नवजात शिशु में कंगारू मदर केयर | Kangaroo Mother Care in Hindi

Kangaroo Mother Care in Hindi : नवजात शिशुओं में कंगारू मदर केयर को हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। कुछ परिवारों में, जन्म के समय कम दिन के या जन्म के समय कम वजन के बच्चे परिवार के सदस्यों के लिए चिंता का विषय होते हैं। ऐसे समय में कंगारू मदर केयर का इस्तेमाल करने से ऐसे बच्चों में समस्या होने से बचाया जा सकता है। तो आइए जानें कंगारू मदर केयर के बारे में जरूरी जानकारी।

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कंगारू मदर केयर क्या है? (Kangaroo Mother Care in Hindi)

कंगारू मदर केयर कम दिन के और कम वजन वाले बच्चों के लिए त्वचा से त्वचा की जाने वाली देखभाल है। जो नवजात शिशु की वृद्धि और विकास में मदद करता है। कंगारू मदर केयर माता, पिता या घर के अन्य व्यक्ति द्वारा दी जा सकती है।

कंगारू मदर केयर देने के क्या लाभ हैं? (Kangaroo mother care ke fayde)

कंगारू मदर केयर देने से निम्नलिखित लाभ होते हैं

  • नवजात शिशु पूरी तरह से स्तनपान करना शुरू कर देता है
  • नवजात शिशुओं में मृत्यु दर को कम करता है।
  • नवजात शिशुओं में संक्रमण के मामले बहुत कम होते हैं।
  • नवजात को शरीर के गिरते तापमान से बचाया जा सकता है।
  • कम दिन अस्पताल में रुकना पड़ता हैं उस वजह से अस्पताल का खर्च भी बचता है।
  • नवजात शिशुओं का वजन बढ़ाने में मदद करता है।
  • नवजात शिशु की लंबाई बढ़ाने में मदद करता है।
  • नवजात के सिर की परिधि को बढ़ाने में मदद करता है।

कंगारू मदर केयर के लिए क्या आवश्यकताएं हैं?

कंगारू मदर केयर के लिए निम्नलिखित चीजे आवश्यक हैं।

  • कंगारू मदर केयर माता-पिता और घर में कोई भी व्यक्ति प्रदान कर सकता है।
  • आधे आराम के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कुर्सी
  • बच्चे की मां को बटन-डाउन गाउन पहनना आवश्यक है। वे ब्लाउज, साड़ी के साथ-साथ सादे शर्ट का भी उपयोग कर सकते हैं।
  • बच्चे को एक टोपी, मोज़े, डायपर, एक शर्ट चाहिए जिसमें सामने का भाग खुला हो।
  • कंगारू मदर केयर एक बच्चे को बहुत ही कम खर्च में उपलब्ध कराया जा सकता है।

कंगारू मदर केयर किन बच्चों को दी जाती है?

  • कम वजन वाले बच्चों में अगर वजन 2.5 किलो से कम होता है
  • 37 सप्ताह से पहले जन्म लेने वाले बच्चों में
  • एनआईसीयू में स्वस्थ होने के बाद 1.2 किलोग्राम से कम वजन वाले बच्चो में
  • 2.5 किलो से अधिक वजन वाले बच्चों को भी कंगारू मदर केयर दी जा सकती है।

कंगारू मदर केयर कौन प्रदान कर सकता है?

कंगारू मदर केयर माता, पिता, दादी, दादा कोई भी दे सकते है। लेकिन कंगारू मदर केयर मां द्वारा बेहतर दी जाती है क्योंकि यह मां और बच्चे के बीच के बंधन को मजबूत करता है और स्तन के दूध को बढ़ाने में भी मदद करता है। कंगारू मदर केयर देने की वजह से माँ की ऊब बच्चे को मिलती हैं और बच्चा हाइपोथेरमिआ होने से बच सकता हैं ।

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कंगारू मदर केयर देते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

  • कंगारू मदर केयर प्रदान करने वाले व्यक्ति की संकल्प शक्ति ज्यादा होनी चाहिए। कंगारू मदर केयर के लाभों को समझने से देखभाल करने वाले की इच्छा निश्चित रूप से बढ़ेगी।
  • कंगारू मदर केयर प्रदान करने वाला व्यक्ति स्वस्थ होना चाहिए।
  • मां ने नियमित आहार लेना चाहिए।
  • कंगारू मदर केयर देने वाले व्यक्ति को रोजाना नहाना चाहिए, हाथ धोना चाहिए और अपने नाखूनों को काटना चाहिए। ताकि उसकी देखभाल करते समय बच्चे को कोई नुकसान न हो।

कंगारू मदर केयर प्रदान करने की प्रक्रिया क्या है? | Kangaroo Mother Care Kaise Deni Chahiye

सबसे पहले कंगारू मदर केयर देने की इच्छाशक्ति होना बहुत जरूरी है।

1) बच्चे को कंगारू पोजीशन में रखना : बच्चे को कंगारू पोजीशन में रखने के लिए उसे मां की दोनों स्तनों में कंगारू पोजीशन में लेटाना चाहिए। बच्चे का पेट मां की छाती के करीब होना चाहिए। बच्चे का सिर एक तरफ और गर्दन थोड़ी पीछे रहनी चाहिए। ताकि बच्चे की सांस खुली रहे और मां बच्चे को देख रही हो। बच्चे के पैर मुड़े होने चाहिए। बच्चे की पीठ को हाथ से सहारा देना चाहिए।

2) शिशु की सावधानीपूर्वक निगरानी : शिशु को कंगारू मदर केयर देते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। कंगारू मदर केयर देने वाले व्यक्ति को इस बात पर नजर रखने की जरूरत है कि क्या बच्चे की गर्दन पीछे की तरफ है, क्या बच्चे की सांस नियमित है, क्या बच्चे का रंग गुलाबी है, क्या बच्चे के शरीर का तापमान नियमित है।

3) स्तनपान : शिशु के कंगारू अवस्था में होने पर बच्चे की माँ स्तनपान करा सकती है, माँ का दूध भी वाटी चम्मच से पिलाया जा सकता है।

4) कंगारू मदर केयर देने का समय : कंगारू मदर केयर एक घंटे से कम समय तक नहीं देना चाहिए। लेकिन उस समय को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाना चाहिए ताकि बच्चे को इसका फायदा मिल सके।

5) स्लीपिंग कंगारू मदर केयर : कंगारू मदर केयर शिशु को आरामदायक कुर्सी पर बैठकर या सिर के हिस्से को बिस्तर पर ऊंचा रखकर दी जा सकती है। ऐसे समय में मां सोते हुए भी आराम कर सकती है।

बच्चे को अस्पताल से कब छुट्टी मिलती है?

अस्पताल के कर्मचारियों की देखरेख में कंगारू मदर केयर प्रदान की जाती है। बच्चे को अस्पताल से ऐसे समय में छुट्टी दे दी जाती है जब निम्नलिखित मानदंड पूरे होते हैं।

  • जब बच्चे का वजन नियमित रूप से बढ़ना शुरू हो जाता है, यानी लगातार 3 दिनों तक 15 ग्राम प्रति किलोग्राम वजन बढ़ने के बाद।
  • यदि बच्चे के शरीर का तापमान लगातार तीन दिनों तक नियमित रहता है
  • अगर बच्चा नियमित रूप से स्तनपान कर रहा है
  • अगर बच्चा अच्छे स्वास्थ्य में है
  • अगर मां और परिवार के सदस्यों में बच्चे की देखभाल करने की इच्छा है

बच्चे को कंगारू मदर केयर देना कब बंद करें?

कंगारू मदर केयर तब तक दी जानी चाहिए जब तक कि बच्चे का वजन 2.5 किलो न हो जाए। उसके बाद भी कंगारू मदर केयर दी जा सकती हैं। कंगारू मदर केयर बच्चे को नहलाने के बाद ठंड के दिनों में भी दिया जा सकता है।

परिवार के सभी सदस्यों का शामिल होना और कंगारू मदर केयर प्रदान करने वाले की इच्छा होना बहुत जरूरी है। ऐसे समय में जब माँ बच्चे की देखभाल करते-करते थक जाती है, बच्चे के पिता कंगारू मदर केयर दे सकते हैं ताकि बच्चे की माँ उस समय आराम कर सके।

समाज में कंगारू मदर केयर के लाभों को जानना बहुत जरूरी है क्योंकि यह नवजात की जान को खतरे से बचाती है और नियमित रूप से बढ़ती है।

अगर आपको कंगारू मदर केयर के बारे में जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें ताकि वे भी इस जानकारी से लाभान्वित हो सकें।

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डॉ निखिल राणे सलाहकार बाल रोग विशेषज्ञ और नियोनेटोलॉजिस्ट हैं। वह बच्चों के स्वास्थ्य की उचित देखभाल करना पसंद करते हैं।

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नवजात शिशु और मां के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है 'कंगारू मदर केयर', जानें इसका सही तरीका

Satish Singh

  • Written by : Satish Singh
  • Updated at: Jul 27, 2021 17:58 IST

नवजात शिशु और मां के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है 'कंगारू मदर केयर', जानें इसका सही तरीका

शिशु के जन्म बाद उसका स्वस्थ्य रहना बेहद जरूरी होता है। जन्म के बाद उनका ध्यान न रखा जाए तो उन्हें कई प्रकार की बीमारी हो सकती है। आज के दौर में प्री-मेच्योर डिलीवरी होना आम बात है। ऐसे में प्रीमेच्योर डिलीवरी वाला शिशु न तो ठीक से मां के के दूध का सेवन कर पाता है और न ही सामान्य बच्चों की तरह स्वस्थ रह पाता है। इतना ही नहीं कई माताओं में भी यह समस्या देखने को मिली है कि प्रसव के बाद भी उनका दूध नहीं बनता है। मां का दूध बनना भी प्राकृतिक ही है। यह प्रकृति की ही देन है कि शिशु के जन्म के बाद मां के स्तनों में दूध आ जाता है। यही वजह है कि बड़े बुजुर्ग कहते हैं... कोई भी शिशु अपनी किस्मत और अपना भोजन लेकर आता है।लेकिन कई महिलाएं ऐसी भी हैं जिन्हें प्रसव के बाद भी दूध नहीं बनता है। जबकि शिशु के जन्म के बाद शिशु को मां का गाढ़ा पीला दूध ही पिलाना चाहिए। इससे शिशु और मां दोनों को ही काफी फायदा पहुंचता है। इन तमाम परेशानियों का इलाज कंगारू मदर केयर के जरिए संभव है।

Kangaroo Mother Care

क्या है कंगारू मदर केयर?

कंगारू मदर केयर के क्या होते हैं फायदे, 1. स्किन टु स्किन कॉन्टैक्ट से हैं कई फायदे, 2. मां के शरीर से गर्माहट मिलती है.

शिशु को मां के शरीर से गर्माहट मिलती है। डॉक्टर बताते हैं कि कई शिशु को जन्म के बाद निमोनिया होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। सर्दियों के समय में यह बीमारी होने की संभावना काफी अधिक रहती है। इसलिए उस समय शिशु को धूप में बैठाने की सलाह देने के साथ कंगारू मदर केयर टिप्स आजमाने की सलाह देते हैं। ऐसा करने से शिशु को मां के शरीर से होने वाले स्किन टु स्किन कॉन्टैक्ट की वजह से गर्माहट मिलती है। ठंड लगने, निमोनिया सहित कई बीमारियों से बचाव होता है।

3. ज्यादा समय तक कर सकता है ब्रेस्ट फीड

4. मां को भी पहुंचता है फायदा.

कंगारू मदर केयर से सिर्फ शिशु को ही फायदा नहीं होता बल्कि माताओं को भी फायदा होता है। चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ. मृत्युंजय बताते हैं कि शिशु के जन्म के बाद माताएं शारिरिक रूप से कमजोर हो जाती हैं। ऐसे में शिशु को छाती से लगाने पर उन्हें काफी सुखद महसूस होता है, जो सिर्फ एक मां ही महसूस कर सकती है। कहा जाता है जब इंसान खुश होता है तो बड़े बड़े पीड़ा का भी पता नहीं चलता है। इस केस में भी कुछ ऐसा ही है। शिशु को छाती से लगाकर रखने की वजह से माताएं भी जल्द स्वस्थ होती हैं।

5. मां का दूध भी बनता है ज्यादा

देखा गया है कि शिशु को जन्म देने के बाद भी कई माताओं का दूध नहीं बनता है। एक्सपर्ट बताते हैं कि ऐसी महिलाओं को हम कंगारू मदर केयर की सलाह देते हैं। यह प्राकृतिक तौर पर कारगर भी रहा है। शिशु को छाती से लगाकर रखने की वजह से उन्हें काफी रिलीफ मिलता है। इस कारण कई हार्मोनल बदलाव की वजह से मां के स्तनों में दूध आता है, जिसके बाद वो शिशु को अपना दूध पिला पाती है।

Baby Care

ऐसे किया जाता है कंगारू केयर

एक्सपर्ट बताते हैं कि कंगारू केयर के लिए माताओं को हॉस्पिटल ड्रेस पहनाया जाता है, यदि घर पर हैं तो सामने से खुलने वाला शर्ट या नाइटी पहनने की सलाह दी जाती है। वहीं उन्हें ब्रॉ पहनने को नहीं कहा जाता, इसके बाद शिशु को टोपी व नैपी पहनाकर, सिर के एक तरफ रख मां की छाती के बीचोबीच रखा जाता है। एक बार स्किन टू स्किन कॉन्टैक्ट हो जाने पर शिशु को पीठ के हिस्से को कवर करने को कहा जाता है। ऐसा कर शिशु को गर्माहट दिया जाता है। इस दौरान शिशु के साथ माताओं को आराम करने की सलाह दी जाती है, रिलेक्स होते हुए सांस लेने को कहा जाता है।

कंगारू केयर के लिए लें डॉक्टरी सलाह

यदि आप भी अपने शिशु के साथ कंगारू केयर को अपनाना चाहते हैं को इसके लिए पहले डॉक्टरी सलाह लेना जरूरी है। शिशु के जन्म के तुरंत बाद यह तरीका आजमाने से जच्चा-बच्चा दोनों ही स्वस्थ्य रहते हैं।

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इस जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है हालांकि इसकी नैतिक जि़म्मेदारी ओन्लीमायहेल्थ डॉट कॉम की नहीं है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है।

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Kangaroo Care: जानें, क्या है 'कंगारू केयर' और कैसे मां और नवजात शिशु के लिए है फायदेमंद

Kangaroo Care आजकल कंगारू केयर की सेवा लगभग सभी छोटे-बड़े शहरों में उपलब्ध है। यह एक प्राकृतिक उपचार है। इसमें मादा कंगारू की तरह अपने बच्चे को छाती से लगाकर रखना होता है। कंगारू केयर पद्धति में मां अपने बच्चे को छाती से लगाकर रखती है।

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Kangaroo Care: जानें, क्या है 'कंगारू केयर' और कैसे मां और नवजात शिशु के लिए है फायदेमंद

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केएमसी के फायदे । Kangaroo mother care benefits in hindi.

Kangaroo mother care benefits in hindi

Kangaroo mother care benefits in hindi. माँ के सीने से लगकर बच सकती है मरते हुए बच्चे की भी जान, कंगारू केयर करता है रामबाण जैसा काम । शिशु के विकास और स्वास्थ्य के लिए माँ का प्यार और दुलार अत्यंत आवश्यक होता है और कंगारू केयर इसका सबसे आसान तरीका होता है । कंगारूओं के शरीर पर एक पाउच होता है, जिसमें वो अपने बच्‍चे को रखते हैं ।

इस तरह बच्चा पूरे दिन अपनी माँ के पास रहता है और उनकी देखभाल और दुलार का आनंद ले पाता है । माँ के बैली पाउच में बच्चा खुद को सर्वाधिक सुरक्षित महसूस करता है । इसे कंगारू केयर कहते हैं जो कि हम इंसानों में भी होती है । इंसान भी अपने बच्चे की कंगारू केयर कर सकते हैं । शिशु को इस तरह की देखभाल से अत्यंत लाभ भी मिलते हैं । तो चलिए जानते हैं – Kangaroo mother care benefits in hindi.

पढ़े – नवजात शिशु की देखभाल कैसे करें । Newborn care tips.

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कंगारू मदर केयर क्या है । What is kangaroo mother care in hindi.

कंगारू केयर में माँ और बच्चे के बीच स्किन-टू-स्किन कॉन्टेक्ट होता है । इसके हर एक सेशन में माँ कुछ घंटों के लिए शिशु को अपने सीने से लगाकर रखती है । इसके लिए शिशु को डायपर के अलावा और कुछ नहीं पहनाया जाता है । एक रिसर्च के अनुसार विकासशील देशों में लो बर्थ वेट ( जन्म के समय कम वजनी शिशु ) को कंगारू केयर की मदद से न सिर्फ शिशु को मरने से बचाया गया है, बल्कि उसमें कोई गंभीर बीमारी, इंफेक्शन और हॉस्पिटल में ज्यादा दिन रूकने जैसी परेशानियों में भी कमी आई है ।

कई विकसित देशों में कंगारू केयर प्रीटर्म बेबी के लिए भी बहुत फायदेमंद है । किसी भी शिशु के जन्म बाद उसका स्वस्थ्य रहना अत्यंत आवश्यक होता है । जन्म के बाद उनका खास तौर से विशेष ध्यान न रखा जाए तो उन्हें कई प्रकार की बीमारी हो सकती हैं ।

केएमसी की परिभाषा हिंदी में । KMC in hindi.

आजकल प्री-मेच्योर डिलीवरी होना आम बात है । ऐसे में समय से पहले जन्म लेने वाला शिशु न तो ठीक से माँ के के दूध का सेवन कर पाता है और न ही सामान्य बच्चों की तरह स्वस्थ रह पाता है । इतना ही नहीं कई माताओं में भी यह समस्या देखने को मिली है कि प्रसव के बाद भी उनका दूध नहीं बनता है । माँ का दूध बनना भी प्राकृति की विशेष दया है । यह प्रकृति की ही देन है कि शिशु के जन्म के बाद माँ के स्तनों में दूध आ जाता है ।

पढ़े – बच्चों में एनीमिया के लक्षण व बचाव । Anemia in kids.

संभवतः यही वजह है कि बड़े बुजुर्ग कहते हैं की – कोई भी शिशु अपनी किस्मत और अपना भोजन लेकर आता है । किन्तु अनेक महिलाएँ ऐसी भी हैं जिन्हें प्रसव के बाद भी दूध नहीं बनता है । जबकि यह मन जाता है कि शिशु के जन्म के बाद शिशु को माँ का गाढ़ा पीला दूध ही पिलाना चाहिए । इससे शिशु और माँ दोनों को ही अत्यंत लाभ पहुँचता है । इस प्रकार की सभी परेशानियों का इलाज कंगारू मदर केयर के जरिए संभव है ।

कंगारू मदर केयर की आवश्यकता क्यों ?

बाल चिकित्सक बताते हैं कि आजकल छोटे नगरों में भी कंगारू मदर केयर उपचार काफी सामान्य और प्रचलित हो गया है । यह अनेक प्रकार की परेशानियों से निजात पाने का प्राकृतिक उपचार है । जैसा कि इसका नाम है, ‘कंगारू मदर केयर’, इसमें जिस प्रकार से कंगारू मादा अपने बच्चे को छाती से लगाकर रखती है, उसे दूध पिलाने के साथ उसका ख्याल रखती है । ठीक उसी प्रकार शिशु जन्म के पश्चात महिलाओं को शिशु की देखभाल करने की सलाह दी जाती है ।

ऐसा शिशु को जीवन प्रदान करने के लिए किया जाता है । इस प्रक्रिया में शिशु को माँ की छाती से लगाकर रखने की सलाह दी जाती है । ताकि माँ और शिशु के बीच त्वचा से त्वचा मिलने से आत्मिक संबंध बना रहे ।

कंगारू मदर केअर के फायदे । Kangaroo mother care benefits in hindi.

कभी कभी प्री मैच्योर डिलीवरी के दौरान शिशुओं का जन्म समय से पूर्व ही हो जाता है । ऐसे शिशु सामान्य शिशु की तुलना में ज्यादा कमजोर होते हैं, इनका वजन कम होता है । और इन्हें सामान्य से अधिक देखरेख की आवश्यकता होती है । यही वजह है कि डॉक्टर इस तकनीक की मदद से शिशु का बेहतर इलाज करते हैं । इसे कैसे करना है और क्यों करना है उसके लिए एक्सपर्ट सुझाव देते हैं । बिना उनकी सलाह और सुझाव के इसे नहीं करना चाहिए । कंगारू मदर केयर के क्या होते हैं फायदे….? Kangaroo mother care ke fayde.

पढ़े – 2 महीने के बच्चे की देखभाल कैसे करें । 2 month baby care.

कंगारू केअर से स्किन टु स्किन कॉन्टैक्ट | skin to skin contact to Kangaroo mother care benefits in hindi.

यह एक ऐसा कॉन्टैक्ट हैं जो शिशु की जरूरतों को समझने में आसानी होती हैं । यही कारण है कि एक्सपर्ट प्री मैच्योर बेबी के केस में माताओं को कंगारू मदर केयर की सलाह देते हैं । क्योंकि स्किन टु स्किन कॉन्टैक्ट होने से न केवल मानसिक रूप से माँ शिशु के और करीब आती है, अपितु छोटी ही उम्र में शिशु का माँ से गहरा लगाव हो जाता है ।

माँ के शरीर से शिशु को गर्माहट से बॉडी टेम्परेचर रहता है नॉर्मल –

डॉक्टर्स के अनुसार नवजात शिशु को बीमारियों होने का खतरा काफी अधिक होता हैं जैसे निमोनिया, सर्दी जुकाम, पीलिया आदि । ऐसे में कंगारू केयर से शिशु को माँ के शरीर से गर्माहट से बच्चे का बॉडी टेम्परेचर भी कंट्रोल में रहता है । जिससे नवजात को होने वाली बीमारियों से बचा जा सकता है । सर्दियों के मौसम में होने वाली बीमारियों से बचने के लिए शिशु को धूप में बैठाने की सलाह देने के साथ कंगारू मदर केयर टिप्स आजमाने की हिदायत देते हैं । ऐसा करने से शिशु को माँ के शरीर से होने वाले स्किन टु स्किन कॉन्टैक्ट की वजह से गर्माहट मिलती है । ठंड लगने, निमोनिया होने के साथ ही अनेक बीमारियों से बचाव होता है ।

अधिक एवं अच्छे से कर सकता है स्तन पान | Breast feeding to Kangaroo mother care benefits in hindi.

कंगारू मदर केयर के दौरान शिशु अपनी माँ की छाती से चिपका होने के कारण वह शीघ्रता से दूध पीने की आदत को सीख जाता है । एक्सपर्ट के अनुसार शिशु अपनी माँ के स्तनों के करीब होने से उसे जब भूख लगती है या जब मन चाहे माँ के स्तनों से दूध पी लेता है । इस प्रक्रिया का सबसे बड़ा फायदा यह है कि शिशु और माँ की बॉन्डिंग मजबूत हो जाती है । वे दोनों एक दूसरे की जरूरत को अच्छी तरीके से समझ सकते हैं ।

पर्याप्त मात्रा में स्तन पान के कारण शिशु के शरीर में ताकत आती है, जिससे न केवल वो प्री मैच्योर डिलीवरी की समस्याओं से ऊबर पाता है अपितु धीरे-धीरे उसका वजन नियंत्रण में आ जाता है । उसका अनेक प्रकार की बीमारियों से बचाव हो जाता है व बच्चा खुश और स्वस्थ रहता है ।

कंगारू केअर से माँ को भी होता है सुखद एहसास | Kangaroo mother care benefits in hindi.

कंगारू मदर केयर से सिर्फ शिशु को ही नहीं अपितु माताओं को भी लाभ होता है । बाल विशेषज्ञ बताते हैं कि शिशु के जन्म के बाद माताएँ शारिरिक रूप से कमजोर हो जाती हैं । ऐसे में शिशु को छाती से लगाने पर उन्हें काफी सुखद महसूस होता है, जो सिर्फ एक माँ ही महसूस कर सकती है ।

कहते हैं जब इंसान खुश होता है तो बड़ी से बड़ी पीड़ा का भी पता नहीं चलता । इस केस में भी कुछ ऐसा ही है। शिशु को छाती से लगाकर रखने की वजह से माताएँ भी शीघ्र ही स्वस्थ हो जाती हैं ।

कंगारू केअर से माँ के स्तनों से पर्याप्त होता है दूध उत्पादन ।

देखा गया है कि शिशु को जन्म देने के बाद भी अनेक माताओं का दूध नहीं बनता है । विशेषज्ञ बताते हैं कि ऐसी महिलाओं को हम कंगारू मदर केयर की सलाह देते हैं । यह प्राकृतिक तौर पर सफल भी रहा है । शिशु को छाती से लगाकर रखने की वजह से उन्हें बेहद संतोष मिलता है । इस कारण अनेक हार्मोनल बदलाव की वजह से माँ के स्तनों में दूध आता है, जिससे वो शिशु को अपना दूध पिला पाती है ।

Kangaroo mother care kaise karen.

कंगारू मदर केयर कैसे करे । Kangaroo mother care kaise karen.

कंगारू केअर करने के लिए नाइटी या सामने से खुलने वाला ड्रेस पहनना आवश्यक होता है । इस दौरान ब्रा नहीं पहनी जाती है । हालांकि अस्पतालों में अलग से ड्रेस दी जाती है । वही नवजात शिशु को टोपी व नैपी पहनाकर, एक हाथ के सहारे सिर को माँ की छाती के बीचो बीच रखना होता है ।

जब शिशु अपनी माँ की छाती से स्पर्श यानी स्किन टू स्किन कॉन्टैक्ट हो जाने पर शिशु की पीठ के हिस्से को ढकने की सलाह दी जाती है । ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि शिशु को गर्माहट मिले । इस बीच शिशु के साथ माँ को आराम करने को कहा जाता है।

पढ़े – अश्वशक्ति पाउडर के फायदे व नुकसान । Ashwashakti powder ke fayde.

कंगारू केयर के लिए लें डॉक्टरी परामर्श –

कंगारू केयर के लिए सबसे पहले डॉक्टरी सलाह लेना आवश्यक है । हेल्थी बने रहने के लिए शिशु के जन्म के तुरंत बाद यह तरीका आजमाने का प्रयास करें । कंगारू मदर केयर (KMC) में माँ या किसी अन्य देखभाल कर्ता की देख-रेख में नवजात शिशुओं को त्वचा से त्वचा के संपर्क में रखकर प्रीटरम या पैदाइशी कम वजन वाले शिशुओं को रखा जाता है ।

केएमसी अब देखभाल के प्रामाणिक मानक बन गए हैं । ये या तो एक विकल्प के रूप में या प्रौद्योगिकी आधारित देखभाल के लिए एक सहायक के रूप में होते हैं । कंगारू केअर ( KMC ) के परिणाम स्वरूप नवजात शिशुओं को गर्म और सुविधाजनक रखने में मदद करता है । शिशु को ठंड, तनाव और हाइपोथर्मिया से सुरक्षा की जा सकती है वही ह्रदय, श्वसन दर, ऑक्सीजन एवं नींद पैटर्न भी स्थिर हो जाते हैं ।

नवजात शिशु की बेहतर देखभाल । Newborn baby care in hindi.

कंगारू केयर उपचार से स्तन पान दरों में माताओ में दूध उत्पादन में भी काफी वृद्धि करता है । वही शिशु वजन बढ़ाने में सुधार करता है । नोसोकोमियल जैसे संक्रमण की घटनाओं को कम करता है। सबसे बड़ा फायदा यह है कि शिशु और माँ के बीच भावनात्मक संबंध में सुधार करता है ।

बच्चे केएमसी को सभी स्थिर एलबीडब्ल्यू शिशुओं में इंगित किया गया है । कमजोर व बीमार शिशुओं के लिए चल रहे चिकित्सा उपचार के दौरान अल्पकालीन केएमसी ट्रीटमेंट शुरू किए जा सकते हैं । जबकि बच्चे को ऑर्गैस्ट्रिक ट्यूब या ऑक्सीजन थेरेपी के माध्यम से या वेंटिलेटर पर भी खिलाया जा रहा है ।

इनके लिए सभी माताएँ केएमसी को शिक्षा, उम्र, समानता, संस्कृति एवं धर्म के बावजूद प्रदान कर सकती हैं । जो भी महिला किसी शिशु को यह उपचार प्रदान कर रही है, उस माँ को हर तरह की गंभीर बीमारी से मुक्त होने के साथ ही उसे अपने एक्सपर्ट द्वारा सुझाए गए पर्याप्त आहार और पूरक आहार यथा समय प्राप्त करने चाहिए । माँ को प्रत्येक प्रकार से पूर्ण स्वच्छता बनाए रखनी चाहिए ।। डॉ. राजेश कुमार जैन ।।

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Kangaroo Mother Care: Explained

Kangaroo mother care.

There exists an invisible bond between the baby and the mother let it be when the baby is in the womb or when she has the baby in her arms post-birth. A practice to accentuate this bond further is known as Kangaroo Mother Care (KMC).         

What is Kangaroo Mother Care?

KMC refers to the practice of providing continuous skin-to-skin contact between the mother and her baby.

Components of KMC

There are three components of kangaroo mother care (KMC):

  • Skin to skin.
  • Exclusive breastfeeding.
  • Supporting both the mother and the baby.

The support can be in any form psychological, mental, emotional, or physical. The practice aims at formulating a standard care protocol for babies both preterm and full-term. The World Health Organization recommends KMC for the routine care of newborns weighing 2000 grams or less at birth.

Kangaroo Mothercare Position

During the KMC care, a premature baby is held in an upright position on her mom’s bare chest encouraging tummy-to-tummy contact as the baby is placed between the mother’s breasts. The baby’s head is adjusted so that he is positioned close to her mother’s heart.

How long should KMC be done?

It is advised to practice Skin-to-Skin for 60 minutes continuously during the first 12 weeks and beyond. KMC immediately after birth is found to be a golden hour for the baby. This is the time when the nursing instinct in the baby leads the way to the early initiation of breastfeeding.

Kangaroo Care Benefits to Babies

  • Stabilizes heart rate
  • Improves oxygen saturation
  • Regulates baby's body temperature
  • Gaining weight more quickly
  • Boost immunity
  • Improved sleep time
  • Reduces crying
  • Improves cognitive development

Kangaroo Care Benefits to Parents

  • Enhances parent-baby bonding
  • Reducing the stress levels of mothers
  • Lowers neonatal mortality
  • Sense of control is enhanced

Research shows that skin-to-skin contact stabilizes heart rate, and respiratory rates, improves oxygen saturation, regulates a neonate’s body temperature, and helps conserve energy for the newborn. Better weight gain, improved immunity, and enhanced motor and cognitive development of the infant are also some important benefits of KMC.

Skin-to-skin can also be practised with the baby and the father. In the case of cesarean births, the father can practice skin-to-skin contact till the mother recoups.

The benefits of KMC are not only limited to newborns but the parents too derive benefits from it. It promotes bonding between the baby and the parents, enhances parental confidence, and helps to streamline breastfeeding practices. A mother feels more confident to nurture her baby and in turn experiences reduced stress levels.

While Practicing Kangaroo Care:

  • Don't smoke.
  • Keep your phone away.
  • Avoid KMC if not feeling well.
  • Focus on the baby.

Therefore, KMC is a practice that ensures overall development and cares for the neonates, thereby reducing mortality rates for preterm infants all across.

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