.W., 4th Floor, Washington, D.C. 20506 P 202.606.8400 www.neh.gov Project Title: Between Object and Subject: Autotheory and the Aftermath of Deportation and Forced Return
चाइल्ड कस्टडी (बच्चे की अभिरक्षा) ऐसी प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से माता-पिता मे से किसी एक को तलाक (Divorce) या न्यायिक पृथक्करण (Judicial Separation ...